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अब राजस्थान में भी होगा भेड़ माता रोग निरोधक टीकों का भी उत्पादन

    राज्य का पशुपालन विभाग ‘‘भेड़ माता’’ के टिश्यू कल्चर टीकों का शीध्र ही उत्पादन प्रारंभ कर देगा । यह जानकारी 10 जून, 2014 यहां कृषि, पशुपालन, गोपालन और मत्स्य मंत्राी श्री प्रभुलाल सैनी ने देते हुए बताया कि इन टीकों के वाणिज्यक उत्पादन हेतु वांछित अनुमति भारत के ड्रग कन्ट्रोलर जनरल द्वारा जारी की गयी है।

       श्री सैनी ने बताया कि इन टीकों का उत्पादन शुरू हो जाने से राज्य के भेड़ पालकों को काफी राहत मिलेगी और भेड़ माता रोग का प्रभावी नियंत्राण हो सकेगा। औसतन प्रतिवर्ष मांग अनुरुप लगभग 20 लाख भेड़ माता के टीकों का उत्पादन किया जायेगा और इन्हें भेड़ पालकों को निःशुल्क उपलब्ध कराया जायेगा। पशु पालन विभाग की जयपुर के जामडोली स्थित प्रादेशिक जैविक उत्पादन ईकाई द्वारा इन टीकों का अत्याधुनिक तरीकों से उत्पादन किया जायेगा। वर्तमान में इकाई द्वारा मात्रा बैक्टीरियल टीकों के रूप मे गलघोंटू (एच.एस.), फड़सूजन (बी.क्यू), एवं फिड़किया (एन्ट्रोटोक्सिमिया) रोग प्रतिरोधक टीकों का उत्पादन किया जाता है परन्तु अब वायरल वैक्सीन का उत्पादन भी प्रारंभ हो सकेगा ।

     गौरतलब है कि वर्तमान सरकार के पिछले कार्यकाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे द्वारा बजट भाषण में प्रदेश में टिश्यू कल्चर वैक्सीन उत्पादन की घोषणा की गयी थी ।

पशुपालन सचिव श्री अभय कुमार ने बताया कि पशुधन को विभिन्न प्रकार के संक्रामक रोगों से सुरक्षित रखने के लिए रोग निरोधक टीकों का उत्पादन आई.एस.ओ. 9001: 2000 प्रमाणित प्रादेशिक पशु जैविक उत्पादन इकाई द्वारा प्रति वर्ष लगभग 1 से 1.5 करोड़ टीकों का उत्पादन किया जा रहा है ये टीके विभागीय संस्थाओं के माध्यम से गाँव-गाँव, ढाणी-ढाणी तक के पशुधन को उपलब्ध करवाये जा रहे हैं ताकि पशु संक्रामक रोगों से सुरक्षित रह सके।

पशुपालन निदेशक डा. राजेश मान ने बताया कि प्रदेश में पहली बार पशु चिकित्सा जैविक इकाई द्वारा टिश्यूकल्चर वैक्सीन का उत्पादन प्रारंभ किया जा रहा है, जिसके फलस्वरुप टीकों की गुणवत्ता में सुधार व अधिक समय तक रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रह सकेगी साथ ही यह तकनीक आर्थिक दृष्टि से भी उपयोगी होगी।

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