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राजस्थान में चेतना जागृत करने में आर्य समाज की भूमिका-

1.      राजस्थान में राजनीतिक चेतना जागृत करने एवं शिक्षा प्रसार में स्वामी दयानंद सरस्वती एवं आर्यसमाज ने महत्वपूर्ण कार्य किया। 2.      स्वामी दयानंद राजस्थान में सर्वप्रथम 1865 ई. में करौली के राजकीय अतिथि के रूप में आए। उन्होंने किशनगढ़ , जयपुर , पुष्कर एवं अजमेर में अपने उद्बोधन दिए। 3.      स्वामीजी का राजस्थान में दूसरी बार आगमन 1881 ई. में भरतपुर में हुआ। 4.      वहाँ से स्वामीजी जयपुर , अजमेर , ब्यावर , मसूदा एवं बनेड़ा होते हुए चित्तौड़ पहुँचे , जहाँ ‘कविराजा श्यामलदास’ ने उनका स्वागत किया। 5.      महाराणा सज्जनसिंह ( 1874-1884 ई.) के अनुरोध पर स्वामीजी उदयपुर पहुंचे, वहाँ महाराणा ने उनका आदर-सत्कार किया। स्वामी दयानंद सरस्वती ने उदयपुर में आर्य समाज का प्रचार किया। उनके उपदेशों को सुनने के लिए मेवाड़ के अनेक सरदार नित्य उनकी सभा में आया करते थे। 6.      अगस्त ,   1882 को स्वामी दयानन्द दुबारा उदयपुर पहुँचे। उदयपुर में स्वामीजी ने ‘ सत्यार्थ प्रकाश ’ के द्वितीय संस्करण की भूमिका लिखी।  7.      उदयपुर में ही फरवरी , 1883 ई. में स्वामी

जोधपुर रियासत (मारवाड़) में स्वाधीनता संग्राम –

1.     जोधपुर में आरंभिक जन-जागरण- वर्ष / दिनांक विवरण 1920 श्री चाँदमल सुराना तथा उनके साथियों द्वारा ‘मारवाड़ सेवा संघ’ की स्थापना । 1921 ‘मारवाड़ सेवा संघ’ द्वारा अंग्रेजी तौल चालू करने का विरोध । सरकार ने मांग स्वीकार की । 1922-24 ‘मारवाड़ सेवा संघ’ द्वारा मारवाड़ से मादा पशुओं की निकासी का विरोध । 1924 मारवाड़ हितकारिणी सभा की स्थापना । इसके द्वारा प्रधानमंत्री सर सुखदेव प्रसाद को हटाने के लिए आन्दोलन । मार्च में चांदमल सुराना तथा सभा के 2 अन्य कार्यकर्ताओं को देश निकाला । जय नारायण व्यास तथा अन्य कार्यकर्ता पुलिस में हाजरी देने के लिए पाबंद । नवम्बर में देश निकाले की आज्ञा तथा कार्यकर्ताओं की पुलिस में हाजरी समाप्त । 1928 सरकार द्वारा मारवाड़ लोक राज्य परिषद् के अधिवेशन पर रोक । देशद्रोह के जुर्म में जयनारायण व्यास को 6 साल तथा उनके सथियों को 5-5 साल की कैद । 1931 जयनारायण व्यास तथा उनके साथी जेल से रिहा । 1937 जयनारायण व्यास मारवाड़ से नि