स्वाधार गृह योजना-
कठिन परिस्थितियों में महिलाओं के लिए प्राथमिक जरूरतों को पूरा करने हेतु योजना
शोषण से महिलाओं की रक्षा और उनके शेष जीवन में आश्रय व पुनर्वास के लिए, तत्कालीन समाज कल्याण विभाग द्वारा वर्ष 1969 में, सामाजिक सुरक्षा पद्धति के तौर पर महिलाओं और बालिकाओं के लिए एक 'अल्पावास गृह' स्कीम आरंभ की गई थी ।
इस स्कीम का उद्देश्य पारिवारिक कलह या अनबन, अपराध, हिंसा, मानसिक तनाव, सामाजिक बहिष्कार, वैश्यावृत्ति की ओर बलपूर्वक धकेले जाने और नैतिक खतरों के कारण बेघर हुई महिलाओं या बालिकाओं को अस्थायी आवास, अनुरक्षण गुजारा-राशि और समान उद्देश्यों वाली पुनर्वास जैसी सेवाएं प्रदान करना है । दुस्साध्य परिस्थितियों से घिरी हुई महिलाओं के लिए स्वाधार नामक एक अन्य स्कीम, वर्ष 2001-02 में शुरू की गई थी। इस स्कीम का लक्ष्य, कठिन परिस्थितियों से घिरी हुई महिलाओं को आश्रय, भोजन, वस्त्र, परामर्श, प्रशिक्षण स्वास्थ्य से संबंधित तथा कानून से संबंधित सहायता प्रदान करते हुए उन्हें पुनव्यवस्थापित करना है। विपणन अनुसंधान एवं सामाजिक विकास केंद्र नई दिल्ली द्वारा दोनों स्कीमों के कार्य निष्पादन का आकलन करने के लिए वर्ष 2007 में मूल्यांकन किया गया।
भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा विपरीत परिस्थितियों में जीवन यापन करने वाली महिलाओं को आश्रय प्रदान करने हेतु स्वाधार गृह योजना प्रारम्भ की गई।
इस योजनान्तर्गत आश्रय, भोजन, वस्त्र, परामर्श सेवायें, प्रशिक्षण, स्वास्थ्य से सम्बन्धित एवं विधिक सहायता प्रदान करते हुए महिलाओं को पुनर्वासित किया जाता है, ताकि वे सम्मानपूर्वक एवं विश्वासपूर्वक अपना जीवन यापन कर सकें।
योजना के उद्देश्य-
1. बिना किसी सामाजिक और आर्थिक सहायता वाली व्यथित महिलाओं को आश्रय, भोजन, वस्त्र, स्वास्थ्य चिकित्सा संबंधी सेवाएं प्रदान करना।
2. दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों की शिकार एवं व्यथित महिलाओं में उनके भावनात्मक मनोबल को सुद्रढ कर उन्हें समर्थ बनाना।
3. परिवार, समाज में स्वयं का पुनः अवस्थित करने के योग्य बनाने के लिए उन्हें कानूनी सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करना।
4. आर्थिक एवं भावनात्मक दृष्टिकोण पुनःस्थापित करना।
5. व्यथित महिलाओं की विभिन्न आवश्यकताओं को समझाने और उन्हें पूरा करने के लिए सहायक तंत्र के रूप में काम करना।
6. सम्मान एवं विश्वासपूर्वक नए सिरे से जीवन आरंभ करने के योग्य बनाना।
2. दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों की शिकार एवं व्यथित महिलाओं में उनके भावनात्मक मनोबल को सुद्रढ कर उन्हें समर्थ बनाना।
3. परिवार, समाज में स्वयं का पुनः अवस्थित करने के योग्य बनाने के लिए उन्हें कानूनी सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करना।
4. आर्थिक एवं भावनात्मक दृष्टिकोण पुनःस्थापित करना।
5. व्यथित महिलाओं की विभिन्न आवश्यकताओं को समझाने और उन्हें पूरा करने के लिए सहायक तंत्र के रूप में काम करना।
6. सम्मान एवं विश्वासपूर्वक नए सिरे से जीवन आरंभ करने के योग्य बनाना।
कार्यनीति-
(क) भोजन, वस्त्र, चिकित्सा सुविधाओं आदि सहित अस्थायी आवास
(ख) ऐसी महिलाओं के आर्थिक पुनःस्थापन हेतु व्यावसायिक और कौशल प्रशिक्षण।
(ग) काउंसलिंग, जागरूकता में बढ़ोतरी तथा आचरण संबंधी प्रशिक्षण।
(घ) कानूनी सहायता एवं मार्गदर्शन।
(ड) दूरभाष द्वारा कांउसिलिंग।
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लाभार्थी-
निम्नांकित वर्गों में से 18 वर्ष से अधिक आयु की महिलाएं इस योजना का लाभ प्राप्त कर सकती हैं-
(क) बिना किसी आर्थिक एवं सामाजिक सहायता वाली परित्यक्त महिलाएं।
(ख) प्राकृतिक आपदा के पश्चात् बेघर हुई महिलाएं जिन्हें कोई सामाजिक अथवा आर्थिक सहायता या सहयोग प्राप्त नहीं है।
(ग) जेल से रिहा की गई ऐसी महिलाएं जिनका कोई परिवार नहीं है तथा जो सामाजिक आर्थिक रूप से असहाय हों।
(घ) घरेलू हिंसा, पारिवारिक तनाव या कलह से पीडित महिला जो गुजारा भत्ता के बगैर घर छोड़ने पर विवश हों तथा ऐसी महिलाएं जिनके पास शोषण और/या वैवाहिक कलह के कारण मुकदमेबाजी झेल रही हो, और उनके पास कोई विशेष सुरक्षापाय न हो।
(ड) महिलाओं के अवैध व्यापार/वैश्यालयों से छुडाई गई या भाग कर बेचकर आई हुई बालिकाओं या अन्य स्थानों से जहां वे शोषण का शिकार हो जाती हैं तथा एचआईवी/एड्स से पीडित सामाजिक या आर्थिक सहायता से विहीन महिलाए। यद्यपि ऐसी महिलाएं/ बालिकाएं पहले उज्ज्वला स्कीम के अन्तर्गत, जहां कहीं भी लागू होगी, सहायता प्राप्त करेंगी।
(i) इस योजना के अधीन निम्न में से कोई भी एजेंसियां/संगठन सहायता प्राप्त कर सकता है:-
क. राज्य सरकारों द्वारा स्थापित महिला विकास निगमों सहित राज्य सरकार की एजेंसियां।
ख. केन्द्र अथवा राज्य सरकार के स्वायत संगठन।
ग. नगरीय निकाय।
घ. छावनी बोर्ड।
ङ. पंचायती राज संस्था एवं को-आपरेटिव संस्थान।
च. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय /राज्य सरकारों के समाज कल्यााण के विभाग जो स्वयं स्वाधार गृह निर्माण कर इस स्कीम के अधीन प्रचालन कार्य प्रबंधन संबंधी उसे चला सकें या पर्याप्त अवधि जो भी ठीक हो, का अनुभव हो, ऐसे संगठन को लीज़ पर दे सके।
छ. तत्समय पर लागू किसी भी कानून के अंतर्गत पंजीकृत सार्वजनिक न्यास।
ज. सिविल समाज संगठन जैसे एनजीओ आदि जिन्होंने महिलाओं के कल्याण/समाज कल्याण/महिला शिक्षा के क्षेत्र में बहुत ही अच्छां कार्य किया हो, बशर्ते कि संगठन भारतीय सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 या किसी अन्य प्रासंगिक राज्य अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत हो।
(ii) पैरा (छ) और (ज) के अंतर्गत आने वाले संगठनों को निम्नमलिखित मानदंड पूरे करने होंगे :
क) वर्तमान स्कीम /कानून के अंतर्गत या तो यह राज्य/संघ शासित प्रदेश से मान्यता प्राप्त होनी चाहिए या इस क्षेत्र में कम से कम 3 वर्ष का कार्यात्मतक अनुभव सहित ख्याति प्राप्त हो और इसके कार्य की संबंधित राज्य सरकार/संघ राज्य प्रशासनों द्वारा संतोषजनक रिपोर्ट दी हो।
ख) साधारणतया ये संगठन, इस योजना के अंतर्गत अनुदान सहायता के लिए आवेदन करने से पूर्व, महिलाओं के कल्यााण/समाज कल्याण/महिला शिक्षा के कार्य से कम से कम दो वर्ष से जुड़े हों।
ग) परियोजना के प्रबंधन कार्य के लिए संगठन के पास सुविधाएं स्रोत, कार्मिक और अनुभव होना चाहिए.
घ) अनुदान में विलंब होने की स्थिति में कुछ माह तक व्यय के वहन के लिए वित्तीय स्थिति सुदृढ़ होनी चाहिए।
ङ) वह स्वाधार गृह को किसी लाभ के बिना चलाएगा ।
च) संगठन के सभी आधार गृहों में कंम्यूटर, इंटरनेट कनेक्शन, आदि जैसी सुविधा होनी चाहिए।
ख. स्वाधार गृहों के लिए किराया, यदि किराया के भवन में प्रचालन किया जा रहा हो।
ग. स्वाधार गृहों के प्रबंधन के लिए आवर्ती एवं गैर आवर्ती व्यय के लिए सहायता ।
घ. निवासियों और बच्चों के लिए भोजन, आश्रय, वस्त्र, चिकित्सा, देखभाल, जेब खर्च का प्रावधान।
ङ. परामर्श, कानूनी सहायता, वस्त्र , व्यावसायिक प्रशिक्षण व मार्गदर्शन का प्रावधान।
योजना के तहत स्थापित सभी स्वाधार गृह, चाहे नए निर्मित हों अथवा किराए के परिसर में या अन्य प्रकार से चल रहे हों, की निगरानी उनके निर्बाध रूप से चलने, किसी अंतराल की पहचान करने और तत्संबंध में उपाय करने हेतु ऐसे सुझाव देने जिससे उनकी कार्य प्रणाली बेहतर हो सके, को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से निम्नानुसार गठित समिति द्वारा निरंतर की जाएगी :
क. जिलाधीश - अध्यक्ष
ख. मुख्य चिकित्सा अधिकारी- सदस्य
ग. पुलिस अधीक्षक - सदस्य
घ. जिला समाज कल्याण अधिकारी/ अधिकारी महिला और बाल कल्याण- सदस्य
ङ. जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण प्रतिनिधि - सदस्य
च. नगर निगम/पंचायती राज संस्था का प्रतिनिधि - सदस्य
छ. जिलाधीश के विवेकानुसार जिले के अन्य प्रतिष्ठित व्यक्ति - सदस्य
यह सुनिश्चित किया जाए कि जिला समिति में दो महिला सदस्य होने चाहिए। समिति की बैठक तिमाही में एक बार आयोजित की जाएगी। प्रत्येक क्रियान्वयन ऐजेंसी स्वाधार गृह की तिमाही प्रगति रिपोर्ट निर्धारित प्रारूप में (क्यूपीआर), पुनर्वासित महिलाओं की सूची आदि के साथ जिला समिति को भेजी जाएगी।
(क) बिना किसी आर्थिक एवं सामाजिक सहायता वाली परित्यक्त महिलाएं।
(ख) प्राकृतिक आपदा के पश्चात् बेघर हुई महिलाएं जिन्हें कोई सामाजिक अथवा आर्थिक सहायता या सहयोग प्राप्त नहीं है।
(ग) जेल से रिहा की गई ऐसी महिलाएं जिनका कोई परिवार नहीं है तथा जो सामाजिक आर्थिक रूप से असहाय हों।
(घ) घरेलू हिंसा, पारिवारिक तनाव या कलह से पीडित महिला जो गुजारा भत्ता के बगैर घर छोड़ने पर विवश हों तथा ऐसी महिलाएं जिनके पास शोषण और/या वैवाहिक कलह के कारण मुकदमेबाजी झेल रही हो, और उनके पास कोई विशेष सुरक्षापाय न हो।
(ड) महिलाओं के अवैध व्यापार/वैश्यालयों से छुडाई गई या भाग कर बेचकर आई हुई बालिकाओं या अन्य स्थानों से जहां वे शोषण का शिकार हो जाती हैं तथा एचआईवी/एड्स से पीडित सामाजिक या आर्थिक सहायता से विहीन महिलाए। यद्यपि ऐसी महिलाएं/ बालिकाएं पहले उज्ज्वला स्कीम के अन्तर्गत, जहां कहीं भी लागू होगी, सहायता प्राप्त करेंगी।
कार्यान्वयन अभिकरण तथा पात्रता मानदंड -
(i) इस योजना के अधीन निम्न में से कोई भी एजेंसियां/संगठन सहायता प्राप्त कर सकता है:-
क. राज्य सरकारों द्वारा स्थापित महिला विकास निगमों सहित राज्य सरकार की एजेंसियां।
ख. केन्द्र अथवा राज्य सरकार के स्वायत संगठन।
ग. नगरीय निकाय।
घ. छावनी बोर्ड।
ङ. पंचायती राज संस्था एवं को-आपरेटिव संस्थान।
च. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय /राज्य सरकारों के समाज कल्यााण के विभाग जो स्वयं स्वाधार गृह निर्माण कर इस स्कीम के अधीन प्रचालन कार्य प्रबंधन संबंधी उसे चला सकें या पर्याप्त अवधि जो भी ठीक हो, का अनुभव हो, ऐसे संगठन को लीज़ पर दे सके।
छ. तत्समय पर लागू किसी भी कानून के अंतर्गत पंजीकृत सार्वजनिक न्यास।
ज. सिविल समाज संगठन जैसे एनजीओ आदि जिन्होंने महिलाओं के कल्याण/समाज कल्याण/महिला शिक्षा के क्षेत्र में बहुत ही अच्छां कार्य किया हो, बशर्ते कि संगठन भारतीय सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 या किसी अन्य प्रासंगिक राज्य अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत हो।
(ii) पैरा (छ) और (ज) के अंतर्गत आने वाले संगठनों को निम्नमलिखित मानदंड पूरे करने होंगे :
क) वर्तमान स्कीम /कानून के अंतर्गत या तो यह राज्य/संघ शासित प्रदेश से मान्यता प्राप्त होनी चाहिए या इस क्षेत्र में कम से कम 3 वर्ष का कार्यात्मतक अनुभव सहित ख्याति प्राप्त हो और इसके कार्य की संबंधित राज्य सरकार/संघ राज्य प्रशासनों द्वारा संतोषजनक रिपोर्ट दी हो।
ख) साधारणतया ये संगठन, इस योजना के अंतर्गत अनुदान सहायता के लिए आवेदन करने से पूर्व, महिलाओं के कल्यााण/समाज कल्याण/महिला शिक्षा के कार्य से कम से कम दो वर्ष से जुड़े हों।
ग) परियोजना के प्रबंधन कार्य के लिए संगठन के पास सुविधाएं स्रोत, कार्मिक और अनुभव होना चाहिए.
घ) अनुदान में विलंब होने की स्थिति में कुछ माह तक व्यय के वहन के लिए वित्तीय स्थिति सुदृढ़ होनी चाहिए।
ङ) वह स्वाधार गृह को किसी लाभ के बिना चलाएगा ।
च) संगठन के सभी आधार गृहों में कंम्यूटर, इंटरनेट कनेक्शन, आदि जैसी सुविधा होनी चाहिए।
स्कीम के घटक
क. भवन के निर्माण के लिए भवन निर्माण अनुदान केवल राज्य सरकारों, नगर निगमों, छावनी बोर्डों तथा पंचायती राज संस्थाओं के लिए स्वीकार्य होगा। इस प्रयोजन के लिए भूमि कार्यान्वयन ऐजेंसी द्वारा, नि:शुल्क् (किराया मुक्त) उपलब्ध कराई जाएगी।ख. स्वाधार गृहों के लिए किराया, यदि किराया के भवन में प्रचालन किया जा रहा हो।
ग. स्वाधार गृहों के प्रबंधन के लिए आवर्ती एवं गैर आवर्ती व्यय के लिए सहायता ।
घ. निवासियों और बच्चों के लिए भोजन, आश्रय, वस्त्र, चिकित्सा, देखभाल, जेब खर्च का प्रावधान।
ङ. परामर्श, कानूनी सहायता, वस्त्र , व्यावसायिक प्रशिक्षण व मार्गदर्शन का प्रावधान।
निर्माण के लिए सहायता:
सरकार, निवासियों को आश्रय देने के लिए कमरों/काटेजों/कुटियों के निर्माण तथा रसोई, स्नानागार, प्रशिक्षण हाल, मनोरंजन कक्ष, भोजनालय, कार्यालय-कक्ष और पानी, विद्युत, पहुंच मार्ग चारदिवारी आदि जैसी सामान्य सुविधाओं आदि के लिए सहायता प्रदान करेगी। यह सहायता अधिकतम रू. 1,33,000/- प्रति निवासी की दर से दी जाएगी। निर्माण के लिए अनुदान महिला विकास निगमों, केंद्रीय या राज्यों के स्वायत्त संगठनों, नगर निगमों और पंचायती राज संस्थानों सहित राज्य सरकारों को दी जाएगी। आकलन में निर्माण की मदों/ सेवाओं की दरें, राज्यों के लोक निर्माण विभागो की अनुसूची में अनुसूचित दरों से अधिक नहीं होनी चाहिए।किराया सहायता
30 निवासियों के लिए उपयुक्त ‘क’ श्रेणी के शहरों में स्वाधार गृहों के लिए स्वीकार्य अधिकतम किराया रू.50,000/- रुपये प्रतिमाह है ‘ख’ श्रेणी के शहरों में स्वाधार गृहों के लिए रू.30,000 तथा अन्य स्थानों पर अवस्थित स्वाधार गृहों के लिए रू.18,000 है। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि भवन उच्च किराए वाले क्षेत्रों में अवस्थित न हो। भवन के किराए के औचित्य का प्रमाणन, जिला कलक्टर/राज्य लो.नि.वि. या संबंधित राज्य /केंद्र प्रशासित प्रदेश के प्रशासन द्वारा प्राधिकृत किसी अन्य, एजेंसी द्वारा किया जाना चाहिए।आवासीय परिसर के मानक
स्वाधार गृह द्वारा, निवासियों के लिए एवं प्रतिष्ठित जीवन-मानक सुनिश्चित करने वाली आवासीय सुविधाएं प्रदान की जाएगी। तदनुसार, स्वाधार गृह द्वारा, प्रत्येक स्वाधार गृह, कामन स्पेस और सार्वजनिक सुविधाओं के अलावा, लगभग 80 वर्गफुट का एक आवासीय स्थान प्रत्येक आवासी के लिए प्रदान किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त प्रत्येक स्वाधार गृह समुचित रुप से हवादार होने के अतिरिक्त स्नानागार, शौचालय, भोजनालय, एवं बैठक-कक्ष/मनोरंजंन-कक्ष/ प्रशिक्षण हॉल के लिए बहुउद्देशीय हॉल जैसी सुविधाएं होनी चाहिए। स्वाधार गृहों के परिसर स्पष्ट तौर पर सीमांकित होने चाहिए और इनमें कोई अन्य आवासीय गतिविधियां प्रचालित नहीं की जानी चाहिए।सहायक सेवाएं:
