Skip to main content

Schemes for Specially Abled Persons - विशेष योग्यजन हेतु संचालित कुछ योजनाएं

विशेष योग्यजन हेतु संचालित कुछ संक्षिप्त योजनाएं -


विशेष योग्यजन निदेशालय
वर्ष 1951-52 में राज्य सरकार ने इन विशेष योग्यजन वर्गो के सर्वागीण विकास के लिये अलग से विभाग स्थापित करने का फैसला किया था और उसे पिछड़े वर्गो का विभाग नाम दिया गया था। इस विभाग की वस्तु सीमित थी तथा बाद में समाज कल्याण के विभिन्न पहलुओं को लाने के लिये इसे समाज कल्याण विभाग नाम दिया गया। दिनांक 21.02.07 की अधिसूचना के द्वारा विभाग को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के रूप में बदल दिया गया।

दिनांक 18.10.11 से पूर्व विशेष योग्यजनों को विभिन्न योजनाओं का संचालन सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा किया जाता था। वर्ष 2011-12 की बजट घोषणा संख्या 64 विशेष योग्यजनों की अल्प एवं दीर्घ अवधि की समस्याओं के समाधान हेतु अलग से निदेशालय स्थापित करने की घोषणा की पालना में आदेश क्रमांक 80621 दिनांक 19.10.11 से निदेशालय प्रारम्भ कर दिया गया। निदेशालय का नाम परिवर्तित कर विशेष योग्यजन निदेशालय मंत्रीमण्डल आज्ञा 41/2012 दिनांक 14 फरवरी, 2012 से किया गया। महामहिम राज्यपाल महोदय के अनुमोदन उपरान्त दिनांक 01.03.12 को अधिसूचना जारी कर दी गई जिसका 6 मार्च 2012 को राजस्थान राज-पत्र विशेषांक में प्रकाशन हो चुका है।

विशेष योग्यजन निदेशालय द्वारा किये जाने वाले कार्य-

विशेष योग्यजनों को रोजगार उन्मुख बनाने हेतु, कृत्रिम अंग उपकरण सहायता, विशेष योग्यजन छात्रवृति योजना, राज्य में विशेष योग्यजनों का चिह्निकरण कार्य, विवाह हेतु सुखद जीवन योजना, विशेष योग्यजनों के पोंलियों करैक्शन के कार्य भिन्न योग्यजनों के पेंशन संबंधी कार्य, शारीरिक एवं मानसिक विशेष योग्यजनों को शिक्षण प्रशिक्षण की व्यवस्था करना एवं अन्य योजनाओं के कार्यो को सम्पादित करना।

विशेष योग्यजनों के कल्याणार्थ विद्यमान अधिनियम -

  1. दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016
  2. राष्ट्रीय स्वपरायणता, प्रमस्तिष्क घात, मानसिक मंदता और बहु निःशक्तताग्रस्त व्यक्ति कल्याण अधिनियम, 1999
  3. भारतीय पुनर्वास परिषद अधिनियम, 1992 और संशोधन अधिनियम, 2000
  4. संयुक्त राष्ट्र सहस्त्रादि विकास लक्ष्य।
  5. निःशक्त व्यक्तियों का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन, 2007
  6. राजस्थान निःशक्त व्यक्ति समान अवसर, अधिकारो का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी नियम, 2011


विशेष योग्यजन सुखद दाम्पत्य जीवन योजना-

40 या 40 प्रतिशत से अधिक विशेष योग्यजन युवक/युवतियों को विवाहोपरान्त सुखद दाम्पत्य जीवन व्यतीत करने हेतु रुपये 50,000/- प्रति दम्पत्ति आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई जाती है। साथ ही विशेष योग्यजनों के परिचय सम्मेलन आयोजित करने वाली संस्था को आयोजन व्यय के रुप में रुपये 20,000/- स्वीकृत किये जाते हैं। 
योजना प्रारम्भ होने का वर्ष - 1997
पात्रता -
1. विशेष योग्यजन वर की आयु 21 वर्ष व वधू की आयु 18 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए।
2 . प्रार्थी के पास चिकित्सा अधिकारी मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी 40 प्रतिशत या अधिक का विशेष योग्यजनता प्रमाण पत्र हो।
3. प्रार्थी राजस्थान का मूल निवासी हो।
4. संरक्षक/माता-पिता अथवा आवेदक स्वरोजगार में हो तो समस्त स्त्रोतों से वार्षिक आय 2,50,000 रूपये से अधिक न हो।
इस हेतु आवेदन सम्बन्धित जिले के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के कार्यालय में आवेदन वांछित दस्तावेजों सहित करना होता है।
आवेदन के साथ औपचारिकताएं-
  • शादी का कार्ड
  • निःशक्तता प्रमाण-पत्र
  • वर-वधु के माता-पिता का शपथ-पत्र
  • जन्म तिथि प्रमाण-पत्र
  • आय का शपथ पत्र
  • विवाह पंजीयन प्रमाण पत्र
  • पूर्व में अनुदान राशि प्राप्त नहीं करने का प्रमाण पत्र
आवेदन पत्र

विशेष योग्यजन राज्य स्तरीय पुरस्कार योजना-

प्रतिवर्ष विभाग द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय विकंलाग दिवस 3 दिसम्बर को उत्कृष्ठ विशेष योग्यजनों एवं विशेष उत्कृष्ठ व्यक्तियों एवं संस्थाओं को पुरस्कृत किया जाता है। यह योजना वर्ष 1984-85 में प्रारंभ की गई
पुरस्कार हेतु विभिन्न 13 श्रेणियां यथा:-
  1. सर्वश्रेष्ठ विशेष योग्यजन कर्मचारी/स्वनियोजित विशेष योग्यजन
  2. सर्वश्रेष्ठ नियोक्ता तथा स्थापन अधिकारी/संस्था
  3. विशेष योग्यजन व्यक्तियों के लिए कार्यरत सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति और संस्था, 
  4. प्रेरणा स्रोत पुरस्कार
  5. विशेष योग्यजन व्यक्तियों के जीवन में सुधार लाने के उद्देष्यसे किया गया सर्वश्रेष्ठ अनुप्रयुक्त अनुसंधान/अभिनव/उत्पाद विकास
  6. विशेष योग्यजन व्यक्तियों के लिए बाधामुक्त वातावरण निर्मित करने हेतु किया गया उत्कृष्ठ कार्य
  7. पुनर्वास सेवाएं प्रदायी सर्वश्रेष्ठ जिला
  8. राष्ट्रीय विशेष योग्यजन वित्त एवं विकास निगम की सर्वश्रेष्ठ राज्य परिचालन संस्था
  9. उत्कृष्ठ सृजनशील वयस्क विशेष योग्यजन व्यक्ति
  10. सर्वश्रेष्ठ सृजनशील बालक/बालिका विशेष योग्यजन के लिए
  11. सर्वश्रेष्ठ ब्रेल प्रेस
  12. सर्वश्रेष्ठ सुगम्य वेबसाइट
  13. सर्वश्रेष्ठ विशेष योग्यजन खिलाड़ी।

विशेष योग्यजन चिह्नीकरण योजना

निःशक्त व्यक्ति अधिनियम, 1995 के तहत 40 प्रतिशत एवं अधिक निःशक्तताधारी विशेष योग्यजनों का घर-घर जाकर सर्वे कार्य किया जाता है एवं सर्वे के दौरान 40 प्रतिशत या इससे अधिक निःशक्तताधारी विशेष योग्यजनों को चिकित्सा प्रमाण-पत्र एवं परिचय पत्र जारी किये जाते है।

मुख्यमंत्री विशेष योग्यजन स्वरोजगार योजना -

यह इस योजना के अन्तर्गत राज्य के ऐसे विशेष योग्यजनों को जिनकी स्वयं की एवं परिवार की वार्षिक आय 2.00 लाख रूपये तक है, स्वयं का स्वरोजगार प्रारम्भ करने के लिये 5.00 लाख रूपये तक की राशि ऋण के रूप में उपलब्ध करवाई जाती है, जिस पर ऋण राशि का 50 प्रतिशत या अधिकतम 50 हजार जो भी दोनों में कम हो रूपये अनुदान के रूप में दी जाती है । इसका आवेदन पत्र जिलाधिकारी के कार्यालय से प्राप्त किया जा सकता है। यह योजना वर्ष 1913-14 में प्रारंभ की गई थी।
स्वरोजगार/व्यावसायिक गतिविधियों का नाम: 

संयुक्त सहायता अनुदान योजना

पात्र विशेष योग्यजनों, जिनका परिवार आयकर दाता नहीं है, को स्वरोजगार हेतु आर्थिक सहायता एवं शारीरिक कमी को पूर्ण करने हेतु कृत्रिम अंग/उपकरण के लिए रुपये 10,000/- तक की आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई जाती है।

विशेष योग्यजन छात्रवृति योजना

राजकीय एवं मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं में नियमित अध्ययनरत विशेष योग्यजन छात्र/छात्राएं, जिनके परिवार की वार्षिक आय 2.00 लाख रुपये से अधिक न हो, ऐसे परिवारों के विशेष योग्यजन विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति व सामान्य व अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी के विशेष योग्यजन विद्यार्थियों को नियमानुसार फीस पुनर्भरण की सुविधा दी जा रही है।

पात्रता

1. छात्र/छात्रा राजकीय/मान्यता प्राप्त विद्यालय/ महाविद्यालय में नियमित रूप से अध्ययनरत हो।
2. छात्र/छात्रा के अभिभावक/संरक्षक की वार्षिक आय 2.00 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।
3. छात्र/छात्रा पूर्व में अन्य किसी प्रकार की छात्रवृत्ति/भत्ता राज्य सरकार अथवा स्वयंसेवी संस्था/ ट्रस्ट से प्राप्त नहीं कर रहा हो।
4. छात्र/छात्रा गत वर्ष की कक्षा में उत्तीर्ण घोषित किया गया हो।
5. आवेदक  के  पास  अधिकृत  चिकित्सा  अधिकारी/बोर्ड  द्वारा  जारी  40% या अधिक का निःशक्तता प्रमाण पत्र होना चाहिए।
6. प्रार्थी राजस्थान का मूल निवासी हो।

विशेष योग्यजन अनुप्रति योजना

राजस्थान मूल के विशेष योग्यजन युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित भारतीय सिविल सेवा परीक्षा, राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित राजस्थान राज्य एवं अधीनस्थ सेवा, सीधी भर्ती संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले अभ्यर्थियों को प्रोत्साहन राशि दिये जाने, आई आई टी, आई आई एम, राष्ट्रीय स्तर के योजनान्तर्गत सूचीबद्ध मेडिकल कॉलेज, राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान इत्यादि तथा राजस्थान सरकार के राजकीय इंजीनियरिंग, मेडिकल कॉलेज शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश होने पर प्रोत्साहन राशि के रूप में अनुदान स्वीकृत किया जाता है। विभिन्न स्तरों पर उत्तीर्ण होने एवं प्रवेश लेने पर 5,000 से लेकर 65,000 रूपये तक की अनुदान राशि दी जाती है।
इसके लिए विशेष योग्यजन की पारिवारिक आय (अभ्यर्थी की आय को सम्मिलित करते हुये यदि है तो) 2.50 लाख (दो लाख पचास हजार रुपये) से अधिक न हो।  यदि  अभ्यर्थी  के  माता-पिता/अभिभावक  राजकीय  सेवा  में कार्यरत है तो विभागाध्यक्ष द्वारा जारी किया गया आय प्रमाण पत्र मान्य होगा। अभ्यर्थी द्वारा प्रतियोगी परीक्षा का निर्धारित चरण उतीर्ण कर लिया गया हो। अभ्यर्थी द्वारा प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण कर सूचीबद्ध शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश ले लिया हो।  
आवेदन पत्र डाउनलोड करें-


विशेष योग्यजन खेलकूद योजना
खेलकूद प्रतियोगिताओं का मुख्य उद्देश्य खेलकूद प्रतियोगिताओं के माध्यम से विशेष योग्यजनों की दक्षता एवं क्षमता में वृद्धि करना है ताकि विशेष योग्यजन समाज की मुख्य धारा से जुड़ सकें। 


आस्था योजना

आस्था ऐसे परिवार जिनमें दो या दो से अधिक व्यक्तियों के 40 प्रतिशत से अधिक विशेष योग्यजन होने पर, उन परिवारों को आस्था कार्ड जारी किये जाते है, जिससे विशेष योग्यजन परिवार को बी.पी.एल. के समकक्ष सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है। वर्ष 2013-14 से आस्था कार्डधारी परिवारों को राज्य सरकार के सभी संबंधित विभागों द्वारा बी.पी.एल. के लिये चलाई जा रही योजनाओं का लाभ प्राप्त होगा तथा आस्था कार्डधारियों के लिये बजट का प्रावधान सभी संबंधित विभाग अपनी विभागीय योजनाओं के साथ रखी जाती है।

आस्था योजना का विस्तृत विवरण यहाँ देखें-

 

विशेष योग्यजनों के लिए स्वरोजगार एवं प्रशिक्षण योजना

विशेष योग्यजन व्यक्तियों को अन्य व्यक्तियों की भॉति शिक्षण-प्रशिक्षण दिलवाना, उनको समाज में समान अवसर प्रदान करना एवं जीवनयापन के लिए उनका पुनर्वास करने के लिए यह योजना वर्ष 2012-13 से चलाई जा रही है। 

पोलियो करैक्षन कैम्प

पोलियोग्रस्त विशेष योग्यजनों के निःशुल्क पोलियो करैक्शन ऑपरेशन कर शारीरिक रूप से सक्षम बनाने हेतु स्वयंसेवी संस्थाओं को 5,000/- रुपये प्रति ऑपरेशन हेतु अनुदान स्वीकृत किया जाता है।


यूनिक डिसएबिलिटी आई. डी . - 

भारत सरकार द्वारा सिपडा योजनान्तर्गत सम्पूर्ण भारतवर्ष के विशेष योग्यजनों का एक डेटाबैस तैयार किये जाने हेतु यूनिक डिसएबिलिटी आई. डी. बनाये जाने का निर्णय लिया गया। इस योजनान्तर्गत सभी विशेष योग्यजनों को एक मुख्यधारा में लाये जाने हेतु जनगणना के आधार पर ग्राम स्तर, पंचायत समिति स्तर, जिला स्तर, राज्य स्तर का डेटाबैस बनाये जाने का उद्देश्य रखा गया है।
ऐसे विशेष योग्यजन जिन्हें निःशक्तता प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं है एवं स्थानीय स्तर पर जिला मेडिकल बोर्ड को आवेदन पत्र प्रस्तुत किया हुआ है व मेडिकल बोर्ड द्वारा निरस्त किये गये आवेदन पत्रों का पुर्नमूल्यांकन के आधार पर
निःशक्तता के प्रतिशत एवं श्रेणी के अभाव में निःशक्तता प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं हुए है, को डेटाबैस बनाए जाने हेतु राजस्थान राज्य हेतु सिल्वर टच टेक्नोलाॅजी लि0 को नोडल एजेन्सी नियुक्त किया गया है।


सुगम्य  भारत अभियान 

सुगम्य  भारत अभियान  योजनान्तर्गत  विशेष  योग्यजनो  की  सुगम आवाजाही एवं बाधारहित वातावरण उपलब्ध करवाने के उदेश्य से राज्य में स्थित राजकीय भवनों को डिसएबल फैन्डली बनाये जाने हेतु एक्सिसेबल आॅडिट के आधार पर सार्वजनिक निर्माण विभाग के माध्यम से सुधार किए जा रहे हैं

 
एडिप  योजना -
 
इस  योजना  के  अन्तर्गत 
भारत सरकार के सहयोग से राज्य सरकार द्वारा जरुरतमंद  विशेष  योग्यजन  को  कैलीपर,  कृत्रिम  अंग उपकरण उपलब्ध करवाए जाते हैं। 


मानसिक विमंदितों हेतु पुनर्वास गृह (अनुदान)-

राज्य में सभी जिला मुख्यालय स्तरो पर मानसिक विमंदित विशेष योग्यजनों के लिए मानसिक विमंदित पुनर्वास गृह स्वयं सेवी संस्थाओं के माध्यम से संचालन किया जा रहा हैं। संबंधित जिले के जिलाधिकारी एवं जिला स्तरीय अधिकारियों की संयुक्त अभिशंषा उपरान्त ही निदेशालय स्तर पर अनुदान स्वीकृत किया जा रहा है। 
मूक बधिर एवं नेत्रहीनों के लिये आवासीय विद्यालय, अजमेर - 


अजमेर जिले के कोटड़ा क्षेत्र में निर्मित राजकीय भवन में स्वयं सेवी संस्था माँ माधुरी ब्रज वारिस सेवा सदन (अपना घर), भरतपुर का चयन कर 100 आवासीयों की क्षमता का संभाग स्तरीय मूक बधिर एवं नेत्रहीन आवासीय विद्यालय का संचालन किया जा रहा है, किन्तु संभाग स्तरीय मूक बधिर एवं नेत्रहीन संभाग स्तरीय विद्यालय का लोकार्पण 15 दिसम्बर, 2014 को किया जा चुका है।
मानसिक विमंदित महिला एवं बाल गृह भवन निर्माण -

राज्य  के  लावारिस,  बेसहारा  मानसिक  विमंदितों  के  पुनर्वास  के  उद्देश्य  से  राज्य  के  जयपुर,  जोधपुर  में 250-250 की क्षमता के मानसिक विमंदित पुनर्वास गृहों का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है एवं जयपुर में गृह का संचालन भी किया जा रहा है एवं आंगणवा, जोधपुर में नवनिर्मित मानसिक विमंदित पुनर्वास गृह का उद्घाटन दिनांक 26.01.17 को किया गया। 

संभाग पर मानसिक विमंदित पुर्नवास गृह का भवन का निर्माण - 

राज्य के लावारिस, बेसहारा मानसिक विमंदितों के पुनर्वास के उद्देश्य से जयपुर, जोधपुर के अलावा शेष 5 संभाग मुख्यालयों पर 100-100 की क्षमता के एवं अन्य सभी जिलों में 50-50 की क्षमता के मानसिक विमंदित पुनर्वास गृहों का निर्माण कराया जाना है। अभी सभी जिलों में स्वयंसेवी संस्था के माध्यम से उपरोक्त गृह संचालित किये जा रहे है।

विशेष योग्यजन निदेशालय भवन निर्माण-

विशेष योग्यजनों की लघु एवं दीर्घ अवधि की समस्याओं के समाधान करने के उद्देश्य से राज्य में पृथक से  विशेष योग्यजन निदेशालय माह अक्टूबर, 2011 से प्रारम्भ किया गया। वर्तमान में उक्त निदेशालय का संचालन समाज कल्याण बोर्ड के भवन (अम्बेड़कर भवन विस्तार) जो कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता  विभाग के अधीन है, में किया जा रहा है। 

राजस्थान पुनर्वास एवं शोध संस्थान -

राज्य के विशेष योग्यजनों हेतु विशेष शिक्षक तैयार करने, विशेष योग्यजन कल्याणार्थ विभिन्न प्रकार के शिक्षण, प्रशिक्षण, अनुसंधान एवं उच्च तकनीक के विभिन्न प्रकार के कृत्रिम अंग/सहायक उपकरण तैयार करने के उद्देश्य से एक स्वायत्तशाषी निकाय के रूप में राजस्थान पुनर्वास एवं शोध संस्थान की स्थापना  जामड़ोली, जयपुर में की जायेगी। यह अधिकारियों/कर्मचारियों के वेतन भत्तों के भुगतान हेतु है।

जिला पुनर्वास केन्द्र, कोटा -

भारत सरकार द्वारा राज्य सरकार के सहयोग से राज्य में वर्ष 1987 में जिला पुनर्वास केन्द्र, कोटा की  स्थापना ग्रामीण क्षेत्र के शारीरिक एवं मानसिक विशेष योग्यजन व्यक्तियों के उपचार, शिक्षण, प्रशिक्षण एवं पुनर्वास की व्यवस्था एवं विशेष योग्यजन को नियोजन की भी सुविधा उपलब्ध करवाने हेतु की गई थी। केन्द्र द्वारा विभिन्न प्रकार के कृत्रिम अंग एवं उपकरण तैयार कर विशेष योग्यजन अभ्यार्थियों को निःशुल्क प्रदान किये जाते हैं।
विकलांगजन विधेयक का क्रियान्वयन -

आयुक्तालय, विशेष योग्यजन राज्य में 1999 से संचालित है। उक्त आयुक्तालय द्वारा विशेष योग्यजनों हेतु आरक्षित अधिकारों का संरक्षण किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य विशेष योग्यजनों के विकास में आने वाली कठिनाईयों को दूर करना है।  

प्रत्येक जिले में नेत्रहीन, मूक बधिर एवं मानसिक विमंदितों हेतु विशेष विद्यालय -

राज्य  के  प्रत्येक  जिले  में  तीनों  श्रेणी  यथा-मूक  बधिर,  नेत्रहीन  एवं  मानसिक  विमंदित  विशेष  विद्यालय/आवासीय  विद्यालयों  का  संचालन  स्वयं  सेवी  संस्थाओं  के  माध्यम  से  किया  जा  रहा  है। विशेष/आवासीय विद्यालयों को अनावर्तक मद में अनुदान स्वीकृत किया जा रहा है।

कोढ़ पीडित गृह-

भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति, जयपुर द्वारा आमेर में 50 व्यक्तियों की क्षमता का कुष्ठ गृह का संचालन किया जा रहा है। 

निःशक्तजनों का त्वरित विकास-

उक्त  योजनान्तर्गत  पुस्तकालय  एवं  पत्र-पत्रिकाएं  को  मुद्रित  करवाकर  उक्त  पुस्तकें,  पत्र-पत्रिकाएं विशेष योग्यजनों को उपलब्ध करवाई जाती है। 

मानसिक विमंदित में डिप्लोमा -

मानसिक विमंदित विशेष योग्यजनों के शिक्षण-प्रशिक्षण हेतु प्रशिक्षण केन्द्र के संचालन की कार्यवाही की जा रही है।

दृष्टि बाधितों के अध्यापकों को प्रशिक्षण -

दृष्टि  बाधित  विद्यार्थियों  के  शिक्षण  हेतु  श्री  एल.के.सी. जगदम्बा  अंध  विद्यालय  समिति,  श्रीगंगानगर द्वारा अध्यापकों को 2 वर्षीय प्रशिक्षण डिप्लोमा कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है।


मानसिक विमंदित पीडित बच्चों की देखरेख -
 जामडोली, जयपुर में संचालित मानसिक विमंदित महिला एवं बाल कल्याण पुनर्वास गृह (पुरूष विंग) में आवासित  मानसिक  विमंदित  विशेष  योग्यजनों  को  रखा  जाता  है।  उक्त  आवासियों  के  रहने,  खाने  की व्यवस्था के साथ-साथ चिकित्सीय सुविधा प्रदान की जा रही है।

मानसिक रोग पीडित महिलाओं के लिए गृह -

जामडोली, जयपुर में संचालित मानसिक विमंदित महिला एवं बाल कल्याण पुनर्वास गृह (महिला विंग) में आवासित मानसिक विमंदित विशेष योग्यजन महिलाओं को रखा जाता है। उक्त आवासियों के रहने, खाने की व्यवस्था के साथ-साथ चिकित्सीय सुविधा प्रदान की जा रही है। 

शारीरिक तथा मानसिक पीडितों के क्षेत्र में कार्यकारी स्वैच्छिक अभिकरणों को सहायता-

उक्त योजनान्तर्गत राज्य के जनजाति क्षेत्र के बांसवाड़ा जिले में स्वयं सेवी संस्था मूक बधिर एवं मंदबुद्धि संस्थान, बांसवाड़ा द्वारा संचालित मूक बधिर एवं मंदबुद्धि विशेष विद्यालय को प्रतिवर्ष अनुदान स्वीकृत किया जाता है।

Comments

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली