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जानिए राजस्थान के राजकीय पशु ऊँट के बारे में

ऊँट रेगिस्तानी पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण घटक है। मरूधरा की कठिन जीवनयापन शैली में यह मानव का जीवन संगी है। अपनी अनूठी जैव-भौतिकीय विशेषताओं के कारण यह शुष्क एवं अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों की विषमताओं में जीवनयापन के लिए अनुकूलन का प्रतीक बन गया है। रेत के धोरो में ऊँट के बिना जीवन बिताना अति दुष्कर है। ‘रेगिस्ता‍न का जहाज’ के नाम से प्रसिद्ध इस पशु ने परिवहन एवं भार वाहन के क्षेत्र में अपरिहार्यता की हद तक पहचान बनाई है परंतु इसके अतिरिक्त भी ऊँट की बहुत सी उपयोगिताएं हैं जो निरन्तर सामाजिक और आर्थिक परिवर्तनों से प्रभावित है। ऊँटों ने प्राचीन काल से वर्तमान समय तक नागरिक कानून एवं व्यवस्था, रक्षा व युद्ध के क्षेत्र में महत्ती भूमिका निभाई है।  तत्कालीन बीकानेर के विश्व प्रसिद्ध गंगा रिसाले को शाही सेना में स्थान मिला था तथा इन ऊँटों ने प्रथम एवं द्वितीय विश्व युद्धों में भी भाग लिया था। राजस्थान के पश्चिमी भाग में इन्दिरा गांधी नहर के निर्माण के समय ऊँटों ने इंजीनियरों की बहुत सहायता की थी। आजकल उष्ट्र कोर भारतीय अर्द्ध सैनिक बल के अन्तर्गत सीमा सुरक्षा बल का एक मह

राजस्थान समसामयिक घटनाचक्र-
***डॉ सी पी जोशी को रेल मंत्रालय का अतिरिक्त दायित्व- वे राजस्थान से पहले रेलमंत्री बने***

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री डॉ सीपी जोशी को केन्द्र सरकार में रेल मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने रेल मंत्री मुकुल राय (तृणमूल सांसद) का इस्तीफा शनिवार दिनांक 22 सितंबर को स्वीकार कर लिया और उन्हें यह प्रभार सौंपा गया। यह महत्वपूर्ण मंत्रालय कांग्रेस के पास 17 साल बाद वापस आया है। अब तक के अंतिम कांग्रेसी रेल मंत्री सी.के. जाफर शरीफ थे, जो 1991-1995 तक रेल मंत्री थे। डॉ सीपी जोशी मूलतः नाथद्वारा के निवासी है तथा वर्तमान में भीलवाड़ा से लोकसभा सदस्य हैं। राजस्थान से अब तक कोई भी रेल मंत्री के पद पर नहीं रहा है। डॉ जोशी राजस्थान के पहले ऐसे नेता है जिन्हें रेल मंत्रालय का दायित्व मिला है। यह संभावना व्यक्त की जा रही है कि उनके रेलमंत्री बनने से राजस्थान में रेलवे के विकास की गति बढ़ेगी जिससे राज्य के समग्र विकास में भी तेजी आएगी। अगर डॉ जोशी इस पद पर लगातार रहे तो राजस्थान की कई अधूरी रेल परियोजनाएँ जल्दी पूरी हो जाएगी तथा नई रेल योजनाओं को मंजूरी मिलेगी और नई रेल गाड़ियाँ भी चालू होगी। "राजस्थान के विविध रंग" की ओर से

