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Firewood free village scheme जलाऊ लकड़ी मुक्त ग्राम योजना-





जलाऊ लकड़ी मुक्त ग्राम योजना-

टाईगर रिजर्व क्षेत्रों में गैस कनेक्शन वितरण योजना

ग्रामीण लोग र्इंधन की आवश्यकताओं और प्रायः अपनी आजीविका के लिए भी वन संसाधनों एवं वन उत्पादों पर निर्भर रहते हैं। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में जलाऊ लकड़ी घरेलू र्इंधन का परम्परागत स्त्रोत रही है, जो प्रायः क्रय नहीं की जाकर संरक्षित क्षेत्रों व वन क्षेत्रों से एकत्रित की जाती रही है। संरक्षित क्षेत्रों और उनके आस-पास के क्षेत्रों से जलाऊ लकड़ी एकत्रित करने से वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास खत्म होता है। इससे वन्यजीव एवं मानव के बीच संघर्ष बढ़़ता है एवं वन्यजीवों तथा स्थानीय लोगों दोनों के लिए संकट उत्पन्न होता है। सबसे अधिक समस्या टाईगर रिजर्व के सन्दर्भ में देखी गई है।
ग्रामीण क्षेत्रों विशेषतः संरक्षित क्षेत्रों के आस-पास के गांवों में रहने वाली महिलाओं का काफी समय जलाऊ लकड़ी एकत्रित करने में व्यतीत होता है। इस कारण अन्य आय सृजन गतिविधियों एवं गृह कार्यों के लिए उनके पास अपेक्षाकृत कम समय उपलब्ध हो पाता है। चूल्हे के धुएं से महिलाओं के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। आवश्यकता इस बात की है कि इन परिवारों की जलाऊ लकड़ी पर निर्भरता कम करके उन्हें कुकिंग गैस कनेक्शन के रुप में वैकल्पिक र्इंधन उपलब्ध कराया जा। इससे महिलाओं का शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहेगा पर्यावरण भी अच्छा रहेगा एवं महिलाओं को सामाजिक व आर्थिक सम्बल मिले, जिससे स्थानीय समुदाय सशक्त हो सके।
गत तीन वर्षों में वन विभाग द्वारा चुनिंदा संरक्षित क्षेत्रों के आस-पास के ग्रामों मे 50 प्रतिशत अनुदान पर गैस कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे ने वर्ष 2016-17 के अपने बजट भाषण में घोषणा की थी कि टाईगर रिजर्व क्षेत्रों के निकटवर्ती गांवों में नवीन कुकिंग गैस कनेक्शन हेतु वर्तमान में लागत का 50 प्रतिशत अनुदान देय है, जिसे बढ़ाकर 100 प्रतिशत किया जाएगा। आगामी वर्ष में ऎसे 40 हजार गैस कनेक्शन दिये जाने प्रस्तावित है। चालू वित्तीय वर्ष 2016-17 में राज्य के तीनों टाईगर रिजर्व से जुड़े गावों को गैस कनेक्शन से परिपूर्ण कर, उन्हें जलाऊ लकड़ी मुक्त ग्राम घोषित किये जाने का लक्ष्य है।    

योजना के प्रमुख उद्देश्य -

  • स्थानीय लोगों को वैकल्पिक र्इंधन स्त्रोत उपलब्ध कराना,ताकि जलाऊ लकड़ी के लिए संरक्षित क्षेत्रों एवं वनों पर निर्भरता कम हो और टाईगर रिजर्व में वन्यजीवों के आश्रय स्थल का बेहतर संरक्षण हो सके। 
  • टाईगर रिजर्व एवं उनके आस-पास के क्षेत्र में परिभाषित क्षेत्रों का प्राकृतिक रुप से पुनर्वास करना। 
  • स्वच्छ र्इंधन के उपयोग को बढ़ावा देकर प्रदूषण में कमी लाना। 
  • महिलाओं को चूल्हे के धुएं से उत्पन्न होने वाली स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से छुटकारा दिलाकर उनके स्वास्थ्य में सुधार लाना एवं महिलाओं का आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान करना।

योजना की मुख्य बातें - गैस कनेक्शन पर अनुदान

  • योजना के तहत लक्षित समूह के प्रत्येक परिवार को एक गैस कनेक्शन दिया जायेगा। यदि पूर्व में किसी भी स्त्रोत से गैस कनेक्शन सुविधा प्राप्त है तो उस परिवार को नया गैस कनेक्शन नहीं दिया जाएगा। 
  • प्रति गैस कनेक्शन लागत सम्बन्धित जिला रसद अधिकारी से निर्धारित कराई जाएगी, जिसमें 14.2 किग्रा सिलेण्डर व रेग्युलेटर की प्रतिभूति राशि, सिलेण्डर में भरी गैस, चूल्हा लाईटर,सुरक्षा होज, गैस डायरी की लागत तथा प्रशासनिक व संस्थापन प्रभार (यदि कोई लागू हो) शामिल किया जाएगा। योजना के अंतर्गत गैस कनेक्शन की शत-प्रतिशत वास्तविक लागत राशि अनुदान के रुप में उपलब्ध कराई जायेगी, परंतु यह किसी भी दशा में एक कनेक्शन के लिए 5 हजार रुपये से अधिक नहीं होगी। 
  • गैस कनेक्शन के रखरखाव एवं गैस सिलेण्डर को समय-समय पर भरवाने का व्यय स्वयं लाभार्थी द्वारा वहन किया जाएगा। 
  • लक्षित गांव में रहने वाले सभी परिवार,चाहे वे कैसी भी आर्थिक स्थिति में हो,योजनान्तर्गत लाभ प्राप्त करने के पात्र होेंगे। 
  • परिवार की महिला के नाम जारी होगा कनेक्शन - गैस कनेक्शन परिवार की महिला सदस्य के नाम जारी किया जाएगा, परन्तु जिस परिवार में कोई महिला सदस्य न हो वहां गैस कनेक्शन पुरुष सदस्य के नाम जारी किया जायेगा। 
  • वर्ष 2016-17 में प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के अंतर्गत इस योजना के लक्षित गांवो में लाभान्वित किए जा रहे परिवारों को दोनों योजनाओं में देय अनुदान राशि की अंतर राशि, वास्तविक लागत की सीमा तक स्वीकृत की जाएगी।
  • गैस कनेक्शन लक्षित गांवो मेें ही उपयोग में लिया जायेगा और यह अहस्तान्तरणीय होगा। इसके उपयोग का स्थान भी नहीं बदला जा सकेगा, परन्तु टाईगर रिजर्व से बाहर  होने वाले परिवार इसे अपने साथ नए स्थान पर ट्रान्सफर करा सकेंगे। 
  • यदि किसी लाभार्थी को भविष्य में गैस कनेक्शन की आवश्यकता नहीं रहे या उसका कनेक्शन रद्द हो जाए तो वह अपना कनेक्शन गैस एजेन्सी को समर्पित करेगा। गैस एजेन्सी का दायित्व होगा कि समर्पित गैस कनेक्शन की प्रतिभूति राशि का रिफण्ड बाघ संरक्षण फाउण्डेशन व उप वन संरक्षक को प्राप्त हो, न कि लाभार्थी को।
  • राजस्थान के आठ जिलों में जलाऊ लकड़ी मुक्त ग्राम योजना लागू की गई है। 
  • वर्तमान में यह योजना सवाईमाधोपुर, कोटा, अलवर, करौली, टोंक, बूंदी, झालावाड़ व चितौडग़ढ जिले में लागू की गई है। 

योजना का क्रियान्वयन -

  • यह योजना वन विभाग द्वारा बाघ संरक्षण फाउण्डेशन पारिस्थितिकीय विकास समिति के माध्यम से क्रियान्वित की जाएगी। परन्तु ऎसे गांव जिनके लिए ऎसी फाउण्डेशन या समिति गठित नहीं है, वहां पात्र परिवार को विभाग व फाउण्डेशन द्वारा ग्राम पंचायत के माध्यम से लाभान्वित किया जाएगा।
  • उप वन संरक्षक द्वारा लक्षित गांवो की सूची तैयार की जाएगी जिसे सार्वजनिक कर संबंधित पारिस्थितिकीय विकास समिति व ग्राम पंचायत व पंचायत समिति व जिला रसद अधिकारी को उपलब्ध कराया जायेगा। 
  • संबंधित टाईगर रिजर्व के लिए निर्धारित लक्ष्यों के प्रकाश में, उप वन संरक्षक सूची में शामिल गांवों का प्राथमिकता के आधार पर वर्गीकरण कर सकेंगे ताकि टाईगर रिजर्व के लिए उच्च प्राथमिकता वाले गांव पहले लाभान्वित हो सकें। 
  • जिस किसी गांव में योजना क्रियान्वित की जाए उसके समस्त इच्छुक परिवार एक साथ लाभान्वित हो सकें। इस वर्गीकरण में टाईगर रिजर्व से विस्थापित किए जा रहे गांवो को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।  
  • पारिस्थितिकीय विकास समिति व ग्राम पंचायत प्रत्येक पात्र परिवार को "कुल्हाडी बंद’’ का संकल्प करायेगी। गैस कनेक्शन प्राप्त करने के इच्छुक परिवार इस ’’कुल्हाडी बंद’’ संकल्प पत्र के साथ पारिस्थितिकीय विकास समिति व ग्राम पंचायत को गैस कम्पनी द्वारा निर्धारित प्रपत्र में आवेदन प्रस्तुत करेंगे। 
  • पारिस्थतिकीय विकास समिति इच्छुक परिवारों द्वारा प्रस्तुत आवेदन का संबंधित गैस ऎजन्सी के सहयोग से सत्यापन कर उनकी संकलित सूची मय आवेदन पत्र क्षेत्रीय वन अधिकारी को गैस कनेक्शन स्वीकृत करने हेतु प्रेषित करेगी। 
  • योजना में जहां परिस्थितिकीय विकास समितियां गठित नहीं है वहां यह सत्यापन कार्य संबंधित ग्राम पंचायत द्वारा किया जाएगा। क्षेत्रीय वन अधिकारी अपनी सिफारिश के साथ बाघ संरक्षण फाउण्डेशन एवं उप वन संरक्षक को गैस कनेक्शन स्वीकृत करने हेतु प्रस्ताव प्रेषित करेगा। 
  • उप वन संरक्षक द्वारा स्वीकृति उपरांत पात्र परिवारों की सूची गैस कनेक्शन जारी करने हेतु संबंधित गैस ऎजन्सी को भेजी जाएगी जो संबंधित परिवारों को गैस कनेक्शन पारिस्थितिकीय विकास समिति व ग्राम पंचायत(जैसी भी स्थिति हो) तथा क्षेत्रीय वन अधिकारी की उपस्थिति में वितरण करेगी। 
  • गैस एजेन्सी का यह दायित्व होगा कि वह योजना के प्रत्येक लाभार्थी परिवार को गैस के उपयोग और सुरक्षा संबंधी आवश्यक जानकारी तथा प्रशिक्षण प्रदान करें। 
  • बाघ संरक्षण फाउण्डेशन व उप वन संरक्षक गैस ऎजन्सी द्वारा प्रस्तुत बिल (जो संबंधित पारिस्थितिकीय विकास समिति व ग्राम पंचायत से सत्यापित होगा) के आधार पर योजनान्तर्गत देय अनुदान राशि संबंधित गैस ऎजन्सी को सीधे ही जारी करेंगे। लाभार्थी को कोई नकद भुगतान नहीं किया जाएगा।

योजना की मॉनिटरिंग -  

संबंधित टाईगर रिजर्व के लिए जिला कलक्टर की अध्यक्षता में गांवो के स्वैच्छिक विस्थापन हेतु गठित जिला स्तरीय क्रियान्वयन समिति द्वारा समय-समय पर इस योजना की क्रियान्विति की भी समीक्षा की जायेगी और योजना के विभिन्न सहभागियों के मध्य समन्वय स्थापित करते हुए योजना का जिले में प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाएगा।

योजना का मूल्यांकन  -

योजना के क्रियान्वयन एवं उसके प्रभाव को जानने के लिए वर्ष 2016-17 की समाप्ति पर योजना का मूल्यांकन कराया जायेगा। यह मूल्यांकन आयोजना विभाग के मूल्याकंन निदेशालय अथवा किसी बाह्य ऎजेन्सी के माध्यम से कराया जायेगा। योजना के मूल्याकंन में रेण्डम सैम्पलिंग पद्धति अपनाई जाएगी। इस योजना में वितरित किये गैस कनेक्शनों का भौतिक सत्यापन, लाभान्वित परिवारों द्वारा गैस कनेक्शन के निरन्तर उपयोग का मूल्याकंन गैस कनेक्शन के उपयोग से टाईगर रिजर्व पर हुए प्रभाव का मूल्याकंन, गैस कनेक्शन योजना से महिलाओं के स्वास्थ्य व जीवन स्तर में हुए सुधार की मूल्याकंन प्रक्रिया अपनाई जायेगी।

योजना का वित्त पोषण   -

योजना का वित्त पोषण पूर्णतः कैम्पा फण्ड से किया जायेगा। योजनान्तर्गत वर्ष 2016-17 में 40 हजार गैस कनेक्शन उपलब्ध कराए जायेगें जिसके लिए कैम्पा फण्ड की कार्य योजना वर्ष 2016-17 में 20 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

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