Ancient Rajasthani Literatures : Main Writers & Books - प्राचीन राजस्थानी काव्य: प्रमुख रचनाएं और रचनाकार-
11 वीं सदी की शुरूआत से ही राजस्थानी की रचनाएं मिलनी प्रारंभ हुई और आगे चलकर इनकी संख्या में वृद्धि हुई। इस काल में राजस्थानी भाषा में जितना सृजन हुआ , उतना देश की किसी अन्य भाषा में नहीं हुआ। इस काल की रचनाओं में आधुनिक राजस्थानी और आधुनिक गुजराती दोनों भाषाओं का रूप सामने आया है। प्राचीन राजस्थानी साहित्य में बहुत सी रचनाओं का सृजन जैन मुनियों ने किया तथा रचनाओं को संरक्षित किया। इस काल की प्रमुख रचनाओं का परिचय यहां दिया जा रहा है - 1. भरतेस्वर - बाहुबलि घोर ( बज्रसेन सूरि )- 48 पदों की इस रचना का सृजन वज्रसेन सूरि द्वारा सन् 1168 किया था। इसकी कथा में भरतेश्वर तथा बाहुबलि नाम के दो राजाओं के मध्य हुए युद्ध का वर्णन है जो आपस में भाई थे। इस काव्य में वीर रस के साथ में सात रसों का वर्णन हुआ है। रचना का मुख्य उद्देश्य भाई - भाई के मध्य बैरभाव को समाप्त करके भाईचारा स्थापित करते हुए सत्य , अहिंसा , शांति आदि जीवनमूल्य