Skip to main content

Current Affairs-
Justice Rajendra Mal Lodha sworn in as 41st CJI
न्यायमूर्ति राजेन्द्र मल लोढ़ा भारत के उच्चतम न्यायालय के 41 वें मुख्य न्यायाधीश बने


Justice Rajendra Mal Lodha, of age 64, sworn in as 41st Chief Justice of the Supreme Court of India on April 27, 2014 and took over his charge. The President of India Shri Pranab Mukherjee appointed him as Chief Justice of the Supreme Court of India under the powers conferred under Article 124 Part 2 of constitution of India. Justice Lodha was born on September 28, 1949  in the city of Jodhpur.        
        Mr. Rajendra Mal Lodha was working as a judge of the Supreme Court.  His father, Mr. SK Mal Lodha was a judge of the High Court of Rajasthan. He acquired his Bachelor of Science, Law degrees from the University of Jodhpur. After obtaining a degree in Law, he was associated as a lawyer with the Bar Council of Rajasthan in February 1973.
     Justice Lodha was appointed as Judge of the Rajasthan High Court on January 31, 1994. He was transferred in to the High Court Mumbai on February 16, 1994 and again in Rajasthan High Court on February 2, 2007. He was appointed as Chief Justice of the Patna High Court on May 13, 2008. Thereafter on 17, December 2008 he was appointed as Justice of the Supreme Court of India where he was working till appointing as chief justice.

    न्यायमूर्ति राजेन्द्र मल लोढ़ा (आयु 64) ने भारत के उच्चतम न्यायालय के 41 वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में 27 अप्रैल 2014 पदस्थ हुए तथा कार्यभार ग्रहण किया। उन्हें राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 124 भाग 2 के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों के अनुरूप नियुक्त किया।  न्यायमूर्ति श्री लोढ़ा का जन्म 28 सितम्बर 1949  को राजस्थान के जोधपुर शहर में हुआ था।  श्री राजेन्द्र मल लोढ़ा इससे पूर्व उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश थे। वे राजस्थान के जोधपुर निवासी हैं। उनके पिता श्री एस के मल लोढ़ा राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे। उन्होने विज्ञान स्नातक, विधिस्नातक की शिक्षा जोधपुर विश्वविद्यालय से प्राप्त की थी।

लॉ की उपाधि प्राप्त करने के बाद फरवरी 1973 में वकील के रूप में बार काउंसिल ऑफ राजस्थान से जुड़े। 31 जनवरी, 1994 को उन्हें राजस्थान उच्च न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त हुए। 16 फरवरी, 1994 को उनका स्थानांतरण उच्च न्यायालय, मुंबई में हुआ तथा 2 फरवरी 2007 को पुनः राजस्थान उच्च न्यायालय में हो गया। 13 मई 2008 को उनकी नियुक्ति पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में हुई। इसके बाद 17 दिसंबर 2008 को वे भारत के उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश बने जहाँ वे अभी तक नियुक्त हैं।

Comments

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली