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राजस्थान की जयपुरी रजाइयां

राजस्थान के जयपुर की रजाईयां अपनी विशेषताओं के कारण उपभोक्ताओं द्वारा काफी पसंद की जाती है और इनके हल्के वजन, कोमलता एवं गर्माहट की खासियत के लिये इनकी भरपूर सराहना की जाती है। राजस्थान की इन जयपुरी रजाईयों की व्यापक एवं भरपूर रेंज उपलब्ध होती हैं। जयपुरी रजाईयों बुनकरों का वंशानुगत व्यवसाय है और इसे वे पिछली कई पीढ़ियों से करते आ रहे हैं। जयपुर के जुलाहा सर्दी के मौसम में घरेलू उपयोग में आने वाले सभी प्रकार के उत्पादों को बनाते हैं, लेकिन रजाई बनाने में उन्हें विशेष योग्यता प्राप्त है। सर्दियों में दैनिक उपयोग के लिये रजाई की उच्च गुणवत्ता का उत्पादन उनकी विशेष पहचान है। रजाईयों को बनाने के लिए बेहतरीन सामग्री का उपयोग किया जाता है वजन में हल्की होने के बावजूद ये बहुत ही गर्म और आरामदायक होती है। इनको बनाने में उच्च श्रेणी की शुद्ध एवं गुणवत्तापूर्ण कपास का प्रयोग किया जाता है। यहाँ सादी, सारंग, फेंसी कपास, कढ़ाई, पिपली काम आदि की कई वर्षों से बनाई जा रही रजाइयां 1000 से लेकर 18000-20000 रुपये तक की रेंज में उपलब्ध होती हैं। विशेष आदेश पर उच्चकोटि की विशेष कपास से बनाई गई रजाई इतन

‘‘थेवा कला’’ ने किया है राजस्थान का नाम देश और विदेश में रोशन-

नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित किये गए 34 वें अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेले के राजस्थान मण्डप में प्रदेश के विभिन्न सिद्धहस्त शिल्पियों के साथ ही ‘ थेवा-कला ’ से बने आभूषण इन दिनों व्यापार मेला में दर्शकों विशेषकर महिलाओं के लिये विशेष आकर्षण का केन्द्र बने। राजस्थान मण्डप में प्रदेश के एक से बढ़कर एक हस्तशिल्पी अपनी कला से दर्शकों को प्रभावित किया , लेकिन थेवा कला से बनाये गये आभूषणों की अपनी अलग ही पहचान है। शीशे पर सोने की बारीक मीनाकारी की बेहतरीन ‘ थेवा-कला ’ विभिन्न रंगों के शीशों ( काँच) को चांदी के महीन तारों से बनी फ्रेम में डालकर उस पर सोने की बारीक कलाकृतियां उकेरने की अनूठी कला है , जिन्हें कुशल और दक्ष हाथ छोटे-छोटे औजारों की मदद से बनाते हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाली इस कला को राजसोनी परिवार के पुरूष सीखते हैं और वंश परंपरा को आगे बढ़ाते हैं। इसी ‘ थेवा-कला ’ से बने आभूषणों का प्रदर्शन व्यापार मेला में ’’ ज्वैल एस इंटरनेशनल ‘‘ द्वारा किया गया , जिसने मण्डप में आने वाले दर्शकों को अपनी ओर लगातार खींचा। थेवा कला की शुरूआत लगभग 300 वर्ष पूर्व राजस

राज्यपाल ने चार मंत्रियों, छह राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और पांच राज्य मंत्रियों को दिलाई शपथ-

राज्यपाल श्री कल्याण सिंह ने सोमवार   27 अक्टूबर 2014 को जयपुर में चार मंत्रियों , छह राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और चार राज्य मंत्रियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। राजभवन में दोपहर तीन बजे शुरू हुए इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने मनोनीत मंत्रियों और राज्य मंत्रियों को शपथ दिलाने के लिए नाम पुकारे। राज्यपाल श्री सिंह ने क्रमशः श्री सुरेन्द्र गोयल , श्री राजपाल सिंह शेखावत , डॉ. राम प्रताप और श्रीमती किरण माहेश्वरी को केबिनेट मंत्री के पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। श्री अमरा राम , श्रीमती कृष्णेन्द्र कौर , श्री वासुदेव देवनानी , श्री राजकुमार रिणवा , श्री सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी और श्रीमती अनिता भदेल को राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा श्री पुष्पेन्द्र सिंह , श्री बाबूलाल वर्मा , श्री अर्जुन लाल और श्री ओटाराम देवासी को राज्यमंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ राज्यपाल श्री सिंह ने दिलाईं।  राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री वासुदेव देवनानी ने संस्कृत भाषा में शपथ ली तथा अन्य सभी मंत्रियों , राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज