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राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (National Agriculture Insurance Scheme- NAIS)-

राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (National Agriculture Insurance Scheme- NAIS)-

1. योजना की शुरूआत:
राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (National Agriculture Insurance Scheme- NAIS) खरीफ 2003 से राजस्थान में लागू की गई।
2. उद्देश्य:
योजना का उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं (सूखा, बाढ़ आदि), कीट रोग के कारण किसी भी संसूचित फसल के नष्ट होने की स्थिति में किसानों को बीमा कवरेज के जरिये वित्तीय सहायता प्रदान कर आपदा वर्षों में कृषि आय को स्थिर रखना
3. इस योजना में ऋणी कृषक अनिवार्य रूप से बीमित किए जाएंगे एवं गैर ऋणी कृषक स्वेच्छिक आधार पर योजना में भाग ले सकते हैं।
4. ऋणी काश्तकार जिन्होंने संसूचित फसलों के लिए कृषि ऋण ले रखा है।
5. गैर ऋणी काश्तकारः संसूचित फसल उगाने वाले काश्तकार
6. गत 5 वर्षो में फसल विशेष का औसत बुवाई क्षेत्र 500 हैक्टर होने पर तहसील का चयन किया जाता है
7. संसूचित फसलें निम्नानुसार हैं:-
खरीफ: ज्वार, बाजरा, मक्का, मूंग, मोठ, उड़द, चैला, मूंगफली, तिल, सोयाबीन, ग्वार। (11 फसलें)
रबी: गेहूं, जौ, चना, राई सरसों, तारामीरा, धनिया, जीरा, मेथी, ईसबगोल (9 फसलें)
7-प्रिमियम राशि:
गारण्टी उपज X (न्यूनतम समर्थन मूल्य/औसत बाजार भाव) X सामान्य प्रीमियम दर से प्राप्त होती है।
भारत सरकार द्वारा सामान्य प्रिमियम दरें निम्नानुसार निर्धारित की हुई हैं:-
फसल मौसम
फसलें
प्रीमियम की दरें
खरीफ
बाजरा एवं तिलहन
बीमित राशि का अधिकतम 3.5 %

अन्य फसलें (अनाज, अन्य
कदन्न एवं दलहन)
बीमित राशि का अधिकतम 2.5 %
रबी
गेहूं
बीमित राशि का अधिकतम 1.5 %

अन्य फसलें (अनाज, अन्य
कदन्न एवं दलहन)
बीमित राशि का अधिकतम 2 %
खरीफ एवं रबी
वार्षिक नकदी/वार्षिक बागवानी फसलें  
वास्तविक दर
8- जोखिम स्तर: विगत दस वर्षो (1998 से 2007) के उपज के आंकड़ों में विचलन के गुणांक [COEFFICIENT OF VARIATION] के आधार पर तय की जाती है ।
9- बीमित राशि: गारण्टी उपज को न्यूनतम समर्थन मूल्य/औसत बाजार भाव से गुणा करने पर बीमित राषि तय की गई है। ऋणी किसानों के लिए बीमित राशि कम से कम दिए गए फसल ऋण की राशि के बराबर होगी ।
10- उपज का निर्धारण: उपज का निर्धारण हेतु प्रत्येक तहसील स्तर पर संसूचित फसल पर न्यूनतम 16 फसल कटाई प्रयोग राजस्व मंडल, अजमेर के निर्देशानुसार सम्पादित करवाए जाते हैं। इन प्रयोगों के आधार पर तहसील की वास्तविक फसलवार औसत उत्पादकता ज्ञात की जाती है।
11- गारण्टी उपज- गेंहू के मामले में पिछले तीन वर्ष की औसत उपज का तथा अन्य फसलो में पांच वर्षो की औसत उपज, जोखिम स्तर से गुणित कर निकाली जाती है।
12- वास्तविक उपज गारन्टी उपज से कम होने की स्थिति में उस तहसील के संसूचित फसल के लिए समस्त बीमित कृषकों को मुआवजा देय होता है।
13- मुआवजे की गणना फार्मूला-  
मुआवजे की गणना निम्नांकित फार्मूला के आधार पर की जाती है:-
(उत्पादकता में कमी) X (फसल के लिए बीमित राशि) / गारण्टी उत्पादकता
(उत्पादकता में कमी = गारण्टी उत्पादकता  - वास्तविक उत्पादकता)
14- क्षतिपूर्ति की राशि बीमा कम्पनी द्वारा नोडल बैंकों के माध्यम से काश्तकारों के खातों में जमा कराई जाती है।

(Source- कृषि विभाग, राजस्थान, जयपुर)
 

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