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Showing posts with the label राजस्थान के अनुसन्धान केंद्र

भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण पश्चिमी क्षेत्रीय केंद्र Western Regional Centre of Anthropological Survey of India

भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण पश्चिमी क्षेत्रीय केंद्र ''भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण पश्चिमी क्षेत्रीय केंद्र'' सितंबर 1975 में राजस्थान में डॉ. आरएस मान के गतिशील नेतृत्व में उदयपुर में स्थापित किया गया था, जो कि पश्चिमी भारत (विशेष रूप से राजस्थान और गुजरात के राज्यों) में मानवशास्त्रीय अध्ययन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए है, जिनमें पर्याप्त आदिवासी आबादी हैं। इसका कार्यालय, जो शहर के बीचों-बीच एक किराए की इमारत में शुरू हुआ था, वर्ष 2006 में उदयपुर के प्रताप नगर में स्वयं के परिसर में स्थानांतरित हो गया, जो डीएनए लैब, जोनल एंथ्रोपोलॉजिकल म्यूज़ियम, लाइब्रेरी, सेंट्रल रिहैबरीटरी, कार्यालय भवन के अलावा गेस्ट हाउस जैसी नई सुविधाओं से युक्त है। वर्तमान में इस क्षेत्रीय केंद्र में कर्मचारियों की स्वीकृत संख्या 52 है, जिनमें से 30 वैज्ञानिक और तकनीकी जबकि 22 मंत्रालयिक कर्मचारी हैं। इस क्षेत्रीय केंद्र का अधिकार क्षेत्र राजस्थान, गुजरात और केंद्र शासित प्रदेशों दमन-दीव और दादर नगर हवेली तक फैला हुआ है। पश्चिमी क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना जातियों, जनजातियों

शुष्क वन अनुसंधान संस्थान, जोधपुर Arid Forest Research Institute- (AFRI)

शुष्क वन अनुसंधान संस्थान (Arid Forest Research Institute- AFRI) जोधपुर, भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्तशासी निकाय, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद, देहरादून (ICFRE), के आठ संस्थानों में से एक है। संस्थान परिसर न्यू पाली रोड, जोधपुर पर 66 हैक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह संस्थान वन पारिस्थितिकी, वन आनुवंषिकी, ऊतक संवर्ध्दन, आणविक जैविकी, वन संवर्ध्दन, वन कीटविज्ञान तथा रोगनिदान विज्ञान, अकाष्ठ वनोपज पर अनुसंधान कार्य कर रहा है तथा कार्यक्षेत्रों की आवश्यकताओ को ध्यान में रखते हुए परियोजनाएं चला रहा है। संस्थान में राज्य के कई ज्वलंत पहलुओं जैसे खेजडी मृत्यता, लुप्त प्राय: प्रजातियों जैसे गुग्गल (C.wightii) का बहुगुणात्मक उत्पादन, रोहिडा (T.undulata) में स्टेम कैंकर के विरूद्ध प्रतिरोधकता उत्पन्न करना, अपक्षीण भूमि पर वृक्षारोपण, अपवाही संरचनाओं द्वारा जलभरण क्षेत्रों का सुधार, बायोडीजल तथा औषधीय पादपों से जुडी परियोजनाएं भी चल रही हैं। राजस्थान व गुजरात की प्रमुख प्रजातियों जैसे नीम (A. indica), देशी बबूल (A. nilotica), खेजडी (P. Cinera

Western Regional Centre of National Bureau of Soil Survey and Land Use Planning

राष्ट्रीय मृदा सर्वेक्षण ब्यूरो का उदयपुर स्थित पश्चिम क्षेत्रीय केंद्र राष्ट्रीय मृदा सर्वेक्षण एवं  भूमि उपयोग नियोजन ब्यूरो के पश्चिम क्षेत्रीय केंद्र को पांचवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान राजस्थान और गुजरात राज्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए 1981 में वडोदरा में कार्यात्मक बनाया गया था। इस केंद्र को 1990 में उदयपुर, राजस्थान में स्थानांतरित कर दिया गया तथा मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विज्ञान विभाग, राजस्थान कृषि महाविद्यालय, उदयपुर द्वारा उपलब्ध कराए गए स्थान पर शुरू किया गया।  महाराणा प्रताप कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर ने कार्यालय-सह-प्रयोगशाला भवन के निर्माण के लिए विश्वविद्यालय परिसर में 1 हेक्टेयर भूमि हस्तांतरित की है और वर्तमान में कार्यालय इस नए परिसर में कार्य कर रहा है। अधिदेश राजस्थान और गुजरात राज्यों की मिट्टी का तहसील, जिला, राज्य और क्षेत्रीय स्तर पर मृदा सर्वेक्षण और मानचित्रण। राज्य मिट्टी सर्वेक्षण और भूमि उपयोग संगठन, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों और अन्य उपयोगकर्ता एजेंसियों के सहयोग से वैज्ञानिक भूमि उपयोग कार्यक्रमों को बढ़ावा दे

Defence Laboratory, Jodhpur (DLJ) - रक्षा प्रयोगशाला जोधपुर (डीएलजे)

डीआरडीओ की जोधपुर स्थित रक्षा प्रयोगशाला- मरुस्थल में पर्यावरणीय स्थिति से संबंधित समस्याओं और रेगिस्तानी युद्धों पर उनके प्रभाव से संबंधित समस्याओं से निपटने के लिए रक्षा प्रयोगशाला जोधपुर (डीएलजे) को मई 1959 में स्थापित किया गया था। यह प्रयोगशाला भारत के रक्षा मंत्रालय के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ( Defence Research & Development Organisation- DRDO) की 50 प्रयोगशालाओं में से एक है।  इस प्रयोगशाला के लिए आवंटित प्रारंभिक चार्टर  निम्न क्षेत्र में लागू अनुसार बुनियादी अनुसंधान। भौतिकी अध्ययन। रेडियो तरंग प्रसार अध्ययन। सौर ऊर्जा अनुसंधान। इसके अलावा उन हथियारों और उपकरणों पर क्षेत्र परीक्षण करना जो नए डिजाइन के हों या देश में विकसित किए गए हों या आयातित जानकारी के साथ स्वदेश में उत्पादित किए जा रहे हों। बाद में, प्रयोगशाला के विस्तार के साथ, कर्तव्यों के चार्टर में निम्नलिखित अन्य गतिविधियों को जोड़ कर इसे समृद्ध किया गया- परिचालनात्मक अनुसंधान मरुस्थल में छलावरण मरुस्थल में इलेक्ट्रानिक्स और संचार मरुस्थल में पानी की समस्या मरुस्थल में प

Ceramic Electrical Research & Development Center (CERDC) Bikaner

सिरेमिक विद्युत अनुसंधान एवं विकास केंद्र , सीईआरडीसी बीकानेर में चाइना एवं वाल क्ले, जिप्सम, क्ले स्टोनाईट, मेट्रोनाईज आदि खनिज के विपुल भंडार है। बीकानेर में सिरेमिक टाइल्स, इन्सुलेटर्स, जिप्सम, प्लास्टर ऑफ़ पेरिस बनाने वाली इकाईयाँ बहुतायत में कार्यरत है। इन उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बनाने तथा नये उद्योग स्थापित करने के उद्देश्य से बीकानेर में सिरेमिक सेन्टर की स्थापना वर्ष 2007 में की गई थी। बाद में वर्ष 2010 में इसका नाम बदल कर सिरेमिक इलेक्ट्रीकल रिसर्च एवं डवलपमेंट सेंटर (सीईआरडीसी) रख दिया गया। इसमें सिरेमिक टेस्टिंग लेब व प्रशिक्षण केंद्र स्थापित है। इसे राजस्थान सरकार द्वारा सिरेमिक विद्युत विकास समिति, बीकानेर के माध्यम से स्थापित किया गया है। हाई वॉल्टेज इन्सुलेटर के क्षेत्र में टेस्टिंग एवं रिसर्च कार्य के लिए उत्तर भारत की सबसे बड़ी प्रयोगशाला है, जिसे राजस्थान सरकार द्वारा लगभग 8 करोड़ रुपए की लागत से स्थापित किया गया था। सीईआरडीसी में पूरी तरह से सुसज्जित परीक्षण और अनुसंधान 5 प्रयोगशालाएं यथा- विद्युत परीक्षण प्रयोगशाला, मैकेनिकल परीक्षण प्रयोग

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (सीरी)-

राजस्थान के झुंझुंनू जिले पिलानी शहर में स्थित " केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान ( सीरी )" , वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद ( सीएसआईआर ) , नई दिल्ली का एक घटक संस्थान है जिसका लोकप्रिय नाम सीरी है। शब्द संक्षेप CSIR- CEERI का पूरा नाम CSIR-Central Electronics Engineering Research Institute है । इस संस्थान की आधारशिला तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा 21 सितंबर , 1953 को रखी गई थी। वास्तविक अनुसंधान एवं विकास कार्य वर्ष 1958 के अंत में प्रारंभ हुआ। तब से सीएसआईआर - सीरी प्रौद्योगिकी के विकास और इलेक्ट्रॉनिकी में उन्नत अनुसंधान के लिए उत्कृष्टता के केंद्र (Centre for Exellence) के रूप में विकसित हुआ है। बीते वर्षों में संस्थान ने बहुत से उत्पाद और प्रक्रियाएं विकसित की हैं तथा इलेक्ट्रॉनिकी उद्योग की उभरती जरूरतों को पूरा करने के लिए सुविधाओं की स्थापना की है। यह संस्थान इलेक्ट्रॉनिकी उपकरणों व तंत्रों में अनु