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देवका (बाड़मेर) के पुरातात्विक महत्व के प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर समूह

देवका सूर्यमंदिर, बाड़मेर राजस्थान के सीमावर्ती बाड़मेर जिले के बाड़मेर-जैसलमेर मार्ग पर देवका गांव में 12 वीं शताब्दी का जीर्ण-शीर्ण ऐतिहासिक सूर्य मंदिर एवं अन्य प्राचीन मंदिरों का समूह स्थित है। बाड़मेर से करीब 72 मील दूर देवका के इस प्राचीन सूर्यमंदिर का राजस्थान के पुरातत्व में महत्वपूर्ण स्थान है। देवका के मंदिर समूह में सूर्य मंदिर के अतिरिक्त शिव, कुबेर और विष्णु के मंदिर भी विद्यमान हैं। सूर्य पूजा के प्राचीन महत्व को दर्शाने वाले यहाँ के पूर्वाभिमुख शिखरवाले सूर्य मंदिर के अंदर गर्भगृह बना है तथा आगे सभामंडप बना हुआ है। सभामंडप के उत्तर और दक्षिण में अत्यंत सुंदर गोख व मकर तोरण निर्मित हैं।  सभामंडप के एक स्तम्भ पर संवत 1631 फाल्गुन सुदी 7 और बाईं ओर संवत 1674 के लेख उकेरे गए हैं। मंदिर के मूल गंभारे पर द्वारपालिका, सूर्य स्थानक पत्रलता, सूर्य तथा द्वारपाल की मूर्तियाँ उकेरी हुई हैं। इन आकृतियों के कारण इस सूर्य मंदिर को सिद्ध माना जाता है। इस सूर्य मंदिर के शिखर पर छोटे-छोटे छिद्र हैं और इसे छोटी-छोटी पट्टिकाओं को जोड़ कर बनाया गया है। शिखर के ऊपर गोलाकार पत्थ

Rajasthan Education - State Institute of Hotel Management, Jodhpur स्टेट इंस्टिट्यूट ऑफ होटल मैनेजमैंट, जोधपुर

State Institute of Hotel Management, Jodhpur  स्टेट इंस्टिट्यूट ऑफ होटल मैनेजमैंट, जोधपुर The Institute was first established as Food Craft Institute in the year 1996 was upgraded to the Institute of Hotel Management in the year 2001. It is setup by the Department of Tourism, Govt. of Rajasthan and affiliated with the National Council for Hotel Management Catering Technology and Applied Nutrition, NOIDA, an apex body under the ministry of Tourism, Govt. of India. It is situated in the heart of Suncity having 6.5acre of sprawling campus with separate girls and boys hostel and indoor & outdoor sports facility. Besides, there are three Kitchens, one Restaurant, Library, Guest Room, Conference Room, Training Bar, Front Office, House Keeping and Computer Lab, Hostel Facility. IHM, Jodhpur offers most comprehensive professional programs where students are trained in the field of hospitality operation and administration are groomed to be the leader to take up the mantle of the

Industry GK- felt or numdah of Rajasthan - राजस्थान का नमदा उद्योग

  राजस्थान का नमदा उद्योग - नमदा मूल नाम ''नमता'' शब्द से आता है, जो एक संस्कृत शब्द है और इसका मतलब 'ऊनी चीजें' हैं। नमदा भेड़ की ऊन से बनता है। नमदा को ऊनी गलीचा या चटाई कहा जा सकता है। नमदे की लोकप्रियता का मुख्य कारण यह भी है कि यह गलीचे के मुकाबले अत्यंत सस्ता होता है। नमदों की उत्कृष्ट कलाकृतियों की थीम अद्वितीय विषयों से युक्त फूलों, पत्तियों, कलियों और फलों के विभिन्न पैटर्न पर आधारित होते हैं। राजस्थान का टोंक शहर देश व विदेश में नमदों के शहर के रूप में विख्यात है। इसी कारण  टोंक को नमदो का शहर या नमदा नगरी भी कहा जा सकता है। गुणवत्ता के कारण टोंक के नमदे की मांग भारत में ही नहीं वरन विदेशों तक में है। ऐसा माना जाता है कि टोंक जिले के नमदा क्लस्टर में सामूहिक रूप से 500 से अधिक कारीगर और श्रमिक का निर्माण कार्य में संलग्न हैं। जिला उद्योग केंद्र, टोंक कार्यालय में नमदा आधारित शिल्प में नमदा निर्माण के लगभग 40 सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यम (एमएसएमई) पंजीकृत हैं, जिनमें से कुछ गैर कार्यात्मक को छोड़कर, शेष नमदा के सक्रिय विनिर्माण और व्यापार

rajasthani ornaments- Ear ornaments - राजस्थान में कान में पहने जाने वाले आभूषण -

राजस्थान में पहने जाने वाले कर्ण आभूषण -  बेडला, लेर, ओगनियां, झुतना और जुबी: बेडला गोल या लंबा दोनों होता है और कान के ऊपरी भाग में पहना जाता है। शादीशुदा महिलाएं दो या तीन बेडले एक साथ पहनती है। बेडला हुक के साथ छोटे तार होते हैं, जो अंतिम सिरे पर दिल के आकार के रूप में समाप्त होता है। कुछ थोड़े से बेडला के बदलाव कारण इसे लेर, ओगनियां, झुतना और जुबी के नाम से भी जाना जाता है। कानों के ऊपरी हिस्से पर पहना जाने वाला पान के पत्ते की आकृति के समान सोने में चांदी का आभूषण ओगनिया कहलाता है। Bedla:  The bedla is both round or lengthy and is worn on the higher area of the ear. Two or three are worn collectively by means of married females. Bedla are small hooked wires, with heart formed ends. Variations of the bedla are often referred to as lair, oganiya, jhutna and jubi. झुमका; झूमर या झुमरी: झुमका, झूमर या झुमरी राजस्थान के सबसे लोकप्रिय कर्ण आभूषणों में आते हैं। झुमके घंटी के आकार के एअरिंग्स होते हैं, जो सोने या चांदी में निर्मित किए जाते हैं। झुम्का लगभग 2.5 स

Ram Devra & Baba Ramdev Ji of Rajasthan

Baba Ramdev is a folk deity of Rajasthan. His birth anniversary is celebrated as Baba Ramdev Jayanti. It is the second day of Shukla Paksha of Bhadrapada month. King Ajmal (Ajaishinh) married Queen Minaldevi, the daughter of Pamji Bhati of Chhahan Baru village. For several years, the couple remained childless. The king went to Dwaraka and pleaded with Krishna about his wish to have child like him. They had two sons, Viramdev and the younger Ramdev. Ramdev was born on Bhadarva Shukla dooj in V.S. 1409 at Ramderiya Undu in Kashmir in Barmer district. Baba Ramdev was a very hardworking king who dedicated his life to the people of his kingdom. He took up many welfare measures for his people. He strived hard for the upliftment of the poor and downtrodden people. He preached about equality. Though he was a reviver of Hinduism, he treated people of all religions equally. He took Samadhi at the age of 33 on Bhadrapada Shukla Ekadashi. Ramdevra lies on route of

Historical Mayra Caves of Gogunda of Udaipur district- उदयपुर के गोगुन्दा की ऐतिहासिक मायरा की गुफा

  राजस्थान हमेशा से अपनी प्राचीन धरोहरों के लिए जाना जाता है। राजस्थान के ऐतिहासिक स्थलों में शामिल एक ऐसी ही धरोहर मायरा की गुफा का नाम लगभग गुमनाम सा है। यह गुफा उदयपुर जिले की अरावली की पहाड़ियों के जंगलों में विद्यमान है। मायरा की गुफा महाराणा प्रताप की राजतिलक स्थली ग्राम गोगुन्दा से तकरीबन 7-8 किलोमीटर दूर दुलावतों का गुढ़ा गाँव के जंगल में स्थित है। यह उदयपुर से करीब 45 किलोमीटर दूर है। इस स्थल पर पहुँचने के लिए गोगुन्दा से हल्दीघाटी लोसिंग सड़क पर गणेश जी का गुढ़ा गाँव से पूर्व सामने एक पहाड़ी रोड़ ऊपर की तरफ जाती है, जिससे वहां पहुंचा जा सकता है। महाराणा प्रताप और हल्दीघाटी के युद्ध से जुडी होने के कारण मायरा की गुफा राजस्थान के इतिहास में  महत्त्व रखती है। हल्दीघाटी की लड़ाई में इस गुफा का योगदान बड़ा अहम था।  मुग़ल शासक अकबर से हुए संघर्ष के दौरान महाराणा को राजमहलों से दूर रहकर अपना युद्ध जारी रखने तथा सुरक्षित रहने हेतु अनेक गुप्त व सुरक्षित स्थान तलाशने पड़े थे। इन्ही स्थानों में से एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान “मायरा की गुफा” है। शरीर की नसों जैसी