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400 Important Facts About Rajasthan- राजस्थान से संबंधित 400 महत्वपूर्ण तथ्य









1.            राजस्थान 01 नवम्बर, 2000 को देश का क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा राज्य बना।
2.            1991-2001के दशक राजस्थान में सर्वाधिक जनसंख्या वृद्धि वाला जिला जैसलमेर है।
3.            1991-2001 के अनुसार सबसे न्यूनतम लिंगानुपात वाला राजस्थानी जिला श्री गंगानगर है ।
4.            राजस्थान का सबसे कम जनसंख्या घनत्व वाला जिला जैसलमेर है ।
5.            राजस्थान का सर्वोच्च पर्वत शिखर अरावली की सबसे ऊँची चोटी गुरुशिखर (1727मीटर) है।
6.            राजस्थान की राजभाषा हिन्दी है ।
7.            राजस्थान के प्रथम राज्यपाल गुरुमुख निहाल सिंह थे ।
8.            राजस्थान का वैल्लोर भैंसरोडगढ़ दुर्ग है ।
9.            राजस्थान के प्रथम मुख्य न्यायाधीश कमलकान्त वर्मा
10.          राजस्थान का राजकीय खेल बास्केटबाल है ।
11.          राजस्थान राजस्व मण्डल का कार्यालय अजमेर में है । (गठन 01.01.1949)
12.          राजस्थान का सर्वाधिक पशुओं वाला जिला बाड़मेर है ।
13.          राजस्थान के प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री टीकाराम पालीवाल ।
14.          राजस्थान का राजकीय पक्षी गोडावण है ।
15.          राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री हीरालाल शास्त्री थे ।
16.          राजस्थान का राजकीय वृक्ष खेजड़ी है ।
17.          राजस्थान की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखला अरावली पर्वत श्रृंखला है ।
18.          राजस्थान की पहाड़ों की नगरी डूँगरपुर ।
19.          राजस्थान विधानमण्डल का स्वरूप एकसदनात्मक है ।
20.          राजस्थान का राजकीय पुष्प रोहिड़ा है ।
21.          राजस्थान का स्थापना दिवस 30 मार्च को मनाया जाता है ।
22.          राजस्थान से चुने जाने वाले राज्यसभा सदस्यों की संख्या 10
23.          राजस्थान से चुने जाने वाले लोकसभा सदस्यों की संख्या 25 है ।
24.          राजस्थान विधानसभा सदस्यों की संख्या 200 है ।
25.          राजस्थान का क्षेत्रफल भारत के क्षेत्रफल के 10.41 प्रतिशत
26.          राजस्थान के क्षेत्रफल का 61 प्रतिशत मरुस्थल है ।
27.          राजस्थान के मरूस्थलीय क्षेत्र में राज्य की 40 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है ।
28.          क्षेत्रफलीय दृष्टि से राजस्थान भारत के कुल क्षेत्रफल का दसवाँ भाग है ।
29.          राजस्थान का 61 प्रतिशत क्षेत्र थार मरुस्थल के रूप में जाना जाता है ।
30.          राजस्थान में अरावली पर्वत श्रृंखला की विस्तार खेड़ ब्रह्मा से खेतड़ी तक 550 किमी. ।
31.          राजस्थान में सबसे ऊँची पर्वत श्रृंखला माउंट आबू 1220 मीटर ।
32.          देश के कुल तिलहन उत्पादन का 1/8 भाग राजस्थान में उत्पादित होता है ।
33.          राजस्थान राज्य का पुनर्गठन 1956 में हुआ ।
34.          राजस्थान सरकार ने 20 जनवरी, 2001 को राज्य के लिए नई जनसंख्या नीति की घोषणा की, इस प्रकार की नीति घोषित करने वाला राजस्थान आंध्रप्रदेश व मध्यप्रदेश के बाद तीसरा राज्य है ।
35.          अरावली पहाड़ी श्रृंखला  राजस्थान में दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर जाती है ।
36.          अरावली पहाड़ी श्रृंखला के उत्तर-पश्चिम में थार का रेगिस्तान पड़ता है ।
37.          राजस्थान के दक्षिण-पश्चिम में स्थित राज्य गुजरात, दक्षिण-पूर्व में मध्यप्रदेश तथा उत्तर-पूर्व में पंजाब, हरियाणा व उत्तरप्रदेश ।
38.          क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे छोटा संभाग भरतपुर ।
39.          राजस्थान से पूर्व क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य मध्यप्रदेश ।
40.          वर्तमान रूप में आने के समय राजस्थान में 03 सामंती राज्यों को सम्मिलित किया गया ।
41.          राजस्थान में क्रिकेट को नियंत्रित करने वाली संस्था राजस्थान क्रिकेट एसोसिएषन ।
42.          वर्तमान राजस्थान के निर्माण की प्रक्रिया सात चरणों में सम्पन्न हुई ।
43.          राजस्थान का निर्माण कितनी रियासतों को मिलाकर किया गया - 19
44.          अलवर, भरतपुर, धौलपुर व करौली रियासतों का विलनीकरण किस चरण में हुआ - प्रथम
45.          अजमेर का विलनीकरण किस चरण में हुआ- अंतिम (सातवें)
46.          एकीकरण की प्रक्रिया किस अवधि के दौरान चली- 1948-56
47.          राजस्थान भारत के उत्तर-पश्चिम भाग में स्थित है ।
48.          राजस्थान का क्षेत्रफल 3.42 लाख वर्ग किलोमीटर है ।
49.          राजस्थान भारत के कुल क्षेत्रफल का लगभग 10.4 प्रतिशत है ।
50.          राजस्थान की भौगोलिक स्थिति 2303‘ उत्तरी अक्षांश से 30012‘ उत्तरी अक्षांश तथा 69030‘ पूर्वी देशान्तर से 78017‘ पूर्वी देशान्तर है।
51.          राजस्थान पूर्णतः उष्ण कटिबन्ध में आता है ।
52.          राजस्थान भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिम भाग में स्थित है ।
53.          राजस्थान की जलवायु पूर्णतः उष्ण मरुस्थलीय है ।
54.          राजस्थान की आकृति एक विषमकोण चतुर्भुज अथवा पतंग के समान है ।
55.          सभी राज्यों को मिलाकर एक प्रान्त के रूप में नामकरण- राजपूताना, सेंट टॉमस ने 1800 ई. में किया।
56.          राजस्थान की अंतरराष्ट्रीय सीमा की लम्बाई 1070 किमी है ।
57.          राज्य की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर 04 जिले (बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर व श्री गंगानगर) स्थित हैं ।
58.          राज्य की अंतरराज्यीय सीमा 05 राज्यों (पंजाब, गुजरात, हरियाणा, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश) को छूती है ।
59.          हरियाणा राजस्थान की उत्तर-पूर्वी सीमा पर स्थित है ।
60.          उत्तरी सीमा पर पंजाब स्थित है ।
61.          पूर्वी सीमा पर उत्तरप्रदेश स्थित है ।
62.          दक्षिण-पूर्वी व दक्षिण सीमा मध्यप्रदेश से लगती है ।
63.          गुजरात दक्षिण-पश्चिम सीमा पर स्थित है ।
64.          देश के आंतरिक भाग में स्थित होने के कारण राजस्थान की जलवायु गर्म व शुष्क रहती है।
65.          राजस्थान की अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा थार के रेगिस्तान से गुजरती है ।
66.          राजस्थान के 61 प्रतिशत रेगिस्तानी भाग मे कितने जिले स्थित हैं- 12
67.          राजस्थान के मध्यवर्ती भाग में स्थित पर्वतमाला का नाम- अरावली ।
68.          राजस्थान के मध्यवर्ती भाग में स्थित पर्वतमाला का फैलाव- उत्तर-पूर्व में दिल्ली के समीप से दक्षिण-पश्चिम में गुजरात तक ।
69.          अरावली पर्वतमाला के पर्वत राजस्थान के 11 प्रतिशत भाग में फैले हुए हैं ।
70.          गुरु शिखर माउण्ट आबू (सिरोही) में स्थित है ।
71.          गुरु शिखर के आसपास की अन्य चोटियाँ सेर (1597 मी.), अचलगढ. (1380 मी.) और दिलवाड़ा के पश्चिम में तीन अन्य चोटियाँ ।
72.          अरावली पर्वतों की कई समानान्तर श्रेणियाँ सिरोही, उदयपुर और डँूगरपुर जिलों में फैली हुई हैं ।
73.          माही बजाज सागर परियोजना से संबंधित बाँध बाँसवाड़ा जिले में है ।
74.          राज्य के दक्षिण भाग में माही व उसकी सहायक नदियाँ बहती हैं ।
75.          माही की दो मुख्य सहायक नदियाँ एराव और एरन हैं ।
76.          माही मुख्यतया गुजरात की नदी है ।
77.          माही नदी का उद्गम स्थल मध्यमप्रदेश के धार जिले में विन्ध्याचल पर्वत में है ।
78.          राजस्थान में माही नदी का प्रवाह क्षेत्र बाँसवाड़ा, प्रतापगढ़ (चित्तौड़गढ़), व डूंगरपुर जिलों में है।
79.          माही प्रवाह क्षेत्र के मैदानों को छप्पन मैदान कहते हैं।
80.          माही एक बरसाती नदी है।
81.          माही का प्रवाह अरब सागर की ओर है ।
82.          माही नदी खम्भात की खाड़ी में गिरती है ।
83.          माही नदी पर बाँध के लिए प्रसिद्ध लोहारिया गाँव बाँसवाड़ा जिले में है ।
84.          राजस्थान शब्द का इस प्रान्त के लिए सबसे पहले लिखित प्रयोग कर्नल टॉड ने 1829 में अपने ग्रंथ एनल्स एण्ड ऐंटिक्विटिज ऑफ़ राजस्थानमें किया, जबकि रायथाण रूप में यह नाम पहले से ही राज्य की जनता में प्रचलित था ।
85.          कर्नल टॉड को ही आधार बनाकर गियर्सन ने इस क्षेत्र की भाषा को राजस्थानी कहा।
86.          बाणगंगा जयपुर के पास विराटनगर की पहाड़ियों से निकलकर पूर्वी भाग में बहती है ।
87.          बाणगंगा भरतपुर व धौलपुर में से बहती हुई उत्तरप्रदेश के फतेहाबाद के समीप यमुना में मिलती है ।
88.          अलवर में रूपारेल और कोटपुतली तहसील में साबी-सोता नदियाँ हैं ।
89.          अलवर क्षेत्र का ढाल पूर्व की ओर है ।
90.          अलवर क्षेत्र की सभी नदियाँ पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है ।
91.          पूर्वी मैदानी प्रदेश की साल भर बहने वाली प्रमुख नदी चम्बल है ।
92.          चम्बल नदी मध्यप्रदेश में विन्ध्याचल पर्वत के उत्तरी ढाल में मऊ नामक स्थान से निकलती है ।
93.          राजस्थान में चम्बल का प्रवाह क्षेत्र केवल कोटा, बूँदी और झालावाड़ जिलों में है ।
94.          चम्बल घाटी परियोजना का राजस्थान व मध्यप्रदेश के आर्थिक विकास में केन्द्रीय स्थान है ।
95.          पार्वती, काली सिन्ध, बामनी व चन्द्रभागा चम्बल की सहायक नदियाँ हैं ।
96.          चम्बल नदी सवाई माधोपुर व धौलपुर जिलों में राजस्थान और मध्यप्रदेश की सीमा बनाती है ।
97.          ऊबड़-खाबड़ भूमि, जिसमें रेत के ऊँचे टीलों के मध्य गहरी घाटियाँ हों, बीहड़ कहलाती है ।
98.          बीहड़ भूमि खेती के लिए सर्वथा अनुपयुक्त होती है ।
99.          सरकार द्वारा कन्दराओं की भूमि के विकास हेतु बीहड़ क्षेत्र में वृक्षारोपण करवाया जा रहा है ।
100.        चम्बल नदी उत्तरप्रदेश में यमुना में मिलती है ।
101.        ढुन्ड नदी जयपुर जिले से सम्बद्ध है ।
102.        बनास व उसकी सहायक नदियाँ पूर्वी मैदानी प्रदेश में बहती है ।
103.        पूर्वी मैदानी प्रदेशों की मुख्य फसलें गेंहूं, जौ, चना, बाजरा, ज्वार, सरसों, तिलहन व गन्ना आदि हैं ।
104.        बनास नदी का स्रोत राजसमन्द जिले में खमनौर की पहाड़ियों से है ।
105.        बनास नदी उदयपुर, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, अजमेर, टोंक, बूँदी और सवाई माधोपुर जिलों में बहती है ।
106.        बनास नदी सवाई माधोपुर जिले में खण्डार के समीप चम्बल नदी में गिरती है ।
107.        बनास नदी को वन की आशा भी कहा जाता है ।
108.        बेढ़च, गम्भीरी, कोठारी, खारी और मुरेल, बनास की सहायक नदियाँ हैं ।
109.        बनास नदी बरसाती नदी है ।
110.        बनास नदी के बहाव क्षेत्र में कुओं द्वारा सिंचाई की जाती है ।
