सहेलियों की बाड़ी उद्यान का भव्य बगीचा उदयपुर के महाराणा संग्राम सिंह द्वितीय ने सन् 1710 -1734 के बीच राज परिवार की महिलाओं के आमोद-प्रमोद के लिए बनवाया था। इस कारण इसका नाम सहेलियों की बाड़ी रखा गया। उद्यान के बारे में यह भी कहा जाता है कि महाराणा ने इस सुरम्य उद्यान को तैयार करवा कर अपनी उन रानी साहिबा को भेंट किया, जो विवाह के बाद अपनी 48 नौकरानियों (सहेलियों) के साथ आई थी। यह देश के सुन्दरतम बगीचों में गिना जाता है, जिसे देखकर उदयपुर राजघराने के अंतःपुर की महिलाओं की जीवन शैली का आभास स्वतः ही हो जाता है। वस्तुतः उदयपुर की प्रसिद्द झील फतेहसागर के नीचे कई छोटे-छोटे बगीचे थे, जिन्हे महाराणा फतेह सिंह ने सहेलियों की बाड़ी में मिला कर एक भव्य बगीचे का स्वरुप प्रदान किया। चारों तरफ हरी-भरी दूब, मनमोहक फूलों की कतारें, और आकर्षक फव्वारों पर पर्यटकों की स्वतः ही दृष्टि ठहर सी जाती है। इस उद्यान का मुख्य आकर्षण यहाँ के फ़व्वारे हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि इन्हें लिवरपूल, इंग्लैण्ड से मंगवा कर यहाँ लगवाया गया था। हरियाली अमावस्या का मेला- श्रावण मास की अमावस
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