Skip to main content

लवण श्रमिक कल्याण योजना राजस्थान | Salt Labor Welfare Scheme Rajasthan in Hindi

राजस्थान लवण श्रमिक कल्याण सहयोग योजना-2009 

RAJASTHAN SALT LABOUR WELFARE ASSISTANCE SCHEME 2009 

योजना की पृष्ठभूमि -

राजस्थान भूमिगत जल से लवण निर्माण में सर्वोच्च स्थान रखता है। देश में उत्पादित नमक का लगभग 12 प्रतिशत हिस्सा राज्य में उत्पादित किया जाता है। यह उद्योग राज्य के रेगिस्तानी इलाकों में स्थित है, जो अकाल के समय में भी लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है। यह उद्योग राज्य के रेगिस्तानी इलाकों में स्थित है, जो अकाल के समय में भी लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है। राज्य के खुले लवण क्षेत्रों में निजी इकाईयों को राज्य सरकार के उद्योग विभाग के माध्यम से लवण भूमि का आवंटन किया जाता है, जबकि आरक्षित लवण क्षेत्रों में राजकीय/केन्द्रीय उपक्रम विभागों द्वारा नमक उत्पादन का कार्य करवाया जाता है। इसके अतिरिक्त लवण क्षेत्रों की परिधि में खातेदारों (कृषकों) जिनकी भूमि लवणीय हो गयी है, खातेदार (कृषक) द्वारा खातेदारी भूमि को कृषि से अकृषि भूमि में राजस्व विभाग के माध्यम से रूपान्तरित करवाकर लवण निर्माण का कार्य किया जाता है। राजस्थान राज्य में खुले लवण क्षेत्र जोधपुर, नागौर, जैसलमेर, चूरू, सीकर व बाड़मेर जिलों में घोषित हैं। वर्तमान में राज्य के विभिन्न लवण क्षेत्रों में 648 इकाईयों को 10833 एकड़ भूमि आवंटित है जिनसे लगभग 15.00 लाख से 17.00 लाख रुपये राजस्व आय प्रतिवर्ष प्राप्त होती है। निजी खातेदारी द्वारा राजस्थान कृषि से अकृषि भूमि रूपान्तरण नियम-1961 के अन्तर्गत जिला कलेक्टर को 10 एकड़ तक रूपान्तरण की शक्तियां प्रदत्त थी। वर्ष 1992 से पूर्व विभिन्न जिला कलेक्टरों द्वारा 650 इकाईयों की 4600 एकड़ भूमि को रूपान्तरित किया गया था। इन इकाईयों के संबंध में लीज निष्पादन, नवीनीकरण, हस्तानान्तरण की कार्यवाही उद्योग विभाग द्वारा ही सम्पादित की जाती है। वर्ष 1992 के बाद कृषि से अकृषि लवण भूमि ग्रामीण क्षेत्र में भूमि संपरिवर्तन नियम 1992 एवं 2007 के तहत कृषि भूमि का लवण भूमि में संपरिवर्तन राजस्व विभाग द्वारा किया जा रहा हैं एवं इनकी वास्तविक सूचना राजस्व विभाग के पास उपलब्ध है।
 
इस उद्योग की रीढ़ इसमें संलग्न श्रमिक ही है जो सामाजिक और शैक्षिक क्षेत्र में वंचित है। उनके कल्याण के लिए यह योजना वर्ष 2009 में एक अधिसूचना जारी करके राज्य सरकार द्वारा लागू की गयी है। जिसमें निम्नांकित 4 योजनाएं शामिल की गई है -
  1. नमक श्रमिक पंजीकरण योजना

  2. लवण श्रमिक बीमा योजना

  3. गम बूट्स एवं गोगल्स का वितरण योजना

  4. लवण श्रमिकों को साईकिलों का वितरण योजना

योजना का उद्देश्य-

योजना का उद्देश्य लवण श्रमिकों की कार्य-दशा में सुधार करना तथा उन्हें सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है। 

योजना अधीन - 

राज्य सरकार

योजना के विस्तृत का विवरण लिंक -

http://industries.rajasthan.gov.in/content/dam/industries/CI/SaltLabourWelfareScheme2.pdf


आवेदन सामान्य अवधि - किसी भी समय

योजना की प्रगति


नमक श्रमिक कल्याण योजना हेतु गाईड लाईन्स

i) नमक श्रमिक पंजीकरण योजना

नमक श्रमिकों की कल्याण योजना का लाभ नमक श्रमिकों को ही मिले, इसके लिए नमक श्रमिकों की पहचान कर प्रत्येक श्रमिक को एक फोटोयुक्त पहचान पत्र जारी किया जायेगा। 

पात्रता -

  • 18 से 60 वर्ष के आयुवर्ग के बीच के सभी लवण श्रमिक चाहे महिला हो या पुरूष इस योजना में शामिल होगे, जो एक वर्ष से अधिक समय से नमक उत्पादन या नमक परिष्करण कार्य कर रहे हैं। (इस आयु सीमा में दिनांक - 07 -06 -2018 के आदेश से संशोधन करके 18 से 59 वर्ष कर दिया गया है ) 

 

इस प्रक्रिया पर रू.100/- प्रति नमक मजदूर की दर से व्यय राज्य सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है। इसके मुख्य चरण इस प्रकार होगें:- 

1. प्रत्येक नमक श्रमिक से पंजीकरण हेतु निर्धारित प्रपत्र (प्रारूप-क) में आवेदन पत्र प्राप्त किया जायेगा।
2. आवेदन पत्र श्रमिक के नियोक्ता अथवा प्रपत्र पूर्ण करवाने वाली संस्था द्वारा प्रमाणित किया जायेगा।
3. पहचान पत्र जारी करवाने हेतु भी किसी संस्था का चयन करना होगा। इसमें पंजीयन हेतु आवेदन पत्र प्राप्त करने होगें। इन आवेदन पत्रों का रजिस्टर में इन्द्राज करना होगा, तत्पश्चात् फोटो परिचय पत्र जारी करने होगें।
4. प्रत्येक आवेदन पत्र का रजिस्टर में इन्द्राज कर संबंधित राजकीय अधिकारी (लवण निरीक्षक/उद्योग प्रसार अधिकारी/महाप्रबंधक) द्वारा रजिस्टर में प्रमाणीकरण कर किया जायेगा।
5. प्रत्येक श्रमिक को फोटोयुक्त लेमीनेटेड पहचान पत्र, जिसमें श्रमिक का नाम, पता, क्रमांक, नियोक्ता का नाम, वोटर पहचान पत्र का क्रमांक एवं भाग संख्या आदि स्पष्टतः अंकित किये जाने हैं।
6. श्रमिकों की शत-प्रतिशत जानकारी के लिये लवण उत्पादकों, ऑथोराईजेशन प्लांट/रिफाईनरीज की सूचियां तैयार कर नियोक्ताओं से अधिकाधिक प्रविष्टियां प्राप्त करने हेतु प्रेषित किया जायेगा। लोकल समाचार पत्रों में न्यूज आईटम देकर पब्लिसिटी की जायेगी।
7. नमक मजदूर पंजीकरण हेतु अधिकाधिक प्रविष्टियां प्राप्त करने हेतु किसी भी संस्था को एन.जी.ओ. या नमक उत्पादक संघों को प्रेरक नियुक्त कर राशि दी जा सकती है, परन्तु समस्त कार्यवाही पर व्यय की सीमा 100/-रू. प्रति श्रमिक से अधिक नहीं होगी।
8. समस्त गतिविधियों के संचालन हेतु महाप्रबंधक, जिला उद्योग केन्द्र की अध्यक्षता में एक कमेटी निम्नानुसार गठित की जावेगी:-

  • महाप्रबंधक - अध्यक्ष

  • लवण निरीक्षक/उद्योग प्रसार अधिकारी - सदस्य

  • नमक उत्पादक संघ का प्रतिनिधि - सदस्य

  • लेखा संवर्ग का प्रतिनिधि, जो भी जि.उ.के. में उपलब्ध हो - सदस्य

  प्रपत्र-क

लवण श्रमिक पंजीकरण हेतु आवेदन पत्र
नमक श्रमिक पंजीकरण


(ii) लवण श्रमिक बीमा योजना-


लवण श्रमिक बीमा योजना के उद्देश्य:-

इस योजना का मूल उद्देश्य लवण श्रमिकों की स्वाभाविक मृत्यु के साथ-साथ दुर्घटना में मृत्यु होने की स्थिति में बढ़ा हुआ बीमा कवर एवं उच्चतम बीमा राशि प्रदान करना है।