111.        राजस्थान का 3/5 भाग अरावली के उत्तर-पश्चिम में तथा 2/5 भाग दक्षिण-पूर्व में पड़ता है ।
112.        अरावली पर्वत मालाएँ पश्चिम से आने वाली मिट्टी को रोकती हैं ।
113.        अरावली पहाड़ के बाएँ भाग में उत्तरी-पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश तथा दाएँ भाग में मैदानी प्रदेश पाया जाता है ।
114.        वर्षा की दृष्टि से अरावली पहाड़ का दायाँ भाग, बाएँ भाग की अपेक्षा ज्यादा समृद्ध है ।
115.        अरावली पहाड़ का दक्षिण-पश्चिमी छोर माउण्ट आबू के समीप है ।
116.        अरावली पहाड़ का उत्तरी-पूर्वी भाग खेतड़ी के पास है ।
117.        राजस्थान में अरावली पर्वत का विस्तार उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर है ।
118.        कम ऊँचाई वाले अरावली पर्वत अजमेर, जयपुर व अलवर जिलों में फैले हैं, इन जिलों में औसत ऊँचाई 550-670 मीटर तक ।
119.        अजमेर में अरावली पर्वत की सबसे ऊँची पर्वतमाला तारागढ़-870 मीटर, जयपुर में नाहरगढ़ है ।
120.        जवाई, लीलरी, जोजरी व सूकड़ी आदि लूनी की सहायक नदियाँ हैं ।
121.        लूनी की सहायक नदियाँ अरावली की पश्चिमी ढालों से निकलती है ।
122.        अरावली की ढालों पर विशेषतः मक्का की खेती की जाती है ।
123.        अरावली पर्वत क्षेत्र मुख्यतः अभ्रक खनन के लिए प्रसिद्ध है ।
124.        खेतड़ी का सिंघाना क्षेत्र ताँबा खनन के लिए जाना जाता है ।
125.        खेतड़ी में ताँबा खनन का कार्य खेतड़ी कॉपर प्रोजेक्ट द्वारा किया जा रहा है ।
126.        जावर जस्ते व सीसे की खानों के लिए जाना जाता है ।
127.        जावर खानों में खनन कार्य भारत सरकार के उपक्रम हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है ।
128.        राजस्थान के पश्चिम व उत्तरी मरुस्थलीय प्रदेशों के तापमान में भारी अंतर का कारण रेत का भारी जमाव है ।
129.        रेगिस्तानी क्षेत्रों का वार्षिक वर्षा औसत 50 सेमी. से भी कम और कहीं-कहीं 10 सेमी. से भी कम रहता है।
130.        राजस्थान का कौनसा भाग अपेक्षाकृत अधिक वर्षा वाला है- पूर्वी और दक्षिण भाग ।
131.        राजस्थान में जनसंख्या का वितरण वार्षिक वर्षा के अनुरूप पाया जाता है ।
132.        राजस्थान के पूर्वी भाग का जनसंख्या घनत्व पश्चिम की बजाय ज्यादा है ।
133.        मध्यवर्ती अरावली पर्वतीय प्रदेश सम्पूर्ण उदयपुर व डूंगरपुर जिले में फैला हुआ है, यह सिरोही, पाली, बाँसवाड़ा, चित्तौड़गढ़ व अजमेर जिलों के कुछ भागों में फैला हुआ है ।
134.        विश्व के प्राचीनतम पर्वतों में से एक अरावली पर्वत की अधिकतम ऊँचाई उदयपुर जिले की कुम्भलगढ़ व गोगुन्दा तहसीलों में पाई जाती है ।
135.        उदयपुर जिले में अरावली पर्वत के अधिकतम ऊँचाई वाले क्षेत्र को भोराठ का पठार कहा जाता है ।
136.        थार का मरुस्थल अरावली पर्वतीय प्रदेश के सुदूर पश्चिमी भारत-पाक सीमा को छूते हुए फैला हुआ है ।
137.        जैसलमेर, बीकानेर, जोधपुर, बाड़मेर व मारवाड़ थार के रेगिस्तान के वे हैं, जहाँ मरुस्थल उग्र है ।
138.        धरातल और जलवायु के अन्तरों के आधार पर राजस्थान राज्य को मोटे तौर पर चार भागों में बाँटा जाता है, उत्तर-पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश, मध्यवर्ती अरावली पर्वतीय प्रदेश, पूर्वी मैदानी प्रदेश व दक्षिण-पूर्वी पठारी प्रदेश (हाड़ौती पठार) ।
139.        उत्तर-पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश में राज्य का लगभग 61 प्रतिशत रेगिस्तानी भाग सम्मिलित है ।
140.        उत्तर-पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश में राज्य के 12 जिले- सम्पूर्ण जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, जालौर, बीकानेर, श्री गंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, झुंझुनूँ, नागौर और सीकर, तथा सिरोही, पाली, अजमेर, और जयपुर जिलों के उत्तरी पश्चिमी भाग शामिल हैं ।
141.        उत्तर-पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश का पूर्वी भाग मारवाड़ कहलाता है तथा पश्चिमी भाग थार का रेगिस्तान कहलाता है ।
142.        उत्तर-पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश के अधिकांश भाग में वर्षा का औसत 20 से 50 सेमी. तथा न्यूनतम 10 सेमी. से भी कम है ।
143.        उत्तर-पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश का गर्मियो में उच्चतम तापमान 480 सेल्सियस तथा सर्दियों में -30 सेल्सियस तक पहुँच जाता है ।
144.        उत्तर-पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश में बलुई मिट्टी का अत्यधिक जमाव पाया जाता है ।
145.        जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर और जालौर जिलों में रेत के स्थाई टीले हैं, जबकि उत्तरी भागों विशेषतः चूरू, झुंझुनूँ, सीकर और बीकानेर में अस्थाई टीले हैं, जो तेज हवाओं के साथ स्थानांतरित होकर सड़क व रेलमार्ग में बाधा बनते हैं ।
146.        उत्तर-पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश भाग में भूमिगत जल की गहराई 20-100 मीटर तक होती है, अतः बैलों अथवा ऊँटों को कुओं में जोतकर पानी निकाला जाता है ।
147.        उत्तर-पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश की एकमात्र नदी लूनी है ।
148.        लूनी नदी का उद्गम अजमेर के पास पुष्कर घाटी के समीप अरावली की नाग पहाड़ियों मे आनासागर से होता है ।
149.        लूनी नदी पश्चिम मे बहती हुई, दक्षिण-पश्चिम भाग में 320 किमी. तक बहकर कच्छ के रण में प्रवेश करती है, जहाँ इसका पानी फैल जाता है।
150.        लूनी बरसाती नदी है ।
151.        लूनी नदी का जल दक्षिण बहाव क्षेत्र में खारा है और पीने व सिंचाई के अयोग्य है ।
152.        अरावली पर्वत के पश्चिम में बहने वाली लूनी केवल एकमात्र नदी है ।
153.        उत्तर-पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश की मुख्य फसल बाजरा, मूँग, मोठ आदि थोड़ी वर्षा से पकने वाली हैं ।
154.        उत्तर-पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश का मुख्य धंधा पशु-पालन बन गया है ।
155.        उत्तर-पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश में राठी और थारपारकर नस्ल की गायें, जो कठिन जलवायु की परिस्थितियों के अनुकूल हैं, पाई जाती हैं ।
156.        मरुस्थलीय प्रदेश में कुछ स्थानों पर छोटी-छोटी पहाड़ियाँ भी होती हैं ।
157.        मरुस्थलीय प्रदेश मे जैसलमेर के समीप पीला पत्थर निकाला जाता है ।
158.        मरुस्थलीय प्रदेश मे जोधपुर के पास लाल रंग का इमारती बलुआ पत्थर निकाला जाता है ।
159.        मरुस्थलीय प्रदेश मे डेगाना (नागौर) भारत का एकमात्र टंगस्टन उत्पादक क्षेत्र है ।
160.        मरुस्थलीय प्रदेश मे टंगस्टन के अलावा जिप्सम और रॉक फास्फेट खनिजों के विशाल भण्डार हैं ।
161.        काली सिन्ध व पार्वती नदियों डीप चैनल के जरिए बाँध बनाकर भीलवाड़ा में जहाजपुर के पास लाकर बनास से जोड़ा जाएगा ।
162.        फतेहाबाद (उ.प्र.) के निकट बाणगंगा नदी यमुना में गिरती है ।
163.        उत्तर प्रदेश में यमुना में गिरने वाली राज्य की दूसरी मुख्य नदी चम्बल है ।
164.        खमनौर की पहाड़ियाँ राजसमन्द जिले में हैं ।
165.        खण्डार नामक स्थल सवाई माधोपुर जिले में है ।
166.        खम्भात की खाड़ी में गिरने वाली नदी बनास है ।
167.        राज्य की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर 04 जिले (बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर व श्री गंगानगर) स्थित हैं ।
168.        राज्य की अंतरराज्यीय सीमा 05 राज्यों (पंजाब, गुजरात, हरियाणा, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश) को छूती है ।
169.        हरियाणा राजस्थान की उत्तर-पूर्वी सीमा पर स्थित है ।
170.        उत्तरी सीमा पर पंजाब स्थित है।
171.        पूर्वी सीमा पर उत्तरप्रदेश स्थित है।
172.        राजस्थान भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिम भाग में स्थित है ।
173.        राजस्थान में कपिलमुनि का मंदिर किस जिले में स्थित है- बीकानेर (कोलायत)
174.        घग्घर नदी भारत के (शिमला) हिमाचल प्रदेश राज्य से निकलती है ।
175.        घग्घर नदी शिवालिक की पहाड़ियों से निकलकर पंजाब में बहती है ।
176.        घग्घर नदी हिमाचल प्रदेश से पंजाब, हरियाणा होते हुए राजस्थान में प्रवेश करती है ।
177.        घग्घर नदी राजस्थान में हनुमानगढ़ जिले से प्रवेश करती है ।
178.        घग्घर नदी हनुमानगढ़ जिले में लगभग 03 किमी. प्रवाहित होती है ।
179.        पूर्वी मैदानी भाग में वार्षिक वर्षा का औसत 60 से 100 सेमी.तक है ।
180.        कटे-फटे पठार दक्षिण-पूर्वी पठारी प्रदेश का हिस्सा हैं ।
181.        दक्षिण राजस्थान में पठारी भाग बाँसवाड़ा और चित्तौड़गढ़ जिलों में फैला हुआ है ।
182.        दक्षिण-पूर्वी राजस्थान में पठारी भाग कोटा, बूँदी, झालावाड़ और सवाई माधोपुर जिलों में फैला हुआ है ।
183.        हाड़ौती पठारी भाग दो पृथक-पृथक क्षेत्रों मे बँटा हुआ है ।
184.        हाड़ौती पठारी भाग विन्घ्या स्कार्पलैण्ड और दक्षिण लावा पठार नामक क्षेत्रों में बँटा है ।
185.        हाड़ौती पठार मुख्यतः कोटा और बूँदी जिलों में फैला हुआ है ।
186.        हाड़ौती पठारी क्षेत्र में मुख्यतः काली उपजाऊ मिट्टी पाई जाती है ।
187.        हाड़ौती पठार क्षेत्र का निर्माण प्रारम्भिक ज्वालामुखी चट्टानों से हुआ है ।
188.        दक्षिणी लावा का पठार मुख्यतः चित्तौड़गढ़, बाँसवाड़ा और झालावाड़ जिलों में फैला हुआ है ।
189.        दक्षिणी लावा पठार की मिट्टी भी काली उपजाऊ है ।
190.        पठारी क्षेत्र की उपजाऊ मिट्टी में कपास, अफीम, तम्बाकू और गन्ने की फसलें होती हैं ।
191.        पठारी क्षेत्र की फसलें मिट्टी से रासायनिक लवणों का शोषण करती हैं ।
192.        इमारती पत्थर जैसे- पट्टियाँ, चौके आदि धौलपुर व करौली के सीमित क्षेत्र के पठारी प्रदेश में मिलता है ।
193.        सम्पूर्ण पठारी क्षेत्र में नदियों के बहाव के कारण कटे-फटे भाग अधिक दिखाई देते हैं ।
194.        कटे-फटे क्षेत्रों के पहाड़ी भागों को पठार कहते हैं ।
195.        पठारी क्षेत्र के निचले भागों में खेती की जाती है ।
196.        पठारी क्षेत्र के पहाड़ी भागों पर उष्ण कटिबंधीय वन हैं, जो अब धीरे-धीरे समाप्त होते जा रहे हैं ।
197.        राजस्थान में दो प्रकार की झीलें (खारे पानी व मीठे पानी) पाई जाती हैं।
198.        खारे पानी की सभी झीलें राज्य के पश्चिमी भाग में स्थित हैं ।
199.        भारत की खारे पानी की सबसे बड़ी झील राजस्थान में स्थित है ।
200.        भारत की खारे पानी की सबसे बड़ी झील जयपुर से 65 किमी. दूर फुलेरा रेलमार्ग के समीप स्थित है ।
201.        भारत की खारे पानी की सबसे बड़ी झील का नाम सांभर झील है ।
202.        खारे पानी की सबसे बड़ी झील की लम्बाई लगभग 32 किमी तथा चैड़ाई 03 से 12 किमी. है ।
203.        पचपदरा (पंचभद्रा) झील बाड़मेर जिले में बालोतरा के समीप है ।
204.        राजस्थान में उच्चकोटि के नमक के लिए प्रसिद्ध खारे पानी की झील पचपदरा है ।
205.        पचपदरा झील का नमक उच्चकोटि का होने का कारण इसमें सोडियम क्लोराइड की मात्रा 98 प्रतिशत है ।
206.        फलौदी तहसील की खारे पानी की झील राजस्थान के जोधपुर जिले में स्थित है ।
207.        खारे पानी की डीडवाना झील नागौर जिले में स्थित है ।
208.        लूणकरनसर खारे पानी की झील राज्य के बीकानेर जिले में स्थित है ।
209.        जयसमंद मीठे पानी की झील राज्य के उदयपुर जिले में है ।
210.        जयसमंद झील कृत्रिम झील है ।
211.        कांकरोली राजस्थान के राजसमंद जिले का उपनाम है ।
212.        राजसमंद स्थित मीठे पानी की झील राजसमंद में ही है ।
213.        अजमेर में तीन तरफ पहाड़ियो से घिरी मीठे पानी की झील- पुष्कर झील ।
214.        पिछौला मीठे पानी की झील राज्य के उदयपुर शहर में स्थित है ।
215.        फतहसागर मीठे पानी की झील उदयपुर नगर में ही है ।
216.        रामगढ़ मीठे पानी का बाँध जयपुर में स्थित है ।
217.        कायलाना बाँध या मीठे पानी की झील जोधपुर नगर में स्थित है ।
218.        राजसमंद व सीलीसेढ़ मीठे पानी की झीलें अलवर के समीप स्थित हैं ।
219.        बजाज सागर बाँसवाड़ा जिले से सम्बद्ध है।
220.        खारे पानी की सांभर झील प्राकृतिक है ।
221.        मीठे पानी की पुष्कर झील भी प्राकृतिक है।
222.        माउण्ट आबू की नक्की झील पर्यटन की दृष्टि से प्रसिद्ध है ।
223.        राजस्थान के अधिकांश भाग में मरुस्थलीय जलवायु पाई जाती है ।
224.        राज्य में मुख्यतः तीन (गर्मी, वर्षा व सर्दी) मौसम ही होते हैं ।
225.        राज्य में मौसम का क्रम गर्मी, वर्षा व सर्दी है ।
226.        राज्य में गर्मी का मौसम मार्च से जून तक रहता है ।
227.        सर्वाधिक गर्मी मई और जून में ही होती है ।
228.        राजस्थान में ही नहीं भारत में भी अपने उच्चतम तापमान के लिए मशहूर जिले- जैसलमेर, बीकानेर, चूरू, बाड़मेर, जोधपुर आदि ।
229.        मई माह क औसत दैनिक तापमान के अध्ययन बताते हैं कि जैसलमेर जिले का उत्तरी भाग, बीकानेर का पश्चिमी और कोटा जिले का पूर्वी भाग सर्वोच्च तापमान के लिए जाने जाते हैं ।
230.        सिरोही जिले के पर्वतीय भागों में अधिक ऊँचाई के कारण वार्षिक वर्षा का औसत तापमान कम 28-300 सेल्सियस रहता है।
231.        गर्मियों में राज्य में तापमान अधिक रहने के कारण वायु का दबाव कम हो जाता है ।
232.        राज्य में आँधियों का मुख्य कारण वायु के निम्न दबाव वाले क्षेत्रों में वायु की कमी को पूरा करने के लिए चारों ओर से तेज हवाएँ आना है ।
233.        पूर्वी राजस्थान में गर्मियों के मौसम में 08 से 15 दिन तथा पश्चिमी राजस्थान में 28 से 35 दिन तक धूल भरी हवाएँ चलती हैं ।
234.        गर्मी के मौसम मे राज्य की वायु में नमी की कमी हो जाती है ।
235.        वायुमण्डल की नमी को सापेक्ष आर्द्रता में व्यक्त किया जाता है ।
236.        गर्मियों में राज्य के वायुमण्डल में  सापेक्ष आर्द्रता औसतन 10 से 45 प्रतिशत रहती है ।
237.        आर्द्रता की कमी के फलस्वरूप ही दिन में लू चलती है ।
238.        गर्मी के मौसम में राजस्थान के पश्चिमी (मरुस्थलीय) क्षेत्र में दैनिक तापमानों में भारी अन्तर रहता है ।
239.        रेत के मोटे कणों की विशेषता होती है कि दिन में शीघ्र ही ताप सोखते हैं और रात के समय बहुत जल्दी ही ताप का विकीर्णन कर देते हैं ।
240.        राजस्थान में वर्षा का मौसम जून के अंतिम सप्ताह से प्रारम्भ होकर सितम्बर के अंतिम या अक्टूबर के प्रथम सप्ताह तक रहता है।
241.        भारत की तरह राजस्थान में सर्वाधिक वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसून से होती है ।
242.        दक्षिण-पश्चिम मानसून की दो शाखाएँ (बंगाल की खाड़ी की शाखा व अरब सागर की शाखा) हैं ।
243.        दक्षिण-पश्चिम मानसून की दोनों शाखाओं का लाभ राजस्थान को मिलता है ।
244.        समुद्र से बहुत दूरी पर स्थित होने के कारण राज्य का वार्षिक वर्षा औसत 10 से 125 सेमी. तक पाया जाता है ।
245.        राजस्थान में सर्वाधिक वर्षा (औसत 100-125 सेमी. वार्षिक) माउण्ट आबू पर्वतीय क्षेत्र में होती है ।
246.        माउण्ट आबू राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित है ।
247.        राज्य में वर्षा विभाजक का कार्य अरावली पर्वत करता है ।
248.        राज्य के डूँगरपुर, बाँसवाड़ा, उदयपुर, राजसमंद, झालावाड़, चित्तौड़गढ़ व पाली जिले के कुछ भागों में वर्षा का औसत 75 सेमी. से अधिक रहता है ।
249.        अरावली पर्वत के पूर्वी भाग में अधिक व पश्चिमी भाग में कम वर्षा होती है ।
250.        मानसून लौटने का समय सितम्बर-अक्टूबर के महीने हैं ।
251.        बाजरा, ज्वार, दालें, मूँगफली खरीफ की फसलें हैं ।
252.        असिंचित क्षेत्रों में फसलों के लिए वर्षा जून से सितम्बर के मध्य (मानसूनी) ही होती है ।
253.        बरसात के मौसम में राज्य में सापेक्ष आर्द्रता बढ़ (दिन में औसतन 45 व रात में 70 प्रतिशत) जाती है ।
254.        आर्द्र बरसाती हवाएँ भारत के दक्षिण व पूर्वी भागों तक ही बहती हैं ।
255.        राजस्थान में सर्दी का मौसम नवम्बर से मार्च के मध्य तक ही रहता है ।
256.        राज्य में जनवरी का महीना सबसे सर्द समझा जाता है ।
257.        जनवरी में राज्य के चूरू, बीकानेर, श्री गंगानगर, हनुमानगढ़, फलौदी, जैसलमेर क्षेत्रों का तापमान -30 सेल्सियस तक चला जाता है, जो कि पानी के जमाव बिन्दु से भी कम होता है ।
258.        राज्य के उत्तरी व पश्चिमी भागों में शीतकालीन वर्षा भी होती है ।
259.        शीतकालीन वर्षा को मावठ (महावट) कहते हैं ।
260.        शीतकालीन वर्षा का औसत 05-10 सेमी. तक रहता है ।
261.        शीतकालीन वर्षा रबी की फसलों के लिए लाभदायक रहती है ।
262.        गेंहूँ, जौ, सरसों, चने की खेती रबी की फसल के अंतर्गत आती हैं ।
263.        शीतकालीन वर्षा का मुख्य कारण भूमध्यसागरीय चक्रवात होते हैं ।
264.        भूमध्यसागरीय चक्रवात यूरोपीय क्षेत्रों में ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान आदि देशों से होते हुए उत्तर भारत में प्रवेश करते हैं ।
265.        भूमध्यसागरीय चक्रवात से हिमालय के क्षेत्र में भारी हिमपात होता है ।
266.        हिमपात के कारण चलने वाली तेज गति की हवाओं को शीत लहर कहते हैं ।
267.        राज्य में सर्दी के मौसम के बाद मार्च के मध्य से तापमान फिर बढ़ने लगता है ।
268.        तापक्रम, वर्षा और आर्द्रता के आधार पर राज्य को चार मुख्य प्रदेशों में बाँटा जा सकता है ।
269.        शुष्क प्रदेश के अंतर्गत सम्पूर्ण जैसलमेर, बाड़मेर और जोधपुर का उत्तरी, बीकानेर का पश्चिमी और श्री गंगानगर का दक्षिणी भाग आता है ।
270.        अर्द्ध शुष्क प्रदेश में पश्चिमी राजस्थान के श्री गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, जोधपुर, बाड़मेर, चूरू, झुंझुनूँ, सीकर, नागौर, पाली व जालौर जिले शामिल हैं ।
271.        उप आर्द्र प्रदेश में पूर्वी राजस्थान के अलवर, भरतपुर, धौलपुर, जयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, टोंक, सवाई माधोपुर, कोटा, बूँदी, करौली व चित्तौड़गढ़ जैसे जिले आते हैं ।
272.        आर्द्र प्रदेश के अंतर्गत राज्य के दक्षिणी जिले झालावाड़, बाँसवाड़ा, डूँगरपुर व उदयपुर आदि शामिल हैं ।
273.        चार मुख्य प्रदेशों में सर्वाधिक वर्षा आर्द्र प्रदेश में व सबसे कम शुष्क प्रदेश में होती है ।
274.        राजस्थान का अबुल फजल मुहणोत नैनसी ।
275.        सामान्यतः किसी भी भौगोलिक क्षेत्रफल का 1/3 भाग वनाच्छादित होना उचित माना जाता है ।
276.        राजस्थान की मरु कोकिला गवरी देवी ।
277.        महात्मा गाँधी के पाँचवें पुत्र जमनालाल बजाज ।
278.        राजस्थान के गाँधी गोकुल भाई भट्ट ।
279.        राजस्थान में वन मुख्यतः अरावली के पर्वतीय भागों में पाए जाते हैं ।
280.        पशुओं को घास चराने व लोगों को सूखे पेड़ काटने की अनुमति आरक्षित श्रेणी के वनों में नहीं है।
281.        वागड़ के गाँधी भोगीलाल पण्डया ।
282.        राजस्थान की प्रथम महिला मंत्री कमला बेनीवाल।
283.        राजस्थान की प्रथम राजस्थानी फिल्म- नजराणों ।
284.        राजस्थान की प्रथम महिला पायलट- नम्रता भट्ट ।
285.        साल की लकड़ी का उपयोग दरवाजे व खिड़कियाँ बनाने में होता है ।
286.        साल की लकड़ी का उपयोग पैकिंग केस बनाने में भी होता है ।
287.        ढाक के पेड़ों की पत्तियों से पत्तल व दोने बनाए जाते हैं ।
288.        बाँस को छप्पर, टोकरियाँ व चारपाई बनाने के काम में लिया जाता है ।
289.        साल के जंगलों का विस्तार अलवर, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, सिरोही, अजमेर, जोधपुर व जयपुर जिलों में पाया जाता है ।
290.        धोंक के वनों का विस्तार सवाई माधोपुर, बूँदी, चित्तौड़गढ़, भरतपुर और अलवर जिलों में पाया जाता है ।
291.        धोंक के पेड़ कठोर चट्टानों पर भी सरलता से उग सकते हैं और इन्हें अधिक पानी की आवष्यकता भी नहीं होती है ।
292.        सरलता से उग सकने के कारण ही धोंक के पेड़ वन क्षेत्र के अधिकांश भाग में पाए जाते हैं ।
293.        राजस्थान की पहली महिला फ्लाइंग आॅफीसर- निवेदिता ।
294.        राज्य का सर्वाधिक पशु संख्या वाला जिला- बाड़मेर ।
295.        खैर के वृक्षों की उत्पत्ति मुख्यतः झालावाड़, कोटा, टोंक, चित्तौड़गढ़ व अलवर जिलों के वनों में होती है ।
296.        साल के वृक्ष पठारी पर्वतीय प्रदेशों में उगते हैं ।
297.        बाँस की उत्पत्ति विशेषतः आबू के पहाड़ों, उदयपुर, कोटा और अलवर जिलों में अधिक होती है ।
298.        मिश्रित पतझड़ वाले वनो में तेंदू, नीम, पीपल, आम, जामुन, सीताफल, बेर आदि के वृक्ष भी पाए जाते हैं ।
299.        मिश्रित पतझड़ वाले वनों की लकड़ी का उपयोग जलाने तथा इमारती लकड़ी के रूप में होता है ।
300.        मिश्रित पतझड़ वाले वन, वन क्षेत्र के 27 प्रतिशत भाग पर फैले हुए हैं ।
301.        शुष्क वनों में पेड़ बहुत छोटे आकार के होते हैं ।
302.        शुष्क वनों में छोटी झाड़ियाँ अधिक होती हैं ।
303.        शुष्क वन राज्य के उत्तर-पश्चिम भाग में पाए जाते हैं ।
304.        शुष्क वनों में प्राकृतिक वनस्पति बहुत कम व छितराई हुई होती है ।
305.        शुष्क वनों से संबंधित वनस्पति रेगिस्तानी टीलों तथा चम्बल व बनास नदियों के बीहड़ों में पाई जाती है ।
306.        राज्य में पूर्ण बहाव के आधार पर सबसे लम्बी नदी- बनास ।
307.        राज्य का सर्वाधिक आर्द्र जिला- झालावाड़ ।
308.        शुष्क वनों की जलवायु खेजड़ी, रोहिड़ा, बेर, कैर, थोर व झाड़ियों आदि के अनुकूल होती है ।
309.        शुष्क वनों में स्थित पेड़ों व झाड़ियों की जड़ें बहुत गहरी होती हैं ।
310.        जड़ें गहरी होने के कारण ही शुष्क वनों की वनस्पति गर्मियों में कठोर शुष्कता को भी सहन कर लेती है ।
311.        बेर के पत्तों का बना पाला पशुओं को खिलाने के काम आता है ।
312.        खेजड़ी का राजस्थान का कल्पवृक्ष कहा जाता है ।
313.        खेजड़ी के छोटे-छोटे पत्ते भी पशुओं को खिलाने के काम आते हैं ।
314.        खेजड़ी राज्य के वन क्षेत्र के  2/3 भाग (लगभग 65 प्रतिशत) में पाए जाती है ।
315.        राज्य का सबसे गर्म जिला- चूरू ।
316.        राज्य की सबसे लम्बी नदी- चम्बल ।
317.        देश में पंचायती राज का श्रीगणेश करने वाला जिला- नागौर ।
318.        सदैव हरे-भरे रहने वाले वन- अर्द्ध उष्ण सदाबहार वन ।
319.        अर्द्ध उष्ण सदाबहार वनों की उत्पत्ति राज्य के अर्द्ध गर्म भागों में होती है ।
320.        अर्द्ध उष्ण सदाबहार वन का विस्तार राज्य के बहुत छोटे और सीमित भाग (आबू पर्वतीय क्षेत्र) में पाया जाता है ।
321.        अर्द्ध उष्ण सदाबहार वन सघन व साल भर हरियाली वाले होते हैं ।
322.        अर्द्ध उष्ण सदाबहार वनों में आम,बाँस, नीम, सागवान आदि के वृक्ष पाए जाते हैं ।
323.        अर्द्ध उष्ण सदाबहार वन ऊँचाई वाले पहा्रड़ी ढालों पर फैले होते हैं ।
324.        अर्द्ध उष्ण सदाबहार वनों की जलवायु भी शेष राज्य से ठण्डी होती है ।
325.        अर्द्ध उष्ण सदाबहार वनों में वर्षा पर्याप्त मात्रा में होती है, इसलिए पौधों को जल वर्ष पर्यन्त मिलता रहता है ।
326.        अर्द्ध उष्ण सदाबहार वन कुल वन क्षेत्र के मात्र 0.4 प्रतिशत (1/2 प्रतिशत से भी कम) पर पाए जाते हैं ।
327.        राजस्थान में पाकिस्तान सीमा समाप्ति स्थल- शाहगढ़ (बाड़मेर) ।
328.        हल्दी घाटी का शेर- राणा प्रताप ।
329.        जल महलों की नगर- डीग (भरतपुर) ।
330.        वनों का राज्य की घरेलू उत्पत्ति में लगभग 716 करोड़ रुपए का योगदान माना गया है ।
331.        वनों का राज्य की घरेलू उत्पत्ति में जलाने की लकड़ी का योगदान 72 करोड़ रुपए, चारे का 570 करोड़ रुपए, टिम्बर का 34 करोड़ रुपए व गैर टिम्बर वनोत्पादों का 40 करोड़ रुपए आँका गया है ।
332.        वर्तमान समय में राज्य में वन क्षेत्र कुल रिपोर्टिंग क्षेत्र का 9.3 प्रतिशत आँका गया है ।
333.        देश में सबसे कम वन सम्पदा राजस्थान की ही मानी जाती है ।
334.        राजस्थान में वन सम्पदा में अग्रणी जिला उदयपुर माना जाता है ।
335.        उदयपुर में राज्य का सर्वाधिक वन क्षेत्र अंश 16 प्रतिशत पाया जाता है ।
336.        वन क्षेत्र की दृष्टि से पिछड़ा क्षेत्र जोधपुर जिला है, जहाँ मात्र 0.9 प्रतिशत वन क्षेत्र अंश है ।
337.        पश्चिमी राजस्थान में वनों का नितान्त अभाव पाया जाता है ।
338.        राष्ट्रीय वन नीति के अनुसार लगभग 1/3 भौगोलिक क्षेत्र में वन होने चाहिए।
339.        राजस्थान में उपलब्ध वनों का स्तर ज्यादातर घटिया श्रेणी का ही है ।
340.        वृक्षों की अत्यधिक कटाई, आवष्यकता से अधिक चराई व भूमि के अविवेकपूर्ण उपयोग के कारण ही अरावली के पूर्वी क्षेत्रों में वनों का काफी ह्यास हुआ है ।
341.        वैज्ञानिक अनुसंधान की बिड़ला इन्स्टीट्यूट के एक अध्ययन के अनुसार अरावली पर्वतमाला के क्षेत्र के 16 जिलों के कुछ भागों में 1972-75 से 1982-84 की अवधि में वन क्षेत्र में 41.5 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो भयावह स्थिति को प्रदर्शित करती है ।
342.        जयपुर, अलवर, बूँदी, उदयपुर, कोटा आदि शहरों में वनों के विनाश का एक मुख्य कारण वनों की लकड़ी को अनधिकृत रूप से काटकर स्थानीय लोगों द्वारा ईंधन हेतु उपयोग में लेना है ।
343.        2001 में राज्य में ईंधन की लकड़ी की माँग 67.3 लाख टन, आपूर्ति मात्र 11.8 लाख टन, अन्तर 55.5 लाख टन ।
344.        राजस्थान में पाकिस्तान की सीमा का प्रारम्भिक स्थल- हिन्दूमलकोट (श्री गंगानगर) ।
345.        देश की कुल व्यर्थ भूमि का 1/5 भाग अकेले राजस्थान में ही पाया जाता है ।
346.        राज्य में वर्ष 2001 में चारे की माँग 7.2 करोड़ टन, आपूर्ति 05 करोड़ टन, अन्तर 2.2 करोड़ टन ।
347.        राज्य में चारे की आपूर्ति माँग के अनुसार करने के लिए घास के मैदानों व चारागाहों का विकास किया जाना अत्यावश्यक है ।
348.        इंदिरा गाँधी नहर क्षेत्र में जापान की आर्थिक सहायता से वृक्षारोपण व चारागाह विकास योजना पर काम किया गया।
349.        अरावली क्षेत्र में वृक्षारोपण, चारागाह विकास, मिट्टी व नमी संरक्षण हेतु अरावली वनरोपण प्रोजेक्ट कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है।
350.        वन विभाग के अलावा राजस्थान में भू-संरक्षण विभाग, कमाण्ड क्षेत्र विकास विभाग भी वन विकास कार्यक्रम में संलग्न हैं ।
351.        वन विकास हेतु मरुस्थल विकास कार्यक्रम, सूखा संभावित क्षेत्र कार्यक्रम, जवाहर रोज़गार योजना, सामाजिक वानिकी व फार्म वानिकी तथा आकाशीय बीजारोपण जैसे कार्यक्रम राजस्थान में राज्य सरकार द्वारा संचालित हैं ।
352.        सामाजिक वानिकी कार्यक्रम के अंतर्गत पंचायती राज संस्थाओं तथा व्यक्तियों को निष्चित संख्या में छोटे-छोटे पेड़ गाँवों-शहरों की बंजर भूमि, नहरों, सड़कों व रेल पटरियों के दोनों तरफ व अन्य स्थानों पर पौधारोपण व देखरेख के लिए उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।
353.        फार्म वानिकी कार्यक्रम के अंतर्गत इच्छुक किसानों को अपने खेतों में पेड़ लगाने के लिए दिए जाते हैं ।
354.        राज्य के 10 जिलों- अलवर, जयपुर, सीकर, झुंझुनूँ, नागौर, पाली, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, बाँसवाड़ा एवं सिरोही में जापान सरकार के सहयोग से 1992-93 से अरावली वृक्षारोपण परियोजना के अंतर्गत कार्य किया गया ।
355.        इंदिरा गाँधी नहर परियोजना क्षेत्र में जापान सरकार के सहयोग से वृक्षारोपण व चारागाह विकास की परियोजना 1991-92 से 05 फरवरी, 2002 तक चलाई गई ।
356.        वन सुरक्षा व विकास हेतु उत्तम कार्य करने वाली संस्थाओं, स्कूलों, पंचायतों व कर्मचारियों को भी पुरस्कृत करने हेतु धनराषि का प्रावधान किया गया है ।
357.        इंदिरा गाँधी नहर परियोजना वानिकी प्रोजेक्ट के लिए जापान के Overseas Economic Cooperation Fund (OECF) से वित्तीय सहायता प्राप्त हुई है ।
358.        बाद में इसका नाम बदलकर Japan Bank of International Cooperation (JBIC) कर दिया गया।
359.        जापान की उक्त एजेन्सियों के माध्यम से वृक्षारोपण, सीडलिंग-वितरण, नमी संरक्षण व नई नर्सरी के कार्यक्रम सम्पन्न किए गए ।
360.        राजस्थान वानिकी एवं जैव विविधता परियोजना  Japan Bank of International Cooperation (JBIC) की सहायता से 2003-04 में एक बाह्य सहायता प्राप्त योजना स्वीकृत की गई ।  
361.        गैर अरावली व गैर मरु (15जिलों में) वानिकी विकास परियोजना 1995-2002, रुपए-145 करोड़ की लागत से प्रारम्भ की गई थी, इसमें भी इंदिरा गाँधी नहर वानिकी प्रोजेक्ट की भाँति कार्य किए गए ।
362.        1999-2000 में एक शत-प्रतिशत केन्द्र प्रवर्तित स्कीम- बनास भू व जल संरक्षण स्कीम04 जिलों- टोंक, जयपुर, सवाई माधोपुर व दौसा में 10 करोड़ रु. के (प्रारम्भिक वर्ष में) व्यय से चालू की गई थी ।
363.        भारत वन सर्वेक्षण के अनुसार राजस्थान में 1993-99 तक 982 वर्ग किमी. में सेटेलाइट सर्वे के आधार पर नया वृक्षारोपण किया गया।
364.       1999-2001 की अवधि में 2496 वर्ग किमी. में वृक्षारोपण कार्य सम्पन्न किया गया, इसमें जनता व सरकार का सहयोग रहा ।
365.       राजस्थान के बाड़मेर जिले में वार्षिक वर्षा में विषमता का प्रतिशत सर्वाधिक है ।
366.       राजस्थान राज्य की सीमाएँ पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश व गुजरात से लगती है ।
367.       अरावली की दूसरे नम्बर की ऊँची चोटी सेर (1597 मीटर) है ।
368.   कुम्भ श्याम मंदिर चित्तौड़गढ़ किले पर स्थित है।
369.   जैसलमेर के किले का निर्माण महारावल जैसलदेव ने करवाया था ।
370.   कुम्भलगढ़ का किला राजसमंद में स्थित है ।
371.   कुम्भलगढ़ के किले का निर्माण महाराणा कुम्भा ने करवाया था ।
372.   आमेर का किला जयपुर में स्थित है ।
373.   आमेर के किले का निर्माण कछवाहा वंश ने करवाया ।
374.   आमेर किले का निर्माण कछवाहा वंश के शासक धोलाराय जी ने करवाया था ।
375.   डीग दुर्ग राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित है ।
376.   डीग दुर्ग का निर्माण राजा सूरजमल ने करवाया था ।
377.   जालौर के किले का निर्माण परमार वंश के शासकों ने करवाया था।
378.   मारवाड़ की गंगा- लूणी नदी को कहा जाता है ।
379.   मारवाड़ की गंगा बाड़मेर जिले से जालौर जिले की सांचौर तहसील में प्रवेश करती है ।
380.   जालौर जिले के नेहड़ इलाके से गुजरती हुई मारवाड़ की गंगा कच्छ के रण में प्रवेश करती है ।
381.   राजस्थान में योजनाकाल में सिंचाई के साधनों का काफी विकास हुआ है ।
382.   राज्य में भेड़ नस्ल सुधार कार्यक्रम में मारवाड़ी, जैसलमेरी व मगरा भेड़ों को सिलेक्टिव ब्रीडिंग स्कीम में लिया गया है ।
383.   सिलेक्टिव ब्रीडिंग स्कीम में उसी नस्ल के उत्तम मेंढ़ों का उपयोग किया जाता है ।
384.   राज्य में नाली, चोकला, सोनाड़ी व मालपुरा भेड़ों में नस्लों का विकास क्रोस ब्रिडिंग के माध्यम से किया जाता है।
385.   क्रोस ब्रीडिंग में किसी उत्तम किस्म की दूसरी नस्ल के मेंढ़ों का उपयोग किया जाता है।
386.   ऊन आधारित उद्योगों का विकास बाड़मेर, सीकर, जोधपुर व भीलवाड़ा के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में किया जा रहा है।
387.   दूध व माँस की दृष्टि से बकरियों की उत्तम नस्ल सवाई माधोपुर व कोटा जिले में पाई जाती है ।
388.   नाचना राज्य की प्रसिद्ध ऊँट नस्ल है।
389.   नाचना नस्ल के ऊँट राज्य के जैसलमेर जिले में पाए जाते हैं ।
390.   खारे पानी की फलौदी झील राजस्थान के जोधपुर जिले में है ।
391.   खारे पानी की डीडवाना झील नागौर जिले में है ।
392.   कावोद झील खारे पानी की है ।
393.   कावोद झील राजस्थान के जैसलमेर जिले में है ।
394.   पंचभद्रा खारे पानी की झील बाड़मेर जिले में है ।
395.   अनासागर अजमेर जिले में है ।
396.   नक्की झील राजस्थान के सिरोही जिले में है ।
397.   जयसमन्द, पिछौला व फतहसागर झीलें उदयपुर में है ।
398.   विजय स्तम्भ चित्तौड़गढ़ में है ।
399.   राजस्थान के प्रथम मनोनीत मुख्यमंत्री: हीरालाल शास्त्री, निर्वाचित- टीकाराम पालीवाल।
400.   अंग्रेजी शासन में राजस्थान के 21 खण्ड थे ।

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Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली