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राजस्थान सामान्य ज्ञान- राजस्थान समसामयिकी

15 सौ वर्ष पुराने शिव मंदिर के अवशेष मिले

बूंदी जिला मुख्यालय से करीब 35 किमी दूर भीमलत के पास जंगल में चौथी-पांचवी शताब्दी के गुप्तकालीन शिव मंदिर के भग्नावशेष मिले हैं। इन अवशेषों के आधार पर पुरातत्वविज्ञ इस मंदिर को 1400-1500 वर्ष पुराना बता रहे हैं। पुरा अन्वेषको के अनुसार हाड़ौती में ईंटों से निर्मित इस तरह का ये पहला मंदिर है। खंडहर अवस्था में मिले मंदिर का गर्भगृह व मंडप क्षतिग्रस्त है। गर्भगृह में अत्यंत सुंदर व कलात्मक शिवलिंग हैं।
इस वन क्षेत्र में जीवन देवरा, जलींद्री, बाणगंगा, गोलपुर, उमरथूना, खेरूणा, पलका, कंवलपुरा, खजूरी का नाला, धोड़, नाथून, रूठी रानी के मंदिर, बसोली का ब्रह्माणी मंदिर, देवझर आदि जगहों पर शिव मंदिर हैं। इससे माना जाता है कि यह क्षेत्र शैव मतावलंबियों का गढ़ रहा होगा। भीमलत क्षेत्र में भग्नावशेष अवस्था में मिले मंदिर के मलबे में हजारों की मात्रा में टूटी और साबुत ईंटों का ढेर लगा हुआ हैं। गर्भगृह की चारों ओर की दीवारें अभी भी दिखाई देती है। इनमें पंद्रह इंच लंबी व तीन इंच मोटी गुप्तकालीन ईंटें हैं।
पुरातत्ववेताओं के अनुसार भीमतल के पास मिले मंदिर के अवशेषों से पता चलता है कि मंदिर का निर्माण पांचवीं शताब्दी के अंतिम चरण में करवाया गया होगा। गुप्तकालीन शिव मंदिर में मिला शिवलिंग अद्भुत है। इसे मुखलिंग भी कहा जाता है। शिवलिंग जटाजूट रूपी है। इस शिवलिंग पर दो सुंदर नेत्र, लंबी नासिका, कानों में कुंडल, मुखमंडल, गले में एक कंठाहार सुशोभित है। यह शिवलिंग साढ़े चार से पांच फीट ऊंचा व लगभग 2 फीट मोटा है। शिवलिंग में शिव का चेहरा उत्कीर्ण है। इस कारण इसे मुखलिंग भी कहा जाता है। यह सफेद सेंड स्टोन पत्थर से निर्मित है। पुरा अन्वेषको के मुताबिक गुप्तकालीन शिव मंदिर हाड़ौती का सबसे पुराना मंदिर है। अभी तक कमलेश्वर महादेव का मंदिर बूंदी जिले का सर्वाधिक प्राचीन माना जाता था। इस मंदिर के मिलने से बूंदी में मंदिरों का इतिहास 15 सौ साल पुराना हो गया है। पुरातत्व विशेषज्ञों के अनुसार एकमुखी शिवलिंग चौथी-पांचवीं शताब्दी अर्थात गुप्तकाल में बनना प्रारंभ हुए थे। ऐसा शिवलिंग सबसे पहले विदिशा में उदयगिरी की गुफाओं में मिला था। उसके बाद सतना जिले के भूमरा गांव में मिला था। गुप्तकाल में बने शिवलिंग में जटा, मुकुट, गले में कंठहार है। उस काल में ही 15 इंच की ईंटें बनाई जाती थी।


उदयपुर के प्रो.मधुसूदन शर्मा को कोटा विश्वविद्यालय के नए कुलपति

उदयपुर के प्रो. मधुसूदन शर्मा को कोटा विश्वविद्यालय में नया कुलपति बनाया गया है। राज्य सरकार द्वारा गठित कुलपति सर्च कमेटी की अनुशंसा पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रो. शर्मा के नाम को स्वीकृति दी, इसके बाद राजभवन से भी उनके नाम को स्वीकृति मिली तथा आदेश जारी हुए।
गौरतलब है कि कोटा विश्वविद्यालय में प्रो. बी. एम. शर्मा को राज्य लोक सेवा आयोग का चेयरमैन बनाए जाने के बाद एक जुलाई,2011 से कुलपति का कार्यभार संभागीय आयुक्त प्रीतम सिंह संभाल रहे थे। अब लगभग साढ़े चार माह बाद कोटा विवि में नए कुलपति की नियुक्ति की गई है। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर में कॉलेज ऑफ साइंस के डीन प्रो. शर्मा झीलों तथा जल प्रदूषण पर शोध के लिए जाने जाते हैं। हाल ही में वे दक्षिणी अफ्रीका और कुछ यूरोपीय देशों का पर्यावरणीय अध्ययन करके लौटे हैं। कई अंतर्राष्ट्रीय जर्नल में झीलों पर उनके शोध पत्र प्रकाशित हुए हैं। वे कोटा विवि में प्रबंध मंडल (बॉम) में राज्य सरकार की ओर से नामित सदस्य भी रहे हैं।


उप्र के विरुद्ध रणजी में अशोक मेनारिया को कप्तानी

राजस्थान के नियमित कप्तान ऋषिकेश कानिटकर कंधे की चोट से पूरी तरह नहीं उबर पाने के कारण उत्तर प्रदेश के खिलाफ दिनांक 29 नवंबर से जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम में हो रहे रणजी ट्रॉफी एलीट ग्रुप ए मैच में टीम की कमान उदयपुर के युवा हरफनमौला खिलाड़ी अशोक मेनारिया सौंपी गई है।

गोपालगढ में हुई हिंसा की जांच के लिए न्यायिक जाँच आयोग

राज्य सरकार ने दिनांक 22 सितंबर 2011 को एक अधिसूचना जारी कर 14 सितम्बर, 2011 को भरतपुर जिले के गोपालगढ कस्बे में हुई हिंसा एवं तदुपरान्त पुलिस फायरिंग के दौरान विधि एवं व्यवस्था की जो स्थिति बनी और जिसके कारण जनहानि एवं सार्वजनिक सम्पत्ति की हानि हुई उसकी जांच के लिए राजस्थान उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश श्री सुनील कुमार गर्ग के अधीन जांच आयोग का गठन किया गया। अधिसूचना के अनुसार आयोग अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को तीन माह की अवधि के भीतर देगा।

गैर अनुसूचित छात्राओं को भी मिलेगी स्कूटी

विशेष पिछड़ा वर्ग की भांति गैर अनुसूचित क्षेत्र में प्रतिभाशाली छात्राएं भी स्कूटी से स्कूल व कॉलेज जा सकेंगी। राज्य सरकार इस क्षेत्र की प्रतिभाशाली छात्राओं को भी स्कूटी देने पर विचार कर रही है। राजस्थान अनुसूचित जनजाति परामर्शदात्री परिषद की 22 अक्टूबर को हुई बैठक में इस पर चर्चा हुई और इसे लागू करने की अनुशंसा की थी।
यह योजना गैर अनुसूचित क्षेत्र की ऐसी जजा छात्राओं के लिए होगी जिन्होंने राजस्थान माध्यमिक/ केन्द्रीय शिक्षा बोर्ड की वर्ष 2009-10 की परीक्षा में 11 एवं 12 में 65 प्रतिशत या इससे अधिक अंक प्राप्त किए हैं। जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग ने सभी जिला परिषदों को इस संबंध में पत्र भेजकर ऐसी छात्राओं की संख्या व सूची मांगी है। 31 अक्टूबर को यह आदेश सभी जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को जारी किया जा चुका है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने एक महीने पूर्व विशेष पिछड़ा वर्ग की प्रतिभाशाली छात्राओं को भी स्कूटी वितरित करने के लिए आवेदन मांगे थे।

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