Skip to main content

Current Affairs Of Rajasthan

'हेरिटेज वॉक एट कुम्भलगढ़ फोर्ट -2012' का पहली बार हुआ आयोजन

राजसमंद जिले के कुंभलगढ़ दुर्ग में जिला प्रशासन, पर्यटन, कला व संस्कृति विभाग तथा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से शनिवार दिनांक 10 मार्च 2012 को कुंभलगढ़ के अजेय किले की प्राचीर को विश्व प्रसिद्ध बनाने के प्रयास के तहत 'हेरिटेज वॉक एट कुम्भलगढ़ फोर्ट-2012' प्रतियोगिता आयोजित की गई। इसमें कुम्भलगढ़ क्षेत्र के युवाओं ने अपना परचम लहराया तथा आठ में से सात पुरस्कारों पर यहीं के युवाओं ने कब्जा जमाया, जबकि एक सांत्वना पुरस्कार एक महिला प्रतियोगी ने जीता। पहली बार आयोजित हुई इस 'हेरिटेज वॉक एट कुम्भलगढ़ फोर्ट' में सिने अभिनेता सुनील शेट्टी ने भी शिरकत की तथा प्रतियोगियों का उत्साहवर्धन किया। इस कार्यक्रम के लिए प्रातः लगभग सात बजे से ही प्रतिभागियों के पहुंचने का क्रम प्रारंभ हो गया था। इस वॉक में पंजीकृत हुए कुल 418 में से करीब सवा दो सौ आवेदक प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए यहाँ पहुंचे। जिला कलक्टर डॉ. प्रीतम बी. यशवंत एवं पुलिस अधीक्षक डॉ. नितिनदीप ब्लग्गन के नेतृत्व में इन आवेदकों में से 179 प्रतियोगियों का चयन हुआ। इसमें 100 लोग मुख्य प्रतियोगिता के लिए तथा शेष को स्वैच्छिक वॉक में सम्मिलित किया गया। प्रातः लगभग 11 बजे फिल्म अभिनेता सुनील शेट्टी भी दुर्ग पर पहुंचे। वॉक की शुरुआत से पहले कुंभलगढ़ के परेड ग्राउंड पर राजस्थानी लोक कलाकारों ने ऐसा रंग जमाया कि अभिनेता सुनील शेट्टी ने भी खुल कर राजस्थान की कला और संस्कृति की प्रशंसा की। वे न सिर्फ कलाकारों से रू-ब-रू हुए बल्कि वॉक के दौरान भी उन्होंने प्रतिभागियों का हौसला बढ़ाया। परेड ग्राउंड पर दिन भर राजस्थानी लोक नृत्य, लोक नाट्य तथा लोक संगीत पर आधारित कार्यक्रम आयोजित किए गए। प्रातः 11.54 बजे पहले दल के पचास सदस्यों को झण्डी लहराकर एवं गुब्बारे आसमान में उड़ाकर रवाना किया। करीब 12 बजे पचास प्रतिभागियों के दूसरे दल को तथा 12.11 बजे शेष 60 प्रतिभागियों को वॉक के लिए रवाना किया गया। फिल्म अभिनेता सुनील शेट्टी ने प्रतियोगिता के उद्घाटन की औपचारिक घोषणा की और कहा कि किसी हेरिटेज स्थल पर यह आयोजन अपने आप में अनूठा है। हमारी पुरा-सम्पदा पर हमें काफी गर्व है। यह हमारे देश का गौरव संपूर्ण विश्व में बढ़ाते हैं। उन्होंने लोगों की फरमाइश पर धड़कन फिल्म का डायलॉग 'मैं तुम्हे भूल जाऊं ये हो नहीं सकता, तुम मुझे भूल जाओ ये मैं होने नहीं दूंगा...' सुनाया। बालीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता सुनील शेट्टी ने कहा है कि भारत में जो ऐतिहासिक महत्व के स्थल है वो दुनिया में कहीं नहीं है। हिन्दुस्तान की संस्कृति व सभ्यता के आगे सारी दुनिया नतमस्तक है। अगर इनका सही नजरिए से उपयोग किया जाए तो फिल्मों की शूटिंग के लिए हमें विदेशों में जाने की जरूरत नहीं है।
कार्यक्रम में जिला कलक्टर डॉ. प्रीतम बी. यशवंत ने सभी का आभार जताया।
इस मौके पर विधायक गणेशसिंह परमार, मिराज ग्रुप के अध्यक्ष मदन पालीवाल, पुलिस अधीक्षक नितिनदीप ब्लग्गन, प्रधान सूरतसिंह दसाणा, कांग्रेस नेता हरिसिंह राठौड़, उप जिला प्रमुख मदनलाल गुर्जर आदि मौजूद थे। इस कार्यक्रम के आयोजन में मिराज समूह, वेदान्ता समूह और जेके ओद्यौगिक समूह ने अपना सहयोग प्रदान किया है। सुनिल शेट्टी ने बाद में कुम्भलगढ़ दुर्ग का भ्रमण भी किया तथा इस अजेय दुर्ग व इसके विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों को देखकर वे अत्यधिक अभिभूत हुए। उन्हें कुंभलगढ़ दुर्ग में महाराणा प्रताप जन्म कक्ष, बादल महल, तोपखाना चौक आदि स्थलों से विधायक गणेशसिंह परमार व कांग्रेस नेता हरिसिंह राठौड़ ने अवगत कराते हुए दुर्ग व ऐतिहासिक दीवार के इतिहास के बारे में भी बताया। सुनील शेट्टी ने बाद में प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया तथा इसके बाद चार बजे वे कार से उदयपुर के लिए रवाना हो गए।
कुंभलगढ़ दुर्ग बस्ती में रहने वाले आदिवासी दर्जिंग भील के परिवार के लिए हेरिटेज वॉक प्रतियोगिता एक सौगात बनकर आई। दर्जिंग भील के पुत्र चैना राम ने 1 घंटा 52 मिनट में वॉक पूरी कर प्रथम स्थान हासिल कर 50000 रुपए का पुरस्कार जीता जबकि उसके दूसरे पुत्र किशनलाल ने 2 घंटा 6 मिनट में वॉक पूरी कर सांत्वना पुरस्कार के रूप में 11 हजार रुपए प्राप्त किए।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य राजस्थान की समृद्ध हेरिटेज, संस्कृति तथा इतिहास को प्रोत्साहन करना और पर्यावरण संरक्षण करना रखा गया था। इस कार्यक्रम के माध्यम से कुंभलगढ़ के समृद्ध इतिहास, उसकी स्थापत्य तथा इसके आसपास की वन संपदा के बारे में विश्व का ध्यान आकृष्ट करने का भी उद्देश्य रखा गया था। इस कार्यक्रम की जानकारी देने तथा आवेदन के लिए जिला प्रशासन द्वारा एक वेबसाइट http://www.kumbhalgarhfortwalk.com/ भी चालू की गई थी जिस पर कुंभलगढ़ के बारे में भी जानकारी व फोटो दिए गए हैं। इस कार्यक्रम की प्रतियोगिता के निम्नांकित पुरस्कार रखे गए थे
• First Prize : Rs. 51,000/-
• Second Prize : Rs. 31,000/-
• Third Prize : Rs. 21,000/-
• Five Consolation prizes : Rs. 11,000/-

Comments

  1. Sir ji 3rd grade teachers vecancy me kya stc walo ko alag se seete prapt hogi...

    ReplyDelete

Post a Comment

Your comments are precious. Please give your suggestion for betterment of this blog. Thank you so much for visiting here and express feelings
आपकी टिप्पणियाँ बहुमूल्य हैं, कृपया अपने सुझाव अवश्य दें.. यहां पधारने तथा भाव प्रकट करने का बहुत बहुत आभार

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली