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राजस्थान की योजनाएँ- पालनहार योजना

पालनहार योजना   योजना के उद्देश्‍य    अनाथ बच्‍चों के पालन-पोषण, शिक्षा आदि की व्‍यवस्‍था संस्‍थागत नहीं की जाकर समाज के भीतर ही बालक-बालिकाओं के निकटतम रिश्‍तेदार/परिचित व्‍यक्ति के परिवार में करने के लिए इच्‍छुक व्‍यक्ति को पालनहार बनाकर राज्‍य की ओर से पारिवारिक माहौल में शिक्षा, भोजन, वस्‍त्र एवं अन्‍य आवश्‍यक सुविधाएं उपलब्‍ध कराना है। इस प्रकार राज्‍य सरकार द्वारा संचालित यह योजना सम्‍पूर्ण भारत वर्ष में अनूठी है।  योजना के लिए पात्रता एवं देय परिलाभ   दिनांक 08.02.2005 से लागू यह योजना आरम्‍भ में अनुसूचित जाति के अनाथ बच्‍चों हेतु संचालित की गई थी, जिसमें समय-समय पर संशोधन कर निम्‍नांकित श्रेणियों को भी जोडा गया है :- अनाथ बच्‍चे न्‍यायिक प्रक्रिया से मृत्‍यु दण्‍ड/ आजीवन कारावास प्राप्‍त माता-पिता की संतान निराश्रित पेंशन की पात्र विधवा माता की अधिकतम तीन संताने नाता जाने वाली माता की अधिकतम तीन संताने पुर्नविवाहित विधवा माता की संतान एड्स पीडित माता/पिता की संतान कुष्‍ठ रोग से पीडित माता/पिता की संतान विकलांग माता/पिता की संतान तलाक

राजस्थान अनुसूचित जाति जनजाति वित्त एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड की योजनाएँ

अनुसूचित जाति वर्ग के उत्थान हेतु राजस्थान अनुसूचित जाति जनजाति वित्त एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड की स्थापना 28 मार्च, 1980 को की गई। स्थापना से ही यह अजा, जजा, सफाई कर्मचारी/स्वच्छकार, विकलांग वर्ग के आर्थिक उत्थान हेतु निरन्तर कार्यरत है। निगम के कार्य- 1.  अजा के व्यक्तियों को स्वरोजगार हेतु आर्थिक संसाधन उपलब्ध करा स्वावलम्बी बनाना। 2. अजा के प्रतिभाशाली युवाओं के शैक्षणिक उन्नयन हेतु शैक्षिक, तकनीकी व दक्षता उन्नयन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन। 3. अजा के लघु एवं सीमान्त काश्तकारों को कृषि विकास हेतु उन्नत कृषि यंत्र एवं लघु सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध कराना। 4. अजा बाहुल्य क्षेत्रों में आधारभूत सुविधाओं का सृजन करना। लाभार्थी की पात्रता- 1. बीपीएल हो। 2. राजस्थान का मूल निवासी हो। 3. आयु 18 वर्ष से कम नहीं हो। 4. पूर्व में निगम द्वारा किसी भी योजना में अधिकतम 10,000 रु. अनुदान का लाभार्थी नहीं होना चाहिए। 5. किसी संस्था/निगम या सरकार का अवधि पार ऋण बकाया नहीं हो। 6. वार्षिक आय ग्रामीण क्षेत्र में 20000 रु. एवं शहरी क्षेत्र में 21400 रु. से अधिक नहीं हो। अनुदान राशि-

