Skip to main content

Posts

‘बंजरभूमि एटलस- 2019’ का पांचवां संस्‍करण प्रकाशित

‘बंजरभूमि एटलस- 2019’ का पांचवां संस्‍करण प्रकाशित क्यों आवश्यकता है बंजर भूमि एटलस की - देश में भूमि पर उसकी वहन करने की क्षमता से ज्‍यादा पड़ रहे अभूतपूर्व दबाव के परिणामस्‍वरूप भूमि का अवकर्षण हो रहा है। इसलिए, बंजरभूमि के बारे में सुदृढ़ भूस्‍थानिक सूचना महत्‍वपूर्ण समझी जाती है और विविध भू विकास योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से बंजरभूमि को उत्पादन संबंधी उपयोग में परिवर्तित करने में प्रभावी रूप से सहायता प्रदान करती है। इसी कारण बंजर भूमि एटलस के विकास की आवश्यकता महसूस की गयी।  बंजर भूमि एटलस की विशेषताएं - भारत सरकार के भू संसाधन विभाग ने अंतरिक्ष विभाग के राष्‍ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (NRSC) के सहयोग से भारत की बंजरभूमि एटलस - 2000, 2005, 2010 और 2011 संस्‍करणों का प्रकाशन किया है।  NRSC द्वारा 'भारतीय दूरसंवेदी उपग्रह डेटा' का उपयोग करते हुए बंजरभूमि का मानचित्रण ‘बंजरभूमि एटलस- 2019’ के पांचवें संस्‍करण के रूप में प्रकाशित किया गया है।  भारत में विश्‍व के कुल क्षेत्रफल का 2.4 प्रतिशत है, जो विश्‍व की 18 प्रतिशत आबादी को सहारा देता है।  भार

Current Affairs - November 2019

रजनीकांत को 'भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव की स्वर्ण जयंती' का विशेष आइकन पुरस्कार भारत सरकार ने प्रथम बार 'भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव की स्वर्ण जयंती के प्रतीक' के रूप में एक विशेष पुरस्कार का गठन किया है, इस पुरस्कार को प्रख्यात फिल्म अभिनेता श्री एस. रजनीकांत को प्रदान किया जाएगा। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने आज नई दिल्ली में इसकी घोषणा करते हुए कहा, “पिछले कई दशकों के दौरान भारतीय सिनेमा में उनके उत्कृष्ट योगदान को मान्यता देते हुए मुझे यह घोषणा करने में अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है कि भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव 2019 की स्वर्ण जयंती के आइकन का पुरस्का र फिल्म अभिनेता श्री श्री एस. रजनीकांत को प्रदान किया जा रहा है।” अपने लंबे और महत्वपूर्ण कैरियर में, रजनीकांत ने तमिल, तेलगु, कन्नड़, मलयालम, हिंदी और बंगाली सहित कई भाषाओं में 170 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया है। उन्होंने हॉलीवुड प्रोडक्शन, ब्लड स्टोन (1988) में भी अभिनय किया। भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण (2000) और पद्म विभूषण (2016) से सम्मानित कि

Gurunanak Peeth will be formed in Rajasthan University | राजस्थान विवि में बनेगी गुरुनानक पीठ

राजस्थान विवि में बनेगी गुरुनानक पीठ मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा है कि सिखों के पहले गुरू गुरूनानक देवजी का 550वां प्रकाश पर्व प्रदेश में पूरे उत्साह, उल्लास एवं व्यापक जनभागीदारी के साथ मनाया जाएगा। उन्होंने निर्देश दिए कि समाज में भाईचारे और सामाजिक समरसता का संदेश देने वाले गुरूनानक देवजी के इस प्रकाश पर्व पर सालभर कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। इसके लिए एक कार्य योजना बनाने के निर्देश भी प्रदान किए। गुरूनानक देव जी के संदेशों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए जैसलमेर जिले के पोकरण एवं कोटा के गुरूद्वारा श्री अगमगढ़ साहिब में विकास कार्य करवाएं जाए। साथ ही जयपुर स्थित राजस्थान विश्वविद्यालय में गुरूनानकजी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर शोध एवं अनुसंधान के लिए गुरूनानक पीठ की स्थापना की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरूनानक देव जी के जीवन दर्शन एवं गरीबों के उत्थान के लिए उनके द्वारा किए गए कार्यों से उन्हें लगातार प्रेरणा मिलती रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री निवास पर शबद कीर्तन का कार्यक्रम आयोजित किया जाए। साथ ही कला एवं संस्कृति विभाग की ओर से राजधानी जयप

Mukhymantri Yuva Koshal Yojna (MMYKY) - 'मुख्यमंत्री युवा कौशल योजना

मुख्यमंत्री युवा कौशल योजना -  रोजगारोन्मुख विशेष कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम ‘मुख्यमंत्री युवा कौशल योजना’ में 118 राजकीय महाविद्यालयों में कौशल दक्षता के 39 पाठ्यक्रम प्रारंभ होंगे।  कॉलेज शिक्षा आयुक्तालय एवं राजस्थान कौशल एवं आजीविका मिशन निगम के मध्य ‘मुख्यमंत्री युवा कौशल योजना’ हेतु हुआ एमओयू (सहमति पत्र) प्रदेश में ‘मुख्यमंत्री युवा कौशल योजना’ के तहत राज्य के 118 राजकीय महाविद्यालयों में कौशल दक्षता के 39 पाठ्यक्रम प्रारंभ किए जाएंगे। राजकीय महाविद्यालयों में अध्ययन करने वाले युवाओं के लिए देश की यह पहली ऎसी योजना है जिसमें युवाओं को पढाई के साथ-साथ रोजगारोन्मुख कौशल से जोड़ा जाएगा। प्रथम चरण में प्रदेश के 6000 विद्यार्थियों को इस योजना से जोड़कर लाभान्वित किया जाएगा। ‘मुख्यमंत्री युवा कौशल योजना’ के तहत युवाओं को पूर्णतः निःशुल्क प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। योजना के तहत आवेदन पत्र ''आयुक्तालय कॉेलज शिक्षा राजस्थान'' की वेबसाईट पर डाउनलोड के तहत उपलब्ध कराए गए हैं। महाविद्यालय अपने स्तर पर भी विद्यार्थियों को यह आवेदन पत्र निःशुल्क उपलब्ध

Rajasthan Oriental Research Institute (R.O.R.I.) राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर

राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर [Rajasthan Oriental Research Institute (R.O.R.I.)]  - पृष्ठभूमि कला और साहित्य के लिए राजस्थान के तत्कालीन रियासतों व राज्यों के शासकों का प्रश्रय व संरक्षण, वल्लभ व नाथ संप्रदायों के नैतिक व सक्रिय समर्थन, नए साहित्य के सृजन कार्यों एवं टीका को सीखने व लेखन के लिए नागौर तपगच्छ के जैन भिक्षुओं के समर्पण तथा पेंटिंग व स्क्रिबल कौशल की कला के लिए यतियों के समर्पण आदि ने प्रांत को मात्रा और गुणवत्ता दोनों में नवीन साहित्य की रचना करने या हजारों पांडुलिपियों की नकल करने के क्षेत्र में समृद्ध करने का मार्ग प्रशस्त किया है। स्वर्गीय हरप्रसाद सारदा (अजमेर) और पंडित के. माधव कृष्ण शर्मा (बीकानेर) ने पांडुलिपियों को सूचीबद्ध करने का कार्य शुरू किया, जबकि विद्वानों ने डी. आर. भंडारकर एवं इतालवी शिक्षाविद एल.पी. टेस्सीटरी न केवल राज्य की विशाल सांस्कृतिक विरासत के विशाल सर्वेक्षण का संचालन किया, बल्कि जयपुर से प्रकाशित काव्यमाला श्रृंखला के लिए समर्पित भाव से कार्य करने वाले विद्वानों को भी प्रेरित किया। स्वतंत्रता के भोर में, राजस्थान सरकार न