Skip to main content

राजस्थान अनुसूचित जाति जनजाति वित्त एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड की योजनाएँ

अनुसूचित जाति वर्ग के उत्थान हेतु राजस्थान अनुसूचित जाति जनजाति वित्त एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड की स्थापना 28 मार्च, 1980 को की गई। स्थापना से ही यह अजा, जजा, सफाई कर्मचारी/स्वच्छकार, विकलांग वर्ग के आर्थिक उत्थान हेतु निरन्तर कार्यरत है।

निगम के कार्य-

1.  अजा के व्यक्तियों को स्वरोजगार हेतु आर्थिक संसाधन उपलब्ध करा स्वावलम्बी बनाना।
2. अजा के प्रतिभाशाली युवाओं के शैक्षणिक उन्नयन हेतु शैक्षिक, तकनीकी व दक्षता उन्नयन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन।
3. अजा के लघु एवं सीमान्त काश्तकारों को कृषि विकास हेतु उन्नत कृषि यंत्र एवं लघु सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध कराना।
4. अजा बाहुल्य क्षेत्रों में आधारभूत सुविधाओं का सृजन करना।

लाभार्थी की पात्रता-

1. बीपीएल हो।
2. राजस्थान का मूल निवासी हो।
3. आयु 18 वर्ष से कम नहीं हो।
4. पूर्व में निगम द्वारा किसी भी योजना में अधिकतम 10,000 रु. अनुदान का लाभार्थी नहीं होना चाहिए।
5. किसी संस्था/निगम या सरकार का अवधि पार ऋण बकाया नहीं हो।
6. वार्षिक आय ग्रामीण क्षेत्र में 20000 रु. एवं शहरी क्षेत्र में 21400 रु. से अधिक नहीं हो।

अनुदान राशि-

बीपीएल प्रार्थी को 10,000 रु. या इकाई लागत का 50 प्रतिशत जो भी कम हो, राशि अनुदान का देय है। शेष इकाई लागत राशि बैंक द्वारा ऋण के रूप में उपलब्ध कराई जाती है।

निगम द्वारा संचालित योजनाएँ-

>सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार से विशेष केन्द्रीय सहायता योजना-

1. पैकेज ऑफ प्रोग्राम बैंकिंग योजना-
विभिन्न व्यवसायों पर अनुदान एवं बैंक ऋण उपलब्ध कराया जाता है। इसके अन्तर्गत स्वरोजगार हेतु उद्योग/ सेवा/छोटे व्यवसाय (जैसे सिलाई कार्य, सीमेंट जालियां बनाना, चर्मकार्य, लुहारी कार्य, रेडीमेड गारमेन्ट, फल सब्जी की दुकान, ऊँटगाड़ी, बैलगाड़ी, मनिहारी, बिजली के सामान की दुकान, रेडियो टी.वी. सेवा केन्द्र, आटा चक्की, ड्राईक्लीन दुकान, फर्श घिसाई आदि) के लिए लागत का 50 प्रतिशत या 10000 रु. जो भी कम हो, अनुदान उपलब्ध कराया जाता है तथा शेष राशि बैंक से ऋण के रूप में दी जाती है।

2. ऑटो रिक्शा बैंकिंग योजना-
यह अजा के बीपीएल परिवारों के व्यक्ति को स्वरोजगार हेतु ऑटो रिक्शा योजना संचालित है। आवेदक के पास ऑटो रिक्शा का ड्राईविंग लाइसेन्स अनिवार्य है। इसमें चयनित व्यक्ति को 50000 रु. का पेट्रोल ऑटो रिक्शा अथवा 80000 रु. का डीजल ऑटो रिक्शा की इकाई लागत का ऑटो दिलवाया जाता है जिसमें अधिकतम 10000 रु. अनुदान देय होता है। शेष राशि बैंक ऋण से दी जाती है।

3.  व्यक्तिगत पम्पसैट योजना (बैंकिंगयोजना)-

अजा के बीपीएल वाले लघु एवं सीमान्त कृषकों को अपनी भूमि पर सिंचाई के साधन विकसित करने की दृष्टि से 5 से 10 HP का पम्पसैट उपलब्ध कराया जाता है। योजना मेँ इकाई लागत का 50 प्रतिशत या 10000 रु. जो भी कम हो, अनुदान दिया जाता है। पम्पसेट ब्यूरो ऑफ इण्डियन स्टेण्डर्ड (बी.एस.आई.) मार्क का होना चाहिए।

4. उन्नत भैंस/गाय योजना (बैंकिंग योजना)-

अजा के गरीब परिवारों को डेयरी विकास कार्य से लाभान्वित करने के लिए उन्नत नस्ल की भैंस /गाय उपलब्ध कराने का प्रावधान है। गाय/भैंस को रखने हेतु शेड का निर्माण लाभार्थी द्वारा किया जाता है। डेयरी चलाने के लिए 3 उन्नत नस्ल भैंस/ गाय हेतु अधिकतम 10000 रु. अनुदान एवं शेष राशि बैंक ऋण से दिया जाता है। उन्नत नस्ल की भैंस की औसत इकाई लागत 31000 रु. एवं संकर गाय की इकाई लागत 26300 रु. नाबार्ड द्वारा निर्धारित है।

5. कार्यशाला योजना (गैर बैंकिंग योजना)-

अजा के बीपीएल शिल्पियों को शिल्पशाला, बुनकर को बुनकरशाला निर्माण हेतु लागत का 50 प्रतिशत या रु 10000 जो भी कम हो, अनुदान देय होता है। प्रार्थी की भूमि स्वयं की होनी चाहिए।

6. कुआँ गहरा करना (गैर बैंकिंग योजना)-

बीपीएल अजा के खेतों के कुओं में जिनका जलस्तर नीचे चला गया है व कुएं में कठोर परत की वजह से वे स्वयं गहरा नहीं करा सकते हैं, उन्हें गहरा करने का कार्य भूजल विभाग एवं जल विकास निगम के माध्यम से आधुनिक मशीनों से ब्लास्टिंग द्वारा कराया जाता है। इसमें लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 10000 रु. अनुदान ब्लास्टिंग कार्य संतोषप्रद होने पर भूजल विभाग को दी जाती है। इसमें मलबा निकालने का कार्य स्वयं को करना होता है।

7. कूप विद्युतीकरण योजना (गैर बैंकिंग योजना)-

अजा के गरीब परिवारों के आर्थिक उत्थान हेतु कुओं पर विद्युतीकरण कराया जाता है। इसमेँ लागत का 50 प्रतिशत या 10000 रु. जो भी कम हो, अनुदान देय है। कृषि भूमि स्वयं के नाम या वह सह खातेदार हो। अनुदान राजस्थान विद्युत वितरण निगम को कनेक्शन मांग पत्र जारी होने के बाद भेजा जाता है।

8. आधुनिक कृषि यंत्र योजना (गैर बैंकिंग योजना)-

बीपीएल अजा लघु सीमांत कृषक/कृषि मजदूर को अधिक उत्पादन हेतु लागत, आवश्यकता व उपयोगिता को देखते हुए आधुनिक कृषि यंत्र लागत का 50 प्रतिशत या रु. 3000 (जो भी कम हो) के अनुदान पर उपलब्ध कराए जाते हैँ। कृषक आवश्यकतानुसार एक से अधिक यंत्र ले सकता है, लेकिन अनुदान सीमा अधिकतम रु. 10000 है। इसमें पौध संरक्षण, बण्ड फोरमर, मूंगफली छीलने की मशीन आदि एवं अधिक कीमत के यंत्रों में पावर स्प्रेयर, कल्टीवेटर, डिस्क प्लॉ का भी प्रावधान हैं।

9. कुटीर ज्योति योजना (गैर बैंकिंग योजना)-
जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के माध्यम से क्रियान्वित की जा रही इस योजना में अजा गरीब परिवार के घर में एक पाईण्ट (एक बल्ब) लगाया जाता है। इसमें प्रति लाभार्थी अधिकतम 2017 रु. का अनुदान देय है।

10. भूमि आवंटन योजना (गैर बैंकिंग योजना)-

वर्ष 2001-02 से प्रारम्भ की गई योजना इन्दिरा गांधी नहर परियोजना क्षेत्र में बीपीएल अजा व्यक्ति को उपनिवेशन विभाग द्वारा भूमि आवंटित की जाती है। पात्र आवंटियों को भूमि की कीमत का 50 प्रतिशत या 10000 रु. जो भी कम हो अनुदान उपनिवेशन विभाग को भेजा जाता है।

Comments

Post a Comment

Your comments are precious. Please give your suggestion for betterment of this blog. Thank you so much for visiting here and express feelings
आपकी टिप्पणियाँ बहुमूल्य हैं, कृपया अपने सुझाव अवश्य दें.. यहां पधारने तथा भाव प्रकट करने का बहुत बहुत आभार

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली