tag:blogger.com,1999:blog-1950576287732675795.post4134921358611011920..comments2024-03-19T11:27:25.551+05:30Comments on Various Colours Of Rajasthan - राजस्थान के विविध रंग: Inscriptions to know the History of Rajasthanराजस्थान का इतिहास जानने का साधन शिलालेखRajasthan Studyhttp://www.blogger.com/profile/13803257872710310741noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-1950576287732675795.post-55015896725413781592020-11-18T19:10:55.850+05:302020-11-18T19:10:55.850+05:30:):)गुरप्रीत सिंहhttps://www.blogger.com/profile/02512116105056955985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1950576287732675795.post-35955242081368780762020-07-05T09:55:58.752+05:302020-07-05T09:55:58.752+05:30Haldighati yudh 1576 me huva thaHaldighati yudh 1576 me huva thaAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/04437611642846728649noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1950576287732675795.post-50744927213568378462020-02-15T15:42:32.213+05:302020-02-15T15:42:32.213+05:30 (h) (h)Rajasthan Studyhttps://www.blogger.com/profile/13803257872710310741noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1950576287732675795.post-3730700580866997342019-12-15T17:08:09.996+05:302019-12-15T17:08:09.996+05:30हा हा 😊😊हा हा 😊😊Suray veer singh Rathorehttps://www.blogger.com/profile/02342859259055312163noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1950576287732675795.post-89503784861051716902019-01-07T20:59:28.281+05:302019-01-07T20:59:28.281+05:30गुर्जर प्रतिहार फोर फादर ऑफ़ राजपूत
कर्नल जेम्स ट...गुर्जर प्रतिहार फोर फादर ऑफ़ राजपूत<br /><br />कर्नल जेम्स टोड कहते है राजपूताना कहलाने वाले इस विशाल रेतीले प्रदेश राजस्थान में, पुराने जमाने में राजपूत जाति का कोई चिन्ह नहीं मिलता परंतु मुझे सिंह समान गर्जने वाले गुर्जरों के शिलालेख मिलते हैं।<br /><br />पं बालकृष्ण गौड लिखते है जिसको कहते है रजपूति इतिहास तेरहवीं सदी से पहले इसकी कही जिक्र तक नही है और कोई एक भी ऐसा शिलालेख दिखादो जिसमे रजपूत शब्द का नाम तक भी लिखा हो। लेकिन गुर्जर शब्द की भरमार है, अनेक शिलालेख तामपत्र है, अपार लेख है, काव्य, साहित्य, भग्न खन्डहरो मे गुर्जर संसकृति के सार गुंजते है ।अत: गुर्जर इतिहास को राजपूत इतिहास बनाने की ढेरो सफल-नाकाम कोशिशे कि गई।<br /><br />इतिहासकार सर एथेलस्टेन बैनेस ने गुर्जर को सिसोदियास, चौहान, परमार, परिहार, चालुक्य और राजपूत के पूर्वज थे। <br /><br />लेखक के एम मुंशी ने कहा परमार,तोमर चौहान और सोलंकी शाही गुज्जर वंश के थे।<br /><br />स्मिथ ने कहा गुर्जर वंश, जिसने उत्तरी भारत में बड़े साम्राज्य पर शासन किया, और शिलालेख में "गुर्जर-प्रतिहार" के रूप में उल्लेख किया गया है, गुर्जरा जाति का था।<br /><br /> डॉ के। जमानदास यह भी कहते हैं कि प्रतिहार वंश गुर्जरों से निकला है, और यह "एक मजबूत धारणा उठाता है कि अन्य राजपूत समूह भी गुर्जरा के वंशज हैं।<br /><br />डॉ० आर० भण्डारकर प्रतिहारों व अन्य अग्निवंशीय राजपूतों की गुर्जरों से उत्पत्ति मानते हैं।<br />जैकेसन ने गुर्जरों से अग्निवंशी राजपूतों की उत्पत्ति बतलाई है<br />राजपूत गुर्जर साम्राज्य के सामंत थे गुर्जर-साम्राज्य के पतन के बाद इन लोगों ने स्वतंत्र राज्य स्थापित किए<br /><br />(गुर्जर वंश के शिलालेख)👇👇👇👇<br />नीलकुण्ड, राधनपुर, देवली तथा करडाह शिलालेख में प्रतिहारों को गुर्जर कहा गया है ।राजजर शिलालेख" में वर्णित "गुर्जारा प्रतिहारवन" वाक्यांश से। यह ज्ञात है कि प्रतिहार गुर्जरा वंश से संबंधित थे। <br /><br />ब्रोच ताम्रपत्र 978 ई० गुर्जर कबीला(जाति)<br />का सप्त सेंधव अभिलेख हैं<br /><br />पाल वंशी,राष्ट्रकूट या अरब यात्रियों के रिकॉर्ड ने प्रतिहार शब्द इस्तेमाल नहीं किया बल्कि गुर्जरेश्वर ,गुर्जरराज,आदि गुरजरों परिवारों की पहचान करते हैं।<br /><br />बादामी के चालुक्य नरेश पुलकेशियन द्वितीय के एहोल अभिलेख में गुर्जर जाति का उल्लेख आभिलेखिक रूप से हुआ है।<br />राजोरगढ़ (अलवर जिला) के मथनदेव के अभिलेख (959 ईस्वी ) में स्पष्ट किया गया है की प्रतिहार वंशी गुर्जर जाती के लोग थे <br /><br />नागबट्टा के चाचा दड्डा प्रथम को शिलालेख में "गुर्जरा-नृपाती-वाम्सा" कहा जाता है, यह साबित करता है कि नागभट्ट एक गुर्जरा था, क्योंकि वाम्सा स्पष्ट रूप से परिवार का तात्पर्य है।<br />महिपाला,विशाल साम्राज्य पर शासन कर रहा था, को पंप द्वारा "गुर्जरा राजा" कहा जाता है। एक सम्राट को केवल एक छोटे से क्षेत्र के राजा क्यों कहा जाना चाहिए, यह अधिक समझ में आता है कि इस शब्द ने अपने परिवार को दर्शाया।<br /><br />भडोच के गुर्जरों के विषय दक्षिणी गुजरात से प्राप्त नौ तत्कालीन ताम्रपत्रो में उन्होंने खुद को गुर्जर नृपति वंश का होना बताया<br /><br />प्राचीन भारत के की प्रख्यात पुस्तक ब्रह्मस्फुत सिद्धांत के अनुसार 628 ई. में श्री चप<br />(चपराना/चावडा) वंश का व्याघ्रमुख नामक गुर्जर राजा भीनमाल में शासन कर रहा था<br /><br />9वीं शताब्दी में परमार जगददेव के जैनद शिलालेख में कहा है कि गुर्जरा योद्धाओं की पत्नियों ने अपनी सैन्य जीत के<br />परिणामस्वरूप अर्बुडा की गुफाओं में आँसू बहाए। <br /><br />। मार्कंदई पुराण,स्कंध पुराण में पंच द्रविडो में गुर्जरो जनजाति का उल्लेख है।<br /><br />के.एम.पन्निकर ने"सर्वे ऑफ़ इंडियन हिस्ट्री "में लिखा है गुर्जरो ने चीनी साम्राज्य फारस के शहंसाह,मंगोल ,तुर्की,रोम ,मुगल और अरबों को खलीफाओं की आंधी को देश में घुसने से रोका और प्रतिहार (रक्षक)की उपाधि पायी,सुलेमान ने गुर्जरो को ईसलाम का बड़ा दुश्मन बताया था।<br /><br />लाल कोट किला का निर्माण गुर्जर तनवार प्रमुख अंंगपाल प्रथम द्वारा 731 के आसपास किया गया था जिसने अपनी राजधानी को कन्नौज से लाल कोट में स्थानांतरित कर दिया था। <br />इतिहासकार डॉ ऑगस्टस होर्नले का मानना है कि तोमर गुर्जरा (या गुज्जर) के शासक वंश में से एक थे। <br /><br /> लेखक अब्दुल मलिक,जनरल सर कनिंघम के अनुसार, कानाउज के शासकों गुजर जाती<br />(गुजर पी -213 का इतिहास) 218)। उनका गोत्रा तोमर था<br /><br />गुर्जर साम्राज्य अनेक भागों में विभक्त हो गया ।इनमें से मुख्य भागों के नाम थे:<br /><br />शाकम्भरी (सांभर) के चाहमान (चौहान)<br />दिल्ली के तौमर<br />मंडोर के गुर्जर प्रतिहार<br />बुन्देलखण्ड के कलचुरि<br />मालवा के परमार<br />मेदपाट (मेवाड़) के गुहिल<br />महोवा-कालिजंर के चन्देल<br />सौराष्ट्र के चालुक्यKanishk singh tanwarhttps://www.blogger.com/profile/02306859426682266394noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1950576287732675795.post-16135806906276550222017-11-28T23:02:26.019+05:302017-11-28T23:02:26.019+05:30जगन्नाथराय का शिलालेख (1652 ई.)-
हल्दीघाटी युद्...जगन्नाथराय का शिलालेख (1652 ई.)-<br /><br /><br /><br />हल्दीघाटी युद्ध, महाराणा जगतसिंह के समय में उसके द्वारा किये जाने वाले दान-पुण्य का वर्णन आदि किया गया है। <br /><br />हल्दीघाटी का युद्ध कब हुआ था? प्रशस्ति लिखने के बाद??Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16754306121471653000noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1950576287732675795.post-24793582493860777462017-11-28T23:02:23.947+05:302017-11-28T23:02:23.947+05:30जगन्नाथराय का शिलालेख (1652 ई.)-
हल्दीघाटी युद्...जगन्नाथराय का शिलालेख (1652 ई.)-<br /><br /><br /><br />हल्दीघाटी युद्ध, महाराणा जगतसिंह के समय में उसके द्वारा किये जाने वाले दान-पुण्य का वर्णन आदि किया गया है। <br /><br />हल्दीघाटी का युद्ध कब हुआ था? प्रशस्ति लिखने के बाद??Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16754306121471653000noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1950576287732675795.post-20213425170727909672017-07-04T12:26:46.721+05:302017-07-04T12:26:46.721+05:30शिलालेख शंकर गट्टा चित्तौड़गढ़ ki history kha heशिलालेख शंकर गट्टा चित्तौड़गढ़ ki history kha heAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/03990418838710242108noreply@blogger.com