Skip to main content

***राजस्थान सरकार का नया मंत्रिमंडल-***


मुख्यमंत्री - श्रीमती वसुंधरा राजे सिंधिया

विभाग- कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं समन्वय, सामान्य प्रशासन, Estates, गृह एवं न्याय, राजस्थान राज्य अन्वेषण ब्यूरो (Rajasthan State Bureau of Investigation-ACB), नागरिक सुरक्षा एवं होम गार्ड्स, जेलवित्त, उद्योग, राजस्व (Revenue), उपनिवेशन विभाग (Colonisation), देवस्थान, वक्फ़, सैनिक कल्याण, वन, आबकारी, करनगरीय विकास, श्रम एवं रोजगार, प्रकाशन एवं स्टेशनरी, फैक्ट्री निरीक्षण एवं बायलर, कला एवं संस्कृति, पुरातत्व एवं संग्रहालयकानून, नियोजन,  जनशक्तिसूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार, निर्वाचन, केबिनेट सचिवालय, आर्थिक एवं सांख्यिकी, भाषा, सार्वजनिक उपक्रम विभागलोक शिकायत,  पर्यटन, पर्यावरण, सूचना एवं जनसंपर्क, महिला एवं बाल विकास, युवा मामलात एवं खेल, यातायात, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, स्टेट मोटर गैराज, नीति निर्माण सेल- मुख्यमंत्री सचिवालयनागरिक उड्डयन, अल्पसंख्यक मामलात, आप्रवासी ( NRI)  

कैबिनेट मंत्री-

1.
श्री गुलाबचंद कटारिया- ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग, आपदा प्रबंधन एवं राहत विभाग
2. प्रो. सांवरलाल जाट- जल संसाधन विभाग, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, इंदिरा गाँधी नहर परियोजना, भूजल विभाग, कमांड एरिया विकास एवं जल उपयोग
3. श्री प्रभुलाल सैनी- कृषि एवं पशुपालन विभाग,  डेयरी, मत्स्य विभाग
4. श्री गजेन्द्र सिंह खींवसर- ऊर्जा
5. श्री कालीचरण सर्राफ- प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा, संस्कृत शिक्षा, उच्च शिक्षा तथा तकनीकी शिक्षा विभाग
6. श्री राजेन्द्र राठौड़- चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, आयुर्वेद, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएँ ( Medical and Health Services- ESI), संसदीय कार्य विभाग
7. श्री कैलाश मेघवाल- खान एवं भूगर्भ विज्ञान
8. श्री नंदलाल मीणा- जनजाति क्षेत्र विकास
9. श्री यूनुस खान- पीडब्ल्यूडी विभाग

राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार-
1. श्री अजय सिंह किलक- सहकारिता विभाग
2. श्री हेमसिंह भडाना- खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग, उपभोक्ता मामलात विभाग
3. श्री अरुण चतुर्वेदी- सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता विभागTop of Form

Comments

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली