सीकर जिले में स्थित खाटूश्याम जी का फाल्गुन शुक्ला एकादशी का मुख्य लक्खी मेला दिनांक 16 मार्च को भरा गया। इस दिन करीब साढ़े तीन लाख श्रद्धालुओं ने मंदिर में हाजिरी लगा कर दर्शन किए। इस मेले में 17 किमी दूर रींगस से लेकर खाटूश्याम नगर तक का प्रत्येक मार्ग श्रद्धालुओं से अटा पड़ा था। इसमें राजस्थान के साथ साथ हरियाणा, बनारस, दिल्ली, पंजाब, बंगाल व गुजरात से लाखों श्रद्धालु पहुंचे। बाबा श्याम के दर्शन के लिए रींगस से खाटूश्यामजी तक 17 किमी लंबी लाइन में लगना पड़ रहा था। अनुमान के मुताबिक एक मिनट में देश के कोने-कोने से आए करीब 360 श्रद्धालुओं ने शीश के दानी खाटूश्याम के दर्शन किए। इस बार बाबा के मेले में अब तक लगभग 12 लाख श्रद्धालु जुटे। श्रद्धालुओं की भीड़ का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि रींगस से खाटूश्यामजी 20 मिनट मे पहुंचने वाले वाहन अब दो घंटों में पहुँच रहे थे।
खाटू की तरफ जाने वाले सभी मार्ग श्याम भक्ति में रमे हुए थे। हर तरफ भक्तों का सैलाब उमड़ रहा था, जो श्याम के भजनों पर नाचते-गाते आ रहे थे। रींगस से ही माहौल केसरिया रंग में रंगा नजर आ रहा था। एकादशी पर बाबा श्याम की रथयात्रा निकाली गई एवं कोलकाता से लाए गए फूलों और खजूर से विशेष श्रृंगार किया गया।
खाटूश्यामजी का बहुत ही प्राचीन मंदिर जयपुर से करीब 80 किमी दूर सीकर जिले मेँ स्थित है। यहाँ भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक की पूजा श्याम के रूप में की जाती है। ऐसी मान्यता है कि बर्बरीक को अजेय होने का वरदान प्राप्त था तथा उसकी माता के कहने पर वह महाभारत युद्ध के समय कौरवों की और से युद्ध करने जा रहा था। रास्ते में उसे भगवान श्रीकृष्ण मिले तो कृष्ण ने उससे शीश दान में माँग लिया। उसने सहर्ष शीश दान में दे दिया। भगवान श्रीकृष्ण ने प्रसन्न होकर बर्बरीक को वरदान दिया था कि कलयुग में उसकी पूजा उनके खुद के श्याम स्वरूप ( कृष्ण स्वरूप ) के नाम से होगी। खाटू में श्याम के मस्तक स्वरूप की पूजा होती है, जबकि निकट ही स्थित रींगस में धड़ स्वरूप की पूजा की जाती है। प्रतिवर्ष यहाँ फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष में नवमी से द्वादशी तक विशाल मेला भरता है, जिसमें एकादशी को मुख्य मेला भरता है। देश-विदेश से लाखों भक्तगण यहाँ पहुँचते हैं। हजारों लोग यहाँ पदयात्रा करके भी पहुँचते हैं, वहीं कई लोग दंडवत करते हुए श्याम के दरबार में अर्चना करने आते हैं। प्रत्येक एकादशी व रविवार को भी यहाँ भक्तों की लंबी कतारें लगी रहती हैं।
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