Skip to main content

राजस्थान की प्रमुख दरगाह-









दरगाह ख्वाज़ा मुइनुद्दीन चिश्ती
दरगाह मौलाना ज़ियाउद्दीन साहब, जयपुर
राजस्थान की प्रमुख दरगाह-
दरगाह एक श्रद्धेय धार्मिक व्यक्ति (अक्सर एक सूफी संत) की कब्र के ऊपर निर्मित एक पवित्र सूफी धार्मिक स्थल है। स्थानीय मुसलमान इस स्थल की यात्रा पर जाते हैं, जिसे जियारत के नाम से जाना जाता है।  ये दरगाहें अक्सर खानकाह (khanqah) रूप में जानी जाती है। इनमें अक्सर एक मस्जिद, बैठक-कक्ष, स्कूल (मदरसा), शिक्षक या केयर-टेकर का आवास, अस्पताल और सामुदायिक उद्देश्य के लिए कुछ अन्य भवन  होते हैं। राजस्थान के कुछ महत्वपूर्ण दरगाहों की सूची निम्नांकित है-
क्र.सं.
नाम दरगाह
शहर
1
दरगाह ख्वाज़ा मुइनुद्दीन चिश्ती
अजमेर
2
दरगाह ख्वाज़ा फखरुद्दीन चिश्ती
सरवाड़, अजमेर
3
दरगाह हिसामुद्दीन चिश्ती,
सांभर झील, जयपुर
4
दरगाह सूफी हिसामुद्दीन चिश्ती
नागौर
5
दरगाह फखरुद्दीन शरीफ (दाउदी बोहरा संप्रदाय की दरगाह)
गलियाकोट, डूंगरपुर
6
दरगाह मौलाना ज़ियाउद्दीन साहब
जयपुर
7
दरगाह हजरत अमानीशाह
जयपुर
8
दरगाह मिस्कीन शाह
जयपुर
9
दरगाह शेख मोहम्मद दरवेश
मोती डुंगरी, जयपुर
10
दरगाह शेख अलाउद्दीन
सांगानेर, जयपुर
11
दरगाह हाजिब शक्करबर शाह (पीर शक्कर बाबा)
नरहड़ , झुंझुनूं
12
दरगाह हजरत दीवान-ए-शाह
कपासन, चित्तौड़गढ़
13
दरगाह हजरत चलफिरशाह
चित्तौड़गढ़
14
दरगाह तारागढ़
अजमेर
15
चिल्ला बड़े पीर साहब
अजमेर
16
दरगाह अब्दुल वहाब (बड़े पीर साहब)
नागौर
17
दरगाह हजरत जमालुद्दीन साहब
दौसा
18
दरगाह मस्तान शाह बाबा
पाली
19
दरगाह दुल्ले शाह उर्फ चोटिले शाह
पाली
20
दरगाह अब्बनशाह
प्रतापपुरा, सांचौर (जालौर)
21
दरगाह दौलतशाह बाबा
चौमूं, जयपुर
22
दरगाह शेरों के पिनकारे वाले बाबा
कोटा
23
दरगाह आधर सिल्ला
कोटा
24
दरगाह रोले
नागौर
25
दरगाह बाला पीर
कुम्हारी, नागौर
26
दरगाह अम्बावगढ़
उदयपुर
27
दरगाह इमरत रसूल
उदयपुर
28
दरगाह अफजल शाह उर्फ कोड़े शाह
जोधपुर
29
दरगाह मसीउल्लाह
मंडौर रोड, जोधपुर
30
दरगाह सिफ़त हुसैन
जोधपुर
31
दरगाह बुरहानुद्दीन
ग्राम तला, जयपुर
32
दरगाह रुकनुद्दीन
दाउदपुर, अलवर
33
दरगाह कमरुद्दीन शाह (कयामखानियों के पीर)
झुंझुनूं
34
दरगाह नजमुद्दीन परवाना
फतेहपुर शेखावटी, सीकर
35
संत हमीदुद्दीन या सुल्ताने तारकीन शाह की दरगाह
नागौर
36
काकाजी की दरगाह
प्रतापगढ़
37
संत हजरत हमीदुद्दीन चिश्ती/ मिट्ठे शाह/ महाबली सरकार/शहंशाहे मालवा की दरगाह
गागरोण किला (झालावाड़)
38
दरगाह सैयद बादशाह
शिवगंज (सिरोही)
39
दरगाह कबीर शाह
करौली
40
दरगाह हजरत अब्दुल गनी बाबा
नाथद्वारा (राजसमन्द)

Comments

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली