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पालीवाल ब्राह्मणों के प्राचीन वैभव का प्रतीक- कुलधरा और खाभा गाँवों के खंडहर

कुलधरा के खंडहर जैसलमेर जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा वर्षों पूर्व परित्यक्त कुलधरा एवं खाभा नामक दो गाँवों के प्राचीन खंडहर स्थित है जो पालीवालों की संस्कृति, उनकी जीवनशैली, वास्तुकला एवं भवन निर्माण कला को अभिव्यक्त करते हुए अद्भुत अवशेष हैं। प्राचीन काल में बसे पालीवालों की सामूहिक सुरक्षा, परस्पर एकता व सामुदायिक जीवन पद्धति को दर्शाने वाले कुलधरा व खाभा गाँवों को पालीवाल ब्राह्मणों ने जैसलमेर रियासत के दीवान सालिम सिंह की ज्यादतियों से बचने तथा अपने आत्म सम्मान की रक्षा के लिए एक ही रात में खाली करके उजाड़ कर दिए। पश्चिमी राजस्थान के पालीवालों की सांस्कृतिक धरोहर के प्रतीक इन खंडहरों के संरक्षण के लिए सरकार द्वारा प्रयास किए गए हैं। कुलधरा में पालीवालों द्वारा निर्मित कतारबद्ध मकानों, गांव के मध्य स्थित कलात्मक मंदिर, कलात्मक भवन एवं कलात्मक छतरियां पालीवाल-वास्तुकला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। जैसलमेर विकास समिति द्वारा पुराने क्षतिग्रस्त भवनों का रखरखाव किया जा रहा है। इनमें पालीवालों की समृद्ध संस्कृति, वास्तुकला, गाँव के इतिहास तथ

राजस्थान के राज्य पक्षी गोडावन का परिचय - Introduction Of State Bird Of Rajasthan 'Godawan'

गोडावण यानी "ग्रेट इंडियन बस्टर्ड" राजस्थान का राज्य पक्षी है। इसका वैज्ञानिक नाम Choriotis Nigriceps या Ardeotis Nigriceps है।  उड़ने वाले पक्षियों में यह सबसे अधिक भारी पक्षियों में से एक है। यह जैसलमेर के मरू उद्यान , सोरसन (बारां) व अजमेर के शोकलिया क्षेत् र में पाया जाता है। राष्ट्रीय मरु उद्यान (डेज़र्ट नेशनल पार्क) को गोडावण की शरणस्थली भी कहा जाता है। यह पक्षी अत्यंत ही शर्मिला है और सघन घास में रहना इसका स्वभाव है। जैसलमेर की सेवण घास ( Lasiurus sindicus) इसके लिए उपयुक्त है। गोडावण को 1981 में राज्य पक्षी घोषित किया गया था। यह पक्षी सोहन चिडिया तथा शर्मिला पक्षी के उपनामों से भी प्रसिद्ध है। यह एक शांत पक्षी है, लेकिन जब इसे डराया जाए तो यह हुक जैसी ध्वनि निकालता है। इसीलिए उत्तरी भारत के कुछ भागों में इसे हुकना के नाम से भी पुकारा जाता है। इसके द्वारा बादल के गरजने अथवा बाघ के गुर्राने जैसी ध्वनि उत्पन्न करने के कारण गगनभेर या गुरायिन का नाम से भी जाना जाता है। गोडावण का अस्तित्व वर्तमान में खतरे में है तथा इनकी बहुत कम संख्या ही बची हुई है अ