आवासीय विद्यालय योजना

 आवासीय विद्यालय योजना - सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा आवासीय विद्यालय योजना 1997-98 से प्रारम्भ की गई थी। राज्य में 22 आवासीय विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है तथा आगामी शैक्षणिक सत्र 2018-19 से 3 आवासीय विद्यालयों का संचालन किया जाना प्रस्तावित हैै। इस योजना के अंतर्गत सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता विभाग के अधीन "राजस्‍थान रेजीडेन्सियल एजूकेशनल इन्‍स्‍टीट्यूशन्‍स सोसायटी" (राईस) द्वारा अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अन्‍य पिछड़ा वर्ग के एक  लाख रुपए से कम वार्षिक आय वाले गरीब परिवारों के बालक-बालिकाओं को शिक्षा उपलब्‍ध कराने हेतु 22 आवासीय विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं। इनमें 10 विद्यालय जर्मनी के बैंकिंग समूह K f W ('Kreditanstalt für Wiederaufbau' meaning Reconstruction Credit Institute) के सहयोग से द्वारा निर्मित  किए गए हैं एवं 12 विद्यालय राज्य सरकार द्वारा निर्मित है।  इन विद्यालयों में अनुसूचित जनजाति क्षेत्र में स्‍थापित विद्यालयों में 80 प्रतिशत स्‍थान अनुसूचित जनजाति के लिए, 12 प्रतिशत अनुसूचित जाति के लिए, 8 प्रतिशत अन्‍य पिछड़ा वर्

राजस्थान की योजनाएँ - विकलांग विवाह एवं परिचय सम्मेलन योजना-

यह निःशक्त युवक /युवतियों को विवाह पर सुखद दाम्पत्य जीवन व्यतीतकरने में सहायता उपलब्ध करवाए जाने की योजना है जो सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा सम्पूर्ण राजस्थान राज्य में संचालित है। पात्रता- > निःशक्त युवक की आयु 21 वर्ष तथा युवती की आयु 18 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए। > प्रार्थी के पास मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी निर्योग्यता प्रमाणपत्र हो। > प्रार्थी राजस्थान का मूल निवासी हो। > संरक्षक/ माता-पिता अथवा स्वयं रोजगार में हो तो समस्त स्रोतों से वार्षिक आय 50000 रुपए से अधिक ना हो। अनुदान राशि- प्रति दम्पत्ति 25,000 रुपए अनुदान सहायता स्वीकृत की जाती है तथा निःशक्त युवक/युवतियों के विवाह परिचय सम्मेलन आयोजित करने वाली स्वयंसेवी संस्था को अधिकतम 20,000 रुपये आयोजन व्यय के रूप में स्वीकृत किए जाते हैं। अनुदान की राशि दम्पत्ति के दोनों विकलांग होने पर अथवा दोनों में से एक के विकलांग होने पर भी अधिकतम 25,000 रुपए ही है।

जानें शिक्षा से जुड़े संस्थानों को-3 "इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय(इग्नू)"

Creative Teachers: जानें शिक्षा से जुड़े संस्थानों को-3 "इंदिरा गाँधी... : "शिक्षा की व्यापक आवश्यकताओं के मद्देनजर देश के सबसे प्रमुख मुक्त विश्वविद्यालय 'इदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू)' की स्थापन..."

मीणा समाज का भूरिया बाबा का प्रसिद्ध मेला

सिरोही जिले के पोसालिया से करीब 10 किमी दूर ग्राम चोटिला के पास सुकड़ी नदी के किनारे मीणा समाज के आराध्यदेव एवं प्राचीन गौतम ऋषि महादेव का प्राचीन मंदिर स्थित है जिसे " भूरिया बाबा " के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। वस्तुतः मीणा समुदाय के लोग गौतम महादेव को भूरिया बाबा के नाम से पुकारते हैं। इस मंदिर के परिसर में पश्चिमी राजस्थान के आदिवासियों का सबसे बड़ा दो दिवसीय वार्षिक मेला भरता है। इस वर्ष यह मेला 14 एवं 15 अप्रैल को भरा। मीणा समाज के लिए यह मेला अत्यंत महत्वपूर्ण और भारी आस्था का प्रतीक होता है। मेले को लेकर मीणा समाज की ओर से जोर शोर से तैयारियाँ की जाती है तथा मंदिर को खूब सँवार कर आकर्षक रोशनी से सजाया जाता है। इस मेले में प्रतिवर्ष सिरोही , पाली व जालोर जिलों सहित पड़ोसी राज्यों से मीणा समाज के लाखों लोग भाग लेते हैं। मेले से एक दिन पूर्व से ही यहाँ श्रद्धालुओं के आने जाने का सिलसिला शुरू हो जाता है