राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने की माँग फिर जोरों से उठी
"अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति" के अंतरराष्ट्रीय संयोजक व "राजस्थान एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका, कनाडा व कैलिफोर्निया के मीडिया चेयरमैन प्रेम भंडारी ने राज्य सरकार को राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए 17 सूत्री मांग पत्र भेजा है।
भंडारी ने अपने पत्र में सरकार से निम्नांकित सुझाव दिए हैं-
> मायड़ भाषा राजस्थानी को संविधान की 15 वीं अनुसूची में स्थान देने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा जाए।
> शिक्षा का अधिकार कानून के तहत राज्य की प्राथमिक शिक्षा का माध्यम राजस्थानी किया जाए।
> राजस्थानी भाषा शिक्षकों के खाली पदों को भरा जाए।
> आरपीएससी में अनिवार्य व ऐच्छिक के रूप में राजस्थानी शुरू की जाए।
> सरकारी खरीद में राजस्थानी की पुस्तकों का प्रतिशत तय किया जाए।
> सरकारी आयोजनों में राजवुड व अन्य राजस्थानी कलाकारों व कवियों को ही बुलाया जाए।
> रोडवेज की बसों पर पधारो सा व पधारो म्हारे देस जैसे वाक्य लिखे जाएं।
> राजस्थानी भाषा अकादमी को सिरमौर अकादमी घोषित किया जाए तथा इसका बजट 5 करोड़ किया जाए।
> राजस्थानी भाषा अकादमी के अध्यक्ष को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाए।
> राजस्थानी फिल्मों को मनोरंजन कर से मुक्त किया जाए।
> राजस्थानी फिल्मों को अनुदान दिया जाए तथा फिल्म शूटिंग की लोकेशन फ्री की जाए।
> सिनेमाघरों में सप्ताह में एक दिन राजस्थानी फिल्म दिखाना अनिवार्य किया जाए।
> राजस्थानी फिल्म डवलपमेंट कॉपरेरेशन का गठन किया जाए।
> सरकारी विभागों के विज्ञापन राजस्थानी में प्रसारित किए जाए।
> राजस्थानी में स्लेट परीक्षा शुरू की जाए।
> अध्यापक पात्रता परीक्षा में राजस्थानी भाषा को शामिल किया जाए।
> प्रदेश में योजनाओं व संस्थानों के नामकरण में राजस्थानी भाषा, साहित्य, संस्कृति एवं इतिहास से जुड़े महापुरुषों के नामों को ही प्राथमिकता दी जाए।
उन्होंने कहा कि कोई भी सरकार जनवाणी का सम्मान करके ही जनप्रिय बन सकती है।
राजस्थान राज्य कर अकादमी के गठन का मार्ग प्रशस्त
25 जून को राज्य कर अकादमी की स्थापना के लिए आवश्यक पदों के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री की मंजूरी प्राप्त हो गई। राजस्थान आवासन मंडल ने भी हाल ही में वाणिज्य कर विभाग को राजस्थान राज्य कर अकादमी की स्थापना के लिए ग्राम खटवाड़ा में 10 बीघा भूमि आवंटित करने का फैसला किया था। वाणिज्यिक कर विभाग के अधीन इस अकादमी के गठन की घोषणा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने बजट भाषण 2011-12 में की थी। यह अकादमी अधिकारियों की विशिष्ट प्रशिक्षण संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करेगी।
वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा इस अकादमी की स्थापना के लिए एक अतिरिक्त निदेशक (उपायुक्त), दो उपनिदेशक (सहायक आयुक्त) के पद सृजित करने का प्रस्ताव दिया था। कर अकादमी के लिए तीन कर सहायक एवं चार पद सहायक स्टाफ वाणिज्यिक कर विभाग के वर्तमान स्टाफ में से उपलब्ध कराए जाएंगे। साथ ही अकादमी के सुचारू संचालन के लिए दो किराए के वाहन उपलब्ध कराए जाएँगे।
निःशुल्क विधिक सहायता की आय सीमा में वृद्धि
मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने निःशुल्क विधिक सहायता प्राप्त करने के लिए आय सीमा में वृद्वि के प्रस्ताव को 27 जून को स्वीकृति प्रदान की। इसमें अब एक लाख रुपए की आय सीमा थी जिसे बढ़ा कर एक लाख 25 हजार किया गया है। इससे अब एक लाख 25 हजार रुपए वार्षिक आय वालों को निःशुल्क विधिक सहायता प्राप्त होगी।
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