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Jaipur is Recognised as World Heritage Site - जयपुर यूनेस्को विश्व हेरिटेज सूची में शामिल

जयपुर यूनेस्को विश्व हेरिटेज सूची में शामिल

भारत को मिली एक और उल्लेखनीय उपलब्धि




न केवल राजस्थान अपितु सम्पूर्ण भारत को आज एक और बड़ी एवं ऐतिहासिक उपलब्धि उस समय प्राप्त हुई जब अजरबैजान के बाकू में आयोजित यूनेस्को विश्व हेरिटेज समिति के 43वें सत्र के दौरान भारत के गुलाबी नगरी जयपुर को यूनेस्‍को की विश्‍व विरासत सूची में सम्मिलित किया गया। राजस्थान के इस बेहतरीन व सुन्दरतम जयपुर शहर ने 2017 के यूनेस्को के वर्ल्ड हेरिटेज सम्बन्धी दिशा-निर्देशों को सफलतापूर्वक पार किया। यूनेस्‍को की इस सूची में जयपुर शहर के सफल नामांकन के साथ ही अब भारत में कुल 38 विश्व विरासत स्थल हैं, जिसमें 30 सांस्कृतिक स्‍थल, 7 प्राकृतिक स्‍थल और 1 मिश्रित स्‍थल शामिल हैं।


भारत के नामांकन की पहल ICOMOS (सांस्कृतिक स्थलों के लिए विश्व धरोहर (डब्ल्यूएच) केंद्र की सलाहकार संस्था) ने की थी, लेकिन 21 देशों की विश्व विरासत समिति ने इस पर विचार-विमर्श के बाद जयपुर को विश्व विरासत सूची में शामिल करने का फैसला किया।


केंद्रीय संस्कृति मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने गुलाबी शहर जयपुर को विश्व विरासत सूची में शामिल करने पर प्रसन्‍नता व्यक्त करते हुए इस महत्‍वपूर्ण उपलब्धि के लिए जयपुर के लोगों बधाई दी है। इसके अलावा राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत तथा  मेयर श्री विष्णु लाटा ने भी राजधानी जयपुर के परकोटा शहर को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किए जाने पर जयपुरवासियों को बधाई दी है।


भारत द्वारा विश्व धरोहर समिति के समक्ष विशिष्‍ट सार्वभौमिक मूल्य (ओयूवी) के प्रस्‍तावित विवरण के अंश इस प्रकार हैं:

जयपुर शहर दक्षिण एशिया में स्वदेशी नगर योजना और निर्माण का एक अनूठा नगरीय उदाहरण है। इस क्षेत्र के अन्य मध्ययुगीन शहरों की तुलना में जयपुर को योजनाबद्ध तरीके से खुले मैदानों में एक नए शहर के रूप में बसाया गया था। शहर के पहाड़ी इलाकों और अतीत के सैन्य स्‍थलों को देखते हुए, नगर की सभी दिशाओं से आसपास की पहाडियों तक पहुंच को सुनिश्चित करने की योजना वर्तमान में भी विद्यमान है। आमेर की पहाड़ियों के दक्षिण में स्थित घाटी के चयनित स्‍थल तुलनात्मक रूप से मैदानी और किसी भी पूर्व निर्माण से अवरोधित नहीं हैं। इस शहर की एक अनुकरणीय योजना के अलावा इसके गोविंद देव मंदिर, सिटी पैलेस, जंतर-मंतर एवं हवा महल के रूप में इसके प्रतिष्ठित स्मारक अपने समय की कलात्मक स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। जयपुर खगोलीय कौशल, जीवंत परंपराओं व अनुपम सौन्दर्य के अद्वितीय शहर के रूप में भारत के 18 वीं शताब्दी के एक कौशल और दूरदर्शितापूर्ण नगर विकास की अभिव्यक्ति भी है। जयपुर शहर योजना एवं वास्तुकला के मामले में एक अनुकरणीय विकास का उदाहरण है, जो मध्ययुगीन काल के प्रबुद्ध विचारों के समामेलन तथा महत्वपूर्ण आदान-प्रदान को भी प्रदर्शित करता है।  

उल्लेखनीय कि जयपुर के जंतर-मंतर को सन 2010 में तथा वर्ष 2013 में चित्तौड़गढ़, कुम्भलगढ़, रणथम्भौर (सवाई माधोपुर), गागरोण (झालावाड़), आमेर (जयपुर) और जैसलमेर के पहाड़ी  किलों को यूनेस्को ने विश्व विरासत धरोहर में सम्मिलित किया गया था। इसके अलावा भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को 1986 में विश्व विरासत की सूची में लिया गया था। 


जयपुर को यूनेस्‍को की विश्‍व विरासत सूची में सम्मिलित करने में भारत के नामांकन का समर्थन करने वाले देश इस प्रकार हैं -


ब्राजील, बहरीन, क्यूबा, ​​इंडोनेशिया, अजरबैजान, कुवैत, किर्गिस्तान, जिम्बाब्वे, चीन, ग्वाटेमाला, युगांडा, ट्यूनीशिया, बुर्किना फासो, बोस्निया और हेजगोविना, अंगोला, सेंट किट्स और नेविस। हालांकि ऑस्ट्रेलिया और नॉर्वे ने शुरू में संदर्भ प्रस्ताव दिया था, लेकिन विचार-विमर्श के बाद वे जयपुर शहर को इस सूची में शामिल करने पर सहमत हो गए।

विश्व विरासत में शामिल करते हुए यूनेस्को की वेबसाइट पर जयपुर के बारें में -

भारत के उत्तर-पश्चिमी राज्य राजस्थान में जयपुर के किलेबंद शहर की स्थापना 1727 में सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा की गई थी। पहाड़ी क्षेत्र में स्थित अन्य शहरों के विपरीत, जयपुर को मैदान पर स्थापित किया गया था और इसे वैदिक वास्तुकला के प्रकाश में व्याख्यायित ग्रिड योजना के अनुसार बनाया गया था। सड़कों पर निरंतर समानांतर दुकानों की सुविधा है, जो केंद्र में एक दूसरे को काटते हुए बड़े चौराहों का निर्माण करते हैं, जिन्हें ''चौपड़'' कहा जाता है। मुख्य सड़कों के साथ बने बाजारों, स्टालों, आवासों और मंदिरों में एक समान फ़ेडरेशन हैं। इसकी नगरीय योजना प्राचीन हिंदू, आधुनिक मुगल और पश्चिमी संस्कृतियों के विचारों का आदान-प्रदान को दर्शाती है। यहाँ की ग्रिड योजना एक आदर्श है, जो मुख्यतः पश्चिम में प्रचलित है। एक व्यावसायिक राजधानी के रूप में डिज़ाइन किये गये इस शहर ने आज तक अपनी स्थानीय वाणिज्यिक, कलात्मकता कारीगरी एवं सहकारी परंपराओं को अब तक बनाए रखा है।

जयपुर के परकोटा शहर को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल होने की अद्वितीय उपलब्धि लिए  जयपुरवासियों तथा राजस्थान के सभी निवासियों को राजस्थान के विविध रंग की ओर से भी बहुत बहुत बधाई।




Comments

  1. इस वेबपेज पर आने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद व आभार. (c)
    ये आलेख आपको कैसा लगा ? कृपया अपनी टिप्पणी द्वारा अवगत कराएँ....

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