पात्रता -

  •  लवण श्रमिक महिला एवं पुरूष जिनके पास लवण श्रमिक योजनान्तर्गत जारी पहचान पत्र हो।
  • 18 से 60 वर्ष के आयुवर्ग के बीच के सभी श्रमिक चाहे महिला हो या पुरूष इस योजना में शामिल होगे। (इस आयु सीमा में दिनांक - 07 -06 -2018 के आदेश से संशोधन करके 18 से 59 वर्ष कर दिया गया है ) 

जनश्री बीमा योजना

1. सदस्य की मृत्यु की स्थिति में 30000/- नामित को देय।

2. दुर्घटना के कारण मृत्यु होने पर 75000/- रुपये देय।

3. दुर्घटना के कारण स्थायी अपंगता पर 75000/- रुपये एवं एक अंग की हानि पर 37,500/- रूपये देय।

4. परिवार के दो बच्चे को शिक्षा सहयोग हेतु 9वीं से 12वीं कक्षा में पढ़ने वाले प्रति छात्र 300/- रुपये प्रति तिमाही प्रति छात्र को चार वर्ष देय होगी। 

पैटर्न ऑफ़ असिसटेन्स -

  • प्रति व्यक्ति 200/- प्रति वर्ष प्रीमियम देय होगा।
  • वार्षिक प्रीमियम में से भारतीय जीवन बीमा निगम के सुरक्षा फण्ड से 100/- रूपये एवं 100/- रूपये राज्य सरकार द्वारा वहन किये जायेगे। 11वीं पंचवर्षीय योजना में 25000 लवण श्रमिकों को इस योजनान्तर्गत बीमित किये जाने की सम्भावना है।

ऑपरेशनल मोडिलिटीज

1. यह योजना साल दर साल के आधार पर क्रियान्वित की जायेगी। प्रीमियम राशि का भुगतान वार्षिक हिसाब से भारतीय जीवन बीमा निगम को देय होगा।
2. एक बार दिया गया प्रीमियम रिफण्ड नही किया जायेगा।
3. महाप्रबन्धक, जिला उद्योग केन्द्र राज्य सरकार की ओर से देय राशि रिलीज करेगा।
4. आवेदक लवण श्रमिक द्वारा भारतीय जीवन बीमा निगम का ''एप्लीकेशन कम नोमिनेशन फार्म'' जिला उद्योग केन्द में जमा कराया जायेगा।
5. निर्धारित प्रपत्र नोडल एजेन्सी ( जिला उद्योग केन्द्रों ) को भारतीय जीवन बीमा निगम उपलब्ध करायेगा।
6. नोडल एजेन्सी (जिला उद्योग केन्द्र) आयु वर्ग एवं अन्य सभी साक्ष्य पर संतुष्ट होने पर ही बीमा प्रपत्र को भुगतान राशि के साथ अग्रेषित किया जायेगा।
7. प्रीमियम भुगतान राशि प्राप्त होने पर भारतीय जीवन बीमा निगम गु्रप इन्श्योरेन्स पालिसी नोडल एजेन्सी (जिला उद्योग केन्द्र) को मय सूची उपलब्ध करायेगा।
8. महाप्रबन्धक, जिला उद्योग केन्द्र, प्रत्येक लाभान्विति को उक्त सूचना उपलब्ध करायेगा।
9. लवण श्रमिक के देहान्त होने/स्थाई अपंगता होने आदि के प्रकरण में नोमिनी से सभी साक्ष्य यथा मृत्यु प्रमाण-पत्र इत्यादि प्राप्त कर नोडल एजेन्सी (जिला उद्योग केन्द्र) के माध्यम से भारतीय जीवन बीमा निगम को प्रस्तुत किये जाएंगे।
10. भारतीय जीवन बीमा निगम दावे को राशि का भुगतान 15 दिवस में करेगा।
11. महाप्रबन्धक, जिला उद्योग केन्द्र द्वारा प्रत्येक लवण श्रमिक के बीमा प्रीमियम की राशि का भुगतान लवण श्रमिक के आवेदन पत्र प्राप्ति के पश्चात् करना होगा।

अतिरिक्त लाभ:- 

जनश्री बीमा योजना के नामर्स के अनुसार प्राप्त होंगे।

दावे के भुगतान की प्रक्रिया:-

1. लाभान्विति द्वारा मूल मृत्यु प्रमाण पत्र की प्रतिलिपि नोडल एजेन्सी को प्रस्तुत करना होगा। नोडल एजेन्सी द्वारा उक्त दावा प्रपत्र इन्श्योरेन्स कवर के साथ प्रस्तुत करना होगा।
2. भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा दावे का भुगतान नोमिनी के नाम से उसके बैंक खाते में महाप्रबन्धक, जिला उद्योग केन्द्र के माध्यम से किया जावेगा।
3. योजना की समीक्षा हेतु आयुक्त, उद्योग स्तर पर एक बैठक प्रति माह 18 तारीख को आयोजित की जावेगी। बैठक में शाखा प्रबन्धक या भारतीय जीवन बीमा निगम के मनोनीत प्रतिनिधि द्वारा प्राप्त आवेदन पत्र, पाॅलिसी जारी होने की प्रगति प्राप्त दावे एवं भुगतान की जिलेवार स्थिति से अवगत कराया जावेगा। नियत तिथि पर राजकीय अवकाश होने की स्थिति पर बैठक आगामी कार्यदिवस पर आयोजित होगी।


नोट- 

उक्त बीमा योजना दिनांक - 07 -06 -2018 के आदेश से निम्नानुसार संशोधन किया गया है-

51 से 59 वर्ष के लवण श्रमिक ''आम आदमी बीमा योजना (AABY)'' के तहत कवर होंगे जबकि 18 से 50 वर्ष के लवण श्रमिक ''प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY)''/ ''प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY)''के तहत कवर होंगे। इसमें से आम आदमी बीमा योजना (AABY) का लवण श्रमिक का 100 /- प्रीमियम का योगदान तथा PMJJBY/PMSBY का लवण श्रमिक का 171 /- प्रीमियम का योगदान का भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जायेगा जबकि प्रीमियम के शेष भाग का वहन LIC सामाजिक सुरक्षा फंड के द्वारा किया जाएगा।

(iii) गम बूट्स एवं गोगल्स का वितरण योजना -

1. इस योजना में जारी लवण श्रमिक पहचान पत्र धारक योजना में पात्र होगा।
2. लवण श्रमिक को प्रपत्र-ख में आवेदन पत्र करना होगा।
3. गम बूट्स एवं गोगल्स के स्पेसिफिकेशन्स आयुक्त, उद्योग द्वारा लवण आयुक्त, भारत सरकार/डेजर्ट मेडिकल रिसर्च सेन्टर, जोधपुर के प्रतिनिधि की राय से तय किये जावेगें।
4. महाप्रबंधक जिला स्तर पर गम बूट्स एवं गोगल्स बजट प्रावधान एवं आवश्यकता के हिसाब से क्रय कर वितरण करायेगें।
5. महाप्रबंधक, जिला उद्योग केन्द्र गम बूट्स एवं गोगल्स क्रय करने हेतु सक्षम अधिकारी होगें एवं राशि आहरण योजना अनुसार आवंटित राशि में से कर सकेगें। 

गम बूट्स एवं गोगल्स का वितरण योजना

iv) लवण श्रमिकों को साईकिल वितरण योजना :-

1. इस योजना में जारी लवण श्रमिक पहचान पत्र धारक योजना में पात्र होगा।
2. साईकिल उपलब्ध करवाये जाने हेतु पृथक से आवेदन पत्र 'प्रपत्र-ग' में आवेदक द्वारा भरकर जमा करवाया जावेगा।
3. नमक श्रमिकों को साईकिल उपलब्ध करवाने हेतु समाचार पत्रों में मैन्यूफैक्चरिंग कम्पनी/अधिकृत डीलर से निविदाएं आमंत्रित कर निविदादाता से साईकिल क्रय करनी होगी।
4. क्रय की जाने वाली साईकिल का निर्धारण महाप्रबंधक, जिला उद्योग केन्द्र द्वारा नमक उत्पादक संघ की सहमति से किया जावेगा।
5. महाप्रबंधक, जिला उद्योग केन्द्र साईकिल क्रय करने हेतु सक्षम अधिकारी होगें एवं राशि आहरण योजना अनुसार आवंटित राशि में से कर सकेगें।
6. योजना में आवेदक को 300/- रूपये सहभागिता स्वरूप आवेदन के साथ जमा कराने होगें।

लवण श्रमिकों को साईकिलों का वितरण योजना


 

Comments

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली