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राजस्थान समसामयिक घटनाचक्र | राजस्थान के छः पहाड़ी किले विश्व धरोहर सूची में चयनित

अरावली की चट्टानी तलहटियों में स्थित राजस्थान के छः पहाड़ी किलों यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में स्थान प्राप्त कर लिया है। ये किले निम्न हैं - 1. चित्तौड़गढ़ (जिला- चित्तौड़गढ़) 2. कुंभलगढ़ (जिला- राजसमंद) 3. रणथंभौर (जिला- सवाईमाधोपुर) 4. आमेर (जिला- जयपुर) 5. जैसलमेर (जिला- जैसलमेर) 6. नागौर (जिला- नागौर) इनमें से प्रथम तीन किलों का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (The Archaeological Survey of India (ASI) ) द्वारा संरक्षण किया जा रहा है जबकि अन्य तीन किले राजस्थान के पुरातत्व विभाग के अधीन है। कंबोडिया के नामपेन्ह शहर में यूनेस्को की विरासत संबंधी वैश्विक समिति की 36 वीं बैठक में दिनांक 21 जून 2013 शुक्रवार को इन पहाड़ी किलों के चयन की घोषणा की गई थी। इस महत्वपूर्ण चयन से राजस्थान की ऐतिहासिक धरोहर और स्मारकों को विश्व स्तर पर पहचान मिली है जिससे राजस्थान का गौरव निःसंदेह बढ़ा है। वर्ष 2010 में जंतर-मंतर को विश्व विरासत की सूची में शामिल किया गया था, तभी से राज्य सरकार द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे थे कि प्रदेश के अन्य महत्वपूर्ण किलों एवं स्मारकों को भी उक्त सूची में सम्मिलि

राजस्थान समसामयिक घटनाचक्र- राजस्थान के छः पहाड़ी किले विश्व धरोहर सूची में चयनित

राजस्थान समसामयिक घटनाचक्र- राजस्थान के छः पहाड़ी किले विश्व धरोहर सूची में चयनित अरावली की चट्टानी तलहटियों में स्थित राजस्थान के छः पहाड़ी किलों यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में स्थान प्राप्त कर लिया है। ये किले निम्न हैं - 1. चित्तौड़गढ़ (जिला- चित्तौड़गढ़) 2. कुंभलगढ़ (जिला- राजसमंद) 3. रणथंभौर (जिला- सवाईमाधोपुर) 4. आमेर (जिला- जयपुर) 5. जैसलमेर (जिला- जैसलमेर) 6. नागौर (जिला- नागौर) इनमें से प्रथम तीन किलों का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (The Archaeological Survey of India (ASI) ) द्वारा संरक्षण किया जा रहा है जबकि अन्य तीन किले राजस्थान के पुरातत्व विभाग के अधीन है। कंबोडिया के नामपेन्ह शहर में यूनेस्को की विरासत संबंधी वैश्विक समिति की 36 वीं बैठक में दिनांक 21 जून 2013 शुक्रवार को इन पहाड़ी किलों के चयन की घोषणा की गई थी। इस महत्वपूर्ण चयन से राजस्थान की ऐतिहासिक धरोहर और स्मारकों को विश्व स्तर पर पहचान मिली है जिससे राजस्थान का गौरव निःसंदेह बढ़ा है। वर्ष 2010 में जंतर-मंतर को विश्व विरासत की सूची में शामिल किया गया था, तभी से राज्य सरकार द्वारा लगातार प्रयास

यूनेस्को के अनुसार भारत के विश्व धरोहर स्थल

1972 में यूनेस्को की सामान्य सभा ने विश्व सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण के लिए एक कन्वेशन गठित करने का पूर्ण उत्साह के साथ एक प्रस्ताव स्वीकार किया | इसके मुख्य उद्देश्य निम्नांकित हैं – 1- विश्व सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक धरोहरों को परिभाषित करना | 2- विशिष्ट रूचि और वैश्विक मूल्यों वाले स्थलों एवं स्मारकों की सदस्य देशों से जानकारी प्राप्त कर सूचीबद्द करना | 3- विश्व सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण के उपाय करना | 4- भावी पीढ़ी के लिए विश्व सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक धरोहरों के खजाने के संरक्षण के लिए विभिन्न देशों एवं लोगों के मध्य सहयोग वृद्धि करने का प्रयास करना | विश्व धरोहर स्थलों की सूची में अभी 812 सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक महत्त्व के स्थल सम्मिलित हैं | इनमें 628 सांस्कृतिक और 160 प्राकृतिक एवं 24 मिश्रित प्रकृति के धरोहर स्थलों को शामिल किया गया हैं | भारत विश्व धरोहर का 1977 से सक्रिय सदस्य है तथा अन्य अंतर्राष्ट्रीय अभिकरणों जैसे - ICOMOS (International Council on Monuments and Sites), IUCN (International Union for the Conservation of Nature an