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राजस्थान में सार्वजनिक वितरण प्रणाली तथा 'खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग'

 राजस्थान में सार्वजनिक वितरण प्रणाली एवं खाद्य  एवं नागरिक आपूर्ति विभाग राज्य के सभी श्रेणी के परिवारों यथा- बीपीएल, एपीएल, अन्त्योदय आदि के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली का क्रियान्वयन राज्य में आरम्भ से ही किया जा रहा है। देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली का उद्गम 1960 के दशक में हुई खाद्यान्नों की अत्यधिक कमी हो जाने से कमी वाले शहरी क्षेत्रों में खाद्यान्नों का वितरण करने पर ध्यान केन्द्रित करके हुआ था।  इसके बाद हरित क्रांति के अंतर्गत चूंकि राष्ट्रीय कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई थी, इसलिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली का विस्तार 1970 और 1980 के दशकों में आदिवासी ब्लॉक्स और अत्यधिक गरीबी वाले क्षेत्रों के लिए किया गया था।  वर्ष 1992 तक सार्वजनिक वितरण प्रणाली विशेष लक्ष्यों के बगैर सभी उपभोक्ताओं के लिए एक सामान्य पात्रता योजना थी।  सम्पुष्ट सार्वजनिक वितरण प्रणाली जून 1992 में सम्पूर्ण देश में प्रारंभ की गई।  लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली जून 1997 में प्रारंभ की गई थी। खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग की स्थापना - राज्य में वर्ष 1964 तक खाद्य एवं सहायता विभाग एक सं

Annapurna Bhandar Scheme of Rajasthan राजस्थान की अन्नपूर्णा भंडार योजना

सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के क्षेत्र में नई पहल - अन्नपूर्णा भंडार राज्य में आमजन को कम दामों पर परिवार की जरूरत से जुड़े सभी उपभोक्ता वस्तुओं एक ही स्थान पर उपलब्ध करवाने के लिए राज्य में ही नहीं वरन देश में पहली बार एक अनूठी योजना "अन्नपूर्णा भण्डार योजना’’ वर्ष 2015 में लागू की गई। राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के इतिहास में सार्वजनिक निजी सहभागिता का एक नया दौर शुरू हुआ है। इस योजना के तहत प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में मॉल की तरह ’"अन्नपूर्णा भण्डार योजना" विकसित करने के प्रयास किये जा रहे हैं। योजना का मुख्य उद्देश्य - सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत सार्वजनिक-निजी सहभागिता के माध्यम से जनसाधारण को उचित मूल्य दुकानों द्वारा उच्च गुणवत्ता की मल्टीब्रांड उपभोक्ता वस्तुएं उचित एवं प्रतिस्पर्धी दरों पर उपलब्ध कराना। उद्घाटन -   राज्य सरकार ने अन्नपूर्णा भंडार योजना का श्री गणेश 31 अक्टूबर, 2015 को जयपुर जिले की झोटवाडा पंचायत समिति के गांव भंभोरी से किया गया।  इस योजना को प्रारंभ में एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में जयपुर में पांच और उदयपु

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना की मुख्य विशेषताएं -

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना की मुख्य विशेषताएं राष्‍ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (एनडीएमपी) देश में पहली बार तैयार की गई इस तरह की राष्‍ट्रीय योजना है। एनडीएमपी की मुख्‍य विशेषताएं निम्‍नलिखित हैं : ·         एनडीएमपी आपदा जोखिम घटाने के लिए सेंडैई फ्रेमवर्क में तय किए गए लक्ष्‍यों और प्राथमिकताओं के साथ मौटे तौर पर तालमेल करेगा। ·         योजना का विजन भारत को आपदा मुक्‍त बनाना है, आपदा जोखिमों में पर्याप्‍त रूप से कमी लाना है, जान-माल, आजीविका और संपदाओं- आर्थिक, शारीरिक, सामाजिक, सांस्‍कृतिक और पर्यावरणीय- के नुकसान को कम करना है, इसके लिए प्रशासन के सभी स्तरों और साथ ही समुदायों की आपदाओं से निपटने की क्षमता को बढ़ाया जाएगा। ·         प्रत्‍येक खतरे के लिए, सेंडैई फ्रेमवर्क में घोषित चार प्राथमिकताओं को आपदा जोखिम में कमी करने के फ्रेमवर्क में शामिल किया गया है। इसके लिए पांच कार्यक्षेत्र निम्‍न हैं :   जोखिम को समझना   एजेंसियों के बीच सहयोग   डीआरआर में सहयोग – संरचनात्‍मक उपाय   डीआरआर में सहयोग – गैर-संरचनात्‍मक उपाय  

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के अंतर्गत ऋण संबद्ध पूंजी सब्सिडी योजना (Credit linked capital subsidy scheme)

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के अंतर्गत ऋण संबद्ध पूंजी सब्सिडी योजना ऋण संबद्ध पूंजी सब्सिडी योजना (Credit linked capital subsidy scheme- सीएलसीएसएस) का उद्देश्य अनुमोदित विशिष्ट 51 उप-क्षेत्रों / उत्पादों में पूर्ण रूप से स्थापित प्रौद्योगिकी और तकनीकी सुधार के लिए उनके द्वारा ली गई संस्थागत वित्तीय सहायता में 15 प्रतिशत की पूंजी सब्सिडी (अधिकतम 15 लाख रुपये की सीमा तक) प्रदान कर सूक्ष्म और लघु उद्यमों में प्रौद्योगिकी उन्नयन में सुविधा प्रदान करना है।  इस योजना के अंतर्गत सब्सिडी की गणना के लिए अधिकतम पात्रता सीमा 100.00 लाख रुपये हैं। वर्तमान में    सीएलसीएसएस के तहत 12 नोडल बैंक / एजेंसियां हैं: 1. भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक 2. राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक 3. बैंक ऑफ बड़ौदा 4. स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर 5. बैंक ऑफ इंडिया 6. इंडियन बैंक 7. कॉरपोरेशन बैंक 8. केनरा बैंक 9. भारतीय स्टेट बैंक 10 पंजाब नेशनल बैंक 11. तमिलनाडु औद्योगिक निवेश निगम लिमिटेड 12. आंध्रा बैंक    ऋण संबद्ध पूंजी सब्सिडी योजना ( Credit linked capit

आत्मा- समग्र कृषि विकास की राष्ट्रीय योजना

समग्र कृषि विकास की राष्ट्रीय योजना-आत्मा भारत को एक कृषि प्रधान देश कहा जाता है। कृषि को भारतीय अर्थ्रव्यवस्था की रीढ़ कहते है। देश के लगभग 49 प्रतिशत व्यक्ति कृषि व्यवसाय में संलग्न हैं। संस्कृत में कहा गया है - ‘ कृषिरेव महालक्ष्मीः ‘ अर्थात कृषि ही सबसे बड़ी लक्ष्मी है। भारत विकासशील देश है। कृषि को लाभकारी व्यवसाय बनाने के लिए भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा तरह-तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं , जिनमें कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी ( Agricultural Technology Management Agency ) अर्थात् आत्मा ( ATMA) ऐसी योजना है , जो देश के 639 जिलों में संचालित की जा रही   है। आत्मा ऐसी केन्द्र प्रवर्तित योजना है , जिसे वर्ष 2014-15 से राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रौद्योगिकी मिशन के सब मिशन एस.एम.ए.ई. में समाहित किया गया है। इसे सपोर्ट टू स्टेट एक्सटेंशन प्रोग्राम्स फॉर एक्सटेंशन रिफॉर्म्स भी कहा जाता है। आत्मा क्या है ? आत्मा एक प्रमुख भागीदारी की संस्था है जो कृषि के विकास को स्थायित्व प्रदान करने संबंधी कृषि की गतिविधियों में संलग्न है। यह कृषि प्रसार एवं अनुसंधान