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राजस्थान राज्य आई.एल.डी. कौशल विश्वविद्यालय की अभिनव पहल - कराएगा समवर्ती कौशल पाठ्यक्रम

राजस्थान राज्य आई.एल.डी. कौशल विश्वविद्यालय की अभिनव पहल - कराएगा समवर्ती कौशल पाठ्यक्रम   जयपुर। राजस्थान राज्य आई.एल.डी. कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ललित के. पंवार की अध्यक्षता में सम्पन्न एकेडमिक कौंसिल ने ‘‘रेगुलेशन फॉर स्किल क्रेडिट सर्टिफिकेट‘‘ को स्वीकृति देते हुए कॉनकरन्ट स्किल कोर्सेस (समवर्ती कौशल पाठ्यक्रम) प्रारम्भ करने की सहमति दी है, जो राज्य के विभिन्न राजकीय विश्वविद्यालयों से जुड़े महाविद्यालयों में बी.ए., बी.एससी., बी.कॉम., बी.सी.ए., बी.बी.ए., बी.टेक. आदि पारम्परिक डिग्री कोर्सेस में अध्ययन कर रहे विद्यार्थियों के जीवन में बदलाव लाने और उन्हें रोजगार के क्षेत्र के लिए प्रेरित करने में सार्थक साबित होगें। ‘‘समवर्ती कौशल पाठ्यक्रमों‘‘ को राजस्थान राज्य आई.एल.डी. कौशल विश्वविद्यालय के विनियमों की मंजूरी के पश्चात स्नातक डिग्री की शिक्षा प्राप्त कर रहा कोई भी विद्यार्थी कौशल आधारित सर्टिफिकेट, डिप्लोमा व एडवांस डिप्लोमा कर सकता है। इसके लिए यह विश्वविद्यालय विद्यार्थी का अलग से कॉनकरन्ट एनरोलमेंट करेगा जिसके लिए माइग्रेशन सर्टिफिकेट की आवश्यकता

राजस्थान में शिल्प की अनूठी परंपरा से युक्त पांच दिवसीय शिल्प शाला

राजस्थान में शिल्प की अनूठी परंपरा से युक्त पांच दिवसीय शिल्प शाला सोमवार २४ जून को भारतीय शिल्प संस्थान और उद्यम प्रोत्साहन संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित पांच दिवसीय शिल्प शाला का उद्घाटन जयपुर के भारतीय शिल्प संस्थान परिसर में प्रदेश के जाने माने शिल्प गुरूओं और 150 से अधिक जिज्ञासुओं उपस्थिति में किया गया। 200 रुपये पंजीयन शुल्क को छोड़कर यह शिल्प शाला पूरी तरह निःशुल्क रखी गई।  पांच दिवसीय शिल्प शाला में निम्नांकित शिल्प गुरू द्वारा शिल्प की बारीकियों का प्रशिक्षण दिया जायेगा - कुंदन मीनाकारी के नेशनल अवार्डी सरदार इन्दर सिंह कुदरत मीनकारी में राज्य स्तरीय पुरस्कार प्राप्त प्रीति काला मिनिएचर पेंटिंग में नेशनल अवार्डी बाबू लाल मारोठिया लाख शिल्प में नेशनल अवार्डी ऎवाज अहमद मिट्टी के बर्जन/टेराकोटा में राधेश्याम व जीवन लाल प्रजापति ब्लू पॉटरी में संजय प्रजापत और गौपाल सैनी ज्वैलरी वुडन क्राफ्ट में भावना गुलाटी हाथ ठप्पा छपाई में नेशनल अवार्डी संतोष कुमार धनोपिया हैण्ड ब्लॉक प्रिंटिंग में नेशनल अवार्डी अवधेश पाण्डेय पेपरमैशी में सुमन सोनी

राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष एवं राज्यसभा संसद श्री मदन लाल सैनी का निधन