प्रसिद्ध लोक कलाविद् पद्मश्री देवीलाल सामर -

जन्म :- 30 जुलाई 1911, उदयपुर में पिता-माता :- अर्जुन सिंह सामर, अलोल बाई स्वर्गवास :- 3 दिसंबर 1981 भारतीय लोक कला मंडल के संस्थापक- प्रसिद्ध लोक कलाविद् पद्मश्री देवीलाल सामर मूलत: नाटककार, लेखक, कवि और नर्तक थे। वे प्रारंभ में विद्या भवन स्कूल उदयपुर में शिक्षक रहे थे। इस समय उनका कुछ साहित्य प्रकाशित हो चुका था, लेकिन उनकी नृत्य कला का व्यापक प्रदर्शन नहीं हो पाया। विभिन्न कठिनाइयों के बावजूद भी श्री सामर ने 22 फरवरी 1952 को उदयपुर में "भारतीय लोक कला मंडल" संस्था की स्थापना राजस्थान की लोक कलाओं के प्रोत्साहन के उद्देश्य से की। इसके बाद श्री सामर ने संस्था के विकास के लिए देश भर के कई कलाकारों व अन्य हस्तियों से संपर्क स्थापित किया और उन्हें इससे जोड़ने का प्रयास किया। इसी क्रम में प्रख्यात फिल्म स्टार पृथ्वीराज कपूर सन् 1970 से तीन साल तक भारतीय लोक कला मंडल के अध्यक्ष रहे। सन् 1952 में आर.आर. दिवाकर, 1967 में बी. गोपाल रेड्डी, 1967 में डॉ. बी. वी केसरकर, 1970 में पृथ्वीराज कपूर, 1973 में पूर्व मुख्यमंत्री मोहन लाल सुखाड़िया इसके अध्यक्ष रहे। इसके बाद प्रमोद प्

राजस्थान समसामयिक घटनाचक्र-
Rajasthan Current Affairs

दो कृषि महाविद्यालयों की स्थापना होगी, सरकार ने किए 7 करोड़ रुपए मंजूर मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने जोधपुर एवं सुमेरपुर (पाली) में कृषि महाविद्यालय स्थापित करने के लिए 7 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की है। श्री गहलोत ने अपने बजट भाषण में स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर के अन्तर्गत जोधपुर में तथा महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय, उदयपुर के अन्तर्गत सुमेरपुर (पाली) में कृषि महाविद्यालय स्थापित किए जाएँगे। वृद्धों के अलग से इलाज के लिये 50 लाख मंजूर प्रदेश के प्रत्येक मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग में वृद्धों के इलाज की अलग से व्यवस्था के लिए राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री द्वारा की गई बजट घोषणा के अनुरूप 19 जून को 50 लाख रुपए की राशि स्वीकृत की हैं। बजट घोषणा के अनुसार वृद्धों के लिए प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में जेरियाट्रिक मेडिसिन यूनिट्स की स्थापना की जानी है। कलाकारों एवं संस्थाओं को मदद के लिये समिति गठित मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने 22 जून को राज्य के ख्यातनाम कलाकारों एवं कला संस्थाओं को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए समिति के गठन को मंजूरी दी है। श्

राजस्थान सामान्य ज्ञान क्विज- 23 जून 2012

Rajasthan GK Quiz- 23 June, 2012

1. राजस्थान के स्वाधीनता आंदोलन में किसे 'लक्कड़ और कक्कड़' और 'धुन के धनी' के नाम से भी जाना जाता है? उत्तर- जयनारायण व्यास को 2. राजस्थान के वर्तमान महाधिवक्ता का नाम क्या है? उत्तर- जी. एस. बाफना 3. देश का पहला कार्बन एग्रीगेशन सेँटर कहाँ बनाया जाना प्रस्तावित है? उत्तर- पाली 4. कोटा की पूर्व राजमाता जिनका निधन जनवरी 2012 में हुआ था? उत्तर- शिवकुमारी साहेबा 5. ध्रुपद गायकी के महान कलाकार का नाम क्या है जिनकी मृत्यु 27 जुलाई 2011 को हुई थी? उत्तर- रहीम फहीमुद्दीन 6. कौनसा अभयारण्य भेड़ियों के संरक्षण के लिए प्रसिद्ध है? उत्तर- कुंभलगढ़ 7. बाबर को भारत पर आक्रमण करने का आमंत्रण किसने दिया था? उत्तर- राणा सांगा व दौलत खां लोदी ने 8. राज्य में विभीषण का एकमात्र मंदिर कहाँ स्थित है? उत्तर- कैथून (कोटा) में 9. बीकानेर में ऊँट की खाल से बनाया जाने वाला एक विशेष प्रकार के जलपात्र को क्या कहते हैं? उत्तर- कोपी 10. सात सहेलियों का मंदिर कहाँ स्थित है? उत्तर- झालरापाटन (झालावाड़) में

