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**राजस्थान समसामयिक घटनाचक्र-
अजमेर जिले को मिला साक्षरता में राष्ट्रीय पुरस्कार**

साक्षरता के क्षेत्र में कम समय में लक्ष्य से अधिक उपलब्धि अर्जित करने और नवाचार गतिविधियां हासिल करने के लिए अजमेर जिले को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस (8 सितंबर) के अवसर पर राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार प्रदान किया गया है। राष्ट्रीय साक्षरता मिशन प्राधिकरण की ओर से लखनऊ में आयोजित 'साक्षर भारत पुरस्कार समारोह' में राजस्थान की शिक्षा राज्यमंत्री श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ ने उपराष्ट्रपति श्री हामिद अंसारी एवं केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री श्री कपिल सिब्बल के हाथों से यह पुरस्कार प्राप्त किया। भारत साक्षर मिशन के तहत एसएनडीटी वूमन यूनिवर्सिटी मुंबई की एक टीम ने अजमेर जिले का दौराकर यहां भारत साक्षर मिशन के तहत हुए कार्यो का निरीक्षण कर नवाचार गतिविधियों का अवलोकन किया था। अजमेर में इस मिशन के तहत ना केवल जेल में बंद 170 कैदियों को साक्षरता से जोड़कर उन्हें बुनियादी साक्षरता मूल्यांकन परीक्षा में बैठाया गया। इससे पूर्व बांदरसिंदरी में साक्षरता की कक्षाएं चलाई गई। अजमेर जिले में साक्षरता को व्यावसायिक कौशल के साथ जोड़कर केंद्र पर आने वाली महिलाओं के 118 प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर उन्हें

**राजस्थान सामान्य ज्ञान क्विज- 20 सितंबर, 2012**

1. 'ब्रज निधि' उपनाम से ब्रज भाषा में भक्ति रचनाएँ लिखने वाले जयपुर के शासक थे- (अ) महाराजा सवाई जयसिंह (ब) महाराजा सवाई मानसिंह (स) महाराजा प्रताप सिंह (द) महाराजा सवाई माधोसिंह उत्तर- स 2. नागरीदास के नाम से ग्रंथ "नागर समुच्चय" की रचना करने वाले किशनगढ़ के राजा सावंतसिंह की बहन का नाम क्या था जिन्होंने ब्रजभाषा में श्रीमद्भागवत का अनुवाद किया था? (अ) ब्रजकुंवरी (ब) सुंदर कुंवरी (स) सहजो बाई (द) सुंदर सखी उत्तर- अ 3. ब्रजराज के उपनाम से कवित्त, सवैयो व पदों की रचना करने मेवाड़ के महाराणा कौन थे? (अ) महाराणा राजसिंह (ब) महाराणा जवानसिंह (स) महाराणा कुंभा (द) महाराणा अमरसिंह उत्तर- ब 4. "सतसई के दोहरे, ज्यों नाविक के तीर" कह कर जिस सतसई ग्रंथ के दोहों की सर्वत्र प्रशंसा की गई है, उसके रचनाकार हैं- (अ) बिहारी (ब) दादू (स) रहीम (द) मंडन भट्ट उत्तर- अ 5. 'सुजान चरित' के लेखक हैं- (अ) सूदन (ब) डूंगरसी (स) दलपति विजय (द) जानकवि उत्तर- अ 6. वचनिका साहित्य की प्रसिद्ध कृति "राठौड़ रतन सिंह महेश दासोत री वचनिका"

**राजस्थान सामान्य ज्ञान क्विज- 19 सितंबर, 2012**

1. रासो किस प्रकार की साहित्यिक रचनाएँ हैं- (अ) सगुण भक्ति प्रधान काव्य (ब) प्रेम और श्रृंगारपरक काव्य (स) वीरतापरक काव्य (द) निर्गुण भक्तिपरक काव्य उत्तर- स 2. रासो साहित्य किस राज्य की देन है? (अ) बिहार (ब) उत्तर प्रदेश (स) राजस्थान (द) हरियाणा उत्तर- स 3. खुमाण रासो के रचियता कौन थे? (अ) नल्लसिंह (ब) नरपति नाल्ह (स) पद्मनाभ (द) जैन कवि दलपति विजय उत्तर- द 4. करौली के यदुवंशी शासक विजयपाल की वीरता के वर्णन वाले विजयपाल रासो के रचनाकार हैं- (अ) नल्लसिंह (ब) नरपति नाल्ह (स) जैन कवि दलपति विजय (द) पद्मनाभ उत्तर- अ 5. निम्न में से सही युग्म है- (अ) पृथ्वीराज रासो- जयानक (ब) बीसलदेव रासो-नरपति नाल्ह (स) कान्हड़दे प्रबंध- दलपति विजय (द) रामरासो- बीठू सूजा नगरजोत उत्तर- ब 6. कान्हड़दे प्रबंध नामक काव्य ग्रंथ में कान्हड़दे के किस सुल्तान के साथ हुए युद्ध का वर्णन है? (अ) कुतुबुद्दीन ऐबक (ब) अलाउद्दीन खिलजी (स) गयासुद्दीन तुगलक (द) बलबन उत्तर- ब 7. निम्न में से सही युग्म नहीं है- (अ) सिंभुधड़ा- संत जसनाथ (ब) काया बेलि- दादू दयाल (स) नागर समुच्चय-

राजस्थान समसामयिक घटनाचक्र

देश की सबसे बड़ी शिव प्रतिमा नाथद्वारा में स्थापित होगी

भारत की सबसे बड़ी शिव प्रतिमा राजस्थान के राजसमन्द जिले के श्रीजी धाम श्रीनाथद्वारा के गणेश टेकरी मार्ग में 251 फीट (लगभग 25 मंजिल के बराबर) स्थापित की जाएगी। इस प्रतिमा की स्थापना के लिए शिलान्यास 18 अगस्त 2011 को राष्ट्र संत मुरारी बापू, राज्य के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत, केन्द्रीय मंत्री डॉ सी पी जोशी तथा स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल आदि अतिथियों द्वारा किया गया। शिलान्यास कार्यक्रम में मिराज उद्योग समूह के सीएमडी श्री मदन पालीवाल उपस्थित थे। गौरतलब है कि यह मूर्ति नाथद्वारा मिराज उद्योग समूह द्वारा अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूरे हो जाने के उपलक्ष्य में स्थापित किए जाने की योजना है। इसका निर्माण तकरीबन तीन वर्ष में पूरा होगा तथा इसमें करोड़ों रुपयों का व्यय होगा। इसमें प्रतिमा में भगवान महादेव के हाथों में त्रिशूल नहीं होगा और न ही वे आशीर्वाद देने की मुद्रा में होंगे। मस्ती के स्वरूप की अवस्था में स्थापित यह प्रतिमा सीमेंट तथा कंक्रीट से बनाई जाएगी। इस अवसर पर संत श्री मुरारी बापू ने कहा कि नाथद्वारा में श्रीनाथजी के रूप में रसराज भगवान श्रीकृष्ण बिराज रहे हैं। रसराज श्रीनाथज

राजस्थान समसामयिक घटनाचक्र

**पूर्व आईएएस अधिकारी शिक्षाविद् अनिल बोर्दिया का देहावसान**

पूर्व आईएएस अधिकारी शिक्षाविद्   श्री अनिल बोर्दिया का रविवार 2 सितम्बर 2012 की रात ह्रदयाघात हो जाने से जयपुर में देहावसान हो गया। वे अपने पीछे पत्नी श्रीमती ओतिमा बोर्दिया , एक पुत्री , एक पुत्र , दो भाई एवं तीन बहिनों का भरा पूरा परिवार छोडकर गए हैं। श्री बोर्दिया का अंतिम संस्कार मंगलवार 4 सितम्बर को जयपुर के आदर्श नगर श्मशान घाट में   किया गया।   ** जीवन परिचय-** श्री अनिल बोर्दिया का जन्म 5 मई , 1934 में इंदौर में जाने माने शिक्षाविद्   डॉ. केसरीलाल बोर्दिया के यहाँ हुआ था। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा उदयपुर के   विद्या भवन स्कूल में हुई तथा बाद में उन्होंने उदयपुर के एम.बी. कॉलेज और दिल्ली   के सेंट स्टीफन कॉलेज में इन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की। श्री अनिल बोर्दिया ने संपूर्ण जीवन शिक्षा और विशेष रूप से वंचित वर्ग की शिक्षा को समर्पित कर दिया था। शिक्षा के क्षेत्र में इनकी अतीव रुचि रही थी और उम्र भर वे राजस्थान के शैक्षिक विकास की दिशा में प्रयत्नशील रहे।   शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए सन् 2010 में इन्हें पद्मभूषण से पुरस्कृत किया गया। इसके अलाव

"Pomacha" - A variety of Rajasthan Odhani - " पोमचा "- राजस्थान की एक प्रकार की ओढ़नी

--> राजस्थान में स्त्रियों की ओढ़नियों मे तीन प्रकार की रंगाई होती है- पोमचा , लहरिया और चूंदड़।  पोमचा मे पोम शब्द पद्म (कमल) का अपभ्रंश है। इस ओढ़नी में पीले रंग की पृष्ठभूमि पर गुलाबी या लाल रंग के कमल रूप आकार होते है। अर्थात पोमचा पद्म या कमल से संबद्ध है , अर्थात इसमें कमल के फूल बने होते हैं। यह एक प्रकार की ओढ़नी है। वस्तुतः पोमचा का अर्थ कमल के फूल के अभिप्राय से युक्त ओढ़नी है।  यह मुख्यतः दो प्रकार से बनता है-  1. लाल गुलाबी 2. लाल पीला। इसकी जमीन पीली या गुलाबी हो सकती है। इन दोनो ही प्रकारों के पोमचो में चारों ओर का किनारा लाल होता है तथा इसमें लाल रंग से ही गोल फूल बने होते हैं। यह बच्चे के जन्म के अवसर पर पीहर पक्ष की ओर से बच्चे की मां को दिया जाता है। पुत्र का जन्म होने पर पीला पोमचा तथा पुत्री के जन्म पर लाल पोमचा देने का रिवाज है। पोमचा राजस्थान में लोकगीतों का भी विषय है। पुत्र के जन्म के अवसर पर " पीला पोमचा " का उल्लेख गीतों में आता है। एक गीत के बोल इस तरह है- " भाभी पाणीड़े गई रे तलाव में , भाभी सुवा तो पंखो ब

राजस्थान की फड़ कला तथा भोपों का संक्षिप्त परिचय

फड़ लंबे कपड़े पर बनाई गई कलाकृति होती है जिसमें किसी लोकदेवता (विशेष रूप से पाबू जी या देवनारायण) की कथा का चित्रण किया जाता है। फड़ को लकड़ी पर लपेट कर रखा जाता है। इसे धीरे धीरे खोल कर भोपा तथा भोपी द्वारा लोक देवता की कथा को गीत व संगीत के साथ सुनाया जाता है। राजस्थान में कुछ जगहों पर जाति विशेष के भोपे पेशेवर पुजारी होते हैं। उनका मुख्य कार्य किसी मन्दिर में देवता की पूजा करना तथा देवता के आगे नाचना-गाना होता है। पाबू जी तथा देवनारायण के भोपे अपने संरक्षकों (धाताओं) के घर पर जाकर अपना पेशेवर गाना व नृत्य के साथ फड़ के आधार पर लोक देवता की कथा कहते हैं। राजस्थान में पाबूजी तथा देव नारायण के भक्त लाखों की संख्या में हैं। इन लोक देवताओं को कुटुम्ब के देवता के रूप में पूजा जाता है और उनकी वीरता के गीत चारण और भाटों द्वारा गाए जाते हैं। भोपों ने पाबूजी और देवनारायण जी की वीरता के सम्बन्ध में सैंकड़ों लोकगीत रचें हैं और इनकी गीतात्मक शौर्यगाथा को इनके द्वारा फड़ का प्रदर्शन करके आकर्षक और रोचक ढंग से किया जाता है। पाबूजी के भोपों ने पाबूजी की फड़ के गीत को अभिनय के साथ गाने की एक विशेष शै