Skip to main content

राजस्थान के प्रसिद्ध कलाकार- एक नजर मेंराजस्थान के प्रसिद्ध कलाकार- एक नजर में

1- गणपत लाल डांगी – नाटक, गायन व लेखन
2- गवरी देवी - मांड गायन
3- अल्लाह जिलाई बाई - मांड गायन
4- बन्नो बेगम - मांड गायन
5- पेपे खां - सुरणाई वादन
6- मांगीबाई - तेरहताली नृत्य
7- चांद मोहम्मद खान - शहनाई वादन
8- विद्यासागर उपाध्याय - चित्रकला
9- पं. द्वारका प्रसाद शर्मा - चित्रकला
10- रामेश्वर सिंह - चित्रकला
11- बी. जी. शर्मा - चित्रकला
12- पी. एन. चोयल - चित्रकला
13- लालचंद मारोठिया - चित्रकला
14- अब्बास अली बाटलीवाला - चित्रकला
15- हेमंत चित्रकार (शर्मा) - चित्रकला
16- पी. पी. कोटावाला - चित्रकला
17- भूरसिंह शेखावत - चित्रकला
18- ए. एच. मूलर - चित्रकला
19- कुंदनलाल - चित्रकला
20- रामगोपाल विजयवर्गीय - चित्रकला
21- बी. सी. गुई - चित्रकला
22- गोवर्द्धन लाल जोशी 'बाबा' - चित्रकला
23- रामनिवास शर्मा - चित्रकला
24- देवकीनंदन शर्मा - चित्रकला
25- जगदीश सिंह गहलोत - चित्रकला
26- मोनी सान्याल - चित्रकला
27- घासीराम - चित्रकला
28- नरोत्तम नारायण शर्मा - चित्रकला
29- डॉ. नाथूराम वर्मा - चित्रकला
30- कृपालसिंह शेखावत - ब्लू पॉटरी व चित्रकला
31. श्रीलाल जोशी - फड़ चित्रकला
32- हिसामुद्दीन उस्ता - चमड़े पर स्वर्ण चित्रकारी (उस्ता कला)
33- जहीरुद्दीन उस्ताद - उस्ता कला
34- जानकी लाल भांड - बहुरूपिया कला
35- अल्लादिया खां - संगीत
36- डॉ. जयचंद्र शर्मा - संगीत
37- विश्व मोहन भट्ट - गिटार वादन एवं मोहन वीणा वादन
38- हमीदुल्ला - नाट्यकला
39- पी. सुंदर - नाट्य
40- बी. एम. व्यास - फिल्म अभिनेता
41- कन्हैयालाल पंवार – नाट्यकला, फिल्म
42- भानुभारती - नाट्यकला
43- मास्टर गिर्राज - नौटंकी कला
44- नानालाल गंधर्व - तुर्रा ख्याल नाट्य
45- पं. जसकरण गोस्वामी - सितार वादन
46- उस्ताद अमीर मोहम्मद खां - तबला वादन
47- जहूर खां मेवाती - भपंग वादन
48- रामकिशन सोलंकी - नगाड़ा वादन
49- पुरूषोत्तम दास - पखावज वादन
50- सद्दीक खां - खड़ताल वादन
51- साकर खां - कमायचा वादन
52- करणा भील - नड़ वादन
53- शंकर बुलंद - नस तरंग वादन
54- पं. रामनारायण - सारंगी वादन
55- उस्ताद सुल्तान खान - सारंगी वादन
56- भवानी शंकर कथक - पखावज वादन तथा तबला वादन
57- खलीफा करीम खां निहंग - चारबैत गायन
58- प्रभातजी सुथार - कावड़ काष्ठ कला
59- शकुंतला पंवार - लोकनृत्य
60- लल्लूनारायण शर्मा - मूर्तिकला व चित्रकला
61- ज्ञानसिंह - मूर्तिकला
62- मातुराम शर्मा - मूर्तिकला
63- उषारानी हूजा - मूर्तिकला
64- अर्जुनलाल प्रजापति - मृण मूर्तिकला
65- कुदरत सिंह - मीनाकारी
66- पं. उदयशंकर - बैले नृत्य
67- बाबूलाल कथक - कथक नृत्य
68- देवीलाल सामर - लोककला विद्
69- कोमल कोठारी - लोककला विद्
70- पं. भरत व्यास - फिल्म गीतकार, निर्देशक व नाटककार

Comments

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली