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Ancient Environment and Geography of Rajasthan राजस्थान का पुरा-पर्यावरण एवं भूगोल -

राजस्थान का पुरा-पर्यावरण एवं भूगोल - राजस्थान प्रदेश का भू-भाग अपनी अनेकता में एकता समेटे हुए है। इसके 66000 वर्ग मील रेतीले क्षेत्र के अतिरिक्त अरावली के 430 मील लम्बी अरावली पर्वत श्रृंखला ने भौगोलिक दृष्टि से इसे विभाजित कर रखा है। अरावली पर्वत की श्रृंखला आबू पर्वत के गुरु शिखर से प्रारम्भ होकर अलवर के सिंघाना तक विस्तृत है। विश्व की इस प्राचीन पर्वत श्रृंखला का उत्तर-पश्चिमी भाग वर्षा के अभाव में सूखा रह गया है। यह क्षेत्र अरावली पर्वत के सूखी ढाल पर है। उत्तर-पश्चिमी भाग विशेषकर जोधपुर, जैसलमेंर व बीकानेर का भूभाग आता है। इस प्रदेश की जलवायु शुष्क है। यहां पर विशाल एवं उच्च बालू रेत के टीलों की प्रधानता है। इस क्षेत्र में वर्षा के अभाव के कारण प्रागैतिहासिक में बसावट की गहनता का अभाव दिखाई देता है। इस क्षेत्र में बहने वाली प्रमुख नदियों में लूणी नदी महत्त्वपूर्ण है। यह अजमेर के आनासागर से निकल कर जोधपुर, बाड़मेर व जालौर जिलों का सिंचन कर कच्छ की खाडी में जा समाती है। सूकड़ी, जोजरी, बांडी सरस्वती, मीठडी आदि इसकी सहायक नदियां है। अरावली पर्वत श्रृंखला के दक्षिणी-पूर

Rajasthan State Human Rights Commission - राजस्‍थान राज्‍य मानव अधिकार आयोग

भारत की संसद द्वारा पारित एक अधिनियम 'मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम- 1993' के अनुसार राष्‍ट्रीय स्‍तर पर ' राष्‍ट्रीय मानव अधिकार आयोग ' एवं राज्‍य स्‍तर पर ' राज्‍य मानव अधिकार आयोग' को स्‍थापित करने की व्‍यवस्‍था की गई है। ' मानवाधिकार ' शब्द मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम की धारा 2 ( घ) में परिभाषित है , जिसके अन्तर्गत मानवाधिकार से अभिप्राय है संविधान में उल्लिखित अथवा अन्तर्राष्ट्रीय प्रसंविदा में अंगीभूत व्यक्ति की जीवन , स्वतंत्रता , समानता और प्रतिष्ठा से संबंधित अधिकार जो न्यायालय द्वारा लागू योग्य हो। ' मानवाधिकार ' की परिभाषा इस प्रकार काफी व्यापक है , जिसके अन्तर्गत वे सब मुद्दे आते हैं जो जीवन , स्वतंत्रता , समानता और गरिमा के परिधि के भीतर हैं । राजस्‍थान राज्‍य मानव अधिकार आयोग देश के अग्रणी राज्‍य आयोगों में से एक है। इस आयोग ने अल्‍प अवधि में ही मानव अधिकारों के संरक्षण एवं उन्‍नयन को बढ़ावा देने के लिये अपने उद्देश्‍य में कई मील के पत्‍थर हासिल किए हैं। राजस्‍थान की राज्‍य सरकार ने दिनांक 18 जनवरी 1999 को एक अधि