राजस्थान इतिहास की प्रमुख घटनाएँ-4

Important Historical Events Of Rajasthan-4

1. बागभट्ट ने रणथम्भौर पर अधिकार किया। अजमेर में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की मृत्यु- 1236 ई 2. रावत जैत्रसिंह द्वारा बलबन पर विजय। मेवाड़ के राणा समर सिंह ने तुर्कों को पराजित किया- 1237 ई 3. परिहारों ने मुसलमानों को हरा कर मंडोर राज्य की स्थापना- 1240 ई 4. चौहान की हाड़ा शाखा द्वारा बूँदी राज्य की स्थापना- 1242 ई 5. राव सीहा राठौड़ का पाली आगमन- 1243 ई 6. बारड़देव परमार ने बारड़मेर (बाड़मेर) बसाया- 1246 ई 7. नासिरूद्दीन महमूद ने बयाना पर विजय प्राप्त की- 1252 ई 8. अलाउद्दीन खिलजी का रणथम्भौर पर अधिकार और हम्मीर की मृत्यु- 1301 ई 9. अलाउद्दीन खिलजी द्वारा चित्तौड़गढ़ पर अधिकार और अपने पुत्र खिज्र खाँ को चित्तौड़ का शासक बनाया- 1303 ई 10. खिज्र खाँ द्वारा चित्तौड़ दुर्ग खाली करना- 1304 ई 11. कान्हड़दे चौहान अलाउद्दीन खिलजी से परास्त और जालौर पर खिलजी का अधिकार- 1308 ई 12. पाबू जी राठौड़ का जन्म- 1313 ई 13. कान्हड़दे चौहान की मृत्यु- 1314 ई 14. हम्मीर सिसोदिया ने चित्तौड़गढ़ पर अधिकार किया- 1337 ई 15. चंद्रावती का कान्हड़देव राजगद्दी पर बैठा- 1337 ई 16. बम्बावदा के राव द

राजस्थान इतिहास की प्रमुख घटनाएँ-3

Important Historical Events Of Rajasthan-3

1. बीसलदेव (चतुर्थ विग्रहराज) ने अपने पितृहंता भाई जगदेव को हरा कर अजमेर की राजगद्दी प्राप्त की- 1152 ई 2. राव जैसल सिंह द्वारा जैसलमेर की स्थापना- 1155 ई 3. यादव तवनपाल ने बयाना से 15 मील दूर तवनगढ़ बनवाया- 1158 ई 4. जालौर के सोनगरा कीर्तिपाल ने परमारों से किराडू जीता- 1161 ई 5. इल्तुतमिश द्वारा मण्डोर पर पुन: कब्जा- 1166 ई 6. पृथ्वीराज चौहान तृतीय का जन्म- 1166 ई 7. अलवर राज्य में नीमराणा के मदनलाल ने मंडावर बसाया- 1170 ई 8. मेवाड़ के सामंत सिंह का राज्यारोहण- 1171 ई 9. पृथ्वीराज चौहान तृतीय का राज्यारोहण- 1177 ई 10. आबू के परमार नरेश धरणीवराह धारावर्ष ने मुहम्मद गोरी को हराया- 1178 ई 11. पृथ्वीराज तृतीय ने गुजरात पर आक्रमण किया तथा आबू के परमार नरेश धारावर्ष को हराया- 1187 ई 12. मुहम्मद गोरी द्वारा भटिण्डा दुर्ग पर अधिकार- 1189 ई 13. जयानक द्वारा अजमेर में "पृथ्वीराज विजय" नामक महाकाव्य की रचना- 1190 ई 14. पृथ्वीराज चौहान तृतीय तथा मुहम्मद गोरी के मध्य थानेश्वर के निकट तराइन का प्रथम युद्ध तथा गौरी की पराजय- 1191 ई 15. पृथ्वीराज चौहान तृतीय तथा म