Skip to main content

Posts

राजस्थान समसामयिक घटनाचक्र
** उदयपुर की "जलपरी" भक्ति शर्मा को तेनजिंग नॉर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार **

झीलों की नगरी उदयपुर की जलपरी तैराक भक्ति शर्मा को केन्द्रीय खेल एवं युवा मंत्रालय की ओर से राष्ट्रपति भवन में 29 अगस्त को "तेनजिंग नॉर्गे नेशनल एडवेंचर अवार्ड-2011" से सम्मानित किया जाएगा। महासागरों और समुद्रों में साहसिक प्रदर्शन कर उन्हें पार कर रिकॉर्ड बनाने पर भक्ति को इसके लिए चुना गया है। उन्हें इस हेतु पांच लाख रुपए का नकद, स्मृति चिह्न तथा प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा। भक्ति के अलावा लेंड एडवेंचर के लिए नंद स्वरूप व राजेन्द्र सिंह झाला को तथा मनदीप सिंह को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। भक्ति की कोच उनकी मां लीना शर्मा भी एक उत्कृष्ट तैराक है। भक्ति वर्तमान में बेंगलूरू में एम. बी. ए. की पढ़ाई कर रही है। उदयपुर जिला तैराकी संघ के अध्यक्ष चन्द्रगुप्त सिंह चौहान के अनुसार उसने ये उपलब्धियाँ हासिल करने कड़ी मेहनत की है। भक्ति की उपलब्धियाँ- > 2003 में 14 किमी लम्बाई तक अरब सागर पार किया। > 2004 में महाराष्ट्र के रायगढ़ के धर्मतल से गेटवे ऑफ इण्डिया तक 36 किमी दूरी तैर कर पार की। > 2006 में 16 वर्ष की उम्र में इंग्लिश चैनल प

राजस्थान में लगता है लैला मजनूं का भी मेला**
Fair of Laila Majnu

राजस्थान के विविध रंगों में शौर्य, साहस, देशभक्ति, मधुर संगीत, विविधता पूर्ण नृत्य, स्थापत्य कला, देवालय व भक्ति, मीठी बोलियां व लोकगीत आदि के साथ-साथ प्रेम-प्यार का भी एक रंग है। पूरे विश्व में जिस प्रेमी जोड़े और उसके प्यार की मिसाल दी जाती है उस लैला मजनूं से संबंधित अंतिम स्मारक राजस्थान में स्थित है। प्रेम तथा धार्मिक आस्था का प्रतीक "लैला मजनूं की मजारें" राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले की अनूपगढ़ तहसील में भारत-पाकिस्तान की अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर बसे बिन्जौर गांव के पास स्थित है। बिन्जौर गांव के पास स्थित ''प्रेमी जोड़ों का तीर्थस्थल'' या '' प्रेमियों का मक्का'' कहे जाने वाले इस स्थान की लैला-मजनूं की इन मजारों पर प्रतिवर्ष एक भव्य मेले का आयोजन धूमधाम से किया जाता है, जिसे लैला मजनूं के वार्षिक मेले के रूप में जाना जाता है।  मेले में राजस्थान के श्रीगंगानगर व आसपास के जिलों के साथ-साथ पंजाब, हरियाणा आदि प्रांतों के तकरीबन पचास-साठ हजार श्रद्धालु लोग शिरकत करते हैं तथा लैला मजनूं की मजार पर चादर व अकीदत के फूल चढ़ाकर मिन्नतें

राजस्थान समसामयिक घटना चक्र

मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा छात्रवृत्ति योजना- 2012 राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों को उच्च एवं तकनीकी शिक्षा हेतु प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से "मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा छात्रवृत्ति योजना 2012" शुरू की है जिसमें 500 रुपए प्रतिमाह छात्रवृत्ति दिए जाने का प्रावधान है। यह छात्रवृत्ति पांच वर्ष की अवधि अथवा उच्च एवं तकनीकी अध्ययन जारी रखने तक (जो भी पहले हो) देय होगी। मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा छात्रवृत्ति योजना 2012 के नाम से प्रस्तावित इस योजना के प्रारूप को मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने मंजूरी दी है। श्री गहलोत ने अपने बजट भाषण में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की उच्च माध्यमिक परीक्षा में वरीयता सूची में आने वाले प्रथम एक लाख छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति देने की घोषणा की थी। योजना के तहत अब कला संकाय में प्रथम 75 हजार, विज्ञान मे प्रथम 55 हजार तथा वाणिज्य संकाय में प्रथम 20 हजार तक स्थान पाने वाले छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति का लाभ मिलेगा। छात्रवृत्ति के लिए परिवार की वार्षिक आय एक लाख रुपए होनी चाहिए। डॉ. एस. के. शर्मा को कृषि में उत्कृष्ट

चित्रकार नवीन शर्मा को "मास्टर क्रॉफ्ट परसन" की उपाधि व राष्ट्रीय पुरस्कार

जयपुर के कलाकार नवीन शर्मा को उनकी 'वंडर-2' के नाम से प्रसिद्ध मिनिएचर पेंटिंग ‘हिस्ट्री एंड इनोग्रेशन ऑफ ताजमहल’ के लिए वर्ष 2010 के लिए भारत सरकार के टेक्सटाइल्स मंत्रालय की ओर से "मास्टर क्रॉफ्ट परसन" की उपाधि के साथ राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुआ है जिसमें 1 लाख रुपए की नकद राशि, ताम्रपत्र और अंगरखा का सम्मान शामिल है। ताजमहल पर बनी इस अनोखी पेंटिंग को माह नवंबर 2011 में नई दिल्ली में आयोजित हुए India International Trade Fair 2011 ( IITF 2011 ) में भी प्रदर्शित किया गया जहाँ एक उद्योगपति ने इसे 5 करोड़ रुपए में खरीदने की इच्छा व्यक्त की थी। बताया जाता है कि राजस्थान सरकार ने भी इस कलाकृति की कीमत लगभग 1 करोड़ रुपए आँकी थी लेकिन जानकार बताते हैं कि कई देशों में इसका मूल्य 20 करोड़ रुपए तक का हो सकता है। इस पेंटिंग में ताजमहल के निर्माण की पूरी गाथा को बहुत ही बारीकी से दर्शाया गया है। इस पेंटिंग के इतनी प्रसिद्ध होने का कारण क्या है, इसके बारे में जानकार बताते हैं कि इसमें मात्र 20 X 24 इंच के आकार में 4 लाख मानव आकृतियों (बादशाह शाहजहाँ, दरबारी, सेना व कामगार आदि) त

भू-अभिलेख निरीक्षक होंगे जी.पी.एस. उपकरण से लैस

राज्य में किसानों के बीच खेतों तथा अन्य जमीन के संबंध कई विवाद होते रहते हैं। किसके खेत की सही सीमा कहाँ तक है, किसी ने अन्य के खेत के कुछ भाग पर अपना अनाधिकृत कब्जा तो नहीं किया है, खेतों में जाने के रास्तों पर किसी का अतिक्रमण तो नहीं है, आदि कई विवाद किसानों के आए दिन होते रहते हैं। इन्हीं समस्याओं के संबंध में सही निर्णय करने के लिए मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने बजट भाषण में की गई घोषणा के अनुरूप भू-अभिलेख निरीक्षकों को जी.पी.एस. उपकरण उपलब्ध कराने के लिए 4 करोड़ 50 लाख स्वीकृत किए हैं। काश्तकारों को खेतों में पहुंचने के लिए रास्ते की लंबे समय से चली आ रही समस्या के निराकरण के उद्देश्य से राजस्थान काश्तकारी अधिनियम में आवश्यक संशोधन करते हुए 2 मार्च, 2012 को नियम बनाकर अधिसूचना जारी कर दी है। भू-अभिलेख निरीक्षकों को मौकों की देशांतर व अक्षांक्ष स्थिति को दर्शाते हुए जी.पी.एस. उपकरण उपलब्ध कराए जाएँगे, जिससे विवादित प्रकरणों से संबधित मौकों को भौगोलिक दृष्टि से चिह्नित कर, क्षेत्रों का अंकन संभव हो सकेगा। क्या है जी.पी.एस.- जी. पी. एस. अर्थात "ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम"

विभीषण का विश्व में एकमात्र मंदिर है कोटा के कैथून में

विश्व में विभीषण का एकमात्र मंदिर राजस्थान के कोटा जिले के उस स्थान में स्थित है जो कोटा डोरिया साड़ियों के हस्तकला उद्योग के लिए भी प्रसिद्ध है। जी हाँ मित्रों, कोटा से 16 किमी दूर कैथून कस्बे में विभीषण का प्रसिद्ध मंदिर एक बड़े भू-भाग में स्थित है। इसमें विभीषण की विशाल मूर्ति लगी है, जहां इसका विधिवत पूजा-पाठ होता है। यह प्राचीन मंदिर चौथी सदी के आसपास निर्मित माना जाता है। कैथून में होली के दिन से अगले 7 दिनों तक एक विशाल मेला लगता है जिसमें विभीषणजी की विशेष पूजा चलती है। इस आकर्षक सात दिवसीय मेले में लाखों लोग भाग लेते हैं तथा अधर्म व अहंकार के खिलाफ धर्म की विजय में विभीषण जी की मुख्य भूमिका की सराहना करके उनकी पूजा व स्तुति करते हैं। कैथून कस्बा अपने इस विशिष्ट होली उत्सव के लिए पूरे राजस्थान में प्रसिद्ध है। अन्याय के घोर विरोधी भक्तराज विभीषण की यहाँ बड़ी मान्यता है। होली के अवसर पर कैथून के इस विभीषण मंदिर में उत्सव-सा माहौल रहता है। इस अवसर पर होली के दिन शोभायात्रा निकाली जाती है जिसके पश्चात राक्षस हिरण्यकश्यप के विशाल पुतले का विधिवत दहन किया जाता है तथा इसके बाद राम

मारवाड के गौरवशाली इतिहास का गवाह है जोधपुर का मंडोर- Important Rajasthan GK

मंडोर राजस्थान के जोधपुर शहर से 9 किमी उत्तर में स्थित है। यह मारवाड़ राज्य की प्राचीन राजधानी थी। इसका पुराना नाम मंडोदर या मांडव्यपुर है। एक जनश्रुति के अनुसार यहाँ मांडव्य ऋषि का आश्रम था इसी कारण इसे मांडव्यपुर कहा जाता था। अन्य जनश्रुति यह भी है कि नगर का नाम रावण की रानी मंदोदरी के नाम से संबद्ध है तथा इस स्थान पर ही लंका के राजा रावण के साथ मंदोदरी का विवाह हुआ था। अतः जोधपुर व मंडोर को रावण का ससुराल भी कहा जाता है। 7 वीं शताब्दी के आसपास गुर्जर प्रतिहार राजाओं ने मंडोर को अपनी राजधानी बनाया था। जोधपुर का शिलालेख (836 ई.) तथा घटियाले के शिलालेख (837 ई. व 861 ई.) के अनुसार मंडोर के प्रतिहार पराक्रमी शासक थे। किंतु 12 वीं सदी में मंडोर दुर्ग को छोड़ कर शेष भाग पर चौहान राजाओं का अधिकार हो गया तथा प्रतिहार उनके सामंत बन कर रह गए। तब उनसे परेशान होकर प्रतिहार सामंतो ने राठौड़ वीरम के पुत्र राव चूँडा को 1395 में मंडोर का दुर्ग दहेज में दे दिया। यह भी कहा जाता है कि राव चूँडा ने इस दुर्ग पर बलपूर्वक अधिकार किया था। इसके बाद जब सन् 1459 में राव जोधा ने मंडोर को असुरक्षित मान क