**राजस्थान समसामयिक घटनाचक्र-
अजमेर जिले को मिला साक्षरता में राष्ट्रीय पुरस्कार**

साक्षरता के क्षेत्र में कम समय में लक्ष्य से अधिक उपलब्धि अर्जित करने और नवाचार गतिविधियां हासिल करने के लिए अजमेर जिले को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस (8 सितंबर) के अवसर पर राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार प्रदान किया गया है। राष्ट्रीय साक्षरता मिशन प्राधिकरण की ओर से लखनऊ में आयोजित 'साक्षर भारत पुरस्कार समारोह' में राजस्थान की शिक्षा राज्यमंत्री श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ ने उपराष्ट्रपति श्री हामिद अंसारी एवं केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री श्री कपिल सिब्बल के हाथों से यह पुरस्कार प्राप्त किया। भारत साक्षर मिशन के तहत एसएनडीटी वूमन यूनिवर्सिटी मुंबई की एक टीम ने अजमेर जिले का दौराकर यहां भारत साक्षर मिशन के तहत हुए कार्यो का निरीक्षण कर नवाचार गतिविधियों का अवलोकन किया था। अजमेर में इस मिशन के तहत ना केवल जेल में बंद 170 कैदियों को साक्षरता से जोड़कर उन्हें बुनियादी साक्षरता मूल्यांकन परीक्षा में बैठाया गया। इससे पूर्व बांदरसिंदरी में साक्षरता की कक्षाएं चलाई गई। अजमेर जिले में साक्षरता को व्यावसायिक कौशल के साथ जोड़कर केंद्र पर आने वाली महिलाओं के 118 प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर उन्हें

**राजस्थान सामान्य ज्ञान क्विज- 20 सितंबर, 2012**

1. 'ब्रज निधि' उपनाम से ब्रज भाषा में भक्ति रचनाएँ लिखने वाले जयपुर के शासक थे- (अ) महाराजा सवाई जयसिंह (ब) महाराजा सवाई मानसिंह (स) महाराजा प्रताप सिंह (द) महाराजा सवाई माधोसिंह उत्तर- स 2. नागरीदास के नाम से ग्रंथ "नागर समुच्चय" की रचना करने वाले किशनगढ़ के राजा सावंतसिंह की बहन का नाम क्या था जिन्होंने ब्रजभाषा में श्रीमद्भागवत का अनुवाद किया था? (अ) ब्रजकुंवरी (ब) सुंदर कुंवरी (स) सहजो बाई (द) सुंदर सखी उत्तर- अ 3. ब्रजराज के उपनाम से कवित्त, सवैयो व पदों की रचना करने मेवाड़ के महाराणा कौन थे? (अ) महाराणा राजसिंह (ब) महाराणा जवानसिंह (स) महाराणा कुंभा (द) महाराणा अमरसिंह उत्तर- ब 4. "सतसई के दोहरे, ज्यों नाविक के तीर" कह कर जिस सतसई ग्रंथ के दोहों की सर्वत्र प्रशंसा की गई है, उसके रचनाकार हैं- (अ) बिहारी (ब) दादू (स) रहीम (द) मंडन भट्ट उत्तर- अ 5. 'सुजान चरित' के लेखक हैं- (अ) सूदन (ब) डूंगरसी (स) दलपति विजय (द) जानकवि उत्तर- अ 6. वचनिका साहित्य की प्रसिद्ध कृति "राठौड़ रतन सिंह महेश दासोत री वचनिका"

**राजस्थान सामान्य ज्ञान क्विज- 19 सितंबर, 2012**

1. रासो किस प्रकार की साहित्यिक रचनाएँ हैं- (अ) सगुण भक्ति प्रधान काव्य (ब) प्रेम और श्रृंगारपरक काव्य (स) वीरतापरक काव्य (द) निर्गुण भक्तिपरक काव्य उत्तर- स 2. रासो साहित्य किस राज्य की देन है? (अ) बिहार (ब) उत्तर प्रदेश (स) राजस्थान (द) हरियाणा उत्तर- स 3. खुमाण रासो के रचियता कौन थे? (अ) नल्लसिंह (ब) नरपति नाल्ह (स) पद्मनाभ (द) जैन कवि दलपति विजय उत्तर- द 4. करौली के यदुवंशी शासक विजयपाल की वीरता के वर्णन वाले विजयपाल रासो के रचनाकार हैं- (अ) नल्लसिंह (ब) नरपति नाल्ह (स) जैन कवि दलपति विजय (द) पद्मनाभ उत्तर- अ 5. निम्न में से सही युग्म है- (अ) पृथ्वीराज रासो- जयानक (ब) बीसलदेव रासो-नरपति नाल्ह (स) कान्हड़दे प्रबंध- दलपति विजय (द) रामरासो- बीठू सूजा नगरजोत उत्तर- ब 6. कान्हड़दे प्रबंध नामक काव्य ग्रंथ में कान्हड़दे के किस सुल्तान के साथ हुए युद्ध का वर्णन है? (अ) कुतुबुद्दीन ऐबक (ब) अलाउद्दीन खिलजी (स) गयासुद्दीन तुगलक (द) बलबन उत्तर- ब 7. निम्न में से सही युग्म नहीं है- (अ) सिंभुधड़ा- संत जसनाथ (ब) काया बेलि- दादू दयाल (स) नागर समुच्चय-

राजस्थान समसामयिक घटनाचक्र

देश की सबसे बड़ी शिव प्रतिमा नाथद्वारा में स्थापित होगी

भारत की सबसे बड़ी शिव प्रतिमा राजस्थान के राजसमन्द जिले के श्रीजी धाम श्रीनाथद्वारा के गणेश टेकरी मार्ग में 251 फीट (लगभग 25 मंजिल के बराबर) स्थापित की जाएगी। इस प्रतिमा की स्थापना के लिए शिलान्यास 18 अगस्त 2011 को राष्ट्र संत मुरारी बापू, राज्य के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत, केन्द्रीय मंत्री डॉ सी पी जोशी तथा स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल आदि अतिथियों द्वारा किया गया। शिलान्यास कार्यक्रम में मिराज उद्योग समूह के सीएमडी श्री मदन पालीवाल उपस्थित थे। गौरतलब है कि यह मूर्ति नाथद्वारा मिराज उद्योग समूह द्वारा अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूरे हो जाने के उपलक्ष्य में स्थापित किए जाने की योजना है। इसका निर्माण तकरीबन तीन वर्ष में पूरा होगा तथा इसमें करोड़ों रुपयों का व्यय होगा। इसमें प्रतिमा में भगवान महादेव के हाथों में त्रिशूल नहीं होगा और न ही वे आशीर्वाद देने की मुद्रा में होंगे। मस्ती के स्वरूप की अवस्था में स्थापित यह प्रतिमा सीमेंट तथा कंक्रीट से बनाई जाएगी। इस अवसर पर संत श्री मुरारी बापू ने कहा कि नाथद्वारा में श्रीनाथजी के रूप में रसराज भगवान श्रीकृष्ण बिराज रहे हैं। रसराज श्रीनाथज

राजस्थान समसामयिक घटनाचक्र

**पूर्व आईएएस अधिकारी शिक्षाविद् अनिल बोर्दिया का देहावसान**

पूर्व आईएएस अधिकारी शिक्षाविद्   श्री अनिल बोर्दिया का रविवार 2 सितम्बर 2012 की रात ह्रदयाघात हो जाने से जयपुर में देहावसान हो गया। वे अपने पीछे पत्नी श्रीमती ओतिमा बोर्दिया , एक पुत्री , एक पुत्र , दो भाई एवं तीन बहिनों का भरा पूरा परिवार छोडकर गए हैं। श्री बोर्दिया का अंतिम संस्कार मंगलवार 4 सितम्बर को जयपुर के आदर्श नगर श्मशान घाट में   किया गया।   ** जीवन परिचय-** श्री अनिल बोर्दिया का जन्म 5 मई , 1934 में इंदौर में जाने माने शिक्षाविद्   डॉ. केसरीलाल बोर्दिया के यहाँ हुआ था। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा उदयपुर के   विद्या भवन स्कूल में हुई तथा बाद में उन्होंने उदयपुर के एम.बी. कॉलेज और दिल्ली   के सेंट स्टीफन कॉलेज में इन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की। श्री अनिल बोर्दिया ने संपूर्ण जीवन शिक्षा और विशेष रूप से वंचित वर्ग की शिक्षा को समर्पित कर दिया था। शिक्षा के क्षेत्र में इनकी अतीव रुचि रही थी और उम्र भर वे राजस्थान के शैक्षिक विकास की दिशा में प्रयत्नशील रहे।   शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए सन् 2010 में इन्हें पद्मभूषण से पुरस्कृत किया गया। इसके अलाव