एक सर्वेक्षण के अनुसार विश्व में समस्त उपचार पद्धतियों
में से 80 प्रतिशत लोग स्थानीय चिकित्सा पद्धतियों का उपयोग करते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन
ने स्वीकार किया है कि भारत में सन् 2020 तक
सबको स्वास्थ्य प्रदान करने के लिये आयुष चिकित्सा पद्धतियों का सहयोग
अत्यन्त
महत्वपूर्ण है। आयुर्वेद हमारी
सांस्कृतिक धरोहर के साथ-साथ इस देश के जनमानस में रची बसी जीवन पद्धति है।
इसमें
प्रत्येक व्यक्ति के लिए 100 साल
निरोग जीवन जीने की व्याख्या की गई है।
- आयुष का देश का सबसे बड़ा आधारभूत ढ़ांचा राजस्थान में है।
- राजस्थान में 5 हजार 124 आयुर्वेद, होम्योपैथिक, यूनानी तथा योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र हैं एवं 19 आयुष महाविद्यालय, एक राजकीय आयुर्वेद विश्वविद्यालय व 29 नर्सिंग प्रशिक्षण केन्द्र संचालित किये जा रहे हैं।
- राज्य में, आयुर्वेद विभाग का मुख्यालय अशोक मार्ग,लोहागल रोड, अजमेर में स्थित है।
- प्रदेश में आयुष चिकित्सा पद्धतियों को प्रोत्साहित करने के लिये गत तीन वर्षों में अनेक अभिनव कार्यक्रम एवं योजनाएं क्रियान्वित की गयी हैं। केन्द्र सरकार द्वारा गठित राष्ट्रीय आयुष मिशन की तर्ज पर राजस्थान स्टेट आयुष सोसायटी का गठन किया गया है।
- आयुर्वेद विश्वविद्यालय द्वारा आयुर्वेद व भारतीय चिकित्सा पद्धति से संबंधित स्व-रोजगार उत्पादक लघु पाठ्यक्रम प्रारंभ किये गये हैं। इसके अंतर्गत एक वर्षीय पंचकर्म तकनीकी सहायक, एक वर्षीय योग डिप्लोमा तथा चार वर्षीय बीएससी नर्सिंग-आयुर्वेद पाठ्यक्रम शामिल हैं।
- अफीम नशामुक्ति अभियान के अन्तर्गत आयुर्वेद विश्वविद्यालय द्वारा नशामुक्ति वार्ड की स्थापना की गई है एवं नशा मुक्ति शिविरों का आयोजन किया जा रहा है।
- राज्य में संचालित लगभग 5 हजार आयुष चिकित्सा केन्द्रों में से लगभग 3 हजार आयुष चिकित्सा केन्द्र ही राजकीय भवनों मे संचालित हो रहे हैं। शेष में भवन निर्माण हेतु 400 करोड़ रुपये की योजना बनाई गई है।
- आयुष विभाग द्वारा प्रतिवर्ष लगभग 5 करोड़ रोगियों को चिकित्सा सेवा उपलब्ध करायी जाती है। औषधि बजट को करीब 15 करोड़ रुपये और बढ़ाने के प्रयास किये जायेंगे।
- आयुष विभाग के पास 17 वनौषधि उद्यानों हेतु भूमि उपलब्ध है। लगभग 10 करोड़ रुपये की योजना बनाकर इनका विकास करवाया जा रहा है।
- प्रदेश के आम नागरिकों के रोगों का उपचार करने के लिये उच्च गुणवत्तायुक्त औषधियों की उपलब्धता हेतु विभाग के अन्तर्गत अजमेर, जोधपुर, भरतपुर व उदयपुर चार रसायनशालाऐं संचालित है, वर्ष 2014-15 में एक रसायनशाला केलवाड़ा (बारां) में प्रारम्भ की गयी है, जिनमें शुद्ध शास्त्रोक्त आयुर्वेद व यूनानी औषधियों का निर्माण किया जाता है। आयुर्वेद विभाग द्वारा संचालित इन कुल 5 रसायनशालाओं के गुणात्मक सुधार हेतु 15 करोड़ रुपये की योजना बनाई जा रही है।
- प्रदेश में मौसमी बीमारियों व स्वाइन फ्लू की रोकथाम एवं उपचार में आयुष विभाग द्वारा क्वाथ निर्माण कर वितरित करने के साथ ही जनचेतना जाग्रत का सार्थक प्रयास किया गया है।
- रिसर्जेन्ट राजस्थान के दौरान आयुर्वेद एवं भारतीय चिकित्सा विभागान्तर्गत निजी निवेशकर्ताओं के साथ कुल 51 एम.ओ.यू. हस्ताक्षरित किये गये जिसकी कुल निवेश राशि 3976.50 करोड़ प्रस्तावित है। निवेशकर्ताओं से आयुर्वेद, होम्योपैथिक, यूनानी महाविद्यालय, हर्बल गार्डन, पंचकर्म सेन्टर्स, वेलनेस सेन्टर एवं औषध परीक्षण प्रयोगशाला आदि स्थापित करने सम्बन्धी प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं।
- वृद्धावस्था में होने वाले सामान्य रोगों के उपचार को ध्यान में रखते हुए पहली बार पहली बार 33 जरावस्था जन्य रोग निवारण केन्द्रों की स्थापना की गई।
- मातृ मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर एवं कुपोषण को कम करने के लिये पहली बार 33 आंचल प्रसूता केन्द्रों की स्थापना कर माताओं एवं शिशुओं को स्वास्थ्य संरक्षण करने वाली औषधियों का विशेष पैकेज उपलब्ध करवाया जा रहा हैं।
- विभिन्न रोगों में पंचकर्म की प्रभावी चिकित्सा की विशेषता को ध्यान में रखते हुऎ 25 चिकित्सालयों पर पंचकर्म केन्द्रों की स्थापना की गई। शेष 9 जिलों में पंचकर्म केन्द्रों की स्थापना इसी वर्ष की जायेगी।
- योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र भवनों हेतु वित्तीय वर्ष 2014-15 तथा 2015-16 में 10-10 जिला मुख्यालयों पर निर्माण कार्य प्रारम्भ करवाया गया है। वर्ष 2016-17 में भीलवाड़ा, भरतपुर, धौलपुर, बूंदी, बांसवाड़ा एवं प्रतापगढ़ में इन भवनों का निर्माण कराया जायेगा।
- राज्य में संचालित 295 आदर्श प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर ‘‘वैलनेस सेन्टर ‘‘ प्रारम्भ किये गये है। अगले वर्ष 600 नये आदर्श प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्थापित किये जायेंगे।
योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा महाविद्यालय-
1- योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा महाविद्यालय, सीकर
2- ओम शिव संस्थान, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा महाविद्यालय, चित्तौड़गढ़
2- ओम शिव संस्थान, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा महाविद्यालय, चित्तौड़गढ़
3- स्वास्थ्य कल्याण इस्टीट्यूट आॅफ नेचुरोपैथी एवं यौगिक साइंस काॅलेज, जयपुर
राजस्थान में निम्नानुसार योग व प्राकृतिक चिकित्सालय व औषधालय संचालित है-
योग चिकित्सालय:- राजकीय योग केन्द्र बापू नगर जयपुर-ब
प्राकृतिक चिकित्सालय व औषधालय
1. राजकीय प्राकृतिक चिकित्सालय घासघर, उदयपुर
2. राजकीय प्राकृतिक चिकित्सालय हनुमानगढ
3. राजकीय प्राकृतिक औषधालय भीलवाडा
4. राजकीय प्राकृतिक औषधालय जाडल-पाली
5. राजकीय प्राकृतिक औषधालय टोंक
2. राजकीय प्राकृतिक चिकित्सालय हनुमानगढ
3. राजकीय प्राकृतिक औषधालय भीलवाडा
4. राजकीय प्राकृतिक औषधालय जाडल-पाली
5. राजकीय प्राकृतिक औषधालय टोंक
- राजकीय आयुर्वेद अनुसन्धान केन्द्र, उदयपुर की स्थापना वर्ष 1957 में की गई थी। उक्त केन्द्र में वर्ष 2000-01 से मधुमेह, आमवात, गृध्रसी, बालशोष रोगों पर विभिन्न औषधियों के परीक्षण का कार्य चल रहा है।
- वर्तमान में 33 नवीन जरावस्था निवारण केन्द्र, 23 नये आचंल प्रसूता केन्द्र, 29 नये पंचकर्म केन्द्र तथा 26 नवीन योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्रों की स्थापना की गई है।
- 21 जून, 2015 को प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस तथा 21 जून, 2016 को द्वितीय अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस समारोह राज्य मुख्यालय जयपुर, समस्त जिला मुख्यालय, समस्त ब्लॉक मुख्यालय तथा ग्राम पंचायत मुख्यालय पर आयोजित किया गया। प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस परं लगभग 35 लाख व्यक्तियों द्वारा एवं द्वितीय अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर लगभग 42 लाख व्यक्तियों द्वारा एक ही समय में योगाभ्यास कर एक नया रेकार्ड कायम किया गया है।
- राज्य में प्रथम बार योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा क्षेत्र के योग्यताधारी समभ्यासियों का रजिस्ट्रेशन "इंडियन मेडिसिन बोर्ड राजस्थान" द्वारा करने का कार्य प्रारम्भ किया गया है।
- राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, उदयपुर में ई-परामर्श केन्द्र प्रारम्भ किया गया।
- प्राकृतिक एवं कृषि से उत्पन्न होने वाली आयुर्वेद औषधियों के सरंक्षण संवर्धन एवं विपणन हेतु राज्य कृषि विपणन बोर्ड द्वारा उदयपुर को हर्बल मण्डी घोषित कर दिया गया है।
- होम्योपैथी चिकित्सा विभाग अन्तर्गत दो चल चिकित्सा इकाईयों मय मोबाईल वेन की स्थापना की गई है जिसके द्वारा सम्पूर्ण राज्य में निःशुल्क चल होम्योपैथी चिकित्सा उपलब्ध करवायी जा रही है।
- आयुष चिकित्सा पद्वतियों के अन्तर्गत अलवर जिले की तिजारा तहसील की 5 ग्राम पंचातयों (भिवाडी, तिजारा, कुशखेडा, चोपंकी एवं टपूकडा) में सिद्धा चिकित्सा पद्वति के सेवा केन्द्र स्थापित किये जा रहे है।
Yog ki vacancy aaygi kiya
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