Skip to main content

राजस्थान समसामयिक घटनाचक्र

तीन दिवसीय कुंभलगढ़ महोत्सव संपन्न

राजसमंद जिले के कुंभलगढ़ दुर्ग पर गणेश पूजा के साथ तीन दिवसीय कुंभलगढ़ महोत्सव का 28 जनवरी 2012 को रंगारंग शुभारंभ हुआ। दुर्ग की तलहटी में बनाए भव्य पांडाल में मध्याह्न साढ़े बारह बजे जिला कलेक्टर डॉ. प्रीतम बी. यशवंत की अध्यक्षता में उद्घाटन समारोह हुआ। मुख्य अतिथि कुंभलगढ़ के विधायक गणेश सिंह परमार थे। अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन कर महोत्सव का आगाज किया।
इससे पहले दुर्ग परिसर स्थित प्राचीन गणेश मंदिर में पूजा अर्चना कर आयोजन के निर्विघ्न होने की कामना की गई। महोत्सव के प्रथम दिवस घूमर, गैर, चकरी, कालबेलिया नृत्य सहित साफा बांधो प्रतियोगिता, रस्साकशी एवं स्थानीय बालिकाओं व महिलाओं की मेहंदी, मांडणा तथा रंगोली प्रतियोगिताएं हुईं।
रात्रि में मशहूर ओडिसी नृत्यांगना डोना गांगुली की आकर्षक प्रस्तुति हुई।
पर्यटन विभाग की ओर आयोजित किए जाने वाले इस महोत्सव को पूर्व में कुंभलगढ़ क्लासिकल डांस फैस्टिवल के नाम से जाना जाता था, लेकिन अब इसे कुंभलगढ़ फैस्टिवल नाम दिया गया है। पिछले वर्ष यह कार्यक्रम 21 से 23 दिसंबर 2010 तक आयोजित हुआ किंतु इस वर्ष यह 28 से 30 जनवरी 2012 तक आयोजित किया गया। महोत्सव के दूसरे दिन 29 जनवरी को रात्रि में दूधिया रोशनी से नहाए मंच पर प्रसिद्ध गायिका शुभा मुद्गल ने शास्त्रीय संगीत की भावपूर्ण प्रस्तुति से वीरभूमि को संगीतमय किया। उन्होंने राग यमन आधारित बड़ा खयाल की प्रस्तुति से उपस्थित दर्शकों को मंत्र मुग्ध किया। इसके बाद उन्होंने दादरा, ठुमरी व भक्ति संगीत भी प्रस्तुत किया। उनके पति डॉ. अनिष प्रधान ने तबले व सुधिर नायक ने हारमोनियम पर संगत की। इस दिन नन्हीं नृत्यांगना स्थानीय बाल कलाकार पल्लवी उपाध्याय व जोधपुर की सुशीला कालबेलिया ने मंत्रमुग्ध कर देने वाले नृत्य की आकर्षक प्रस्तुति से समां बांधा।
इसके अलावा जोधपुर के पार्श्वनाथ एण्ड पार्टी ने कालबेलिया नृत्य, झाड़ोल के रूपलाल एण्ड पार्टी ने मराठी नृत्य विधा पर आधारित अनूठे साज पावरी, थालीसर व रूपरा के साथ आकर्षक मावलिया नृत्य, गोगुन्दा की धर्मी बाई ने तेरह ताली नृत्य, छबड़ा (बारां) की सीमा एण्ड पार्टी ने चकरी नृत्य, बाड़मेर के सुशील माली के लाल आंगी गेर नृत्य आदि की प्रस्तुति ने पर्यटकों का भरपूर मनोरंजन किया। राजसमंद के चित्रकार विनोद नंदवाना ने कई लोगों को उनके खुद के स्कैच मात्र दस मिनट में तुरंत तैयार किए।
कुंभलगढ़ के ऎतिहासिक अभेद्य दुर्ग परिसर में महोत्सव के तीसरे व अंतिम दिन दिनांक 30 जनवरी को राजस्थानी लोक गीतों एवं नृत्यों ने दर्शकों को राजस्थानी संस्कृति से सराबोर किया। प्रारंभ में करवर बूंदी से आई अलगोजा टीम ने म्हाने राम जखोलो खावा दे, कुंभलगढ़ का मेला में...गीत की प्रस्तुति दी,तो देसी- विदेशी पर्यटक झूम उठे।
जोधपुर से आई लंगा पार्टी पार्श्वनाथ एवं साथियों ने लोक गीत निंबुड़ा-निंबुड़ा...व म्हारा छैल भंवर रो कांगसियो पणियाराले गई रे...., छाप तिलक सब छीनी मोसे अंखिया मिलाय के... सहित एक से बढ़ कर एक प्रस्तुति दी। राजसमंद जिले के आमेट की बाल प्रतिभा लुईसा टेलर ने काल्यो कूद पड्यो मेला में.. गीत पर सुंदर नृत्य प्रस्तुत कर वाह-वाही लूटी। राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित स्थानीय बाल कलाकार पल्लवी उपाध्याय ने रंगीलो म्हारो ढोलना... लोकगीत पर नृत्य किया।


अपूर्वी चंदेला ने जीता शूटिंग टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक

जयपुर की अपूर्वी चंदेला ने शानदार प्रदर्शन करते हुए हॉलैंड में चल रहे इंटर शूट शूटिंग टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक पर कब्जा किया। अपूर्वी ने 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में बाजी मारी।

जोधपुर की महिला आईटीआई देश की श्रेष्ठ आईटीआई में शामिल

जोधपुर की महिला आईटीआई को केंद्र सरकार द्वारा देश की श्रेष्ठ 51 महिला आईटीआई में शामिल किया है। राज्य की 744 आईटीआई में से जोधपुर की महिला आईटीआई को उसके श्रेष्ठ परीक्षा परिणाम तथा प्रशिक्षणार्थी छात्राओं को रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध करवाने के लिए श्रेष्ठता की इस सूची में स्थान मिला है। केंद्र सरकार के रोजगार एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय तथा बॉम्बे चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा संयुक्त रूप से तीन फरवरी को मुंबई में आयोजित कॉन्फ्रेंस में तीन चरणों की प्रक्रिया के तहत यह सूची तैयार कर जारी की। इसमें 12 राज्यों की आईटीआई को स्थान दिया गया, इनमें हरियाणा की 3, हिमाचल प्रदेश की 2, उत्तरप्रदेश की 5, आंध्रप्रदेश की 12, केरल की 3, गुजरात की 4, पश्चिम बंगाल की 2, महाराष्ट्र की 15 और मिजोरम, बिहार व राजस्थान की एक-एक आईटीआई को चुना गया।

राजस्थान में ‘फोर्टिफाइड खाद्य आहार’ योजना प्रारंभ

कुपोषण तथा अनीमिया (खून की कमी) से पीड़ित बच्चों व महिलाओं की सहायता के लिए राज्य सरकार ने ‘फोर्टिफाइड खाद्य आहार’ योजना प्रारंभ की है। इसके तहत खाद्य पदार्थों- अनुपूरक शिशु आहार से लेकर प्रचुर विटामिन, मिनरल वाले आटे, दूध, तेल, नमक व दाल का उत्पादन व वितरण होगा। सरकार ने यह योजना ग्लोबल एलायंस फॉर इम्प्रूव्ड न्यूट्रीशन (गेन) तथा भारतीय स्वास्थ्य प्रबंधन व शोध संस्थान (आईआईएचएमआर) के साथ मिलकर प्रारंभ की है।
योजना के शुभारंभ के अवसर पर मुख्य अतिथि खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले के मंत्री परसादी लाल मीणा के अलावा मार्क वॉन अमेरिन्जेन (कार्यकारी निदेशक-गेन), जय नायडू (सभापति-गेन बोर्ड), प्रो. वी एस व्यास (उपसभापति राज्य योजना आयोग), प्रो. लाड कुमारी जैन (अध्यक्ष राज्य महिला आयोग) आदि उपस्थित थे।
फोर्टिफिकेशन ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें आहार में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ाते हैं। इस प्रक्रिया में आटा, दूध और तेल में आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन-बी 12 और विटामिन-ए मिलाया जाता है जिससे अनीमिया तथा अन्य कुपोषण संबंधी रोगों से बचा जा सके।

Comments

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली