Skip to main content

Posts

Showing posts with the label लोक देवता

वीर तेजाजी की स्मृति में डाक टिकट जारी

केन्द्रीय संचार एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री सचिन पायलट ने 7 सितंबर को नागौर जिले के खरनाल में वीर तेजाजी की स्मृति में जारी डाक टिकट का रिमोट दबा कर विमोचन किया। इस अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देश का इतिहास बड़ा गौरवमयी रहा है। यहां भाषा, खान-पान, रहन-सहन और अन्य प्रकार की विविधताएं होने के बावजूद पूरा देश एकता रूपी माला में बंधा हुआ है। हमारे लोक देवता तथा लोकसंत लाखों-करोड़ों देशवासियों की भावनाओं से जुड़े हैं तथा आस्था के प्रतीक हैं। प्रत्येक गाँव तथा ढाणी में उन्हें श्रद्धा की भावना से पूजा जाता है। केन्द्र सरकार द्वारा जनता की इसी आस्था के सम्मान करते लिए वीर तेजा जी पर डाक टिकट जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि डाक टिकट विमोचन के बाद वीर तेजाजी की कीर्ति और वीरता की गाथा पूरी दुनिया जान पाएगी।

राजस्थान सामान्य ज्ञान क्विज-
8 जुलाई 2011

1. प्रसिद्ध संत मीराबाई किस लोकदेवता की बुआ थी? अ. बाबा रामदेव जी ब. कल्ला जी स. देवनारायण जी द. भूरिया बाबा उत्तर- ब 2. सेना के जवानों की देवी किसे कहते हैं? अ. आई माता, बिलाड़ा ब. सकराय माता, झुंझुनूं स. तनोट माता, जैसलमेर द. ज्वाला माता, जोबनेर उत्तर- स 3. किस लोक देवता की गाड़ी की पूजा की जाती है? अ. बिग्गाजी ब. मामादेव जी स. मेहाजी माँगलिया द. हरभू जी उत्तर- द 4. निम्न में से पंच पीरों में शामिल नहीं है- अ. रामदेव जी ब. मामादेव जी स. मेहाजी माँगलिया द. हरभू जी उत्तर- ब 5. हर्षनाथ भेरु का स्थान किस जिले में है जहाँ प्रतिवर्ष भादवा शुक्ल तेरस को मेला लगता है? अ. जैसलमेर ब. सीकर स. अलवर द. उदयपुर उत्तर- ब 6. किस लोक देवी का प्रतीक चिह्न जैसलमेर के राज्य चिह्न में बना है? अ. नागणेची माता ब. ज्वाला माता स. तनोट देवी द. स्वांगिया देवी उत्तर- द 7. नरहड़ के पीर की दरगाह किस शहर में है? अ. जावरा ब. चिड़ावा स. कपासन द. पीपासर उत्तर- ब 8. दाऊदी बोहरा समुदाय का प्रमुख तीर्थ स्थल है- अ. कपासन ब. अजमेर स. गलियाकोट द. चिड़ावा उत्तर- स 9. दादू संप्रदाय

लोक देवता हरभू जी 'बेंगटी' { फलौदी }

वीर पुरुष एवं योगी संत हरभू जी की गणना राजस्थान के 'पंच पीर' में की जाती है। जोधपुर री ख्यात, नैणसी री ख्यात, मारवाड परगना री विगत आदि पुस्तकों के अनुसार वीर हरभू जी जोधपुर के संस्थापक राव जोधा के समकालीन थे तथा वे नागौर जिले के भूंडेल के शासक महाराजा सांखला के पुत्र थे। हरभू जी एक वीर योद्धा थे। अपने पिता की मृत्यु के पश्चात वे फलौदी में रहने लगे। यहाँ उन्होंने बाबा रामदेवजी के प्रेरणा से शस्त्र त्याग कर संत योगी बालीनाथ जी से दीक्षा प्राप्त की। कहा जाता है कि हरभू जी ने मेवाड़ के आधिपत्य से मंडोर को मुक्त कराने के लिए राव जोधा को अपने आशीर्वाद के साथ एक कटार भेंट की थी। इस कार्य के पूरा हो जाने पर राव जोधा ने इन्हें फलौदी के पास बेंगटी गाँव अर्पित कर श्रद्धा भक्ति एवं कृतज्ञता प्रकट की। हरभू जी संत योगी और वीर योद्धा दोनों ही थे। वे उपदेश एवं आशीर्वाद देने के साथ साथ योग्य पात्रों व शरणागत व्यक्ति की अपने भाले से रक्षा भी करते थे। हरभू जी शकुन शास्त्र के ज्ञाता एवं वचन सिद्ध महापुरुष थे। उन्हें चमत्कारी संत माना जाता था। उनके आशीर्वाद से लोगों को दुःखों से राहत प्राप्त होती

लोक देवता वीर कल्ला जी राठौड़

लोक देवता कल्ला जी राठौड़ का जन्म विक्रम संवत 1601 में दुर्गाष्टमी को नागौर जिले के मेड़ता शहर में हुआ था। वे मेड़ता रियासत के राव जयमल राठौड़ के छोटे भाई आस सिंह के पुत्र थे। भक्त कवयित्री मीराबाई इनकी बुआ थी। इनका बाल्यकाल मेड़ता में ही व्यतीत हुआ लेकिन बाद में वे चित्तौड़ दुर्ग में आ गए। वे अपनी कुल देवी नागणेचीजी माता के भक्त थे। कल्ला जी प्रसिद्ध योगी संत भैरव नाथ के शिष्य थे। माता नागणेची की भक्ति के साथ साथ वे योगाभ्यास भी करते थे। कल्लाजी ने औषधि विज्ञान की शिक्षा भी प्राप्त की थी। ये चार हाथों वाले देवता के रूप में प्रसिद्ध है। इनकी मूर्ति के चार हाथ होते हैं। इनकी वीरता की कथा बड़ी प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि सन 1568 में अकबर की सेना ने चितौड़ पर कब्जा करने के लिए किले को घेर लिया। लम्बे समय तक सेना जब दुर्ग को घेरे रही तो किले के अंदर की सारी रसद समाप्त हो गई। तब सेनापति जयमल राठौड़ ने केसरिया बाना पहन कर शाका करने तथा क्षत्राणियों ने जौहर करने का निश्चय किया। फिर क्या था, किले का दरवाजा खोल कर चितौड़ की सेना मुगलों पर टूट पड़ी। युद्ध में सेनापति जयमल राठौड़ पैरों में घाव होने से घ

Devnarayan ji, the deity of Gurjars गुर्जरों के आराध्य लोक देवता देवनारायण जी

लोक देवता देवनारायण जी या देवजी Rajasthan Study- राजस्थान के लोकदेवता : देवनारायण जी Rajasthan ke Lokdevata devnarayan ji देवजी का जन्म - राजस्थान के लोक देवता देवनारायण जी Rajasthan ke Lokdewata devnarayan ji का जन्म सन् 1243 के लगभग माघ शुक्ला छठ को बगड़ावत महाभारत के नायक पिता गुर्जर वीर भोजा (सवाई भोज) और माता साडू देवी खटाणी के घर मालासेरी की डूंगरी, आसीन्द (भीलवाड़ा) में हुआ था। इनका जन्म का नाम उदयसिंह (ऊदल जी) था। पिता भोजा इनके जन्म से पूर्व ही भिनाय के शासक से युद्ध करते हुए अपने 23 भाइयों सहित मारे गए थे। भिनाय के शासक से इनकी रक्षा करने के लिए इनकी माता इन्हें अपने पीहर मालवा लेकर चली गई, वहीं ननिहाल में इनकी परवरिश हुई। इन तथ्यों की पुष्टि 'मारवाड़ राज की पर्दुशमारी रिपोर्ट' तथा बीकानेर संग्रहालय में संरक्षित ग्रंथ 'अथ वात देवजी बगड़ावत री' से होती है। बड़े होकर देवजी गायों की रक्षा करने तथा अपने पूर्वजों की मौत का प्रतिशोध लेने भिनाय गए। वहाँ उनका भिनाय के शासक से भयंकर संघर्ष हुआ। इस युद्ध में उन्होंने उसे मौत के घाट उतार दिया एवं गायों

