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राज्य के बजट की प्रमुख घोषणाएं

राजस्थान बजट 2011-12 >50 हजार शिक्षकों की भर्ती की घोषणा, जिनमें संस्कृत शिक्षा के शिक्षक भी। इसके लिए राइट टू एजूकेशन एक्ट तहत अध्यापक पात्रता परीक्षा { टी. ई. टी. } के लिए माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अधिकृत किया गया। > राज्य में उच्च माध्यमिक विद्यालयों के प्रथम ग्रेड शिक्षक व लैब टेक्नीशियनों के 25406 पदों की भर्ती होगी। > रहवास वाले गाँवों के अतिरिक्त अन्य स्थानों पर छात्राओं के लिए 8 वीं कक्षा की शिक्षा प्राप्त करने पर साइकिल उपलब्ध कराने का प्रावधान। इसके लिए अंशदान राशि 300 से घटाकर 100 रुपए किया। 142 हजार छात्राएं लाभान्वित होंगी। > विद्यार्थी सुरक्षा बीमा योजना में सभी स्कूली विद्यार्थियों का 1 लाख रुपए तक का बीमा किया जाएगा। > जनजातीय क्षेत्र में एन. टी. टी. प्रशिक्षितों को नियुक्ति दी जाएगी। > अध्यापक ग्रेड तीन के उर्दू शिक्षकों के 500 पदों पर नियुक्ति देने की घोषणा। > आगामी वर्ष में प्रयोगशाला सहायकों के 200 पद भरे जाएंगे। > कोटा में आई. आई. आई. टी. खोले जाने की घोषणा। > इसके लिए निशुल्क भूमि व 45 करोड़ रुपए का अनुदान दिया जाएगा। इस

राजस्थान समसामयिक घटनाएँ

हाड़ौती में मिले शैल चित्र रावतभाटा-गांधी सागर मार्ग पर बने कचोटी के नाले की कंदराओं में लगभग 30 हजार साल पुराने शैलचित्र मिले हैं। हाल ही में मिले एक शैलचित्र में एक चट्टान पर बैल की आकृति उकेरी गई है, जिसके सामने एक व्यक्ति शिकार की मुद्रा में खड़ा है। विशेषज्ञों द्वारा इसकी आयु 30 हजार वर्ष बताई गई है जिसका पता पुराअन्वेषकों द्वारा "कार्बन डेंटिंग विधि" से गणना कर किया है। यह हाड़ौती क्षेत्र में एक नई खोज है। इससे पहले यहाँ लाल रंग के भालू का सुंदर व दुर्लभ शैलचित्र भी मिल चुका है। पुरा अन्वेषकों के अनुसार सामान्यतया शैलचित्रों में भालू की रॉक पेंटिंग कम मिलती है। प्राचीन काल में आदिमानव चट्टान या पत्थर पर चित्र उकेरता था इसे शैलचित्र कहा जाता है। कचोटी के नाले में हुई शैल चित्रों की खोज में मानव शिकार के अलावा वन्य जीवन की पूरी झलक नजर आती है। यहां इनके चित्रांकन में वन्य पशु, शिकार, शिकारी सहित अन्य चित्र भी हैं। यहां सबसे प्राचीन चित्र एक बैल का है जो उत्तर प्राचीन काल का 30 हजार वर्ष से भी ज्यादा पुराना है। इस चित्र का रंग हरा एवं काला मिश्रित है। यहाँ के शैल चित्रों

प्रदेश को पंचायती राज का डेढ़ करोड़ रुपए का प्रथम पुरस्कार

पंचायती राज व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण तथा नवाचारों को अपनाने के लिए राजस्थान को डेढ़ करोड़ रुपयों का प्रथम पुरस्कार दिनांक 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायत दिवस के अवसर पर प्रदान किया गया। यह पुरस्कार नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित दूसरे राष्ट्रीय पंचायत दिवस समारोह में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन अध्यक्ष सोनिया गांधी से राज्य के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री भरत सिंह ने ग्रहण किया। समारोह में अजमेर जिले की श्रीनगर पंचायत समिति की ग्राम पंचायत अराडका को भी "राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार" से नवाजा गया। ग्राम पंचायत को दस लाख रुपए नकद पुरस्कार स्वरूप प्रदान किए गए। यह पुरस्कार ग्राम पंचायत अराड़का की सरपंच रईसा खातून होशियारा ने प्राप्त किया। उल्लेखनीय है कि पंचायती राज संस्थाओं के कामकाज का आंकलन करने वाली आईआईपी संस्था ने विस्तृत सर्वे कर वर्ष 2010-11 के दौरान राजस्थान में पंचायती राज के विकास के लिए किए कार्यों को उत्कृष्ट माना हैं। इसी तरह राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार के लिए राजस्थान सहित देश के सात राज्यों गोवा, गुजरात, हरियाण

सूरज के रहस्यों को खोलती उदयपुर की सौर वैधशाला-

सौर अनुसंधान के क्षेत्र में विश्व प्रसिद्ध 'उदयपुर सौर वैधशाला { यू. एस. ओ. }' भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत अहमदाबाद में कार्यरत 'भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला {पी. आर. एल. }' की एक यूनिट के रूप में संचालित है। उदयपुर सौर वेधशाला उदयपुर की प्रसिद्ध फतहसागर झील के मध्य एक टापू पर स्थित है तथा इसका मुख्य भवन इस झील के उत्तर पश्चिम में रानी रोड़ पर स्थित है। उदयपुर के आकाश की स्थिति सूर्य के अवलोकन या प्रेक्षण के लिए उपयुक्त है, इसी कारण इसकी स्थापना यहाँ की गई थी। इसे पानी के अंदर स्थापित करने का कारण यह है कि सूर्य अध्ययन के उपयोग में लिए जाने वाले दूरदर्शी के चारों ओर पानी होने से सतह की परतें सूर्य की गर्मी से कम गर्म हो पाती है, फलस्वरूप हवा में परिवर्तन या डिस्टर्बेंस कम होते हैं और दूरदर्शी से सूर्य के चित्र अच्छी क्वालिटी के प्राप्त होते हैं। इस कारण सूर्य के प्रकाश मंडल या फोटोस्फीयर तथा वर्णमंडल या क्रोमोस्फीयर में होने वाली हलचल व सूर्य की सतह पर होने वाली घटनाओं का अधिक अच्छी तरह से अध्ययन कर समझा जा सकता है। इस वेधशाला में सूर्य में होने वाली घटनाओं

जोधपुर का 'धींगा गवर' का प्रसिद्ध बेंतमार मेला

राजस्थान के पश्चिमी भाग के जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर आदि क्षेत्रों में सुहागिनें अखंड सुहाग की कामना के लिए धींगा गवर की पूजा करती है। यह पूजा सामान्यत: गणगौर पूजा के बाद चैत्र शुक्ल तृतीय से वैसाख कृष्ण पक्ष की तृतीया तक होती है। धींगा गवर का पर्व पति-पत्नी के आपसी प्रेम का द्योतक भी माना जाता है। गवर को विधवाएं व सुहागिनें साथ-साथ पूजती हैं, लेकिन कुंआरी लडकियों के लिए गवर पूजा निषिद्ध है। गवर की सोलह दिवसीय पूजा शुरू करने से पूर्व महिलाएं मोहल्ले के किसी एक घर में दीवार पर गवर का चित्र बनाती है। ये स्त्रियाँ घरों की दीवारों पर कच्चे रंग से शिव, गजानन व बीचों बीच में घाघर सिर पर उठाए स्त्री के चित्र भी बनाती हैं। इन चित्रों में मूषक, सूर्य व चंद्रमा आदि के भी चित्र होते हैं। इन चित्रों के नीचे कूकड, माकडव तथा उसके चार बच्चों के चित्र भी बनाए जाते हैं या फिर उनके मिट्टी से बने पुतले रखे जाते हैं। इसके अलावा कई घरों में गवर की प्रतिमा भी बिठाई जाती है। इस पर्व की पूजा का समापन बैसाख शुक्ल पक्ष की तीज की रात्रि को गवर माता के रातीजगा के साथ होता है। गवर पूजा में सोलह की संख्या का अत्यंत

