Skip to main content

Rajasthan gk online Mock test QUIZ ABOUT LAND REVENUE SYSTEM OF RAJASTHAN

QUIZ ABOUT LAND REVENUE SYSTEM OF RAJASTHAN

1. 'जब्ती' मध्यकालीन राजस्थान में एक भू राजस्व प्रणाली थी-
(A) भूमि के नाप की एक इकाई
(B) कर रहित भूमि अनुदान
(C) जमीदारी क्षेत्र
(D) भू लगान निर्धारण की एक विधि



2. रियासत कालीन राजस्थान में प्रचलित "चीरा" नाम है-
(A) गांव प्रशासन का
(B) तहसील प्रशासन का
(C) राज्य प्रशासन का
(D) न्यायिक प्रशासन का



3. रियासत काल में "अड़सट्टा" क्या है?
(A) एक राजा का दूसरे राजा के साथ पत्र व्यवहार
(B) जोधपुर राज्य के अभिलेखों की महत्वपूर्ण श्रंखला
(C) जयपुर राज्य के अधिकारियों के मध्य पत्र व्यवहार
(D) जयपुर राज्य का भूमि संबंधी रिकॉर्ड



4. मध्यकालीन राजपूत शासन में 'मदद-ए-माश' दी जाती थी-
(A) विद्वानों एवं धार्मिक व्यक्तियों को
(B) कुलीन वर्ग को
(C) राजपरिवार के सदस्यों को
(D) नौकरी करने वाले वर्ग को



5. रियासत काल में चंवरी कर की प्रकृति थी -
(A) आयात कर
(B) निर्यात कर
(C) पुत्री के विवाह पर कर
(D) कृषि उत्पाद पर कर




6. रियासत कालीन राजस्थान में बापीदार किसान होते थे -
(A) खेत में सेवक
(B) अपने खेत के स्वामी
(C) खेत पर किरायेदार
(D) चौकीदार




7. रियासत कालीन राजस्थान में राजा के उतराधिकारी निश्चित करने मे निर्णायक भूमिका निभाते थे-
(A) सामन्त
(B) मुत्सद्दी
(C) भौमिया
(D) चारण-भाट


8. रियासत कालीन राजस्थान में खालसा में न्याय का कार्य करते थे ?
(A) मुतसदी
(B) जागीरदार
(C) हाकिम
(D) भौमिया



9. "तलवार बंधाई" क्या थी --?
(A) नवनियुक्त सैनिक को अस्त्र-शस्त्र दिया जाना
(B) नए जागीरदार के गद्दीनशीन के समय उत्तराधिकार के रूप में राज्य द्वारा लिया जाने वाला उत्तराधिकार शुल्क
(C) विजय के समय सेनापति को दिया जाने वाला सम्मान
(D) युद्ध पर जाने से पूर्व सैनिक की कुशलता के लिए किया जाने वाला विधान



10. राजस्थान के भू राजस्व इतिहास में "पट्टा रेख" से क्या अभिप्राय है?
(A) आयात-निर्यात कर
(B) सैन्य कर
(C) आकलित राजस्व
(D) बेगार



11. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही नहीं है-
(A) चरनोट भूमि पर राजा का नियंत्रण होता था
(B) जागीरी भूमि पर जागीरदार (या ठिकानेदार) का पैतृक नियंत्रण होता था
(C) भोमियों को कुछ भूमि उनकी चौकीदारी की सेवाओं तथा मार्गों की सुरक्षा के कर्तव्यों को पूरा करने के लिए दी जाती थी
(D) खालसा भूमि राजा के नियंत्रण में होती थी



12. रियासत कालीन राजस्थान में "बारह कोटड़ी" नामक सामंती व्यवस्था का संबंध किस राज्य से है?
(A) मेवाड़ राज्य से
(B) आमेर राज्य से
(C) मारवाड़ राज्य से
(D) बीकानेर राज्य से



13. मध्यकालीन राजपूत शासन में सामन्त प्रशासन का मूल स्वरूप था-
(A) पिरामिड़ के समान
(B) घर के समान
(C) पदसोपान
(D) टेन्ट के समान





14. मध्यकालीन राजस्थान में वे शिकमी काश्तकार जो महज खेतीहर मजदूर थे और भूमि पर जिनका वंशानुगत अधिकार नहीं होता था, कहलाते थे -
(A) मुत्सद्दी
(B) जागीरदार
(C) भौमिया
(D) गैरबापीदार



15. रियासत कालीन राजस्थान में प्रत्येक राज्य में महकमा बाकयात होता था-
(A) राजा के बकायों का भुगतान करता था
(B) जो अच्छी फसल के समय शेष राजस्व वसूलता था
(C) कर्मचारियों की बकाया संग्रह करता था
(D) राजाओं के लिए ऋण संग्रह करता था




16. मध्यकालीन राजस्थान में खालसा भूमि को निम्नांकित में से किस इकाई में विभक्त नहीं किया जाता था -
(A) परगना
(B) टप्पा
(C) मजरी
(D) मौजा



17. मारवाड़ के वे सामंत जिन्हें राजा का निकट संबंधी होने के कारण तीन पीढ़ियों तक चाकरी और रेख देने से मुक्त रखा जाता था, कहलाते थे-
(A) कुंपावत
(B) राणावत
(C) सरदार
(D) राजवी



18. मध्यकालीन राजस्थान में मेवाड़ राज्य के प्रथम श्रेणी के सामन्त (सरदार) कहलाते थे -
(A) गनायत
(B) सरदार
(C) उमराव
(C) राजवी



19. रियासत काल में प्रचलित लाटा और कूँता का संबंध है?
(A) चुंगी कर से
(B) उपज पर कर आंकने की पद्धति से
(C) मारवाड़ राज्य में सिंचाई सुविधाओं पर लगाया गया कर से
(D) मारवाड़ के जमींदारों द्वारा किसानों पर लगाए गए कर से



20. मध्यकालीन राजस्थान में 'डावी' और 'जीवनी' सामंतों की श्रेणी राजस्थान में कहां प्रचलित थी?
(A) मारवाड़
(B) उदयपुर
(C) जैसलमेर
(D) कोटा


21. मध्यकालीन राजस्थान में ''सामन्त जागीर'' पर सामन्त का अधिकार था
(A) जन्मजात
(B) दान मे प्राप्त
(C) किरायेदार
(D) वेतन के रुप में



22. मध्यकालीन राजस्थान में सामन्त व्यवस्था मूलत: थी-
(A) वैवाहिक संस्था
(B) सांस्कृतिक संस्था
(C) प्रशासनिक-सैनिक व्यवस्था
(D) सामाजिक संगठन



23. एकमात्र रियासत जहाँ उतराधिकारी शुल्क नही था
(A) बीकानेर
(B) जयपुर
(C) जोधपुर
(D) जैसलमेर



24. भूमि बंदोबस्त की "साद प्रथा" का संबंध निम्नलिखित में से किस राज्य से हैं?
(A) जयपुर से
(B) मारवाड़ से
(C) बीकानेर से
(D) मेवाड़ से




25. मेवाड़ और जैसलमेर राज्यों में माल के आयात निर्यात पर लगाया जाने वाला कर कहलाता था-
(A) बारुता
(B) नल बट
(C) दाण
(D) चंवरी लाग



26. मेवाड़ में एक गांव से दूसरे गांव में माल लाने ले जाने पर यह कर वसूल किया जाता था
(A) नल बट
(B) मापा, बारुता कर
(C) दाण कर
(D) चंवरी लाग




27. राली लाग होती थी-
(A) असिंचित भूमि पर कर
(B) प्रतिवर्ष काश्तकार अपने कपड़ों में से एक गद्दा बना कर जागीदार को देता था
(C) कर जमा नहीं कराने पर जुर्माना के अतिरिक्त कर
(D) प्रशासनिक-सैनिक व्यवस्था हेतु लाग या कर



28. रियासत काल में सिंचित भूमि पर ली जाने वाली लाग थी -
(A) नल बट एवं नहर लाग
(B) मापा, बारुता कर
(C) दाण कर
(D) चंवरी लाग



29. रियासत काल में मवेशी के विक्रय के समय वसूली जाने वाली लाग
(A) नल बट एवं नहर लाग
(B) मापा, बारुता कर
(C) सिंगोटी
(D) चंवरी लाग




30. रियासत काल में फसल कटने योग्य होने पर लगान वसूली के लिए नियुक्त अधिकारी की देखरेख में कटाई तथा धान साफ होने पर राज्य का भाग अलग किया जाता था, भू राजस्व तय करने की इस विधि को कहा जाता था-
(A)कूँता विधि
(B) लाटा या बटाई विधि
(C) मुकाता
(D) डोरी विधि



Comments

  1. ये आलेख आपको कैसा लगा, कृपया अवगत कराएँ. आपके सुझावों का स्वागत है.

    ReplyDelete

Post a Comment

Your comments are precious. Please give your suggestion for betterment of this blog. Thank you so much for visiting here and express feelings
आपकी टिप्पणियाँ बहुमूल्य हैं, कृपया अपने सुझाव अवश्य दें.. यहां पधारने तथा भाव प्रकट करने का बहुत बहुत आभार

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन...

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋत...

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली...