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Showing posts with the label राजस्थान के प्रमुख पर्व एवं उत्सव

अलवर में आयोजित किया गया सतरंगी मत्स्य उत्सव

अलवर जिला प्रशासन एवं पर्यटन विभाग व नगर विकास न्यास के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार 25 नवंबर को प्रातः इंदिरा गांधी स्टेडियम में दो दिवसीय मत्स्य उत्सव का विधिवत शुभारंभ किया गया। मत्स्य उत्सव के शुभारंभ अवसर पर जिला कलक्टर आशुतोष एटी पेडणेकर, जिला प्रमुख साफिया खान, अतिरिक्त जिला कलक्टर प्रथम नारायण सिंह, एसडीएम द्वितीय श्रवण कुमान बुनकर, एसीएम नीलिमा तक्षक, एसडीएम प्रतीभा पारीक एवं कांग्रेस नेता नरेंद्र शर्मा मौजूद थे। मत्स्य उत्सव के शुभारंभ के बाद जिला कलक्टर, जिला प्रमुख व कांग्रेस नेता नरेंद्र शर्मा बैलून में उड़े। इसके बाद अलवर दर्शन कार्यक्रम में पर्यटकों को ऐतिहासिक स्थलों सिलीसेढ़, हाजीपुर ढढ़ीकर फोर्ट, विजय मंदिर सहित अन्य स्थानीय पर्यटक स्थलों का भ्रमण कराया गया। इस अवसर पर नवीन स्कूल में चित्रकला एवं निबंध प्रतियोगिता आयोजित की गई। इसी दिन कलक्टर कार्यालय में अलवर ट्यूरिम डाट कॉम वेबसाइट जारी की गई। उत्सव के दौरान पुराना सूचना केंद्र से मूसी महारानी की छतरी तक हैरिटेज वॉक एवं शोभायात्रा का आयोजन भी किया गया। शोभायात्रा में अजमेर से आए कच्छी घोड़ी नृत्य के कलाकारों ने क

नाथद्वारा में श्रीनाथजी का अन्नकूट लूटने उमड़ते हैं हजारों आदिवासी

राजस्थान के राजसमंद जिले के नाथद्वारा कस्बे में स्थित वल्लभ सम्प्रदाय की प्रधानपीठ श्रीनाथजी के मंदिर में दीपावली के दूसरे दिन रात्रि में अन्नकूट महोत्सव एवं मेला आयोजित होता है जिसमें हजारों आदिवासियों का सैलाब उमड़ता है। यहाँ अन्नकूट लूटने की यह परंपरा सैंकडों वर्षों से चली आ रही है। इस परम्परा के तहत दिवाली के दूसरे दिन आसपास के गाँवों तथा कुंभलगढ़, गोगुन्दा और राजसमंद क्षेत्र से आदिवासी स्त्री पुरुष दोपहर से ही आना प्रारंभ हो जाते हैं। अन्नकूट में लगभग 20 क्विंटल पकाए हुए चावल के ढेर का पर्वत डोल तिबारी के बाहर बना कर सजाया जाता है तथा भगवान श्रीनाथजी को भोग लगाया जाता है। इसके अलावा अन्नकूट में श्रीखंड, हलवा (शीरा), बड़ा, पापड़, विभिन्न प्रकार के लड्डू, मोहनथाल, बर्फी, सागर, ठोर, खाजा, पकौड़े, खिचड़ी सहित लगभग 60 प्रकार के व्यंजन तैयार किए जाते हैं। श्रीनाथजी के अन्नकूट के दर्शन में भारी संख्या में भीड़ जमा होती है। अन्नकूट के दर्शन के लिए राजस्थान के विभिन्न हिस्सों के अलावा गुजरात, मुंबई एवं मध्यप्रदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु दो तीन दिन पूर्व ही श्रीनाथजी की नगरी में आ जाते

राजस्थान सामान्य ज्ञान-
मारवाड़ का घुड़ला त्यौहार


मारवाड़ के जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर आदि जिलों में चैत्र कृष्ण सप्तमी अर्थात शीतला सप्तमी से लेकर चैत्र शुक्ला तृतीया तक घुड़ला त्यौहार मनाया जाता है। इस त्यौहार के प्रति बालिकाओं में ज्यादा उत्साह रहता है। घुड़ला एक छिद्र किया हुआ मिट्टी का घड़ा होता है जिसमें दीपक जला कर रखा होता है। इसके तहत लड़कियाँ 10-15 के झुंड में चलती है। इसके लिए वे सबसे पहले कुम्हार के यहां जाकर घुड़ला और चिड़कली खरीद कर लाती हैं, फिर इसमें कील से छोटे-छोटे छेद करती हैं और इसमें दीपक जला कर रखती है। इस त्यौहार में गाँव या शहर की लड़कियाँ शाम के समय एकत्रित होकर सिर पर घुड़ला लेकर समूह में मोहल्ले में घूमती है। घुड़ले को मोहल्लें में घुमाने के बाद बालिकाएँ एवं महिलाएँ अपने परिचितों एवं रिश्तेदारों के यहाँ घुड़ला लेकर जाती है। घुड़ला लिए बालिकाएँ घुड़ला व गवर के मंगल लोकगीत गाती हुई सुख व समृद्धि की कामना करती है। जिस घर पर भी वे जाती है, उस घर की महिलाएँ घुड़ला लेकर आई बालिकाओं का अतिथि की तरह स्वागत सत्कार करती हैं। साथ ही माटी के घुड़ले के अंदर जल रहे दीपक के दर्शन करके सभी कष्टों को दूर करने तथा घर में सुख शांति

उदयपुर का मेवाड़ महोत्सव

पर्यटन विभाग के तत्वावधान में लोकपर्व गणगौर से जुड़े तीन दिवसीय मेवाड़ महोत्सव का आयोजन उदयपुर में किया जाता है। इस वर्ष यह आयोजन दिनांक 6 से 8 अप्रैल तक किया गया। इसके तहत उदयपुर के पुराने शहर व गणगौर घाट पर मेला भरा गया। 6 अप्रैल को गणगौर व ईसरजी की भव्य सवारियां निकाली गई तथा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुतियाँ हुई। इसमें महिलाएं गणगौर संबंधी विभिन्न लोकगीत गाते हुए तथा सभी लोग जयकारे लगाते चल रहे थे। चैत्र नवरात्रि की तीज के अवसर पर अंचल में गणगौर—ईसरजी की पूजा विधि विधान से की गई। व्रतार्थी महिलाओं ने घर—घर गणगौर व ईसरजी की प्रतिमाओं को सजाया और उनको जल आचमन करवाया। गणगौर व्रत की कथाओं को सुनकर आरती की। पहले दिन की गणगौर को गुलाबी गणगौर माना जाता है। इस दिन महिलाओं ने गणगौर की प्रतिमाओं को गुलाबी वस्त्र धारण करवाए तथा नख—शिख आभूषण धारण करवाए और उन्हें लाड़ लड़ाते हुए उनके सामने घूमर नृत्य किया। शहर के विभिन्न समाजों की सजी धजी गणगौरों की सवारियां गणगौर घाट पर पहुंची जहाँ पर्यटन विभाग की ओर से सर्वश्रेष्ठ गणगौर का खिताब लगातार तीसरी बार राजमाली समाज को तथा द्वितीय स्थ

दशामाता का त्यौहार

राजस्थान के विभिन्न अंचलों में दशामाता का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। जब मनुष्य की दशा ठीक होती है तब उसके सभी कार्य अनुकूल होते हैं किंतु जब दशा प्रतिकूल होती है तब अत्यंत परेशानी होती है। इसी दशा को दशा भगवती या दशा माता कहा जाता है। अपने परिवार की दशा उत्तम रखने के निमित्त हिंदू धर्म में दशा माता की पूजा तथा व्रत करने का विधान है। दस दिनों तक होती है दशामाता की पूजा किन्तु मुख्य पूजा होती है चैत्र कृष्ण दशम को- दशा माता का पूजन होली के दूसरे दिन अर्थात चैत्र कृष्ण 1 से ही प्रारंभ हो जाता है जब महिलाएँ स्नान कर के दशा माता के थान पर धूप दीपक और घी गुड़ का प्रसाद एवं गेहूँ आदि अनाज के आखे अर्पित करके दशा माता की कथा, जिसे स्थानीय भाषा में  ''दशा माता री वात'' कहते हैं, का श्रवण करती है। महिलाएं 10 दिनों तक रोजाना दशा माता की अलग अलग कहानियों को कहती व श्रवण करती है। दसवें दिन अर्थात चैत्र कृष्ण दशमी  को दशा माता का मुख्य त्यौहार मनाया जाता है । इस दिन महिलाओं द्वारा व्रत रखा जाता है तथा पीपल का पूजन कर दशामाता की कथा सुनी जाती है। इस दिन घरों में प

Major Festivals of Rajasthan - राजस्थान के प्रमुख पर्व एवं त्यौहार

1. बसंत पंचमी :- माघ शुक्ल 5 2. शीतला सप्तमी :- चैत्र कृष्ण सप्तमी 3. गणगौर :- चैत्र शुक्ल 3 व चतुर्थी 4. नवरात्रि :- चैत्र शुक्ल 1 से 9 एवं अश्विन शुक्ल 1 से 9 5. रामनवमी :- चैत्र शुक्ल 9 6. आखा तीज या अक्षय तृतीय :- वैशाख शुक्ल 3 7. हरियाली तीज :- श्रावण शुक्ल 3 8. रक्षाबंधन :- श्रावण पूर्णिमा 9. गोगा नवमी :- भाद्रपद कृष्ण 9 10. विजय दशमी :- अश्विन शुक्ल 10 11. दीपावली :- कार्तिक अमावस्या 12. होली :- फाल्गुन पूर्णिमा 13. महाशिवरात्रि :- फाल्गुन कृष्ण 14 14. रंग पंचमी :- चैत्र कृष्ण 5 15. दशामाता व्रत :- चैत्र कृष्ण 10 16. दुर्गाष्टमी :- चैत्र शुक्ल 8 17. महावीर जयंती :- चैत्र कृष्ण 13 18. हनुमान जयंती :- चैत्र पूर्णिमा 19. निर्जला एकादशी :- ज्येष्ठ शुक्ल 11 20. भड़ूली नवमी :- आषाढ़ शुक्ल 9 21. गुरु पूर्णिमा :- आषाढ़ शुक्ल 15 22. हरियाली अमावस्या :- श्रावण कृष्ण 30 23. कज्जली तीज या सातू तीज :- श्रावण शुक्ल 3 24. हल छठ या उब छठ :- भाद्रपद कृष्ण 6 25. जन्माष्टमी :- भाद्रपद कृष्ण 8 26. बछबारस या गौवत्स द्वादशी:- भ