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साहित्यकार डॉ. सत्यनारायण को छब्बीसवां बिहारी पुरस्कार

राजस्थान के प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. सत्यनारायण को वर्ष 2016 को छब्बीसवां बिहारी पुरस्कार दिया जायेगा। के के बिरला फाउंडेशन द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि डॉ. सत्यनारायण की हिन्दी रिपोर्ताज कृति ‘यह एक दुनिया’ को वर्ष 2016 के 26वें बिहारी पुरस्कार के लिए चुना गया। इस पुस्तक का प्रकाशन वर्ष 2010 में हुआ था। पुरस्कार के रूप में डॉ. सत्यनारायण को दो लाख रूपये, प्रतीक चिह्न और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जायेगा। बिहारी पुरस्कार के लिए नंद भारद्वाज की अध्यक्षता में चयन समिति की बैठक में इस पुरस्कार के लिए डॉ. सत्यनारायण का चयन किया गया। बिहारी पुरस्कार की स्थापना वर्ष 1991 में की गयी थी। पहला पुरस्कार डॉ. जय सिंह नीरज की कृति ‘ढ़ाणी का आदमी’ को दिया गया था। देश के किसी भी हिस्से में रहने वाले राजस्थान के मूल निवासी या फिर बीते सात साल से स्थायी रूप से राजस्थान में रहने वाले देश के किसी भी हिस्से के निवासी लेखक की राजस्थानी या हिन्दी की कृति को प्रदान किया जाता है। कृति का प्रकाशन बीते दस साल में हुआ हो।

साहित्य अकादमी का बाल साहित्य पुरस्कार राजस्थानी में कृष्ण कुमार आशु को -

साहित्य अकादमी का बाल साहित्य पुरस्कार राजस्थानी में कृष्ण कुमार आशु को - साहित्य अकादमी ने आज 24 भाषाओँ के बाल साहित्य के लिए अपने वार्षिक पुरस्कारों की घोषणा की है । साहित्य अकादमी के अध्यक्ष प्रोफेसर विश्वनाथ तिवारी की अध्यक्षता में आयोजित कार्यकारी मण्डल की बैठक में चुनी गई बाल साहित्य की पुस्तकों के अलावा कुछ लेखकों को उनके बाल साहित्य में समग्र योगदान हेतु पुरस्कारों के लिए अनुमोदित किया गया ।   वर्ष 2015 के लिए 4 कहानी संग्रहों, 3 कविता संग्रहों, 5 उपन्यासों, 1 एकांकी के साथ साथ 11 लेखकों को उनके समग्र योगदान के लिए अकादमी के बाल साहित्य पुरस्कार के लिए चुना है। राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी बाल साहित्य पुरस्कार ' कृष्ण कुमार आशु' को उनके राजस्थानी बाल कहानी संग्रह "धरती रो मोल" पर प्रदान किया जाएगा । ये पुरस्कार 1 जनवरी, 2009 से 31 दिसम्बर, 2013 के दौरान पहली बार प्रकाशित पुस्तकों पर दिया गया है। पुरस्कार स्वरुप इन्हें एक उत्कीर्ण ताम्रफलक एवं 50,000 रूपये की नगद राशि एक विशेष समारोह में दिए जाएंगे। हिंदी भाषा के लिए यह बाल साहित्य पु

साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार - 2015 राजस्थानी में सीकर की ऋतुप्रिया को

साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार - 2015 राजस्थानी में सीकर की ऋतुप्रिया को साहित्य अकादमी ने आज 23 भाषाओँ के अपने वार्षिक युवा पुरस्कारों की घोषणा की । वर्ष 2015 के लिए कश्मीरी भाषा के लिए कोई पुरस्कार नहीं दिया गया है । 13 कविता संग्रहों, 3 उपन्यासों, 6 कहानी संग्रहों तथा 1 साहित्यिक समालोचना के लिए साहित्य अकादमी युवा पुरस्कारों की घोषणा की गई है। राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार सीकर की ऋतुप्रिया को प्रथम राजस्थानी कविता पुस्तक "सपनां संजोवती हीरां" पर प्रदान किया गया है । साहित्य अकादमी के अध्यक्ष प्रोफेसर विश्वनाथ तिवारी की अध्यक्षता में आयोजित कार्यकारी मण्डल की बैठक में आज इन पुरस्कारों को अनुमोदित किया गया । ये युवा पुरस्कार उन लेखकों को दिए जा रहे हैं जिनकी उम्र 1 जनवरी को 35 वर्ष या उससे कम है। पुरस्कार स्वरुप इन्हें एक उत्कीर्ण ताम्रफलक एवं 50,000 रूपये की नगद राशि एक विशेष समारोह में दी जाएगी। हिंदी भाषा के लिए यह युवा पुरस्कार इंदिरा दांगी को उनके उपन्यास ''हवेली सनातनपुर'' के लिए प्रदान किया जाएगा। सभी भाषाओँ

'राजस्थान रत्न' महाकवि कन्हैया लाल सेठिया-

राजस्थानी एवं हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध कवि श्री कन्हैया लाल जी सेठिया का जन्म राजस्थान के चूरु जिले के सुजानगढ़ शहर में 11 सितंबर 1919 को पिता श्री छगनमलजी सेठिया एवं माता श्रीमती मनोहरी देवी के यहाँ हुआ। सेठिया जी की प्रारम्भिक पढ़ाई कलकत्ता में हुई। स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़ने के कारण कुछ समय के लिए आपकी शिक्षा बाधित हुई , लेकिन बाद में आपने राजस्थान विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। दर्शन , राजनीति और साहित्य आपके प्रिय विषय थे। 1937 में इनका विवाह श्रीमती धापू देवी के साथ हुआ। साहित्य रचना के साथ साथ श्री सेठिया जी समाज सुधार एवं आज़ादी के आन्दोलन में सक्रिय रहे हैं । उन्होंने राजस्थान में सामंतवाद के विरुद्ध जबरदस्त मुहिम चलाई तथा पिछडे वर्ग को आगे लाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। 1942 के वे भारत छोडो आन्दोलन के समय कराची में थे। 1943 में सेठिया जी जयप्रकाश नारायण और राम मनोहर लोहिया के संपर्क में आए। व्यापारिक घराने से होने के बावजूद श्री सेठिया ने कभी भी साहित्य के साथ समझौता नहीं किया। आ तो सुरगा नै सरमावै , ई पै देव रमन नै आवे ..........