राज्य के अधिकांश क्षेत्रों में उपलब्ध जल नहरी या सतही है। हैंडपंप से प्राप्त जल भी कई जगह फ्लोराइड युक्त या खारा है। नहरी और सतही जल गंदला एवं जीवाणु युक्त होता है तथा इससे स्कूली बच्चों के बीमार होने का खतरा बना रहता है। अतः आवश्यक है कि विद्यालयों में पेयजल को शुद्ध करके ही बच्चों को पिलाया जाए। राजस्थान के स्कूली बच्चों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए प्रारंभ की जाने वाली जलमणि योजना अब तक केन्द्र सरकार की मंजूरी के अभाव में शुरू नहीं हो पा रही थी किंतु हाल ही में इस योजना को अंततः केंद्र सरकार ने स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस योजना में बच्चों को आर.ओ. फिल्टर से शुद्ध किया पानी पीने को मिलेगा। राज्य सरकार द्वारा इस योजना के प्रथम चरण में नहरी तथा सतही जल पर निर्भर 5,000 स्कूलों का चयन किया जाएगा।
यह योजना मूल रूप से 2009 में केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित की गई थी जिसके अंतर्गत राज्य सरकार की ओर से स्कूलों में आर.ओ. प्लांट लगाने का प्रस्ताव दिया गया था तथा राज्य सरकार द्वारा प्लांट लगाने व उसके अगले पांच साल तक उनके रखरखाव के लिए केंद्र से 80,000 रुपए प्रति स्कूल या प्रति प्लांट की मांग की थी। इसमें 200 लीटर या इससे अधिक क्षमता के संयंत्र लगाने प्रस्तावित किए थे। केंद्र सरकार ने पहले मात्र 20,000 रुपए और बाद में इसे बढ़ा कर 40,000 रुपए प्रति स्कूल प्रति आरओ देने पर ही सहमति दी थी, लेकिन कतिपय कारणों से मामला अटक गया। राज्य सरकार के पीएचईडी विभाग की ओर से केंद्रीय ग्रामीण विकास विभाग के समक्ष इस मुद्दे पर कई बार राज्य का पक्ष रखा, लेकिन इसे मंजूरी नहीं मिली।
पीएचईडी के मुख्य अभियंता(ग्रामीण) के अनुसार कि केंद्र सरकार की फिल्टर प्लांट लगाने की इस योजना के तहत लगाए जाने वाला 15 से 20 लीटर की क्षमता एक फिल्टर प्लांट 6,000 रुपए मूल्य का होगा। बच्चों की संख्या और आवश्यकता के आधार पर स्कूल में एक से चार-पांच फिल्टर प्लांट लगाए जाएंगे। यह काम मार्च, 2012 तक पूरा कर लिया जाएगा। अगले चरण में और स्कूलों का चयन किया जाएगा और उनमें फिल्टर प्लांट लगाए जाएंगे।
यह योजना मूल रूप से 2009 में केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित की गई थी जिसके अंतर्गत राज्य सरकार की ओर से स्कूलों में आर.ओ. प्लांट लगाने का प्रस्ताव दिया गया था तथा राज्य सरकार द्वारा प्लांट लगाने व उसके अगले पांच साल तक उनके रखरखाव के लिए केंद्र से 80,000 रुपए प्रति स्कूल या प्रति प्लांट की मांग की थी। इसमें 200 लीटर या इससे अधिक क्षमता के संयंत्र लगाने प्रस्तावित किए थे। केंद्र सरकार ने पहले मात्र 20,000 रुपए और बाद में इसे बढ़ा कर 40,000 रुपए प्रति स्कूल प्रति आरओ देने पर ही सहमति दी थी, लेकिन कतिपय कारणों से मामला अटक गया। राज्य सरकार के पीएचईडी विभाग की ओर से केंद्रीय ग्रामीण विकास विभाग के समक्ष इस मुद्दे पर कई बार राज्य का पक्ष रखा, लेकिन इसे मंजूरी नहीं मिली।
पीएचईडी के मुख्य अभियंता(ग्रामीण) के अनुसार कि केंद्र सरकार की फिल्टर प्लांट लगाने की इस योजना के तहत लगाए जाने वाला 15 से 20 लीटर की क्षमता एक फिल्टर प्लांट 6,000 रुपए मूल्य का होगा। बच्चों की संख्या और आवश्यकता के आधार पर स्कूल में एक से चार-पांच फिल्टर प्लांट लगाए जाएंगे। यह काम मार्च, 2012 तक पूरा कर लिया जाएगा। अगले चरण में और स्कूलों का चयन किया जाएगा और उनमें फिल्टर प्लांट लगाए जाएंगे।
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