राजस्थान भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष एवं राज्यसभा संसद श्री मदन लाल सैनी का फेफड़ों में संक्रमण के कारण नई दिल्ली में निधन हो गया। 75 वर्षीय श्री मदन लाल सैनी की पिछले कई दिनों से सेहत खराब थी तथा इसी के चलते उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था, जहां 24 जून को उनका आज निधन हो गया। ज्ञातव्य है कि श्री मदन लाल सैनी को पिछले साल जून में ही राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष के रूप में चुना गया था। उस वक्त के अध्यक्ष श्री अशोक परनामी के पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने बाद पार्टी में हुए ढाई महीने तक के गहन मंथन के बाद आखिर में मदन लाल सैनी को पार्टी अध्यक्ष बनाने पर सहमति बनी थी। 1952 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक से जुड़े श्री सैनी जनसंघ के समय से ही राजनीति में सक्रिय रहे हैं। उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (एबीवीपी) के प्रदेश मंत्री का पद भी संभाला था। विद्यार्थी यूनियन, श्री कल्याण कालेज, सीकर के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। वे 1990 में झुंझुनूं जिले के उदयपुरवाटी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे हैं तथा तथा 1991 व 1996 में लोकसभा में भाजपा के झुंझु

सरसों अनुसंधान केंद्र सेवर भरतपुर (सरसों अनुसंधान निदेशालय सेवर भरतपुर)

भाकृअनुप - सरसों अनुसंधान निदेशालय, सेवर (भरतपुर) Rapeseed Mustard Research Directorate Sewar Bharatpur    ICAR-Directorate of Rapeseed-Mustard Research (Indian Council of Agricultural Research) Sewar, Bharatpur 321303 (Rajasthan), India     कब हुई 'राष्ट्रीय सरसों अनुसन्धान केंद्र' की स्थापना -   इतिहास- देश में तिलहनों में सुधार करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा अप्रैल, 1967 में ''अखिल भारतीय तिलहन समन्वित अनुसंधान परियोजना (AICRPO)'' की स्थापना की गई थी।  पांचवीं योजना (1974-79) में तिलहनों, विशेष रूप से राई-सरसों पर अनुसंधान कार्यक्रम को और भी सुदृढ़ बनाया गया।  तद्नुसार, 28 जनवरी 1981 को हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में राई-सरसों के लिए प्रथम परियोजना समन्वय इकाई की स्थापना की गई।  सातवीं योजना (1992-97) के दौरान, भा.कृ.अनु.प. ने 1990 में गठित कार्यबल की सिफारिश के आधार पर राज्य कृषि विभाग, राजस्थान सरकार के ''अनुकूलन परीक्षण केन्द्र, सेवर, भरतपुर'' में राई-सरसों पर आधारभू

Sugar Industries in Rajasthan - जानिए कहाँ है राजस्थान में चीनी उद्योग

Sugar Industries in Rajasthan -  जानिए कहाँ है राजस्थान में चीनी उद्योग चीनी उद्योग कृषि‍ आधारित एक महत्‍वपूर्ण उद्योग है जिससे गांवों में लगभग 50 मिलियन गन्‍ना किसानों को आजीविका मिलती है और इसमें लगभग 5 लाख कामगारों को चीनी मिलों में सीधे रोजगार मिला हुआ है।  इसके साथ ही चीनी उद्योग से जुडे विविध सहायक कार्यों जैसे परिवहन, व्‍यापार , मशीनरी की सर्विसिंग तथा कृषि आदानों की आपूर्ति से जुड़ी गतिविधियों में भी रोजगार सृजित होते हैं।  भारत विश्‍व में ब्राजील के बाद दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्‍पादक देश है और चीनी की सबसे अधिक खपत वाला देश भी है।  आज भारतीय चीनी उद्योग का वार्षिक उत्‍पादन लगभग 80,000 करोड़ रूपए मूल्‍य का है। 31.01.2018 की स्‍थिति के अनुसार देश में इस समय 735 चीनी मिलें स्‍थापित हैं जिनकी पेराई क्षमता लगभग 340 लाख टन चीनी उत्‍पादन की है।  इस क्षमता को मोटे तौर पर निजी क्षेत्र की तथा सहकारिता क्षेत्र की यूनिटों में बराबर विभाजित किया गया है। राजस्थान में सर्वप्रथम 1932 में चित्तौड़गढ़ जिले के भोपाल सागर में 'दी मेवाड़ शुगर मिल्स' चीनी मिल क

Rajasthani Traditional Dress Female Chundar or Chundari - राजस्थान की स्त्री वेशभूषा-चूंदड़ या चूंदड़ी

राजस्थान की स्त्री वेशभूषा-चूंदड़ या चूंदड़ी लाल रंग में रंगी विशेष प्रकार की ओढ़नी चूंदड़ या चूंदड़ी कहलाती है। यह ढाई गज लम्बी और पौने दो गज चौड़ी होती है। इसमें विशेष रूप से बंधेज की छोटी-छोटी बिन्दियों से भांति-भांति के अलंकरण किए जाते हैं। इसे चूनरी, बदांगर, कोसनिया आदि नामों से जाना जाता है। राजस्थानी संस्कृति में चूंदड़ का अत्यंत महत्व है। लगभग सभी मांगलिक अवसरों पर इसका प्रयोग होता है। यह सुहागिन स्त्रियों द्वारा विशेष रूप से पहनी जाती है। विवाह में अपने ननिहाल से प्राप्त चूंदड़ी पहनकर वधू सात फेरों को पूर्ण करती हैं, कुछ स्थानों पर यह चूंदड़ी ससुराल पक्ष से पहनाई जाती है। लड़की जब पीहर से ससुराल जाती है तब देहरी पूजते समय चूंदड़ धारण करती है। विवाह के बाद वर्ष भर किसी भी शुभ आयोजन या त्यौहार पर उन्हें वही चूंदड़ी पहनकर विभिन्न रस्मों या पूजा का निर्वाह करना होता है।  विवाह के पश्चात पहली गणगौर पर नववधू को सिंजारे के दिन अपने ससुराल से विशेष चूंदड़ पहनाई जाती है, जिसे पहनकर वह गणगौर की पूजा करती हैं। बहन के बच्चों के विवाह के समय "भात" रस्म में भी भाई अपनी बहन को चूंदड़

राजस्थान की योजनाएँ - Kailsah Mansarovar Yatra Yojna of Devesthan Depatment Rajasthan

देवस्थान विभाग की कैलाश मानसरोवर दर्शन यात्रा योजना  Kailsah Mansarovar Yatra Yojna of Devesthan Depatment Rajasthan क्या है योजना का नाम-   कैलाश मानसरोवर यात्रा हेतु श्रद्धालुओं को सहायता योजना कब प्रारंभ हुई थी ये योजना - 1 अप्रैल 2011 से क्या है योजना का उद्देश्य - योजना का उद्देश्य विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के माध्यम से कैलाश मानसरोवर की यात्रा सफलतापूर्वक सम्पन्न करने वाले राजस्थान के स्थाई मूल निवासी श्रद्धालुओं को रुपये 1,00,000/- (अक्षरे एक लाख रुपये) प्रति यात्री की सहायता प्रदान करना। कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्रा का संक्षिप्त परिचय- जिन धार्मिक मान्यताओं और सांस्कृतिक महत्व के कारण कैलाश मानसरोवर की यात्रा जानी जाती है, वे अनेक धर्मों तक व्यापक है। हिन्दू परंपरा के अनुसार यह भगवान महादेव शिव का निवास स्थान भी है और मिथकों का सुमेरु एवं स्वर्गीय कल्पना का सेतु भी है। कैलाश पर्वत पर ही जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव ( 'भगवान आदिनाथ') ने अपना मोक्ष पाया था। तिब्बत अपने आप में बौद्ध धर्म