लोक देवता वीर तेजाजी परबतसर नागौर

लोक देवता तेजाजी का जन्म नागौर जिले में खड़नाल गाँव में ताहरजी (थिरराज) और रामकुंवरी के घर माघ शुक्ला, चौदस संवत 1130 यथा 29 जनवरी 1074 को जाट परिवार में हुआ था। उनके पिता गाँव के मुखिया थे। यह कथा है कि तेजाजी का विवाह बचपन में ही पनेर गाँव में रायमल्जी की पुत्री पेमल के साथ हो गया था किन्तु शादी के कुछ ही समय बाद उनके पिता और पेमल के मामा में कहासुनी हो गयी और तलवार चल गई जिसमें पेमल के मामा की मौत हो गई। इस कारण उनके विवाह की बात को उन्हें बताया नहीं गया था। एक बार तेजाजी को उनकी भाभी ने तानों के रूप में यह बात उनसे कह दी तब तानो से त्रस्त होकर अपनी पत्नी पेमल को लेने के लिए घोड़ी 'लीलण' पर सवार होकर अपनी ससुराल पनेर गए। रास्ते में तेजाजी को एक साँप आग में जलता हुआ मिला तो उन्होंने उस साँप को बचा लिया किन्तु वह साँप जोड़े के बिछुड़ जाने कारण अत्यधिक क्रोधित हुआ और उन्हें डसने लगा तब उन्होंने साँप को लौटते समय डस लेने का वचन दिया और ससुराल की ओर आगे बढ़े। वहाँ किसी अज्ञानता के कारण ससुराल पक्ष से उनकी अवज्ञा हो गई। नाराज तेजाजी वहाँ से वापस लौटने लगे तब पेमल से उनकी प्रथम भें

लोक देवता पाबूजी और बाबा रामदेव जी

राजस्थान के प्राचीन लोक जीवन में कुछ ऐसे व्यक्तित्व हुए है जिन्होंने लोक कल्याण के लिए अपना जीवन तक दाँव लगा दिया और देवता के रूप में सदा के लिए अमर हो गए। इन लोक देवताओं में कुछ को पीर की संज्ञा दी गई है। एक जनश्रुति के अनुसार राजस्थान में पांच पीर हुए हैं, जिनके नाम पाबूजी, हड़बूजी, रामदेवजी, मंगलिया जी और मेहा जी है। इस जनश्रुति का दोहा इस प्रकार है- पाबू, हड़बू, रामदे, मांगलिया, मेहा। पांचो पीर पधारज्यों, गोगाजी जेहा ॥ इन्हें 'पंच पीर' भी कहा जाता है। लोक देवता पाबूजी का जन्म संवत 1313 (1239 ई.) में जोधपुर जिले में फलौदी के पास कोलूमंड गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम धाँधल जी राठौड़ था जो मारवाड़ के राव आसथान के पुत्र थे। वे एक दुर्ग के दुर्गपति थे। पाबूजी का विवाह अमरकोट के सोढ़ा राणा सूरजमल की पुत्री के साथ तय हुआ। वीर पाबूजी राठौड़ ने अपने विवाह में फेरे लेते हुए सुना कि उनके बहनोई श्री जींदराव खींची एक अबला स्त्री देवल चारणी की गाएँ हरण कर ले जा रहे हैं। उन्होँने उस महिला को उसकी गायों की रक्षा का वचन दे रखा था। गायों के अपहरण की बात सुनते ही वे आधे