Skip to main content

***बधाई राजस्थान
*** राजस्थान की विकास यात्रा में एक बहुत बड़ा कदम...
***बाड़मेर में रिफाइनरी लगाने के लिए राजस्थान सरकार और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन के मध्य 14 मार्च 2013 को जयपुर में हुआ एमओयू***


> अनुमानित लागत 37,229 करोड़ रुपए 

> 90 लाख मीट्रिक टन प्रतिवर्ष उत्पादन 

> करीब 4 लाख लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर

> राजस्थान पेट्रोकेमिकल उद्योगों की स्थापना का बन सकता है हब। पाइप, टायर, एडेसिव, फोम, सुरक्षा आवरण, प्लास्टिक उत्पाद व कृत्रिम रेशों (पॉलिप्रोपीलीन, पॉलीइथाइलीन आदि), जूतों के सॉल, फुटबॉल, टीवी पार्टस, कार्पेट इत्यादि उद्योग लग सकेंगे। पॉलीप्रोपीलीन उद्योग जोधपुर में लगेगा। 

> 129 तरह के उत्पाद निकलेंगे जिससे अनुमानित 500 से अधिक छोटे बड़े उद्योग लगने की संभावना।

> निर्माण अवधि 4 वर्ष

> राज्य सरकार द्वारा 4 वर्ष तक हिस्सा राशि के रूप में 800 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष।

> 5 वें वर्ष से 15 वर्षों तक राजस्थान सरकार द्वारा 3736 करोड़ का ब्याज मुक्त ऋण वायबलिटी पैकेज फंड के रूप में देगी। 

> इस परियोजना के 26 प्रतिशत शेयर राज्य के। 

> राज्य को अभी कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) से प्रतिवर्ष लगभग 6000 करोड़ की आय किंतु इसके लगने के बाद राज्य की आय लगभग 35 हजार करोड़ रुपए प्रतिवर्ष होने की संभावना। 

> बाड़मेर की चमक जाएगी किस्मत- बाड़मेर जिला विकास के मामले में अभी देश में नीचे से छठे स्थान पर है किंतु इस प्रोजेक्ट के बाद अब इसका स्थान ऊपर से होगा।

Comments

  1. thank you sir. i got lot of knowledge from your blog. continue write.

    ReplyDelete

Post a Comment

Your comments are precious. Please give your suggestion for betterment of this blog. Thank you so much for visiting here and express feelings
आपकी टिप्पणियाँ बहुमूल्य हैं, कृपया अपने सुझाव अवश्य दें.. यहां पधारने तथा भाव प्रकट करने का बहुत बहुत आभार

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली