अपनी जान की परवाह किए बगैर दूसरों की जान बचाने वाले 23 बच्चों को इस साल राष्ट्रीय बाल वीरता पुरस्कार प्राप्त हुआ। इनमें राजस्थान की चंपा कंवर और श्रवण कुमार (6 साल) भी शामिल हैं। श्रवण यह पुरस्कार पाने वाले बच्चों में सबसे कम उम्र का है, जबकि चंपा को यह पुरस्कार चंपा को मरणोपरांत मिला। पुरस्कार पाने वाले बच्चों में नौ लड़कियां व 14 लड़के हैं। ये पुरस्कार भारतीय बाल कल्याण परिषद द्वारा दिए जाते हैं जिसकी वर्तमान अध्यक्ष गीता सिद्धार्थ है। राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार की शुरूआत भारतीय बाल कल्याण परिषद ने उन बच्चों को पहचान दिलाने के उद्देश्य से किया था जो उत्कृष्ट वीरता का परिचय देकर दूसरों का जीवन बचाते हैं। वर्ष 1957 में पहली बार दो बच्चों को यह पुरस्कार दिया गया था। नवम्बर 2009 में राजस्थान की छह वर्षीय चम्पा कंवर ने अपने गाँव में अपनी झोपडी में लगी आग में घिरी अपनी बहन को बचाने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी। हालांकि इस प्रयास के बावजूद वह अपनी सात वर्षीय बहन और स्वयं का जीवन नहीं बचा सकी।
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