राजस्थान के पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग द्वारा संचालित म्यूजियम-

राज्य स्तरीय संग्रहालय { म्यूजियम }- 1. राजकीय केन्द्रीय संग्रहालय, अलबर्ट हॉल { अलबर्ट म्यूजियम }, जयपुर संभाग स्तरीय संग्रहालय- 1. राजकीय संग्रहालय, उदयपुर 2. राजकीय संग्रहालय, जोधपुर 3. राजकीय संग्रहालय, बीकानेर 4. राजकीय संग्रहालय, कोटा 5. राजकीय संग्रहालय, अजमेर 6. राजकीय संग्रहालय, हवामहल, जयपुर 7. राजकीय संग्रहालय, भरतपुर जिला स्तरीय संग्रहालय- 1. राजकीय संग्रहालय, अलवर 2. राजकीय संग्रहालय, डूंगरपुर 3. राजकीय संग्रहालय, चित्तौड़गढ़ 4. राजकीय संग्रहालय, जैसलमेर 5. राजकीय संग्रहालय, पाली 6. राजकीय संग्रहालय, झालावाड़ 7. राजकीय संग्रहालय, सीकर स्थानीय संग्रहालय- 1. राजकीय संग्रहालय, आहड़, उदयपुर 2. राजकीय संग्रहालय, मंडोर, जोधपुर 3. राजकीय संग्रहालय, माउंट आबू, सिरोही राज्य की आर्ट गैलरी- 1. आर्ट गैलरी, विराटनगर, जयपुर संग्रहालय जो प्रारंभ किए जाने हैं- 1. राजकीय संग्रहालय, केसरीसिंह बारहठ की हवेली, शाहपुरा, भीलवाड़ा 2. टाउन हॉल, पुराना विधानसभा भवन, जयपुर 3. राजकीय संग्रहालय, बारां

राजस्थान समसामयिक घटनाचक्र

संस्थाओं को रियायती दर पर भूमि आवंटन नीति मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत राज्य मंत्रिमंडल की दिनांक 13 अप्रैल को हुई बैठक में सार्वजनिक, चैरिटेबल एवं सामाजिक संस्थाओं को रियायती दर पर भूमि के आवंटन के संबंध में नीति को स्वीकृति प्रदान की गई। > शिक्षा एवं चिकित्सा के क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं को भूमि आवंटन के लिए विशेष रूप से इस नीति को बनाया गया है। > इस नीति के अनुसार किसी संस्था को निःशुल्क भूमि देने का निर्णय मंत्रिमंडल की बैठक में होगा। > भूमि के आवंटन में 70 प्रतिशत तक की छूट कैबिनेट सब कमेटी द्वारा दी जा सकेगी तथा 50 प्रतिशत तक की छूट संबंधित विभाग के मंत्री दे सकेंगे। > इस नीति में स्पष्ट किया गया है कि जिन प्रकरणों में भूमि का नि:शुल्क आवंटन किया गया है, उनमें भूमि का स्वामित्व सामान्य तौर पर संस्था को हस्तांतरित नहीं कर संबंधित स्थानीय निकाय में रहेगा। > जिन शिक्षण संस्थाओं को भूमि आवंटित की जाएगी, उसमें 25 प्रतिशत सीटें गरीबी की रेखा से नीचे के परिवारों के बच्चों के लिए आरक्षित रहेंगी। >भू आवंटन नीति के अनुसार आवंटित भूमि पर बनने वाले अस्पताल या