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Showing posts with the label Welfare plans of Rajasthan

खाद्य सुरक्षा सूची में नाम जोड़ने के लिए शिविर 16 अक्टूबर से -

31 श्रेणियों के पात्र व्यक्तियों के खाद्य सुरक्षा सूची में नाम जोड़ने के लिए शिविर 16 से 23 अक्टूबर तक - जयपुर, 15 अक्टूबर। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के अन्तर्गत 31 श्रेणियों के पात्र व्यक्तियों के नाम खाद्य सुरक्षा सूची में जोड़ने के लिए जिला प्रशासन द्वारा नगर निगम के सहयोग से आठों जोन में 16 से 23 अक्टूबर तक लगाए जाने वाले शिविरों की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं एवं अधिकारियों की जिम्मेदारी निर्धारित कर दी गई है।  जिला कलक्टर श्री जगरूप सिंह यादव ने बताया कि ये शिविर सभी जोन में प्रातः 10 बजे से सायं 5 बजे तक लगाए जाएंगे। शिविर के आयोजन में लगे सभी कार्मिकों को निर्देशित किया है कि खाद्य सुरक्षा मेें नाम जोडे़ जाने की पात्र 31 श्रेणियों के एक भी व्यक्ति का नाम जुड़ने से छूटना नहीं चाहिए। इसी तरह किसी अपात्र का नाम सूची में जुड़ना नहीं चाहिए। आवेदन में कमी या अपूर्ण दस्तावेज होने की स्थिति में उन दस्तावेजों की पूर्ति के लिए सहयोग किया जाए। सभी काउंटर पर किए जाने वाले काम के बारे में आवेदकों जानकारी देने के लिए स्वयंसेवक उपलब्ध रहें और पूर्ण आवेदनों को उसी समय

Swadhar Grah Scheme - स्वाधार गृह योजना

स्वाधार गृह योजना- कठिन परिस्थितियों में महिलाओं के लिए प्राथमिक जरूरतों को पूरा करने हेतु योजना शोषण से महिलाओं की रक्षा और उनके शेष जीवन में आश्रय व पुनर्वास के लिए, तत्‍कालीन समाज कल्‍याण विभाग द्वारा वर्ष 1969 में, सामाजिक सुरक्षा पद्धति के तौर पर महिलाओं और बालिकाओं के लिए एक 'अल्‍पावास गृह' स्‍कीम आरंभ की गई थी ।  इस स्‍कीम का उद्देश्‍य पारिवारिक कलह या अनबन, अपराध, हिंसा, मानसिक तनाव, सामाजिक बहिष्‍कार, वैश्‍यावृत्‍ति की ओर बलपूर्वक धकेले जाने और नैतिक खतरों के कारण बेघर हुई महिलाओं या बालिकाओं को अस्‍थायी आवास, अनुरक्षण गुजारा-राशि और समान उद्देश्‍यों वाली पुनर्वास जैसी सेवाएं प्रदान करना है । दुस्‍साध्‍य परिस्‍थितियों से घिरी हुई महिलाओं के लिए स्‍वाधार नामक एक अन्‍य स्‍कीम, वर्ष 2001-02 में शुरू की गई थी। इस स्‍कीम का लक्ष्‍य, कठिन परिस्‍थितियों से घिरी हुई महिलाओं को आश्रय, भोजन, वस्‍त्र, परामर्श, प्रशिक्षण स्‍वास्‍थ्‍य से संबंधित तथा कानून से संबंधित सहायता प्रदान करते हुए उन्‍हें पुनव्‍यवस्‍थापित करना है। विपणन अनुसंधान एवं सामाजिक विकास केंद्र नई दिल्‍

देवस्थान विभाग की वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा योजना

देवस्थान विभाग की वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा योजना (वर्ष- 2018) योजना का नाम -  वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा योजना  योजना प्रारंभ वर्ष - 2013  (2016 से हवाई यात्रा को सम्मिलित करते हुए दीनदयाल उपाध्याय वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा योजना के नाम से) योजना का उद्देश्य व संक्षिप्त विवरण - इस योजना का उद्देश्य राजस्थान के मूल निवासी वरिष्ठ नागरिकों (60 वर्ष या अधिक आयु के व्यक्ति) को उनके जीवन काल में एक बार प्रदेश के बाहर देश में स्थित विभिन्न नाम निर्दिष्ट तीर्थ स्थानों में से किसी एक स्थान की यात्रा सुलभ कराने हेतु राजकीय सुविधा एवं सहायता प्रदान करना है।  तीर्थ यात्रा हेतु अनुदान राशि- स्वयं विभाग द्वारा यात्रा का आयोजन तथा निर्धारित यात्रा का व्यय वहन  योजना में कुल लाभार्थियों की विभागीय सीमा- 3,000    रेलमार्ग से। 7,500   वायुयान से इसमें देवस्थान विभाग द्वारा तीर्थ स्थल हेतु आवेदकों की संख्या तथा यात्रा की संभाव्यता के आधार पर उक्त संख्या तथा अनुपात में परिवर्तन किया जा सकेगा। तीर्थ स्थानों की सूची:- यात्रा हेतु तीर्थ

राजस्थान की योजनाएँ - राजस्थान की सिन्धु दर्शन तीर्थयात्रा योजना 2018

सिन्धु दर्शन तीर्थयात्रा योजना -2018 सिन्धु दर्शन तीर्थयात्रा का परिचय- सिन्धु दर्शन तीर्थयात्रा योजना जम्मू-कश्मीर राज्य के लेह-लद्दाख में सिन्धु नदी तक यात्रा का कार्यक्रम है।  वहां राज्य सरकार द्वारा सामान्यतः गुरु पूर्णिमा के निकट जून माह के आस-पास सिन्धु दर्शन उत्सव भी मनाया जाता है। वर्ष 2018 में उत्सव की तिथि 23-26 जून था जबकि 2019 में यह उत्सव 23-24-25 एवं 26 जून को आयोजित होगा।  इस यात्रा का उद्देश्य यात्रियों को भारत के उत्तरी सीमान्त क्षेत्र में सिन्धु संस्कृति से परिचित कराना है। जम्मू और कश्मीर राज्य सरकार द्वारा आयोजित होने वाला "सिंधु दर्शन उत्सव" हर वर्ष जून में तीन या चार दिनों तक चलता है, अतः इस समय यात्रा में वहाँ होने वाले धार्मिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन का अतिरिक्त आनंद लिया जा सकता है।   सिंधु दर्शन उत्सव सिंधु नदी और सैंधव संस्कृति का उत्सव है, साथ ही यह सांप्रदायिक सौहार्द और भारत की एकता के प्रतीक के रूप में आयोजित होता है।  इस दौरान बड़ी संख्या में विदेशी और घरेलू पर्यटकों का आगमन होता है, अतः पहले से बुकि

smart village scheme in rajasthan स्मार्ट विलेज योजना क्या है राजस्थान की योजनाएँ

राजस्थान की स्मार्ट विलेज योजना - राज्य सरकार के द्वारा बजट भाषण वर्ष 2017-18 में की गई घोषणा के क्रम में 3000 से अधिक आबादी वाले 3275 ग्रामों को स्मार्ट विलेज के रूप में विकसित किया जा रहा है। ग्रामों में समग्र रूप से आधुनिक सुविधायें यथा- परम्परागत सौर उर्जा से स्ट्रीट लाईटिंग , ई-पुस्तकालय व नालेज सेन्टर, कचरा प्रबंन्धन, वाई-फाई नेटवर्क, उद्यान व खेल मैदान का विकास, चारागाह विकास इत्यादि कार्य विभागों की विभिन्न योजनाओं में उपलब्ध वित्तीय एवं अन्य संसाधनों से कन्वर्जेस के माध्यम से कराए जाने का प्रावधान किया गया है। योजना का लक्ष्य- स्मार्ट विलेज के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में समग्र रूप से आधुनिक सुविधायें यथा- परम्परागत सौर उर्जा से स्ट्रीट लाईटिंग, ई-पुस्तकालय व नालेज सेन्टर, कचरा प्रबंन्धन, वाई-फाई नेटवर्क उद्यान व खेल मैदान का विकास, चारागाह विकास करना है। योजना के उद्देश्य - 3275 स्मार्ट विलेज में निम्न चयनित गतिविधियों के माध्यम से कार्य कराये जाने का उद्देश्य रखा गया है - 1. जल निकासी प्रबंधन (नालियां/सोख्ता गड्ढे) एवं पक्की गलियां। 2. प्रत्येक स्मार्ट विले

राजस्थान की योजनाएँ Swa Vivek Jila Vikas Yojna - राजस्थान की स्व-विवेक जिला विकास योजना

राजस्थान की स्व-विवेक जिला विकास योजना - योजना का परिचय - राज्य में क्षेत्र के विकास की आवश्यकता एवं आपातकालीन परिस्थितियों का सामना करने, रोजगार के अवसर सृजित करने हेतु जिला कलक्टर्स के स्तर पर स्व-विवेक से निर्णय लेकर विकास कार्य कराये जाने हेतु वर्ष 2005-06 में स्व-विवेक जिला विकास योजना लागू की गई हैं। योजना के उद्देश्य - क्षेत्र की आवश्यकता एवं उत्पन्न आपातकालीन परिस्थितियों में क्षेत्र में जन-आंकाक्षाओं के अनुरूप कार्य स्वीकृत कर रोजगार के अवसर सृजित करना। सामुदायिक परिसम्पत्तियों एवं आधारभूत भौतिक सम्पत्तियों का सृजन। स्थानीय समुदाय को रोजगार की उपलब्धता एवं उनके जीवन स्तर में सुधार। योजना का वित्त पोषण - योजना शत-प्रतिशत राज्य वित्त पोषित है। योजना की विशेषताएं - यह राज्य के केवल ग्रामीण क्षेत्रों में ही लागू है। इस योजनान्तर्गत जिला कलक्टर्स द्वारा क्षेत्र की आवश्यकता, जन आकांक्षाओं एवं आपातकालीन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये विकास कार्य स्वीकृत किये जा सकते हैं। इस प्रकार इस योजनान्तर्गत एक तरफ आपात कालीन परिस्थितियों का सामना क

राजस्थान की योजनाएँ Magra Area Development Programme - मगरा क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम

राजस्थान की ग्रामीण विकास की योजनाएँ - मगरा क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम कार्यक्रम का परिचय -  राजस्थान राज्य के दक्षिणी-मध्य के जनजाति उपयोजना क्षेत्र के अलावा वह क्षेत्र जो पहाड़ियों से घिरा हुआ है तथा जहां अन्य पिछड़ी जाति एवं अल्पसंख्यक लोगों का अधिवास है, को मगरा क्षेत्र कहा जाता है। मगरा क्षेत्र में रहने वाले लोगों के आर्थिक एवं सामाजिक विकास के साथ-साथ इस क्षेत्र में आधारभूत सुविधाओं के विकास हेतु वर्ष 2005-06 में मगरा क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया है।   उद्देश्य - प्रदेश का मगरा क्षेत्र जिसमें अन्य पिछड़ी जाति एवं अल्पसंख्यक लोग निवास करते हैं, राज्य के अन्य क्षेत्रों की तुलना में पिछड़ा हुआ है। मगरा क्षेत्रीय विकास योजना के दिशा निर्देशों से निम्न उद्देश्यों की पूर्ति हो सकेगी:-  मगरा क्षेत्र का आर्थिक एवं सामाजिक आधारभूत ढ़ांचागत विकास। सामुदायिक एवं अन्य आधारभूत भौतिक परिसम्पत्ति सृजन। श्री योजना में शामिल 5 मूल आधारभूत सुविधाएं यथा ग्राम स्वच्छता एवं स्वच्छ पेयजल, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, ग्रामीण आंतरिक सड़के, शिक्षा एवं ग्राम में रोशनी की व्यवस

राजस्थान की योजनाएँ - Kailsah Mansarovar Yatra Yojna of Devesthan Depatment Rajasthan

देवस्थान विभाग की कैलाश मानसरोवर दर्शन यात्रा योजना  Kailsah Mansarovar Yatra Yojna of Devesthan Depatment Rajasthan क्या है योजना का नाम-   कैलाश मानसरोवर यात्रा हेतु श्रद्धालुओं को सहायता योजना कब प्रारंभ हुई थी ये योजना - 1 अप्रैल 2011 से क्या है योजना का उद्देश्य - योजना का उद्देश्य विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के माध्यम से कैलाश मानसरोवर की यात्रा सफलतापूर्वक सम्पन्न करने वाले राजस्थान के स्थाई मूल निवासी श्रद्धालुओं को रुपये 1,00,000/- (अक्षरे एक लाख रुपये) प्रति यात्री की सहायता प्रदान करना। कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्रा का संक्षिप्त परिचय- जिन धार्मिक मान्यताओं और सांस्कृतिक महत्व के कारण कैलाश मानसरोवर की यात्रा जानी जाती है, वे अनेक धर्मों तक व्यापक है। हिन्दू परंपरा के अनुसार यह भगवान महादेव शिव का निवास स्थान भी है और मिथकों का सुमेरु एवं स्वर्गीय कल्पना का सेतु भी है। कैलाश पर्वत पर ही जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव ( 'भगवान आदिनाथ') ने अपना मोक्ष पाया था। तिब्बत अपने आप में बौद्ध धर्म