क) कानूनी सेवाएं:
लाभार्थियों के लिए कानूनी सहायता की आवश्यकता को जिला कानूनी सेवाएं प्राधिकरण (डीएलएसए) के माध्यम से पूरा किया जाएगा। यदि, डीएलएसए से इस प्रकार की सहायता उपलब्ध नहीं है तो कार्यान्वयन संगठन समुचित कानूनी सहायता के लिए वैकल्पिक व्ययवस्था का प्रबंध करेगा ।ख) व्यावसायिक प्रशिक्षण :
महिलाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण देने के लिए कार्यान्वयन एजेंसियां, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अधीन रोजगार एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय द्वारा मान्यता प्राप्त व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से व्याावसायिक प्रशिक्षण देने के लिए प्रबंध किए जाएंगे। प्रशिक्षण को सफलतापूर्वक पूरा करने के पश्चात प्रशिक्षण संस्थान द्वारा जारी प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने पर, प्रशिक्षण और परीक्षा शुल्क की प्रतिपूर्ति की जाएगी। व्यावसायिक प्रशिक्षण के दौरान निवासियों को ले-जाने और वापस लाने के लिए परिवहन संबंधी फुटकर व्यय शीर्ष के अंतर्गत किया जाएगा।ग) चिकित्सा सुविधाएं :
स्वास्थ्य जांच और चिकित्सा सुविधाओं के लिए उन्हें सिविल अस्पताल/सीएचसी/पीएचसी के साथ जोड़ा जाएगा। तथापि, कार्यान्वयन संगठन को स्वाधार गृह का सप्ताग में एक बार दौरा करने के लिए एक अंशकालिक चिकित्सक नियुक्त करना होगा ताकि उनमें रहने वालों के सामान्य स्वास्थ्य का ध्यान रखा जा सके। चिकित्सक द्वारा निर्धारित की गई दवाओं की खरीद के लिए व्यय, 'चिकित्सा देखभाल एवं वैयक्तिक स्वच्छता शीर्षक' के अंतर्गत किया जाएगा।घ) काउंसलिंग :
स्वावधार गृह स्कीम के अंतर्गत प्रस्तावित स्टाफ जरुरतमंद महिलाओं को दूरभाष पर सेवाएं प्रदान करेगा तथा टेलीफोन की कालों से संबंधित व्यय 'फुटकर व्यय' शीर्ष से किया जाएगा।जिला स्तर पर मॉनीटरिंग
योजना के तहत स्थापित सभी स्वाधार गृह, चाहे नए निर्मित हों अथवा किराए के परिसर में या अन्य प्रकार से चल रहे हों, की निगरानी उनके निर्बाध रूप से चलने, किसी अंतराल की पहचान करने और तत्संबंध में उपाय करने हेतु ऐसे सुझाव देने जिससे उनकी कार्य प्रणाली बेहतर हो सके, को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से निम्नानुसार गठित समिति द्वारा निरंतर की जाएगी :
क. जिलाधीश - अध्यक्ष
ख. मुख्य चिकित्सा अधिकारी- सदस्य
ग. पुलिस अधीक्षक - सदस्य
घ. जिला समाज कल्याण अधिकारी/ अधिकारी महिला और बाल कल्याण- सदस्य
ङ. जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण प्रतिनिधि - सदस्य
च. नगर निगम/पंचायती राज संस्था का प्रतिनिधि - सदस्य
छ. जिलाधीश के विवेकानुसार जिले के अन्य प्रतिष्ठित व्यक्ति - सदस्य
यह सुनिश्चित किया जाए कि जिला समिति में दो महिला सदस्य होने चाहिए। समिति की बैठक तिमाही में एक बार आयोजित की जाएगी। प्रत्येक क्रियान्वयन ऐजेंसी स्वाधार गृह की तिमाही प्रगति रिपोर्ट निर्धारित प्रारूप में (क्यूपीआर), पुनर्वासित महिलाओं की सूची आदि के साथ जिला समिति को भेजी जाएगी।
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