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कुसुम योजना की फर्जी वेबसाइटों से रहे सावधान- सरकार ने कहा

सरकार की कुसुम योजना के आवेदन की फर्जी वेबसाइटों से सावधान रहने की आम सूचना : किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (कुसुम) योजना के तहत पंजीकरण के लिए धोखाधड़ी करने वाली वेबसाइटों से सावधान रहे- भारत सरकार ने हाल ही में किसानों के लिए सौर पंप लगाने और सौर ऊर्जा संयंत्र को ग्रिड से जोड़ने से संबंधित कुसुम योजना को लागू किया है। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने 08 मार्च, 2019 को योजना की प्रशासनिक स्‍वीकृति दी। वि़द्युत वितरण कंपनियां (डिस्‍कॉम) और राज्‍य की नोडल एजेंसियों को इस योजना के कार्यान्‍वयन की जिम्‍मेदारी सौंपी गई है। इसके लिए विस्‍तृत दिशा-निर्देश शीघ्र ही जारी किये जाएंगे। भारत सरकार ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करके बताया कि सरकार के संज्ञान में आया है कि कुछ वेबसाइटें स्वयं को कुसुम योजना के लिए पंजीकरण पोर्टल होने का झूठा दावा कर रही है। ऐसी वेबसाइटें आम लोगों को धोखा दे रही हैं और जाली पंजीकरण पोर्टल के सहारे जमा किये गये आंकड़ों का दुरूपयोग कर रही है। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने विज्ञप्ति में किसानों एवं आम लोगों को सलाह

Defence Laboratory, Jodhpur (DLJ) - रक्षा प्रयोगशाला जोधपुर (डीएलजे)

डीआरडीओ की जोधपुर स्थित रक्षा प्रयोगशाला- मरुस्थल में पर्यावरणीय स्थिति से संबंधित समस्याओं और रेगिस्तानी युद्धों पर उनके प्रभाव से संबंधित समस्याओं से निपटने के लिए रक्षा प्रयोगशाला जोधपुर (डीएलजे) को मई 1959 में स्थापित किया गया था। यह प्रयोगशाला भारत के रक्षा मंत्रालय के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ( Defence Research & Development Organisation- DRDO) की 50 प्रयोगशालाओं में से एक है।  इस प्रयोगशाला के लिए आवंटित प्रारंभिक चार्टर  निम्न क्षेत्र में लागू अनुसार बुनियादी अनुसंधान। भौतिकी अध्ययन। रेडियो तरंग प्रसार अध्ययन। सौर ऊर्जा अनुसंधान। इसके अलावा उन हथियारों और उपकरणों पर क्षेत्र परीक्षण करना जो नए डिजाइन के हों या देश में विकसित किए गए हों या आयातित जानकारी के साथ स्वदेश में उत्पादित किए जा रहे हों। बाद में, प्रयोगशाला के विस्तार के साथ, कर्तव्यों के चार्टर में निम्नलिखित अन्य गतिविधियों को जोड़ कर इसे समृद्ध किया गया- परिचालनात्मक अनुसंधान मरुस्थल में छलावरण मरुस्थल में इलेक्ट्रानिक्स और संचार मरुस्थल में पानी की समस्या मरुस्थल में प

जाने राजस्थान में कहाँ नहीं खेलते हैं धुलेंडी बल्कि मनाया जाता है डूडू महोत्सव

यहाँ नहीं खेलते हैं धुलेंडी बल्कि मनाते हैं डूडू महोत्सव यूँ तो होली के दूसरे दिन प्रत्येक गांव शहर में धुलेंडी के का उत्सव मनाया जाता है किंतु राजस्थान में सीकर जिले का एक गांव ऐसा भी है, जहां होली के दूसरे दिन धुलंडी नहीं बल्कि डूडू महोत्सव मनाया जाता है। ये है राजस्थान के सीकर जिले के नीमकाथाना में स्थित गणेश्वर गांव , जहां पर होली के दूसरे दिन डूडू महोत्सव मनाया जाता है। यहां यह माना जाता है कि विक्रम संवत 1444 में बाबा रायसल ने उजड़े हुए गांव गणेश्वर के रूप में बसाया था। इसी दिन बाबा रायसल महाराज का राजतिलक हुआ था। डूडू महोत्सव के दौरान मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें 25 गांवों के लोग भाग लेते है तथा रायसल महाराज की पूजा करते हैंं। यह परम्परा तकरीबन 500 सालो से चली आ रही है। होली के दूसरे दिन सुबह से ही ग्रामीण नए कपड़े पहन कर हाथों में तलवार व झॉकियाँ सजाकर रायसल महाराज के मंदिर पहुंचते है और उनकी ग्राम देवता के रूप में पूजा करते हैं। इसके बाद दोपहर को डूडू मेले का आयोजन होता है, जिसमें निशानेबाजी, ऊंट दौड़, कुश्ती, दंगल जैसी कई प्रतियोगिताएं होती है। पूर्णि

What Is a Supernova- क्या होता है सुपरनोवा

क्या होता है सुपरनोवा- एक तारे के अत्यंत तेज विस्फोट को सुपरनोवा कहते हैं। यह अंतरिक्ष मे होने वाला सबसे बड़ा विस्फोट होता है। कहाँ होता है सुपरनोवा? सुपरनोवा सामान्यतः अन्य आकाशगंगाओं में होता है, किन्तु हमारी मिल्की वे आकाश गंगा में सुपरनोवा को देखना मुश्किल होता है क्योंकि धूल के कारण हमारी दृष्टि अवरुद्ध होती है। जोहानस केप्लर ने 1604 ई में हमारी मिल्की वे आकाशगंगा में देखे गए अंतिम  सुपरनोवा को खोजा था। नासा के चंद्रा टेलिस्कोप द्वारा एक अन्य ताजा सुपरनोवा के अवशेषों को खोजा था जो लगभग 100 वर्ष पहले हमारी आकाशगंगा में विस्फोटित हुआ था। सुपरनोवा क्यों होता है? तारे के कोर या केंद्र में परिवर्तन होने के कारण सुपरनोवा उत्पन्न है। यह परिवर्तन दो प्रकार से हो सकता है जिनके कारण सुपरनोवा जन्म लेता है।  1. प्रथम प्रकार का सुपरनोवा " द्वि तारा या जुड़वाँ तारों " के तंत्र में घटित होता है। द्वितारा या बाइनरी स्टार्स दो तारों का समूह होता है जो एक ही केंद्र के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। इनमें से एक " कार्बन ऑक्सीजन श्वेत वामन तारा " अ

रसोई उत्सव में दौसा के डोवठा ने मारी बाजी दीपाली जैन रसोई क्विन और शौर्य पंडित बने यंग शैफ

रसोई उत्सव में दौसा के डोवठा ने मारी बाजी दीपाली जैन रसोई क्विन और शौर्य पंडित बने यंग शैफ जयपुर,17 मार्च। जल महल के सामने राजस्थान हाट पर चल रहें ‘रसोई 2019ः स्वाद राजस्थान का‘ उत्सव में परंपरागत मिठाइयों में दौसा के डोवठा ने बाजी मारी वहीं रसोई क्वीन का खिताब दीपाली जैन ने जीता और यंग शैफ में शौर्य पंडित ने बाजी मारी। उद्योग आयुक्त डॉ. के के पाठक और राजस्थान खाद्य व्यापार संघ के अध्यक्ष श्री बाबू लाल गुप्ता ने विभिन्न श्रेणियों में श्रेष्ठ स्टॉल और व्यंजन प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृृत किया। आयुक्त डॉ. पाठक ने रसोई 2019 ः स्वाद राजस्थान का उत्सव के प्रति जयपुरवासियों के जोरदार उत्साह, अपार सहभागिता और स्नेह पर आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह एक अभिनव और अनूठा उत्सव रहा है। उन्होंने कहा कि विभाग ने इस उत्सव में प्रदेश के परंपरागत मिठाई-व्यंजनों के साथ ही मसाले और पात्र उपलब्ध कराने की पहल की। डॉ. पाठक ने प्रतियोगिता के विजेताओं और प्रतिभागियों का भी आभार जताया। राजस्थान खाद्य व्यापार संघ के अध्यक्ष श्री बाबूलाल गुप्ता ने आयोजन को अद्वितीय और अद्भुत बता

gangaur festival of rajasthan राजस्थान गणगौर पर्व

The most colorful festival in Rajasthan is Gangaur -  सबसे रंगारंग है राजस्थान का गणगौर का त्यौहार राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक एवं सामाजिक परंपराओं में कई ऐसे त्यौहार प्रचलित हैं, जो विशेष रूप से यहीं मनाए जाते हैं। गणगौर उन्हीं त्यौहारों में से एक है। गणगौर सुख संपत्ति एवं सौभाग्य प्राप्ति का त्यौहार है । कुंआरी कन्याएं अच्छे पति की प्राप्ति के लिए और विवाहित स्त्रियां पति के स्वस्थ और दीर्घायु जीवन की कामना करती हुई सोलह श्रृंगार कर व्रत रखकर यह त्यौहार मनाती हैं। राजस्थान के इन व्रत एवं त्योहारों में गणगौर का विशेष महत्त्व है । राजस्थान में यह त्यौहार आस्था, प्रेम और पारिवारिक सौहार्द का महाउत्सव है।  गणगौर राजस्थान एवं सीमावर्ती मध्य प्रदेश का एक त्यौहार है जो चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की तीज को मनाया जाता है । सामान्यत: गणगौर के त्यौहार मेँ शिव-पार्वती के रूप में ईसरजी और गणगौर की काष्ठ प्रतिमाओं का पूजन किया जाता है । मान्यता है कि शिव जी से विवाह के बाद जब देवी पार्वती (माता गणगौर या  गवरजा) पहली बार मायके आई थीं तब उनके आगमन की खुशी में स्त्रियां यह त्यौहार